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भेंगापन या “क्रॉस आइज़” या “स्ट्रैबिस्मस” एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति किसी विशेष बिंदु पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपनी आंखों को एक सीधी दिशा में संरेखित करने में असमर्थ होता है।
आंखें इधर-उधर दिखाई देती हैं। सबसे संभावित कारण जिसके परिणामस्वरूप यह चिकित्सा स्थिति पैदा होती है, वह है आंख की मांसपेशियों का कमजोर होना।
कमजोर आंख किसी एक विशिष्ट वस्तु पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएगी और अपनी नजर कहीं और घुमा लेगी। “क्रॉस आई” की समस्या ज्यादातर छोटे बच्चों में पाई जाती है।
अगर इस मेडिकल कंडिशन का शुरुआत में निदान किया जाता है, तो इसका उपचार बहुत अधिक प्रभावी हो जाता है। “क्रॉस आइज़” की समस्या या तो टेम्प्रेरी या लंबे समय तक हो सकती है।
टेम्प्रेरी स्ट्रैबिस्मस के परिणामस्वरूप आंख की मांसपेशियों की स्थिति बिगड़ सकती है, क्योंकि किसी विशेष वस्तु पर लगातार ध्यान केंद्रित करने से आंखें थक जाती हैं। ज्यादातर मामलों में कई माता-पिता ने अपने बच्चों को उनके जन्म के बाद के शुरुआती महीनों में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते हुए पाया है। वह बच्चा घुमता रहता है क्योंकि वह अभी भी अपनी आंखों को किसी विशेष वस्तु पर केंद्रित करना सीख रहा होता है।
“क्रॉस आइज़” या “स्ट्रैबिस्मस” के रूप में जानी जाने वाली मेडिकल कंडिशन को मिसलिग्न्मेंट की दिशा के आधार पर कई केटेगरी में बांटा गया है। इन श्रेणियों के बारे नीचे बताया गया है:
इस प्रकार का स्ट्रैबिस्मस किसी व्यक्ति की आंख में तब होता है जब उसकी एक आंख सीधे देख सकती है लेकिन दूसरी अंदर की ओर मुड़ने लगती है।
इस प्रकार का स्ट्रैबिस्मस किसी व्यक्ति की आंख में तब होता है जब उसकी एक आंख सीधे देख सकती है लेकिन दूसरी बाहर की ओर मुड़ने लगती है।
इस प्रकार का स्ट्रैबिस्मस किसी व्यक्ति की आंख में तब होता है जब उसकी एक आंख सीधे देख सकती है लेकिन दूसरी नीचे की ओर मुड़ने लगती है।
इस प्रकार का स्ट्रैबिस्मस किसी व्यक्ति की आंख में तब होता है जब उसकी एक आंख सीधे देखने में सक्षम होती है लेकिन दूसरी ऊपर की ओर मुड़ने लगती है।
बड़ी संख्या में मामलों में व्यक्ति का मस्तिष्क प्रत्येक आंख से अलग-अलग दृश्य संदेश प्राप्त करना शुरू कर देता है और कमजोर आंख से आने वाले संकेतों को मस्तिष्क द्वारा अनदेखा कर दिया जाता है। यदि एक निश्चित समय अवधि में ‘क्रॉस आई’ की समस्या का इलाज नहीं किया जाता है, तो व्यक्ति अपने आने वाले समय में पूरी तरह से अपनी दृष्टि खो सकता है।
अगर व्यक्ति के परिवार में किसी को पहले से ही “स्ट्रैबिस्मस” का निदान किया गया है, तो संबंधित व्यक्ति को उसी समस्या का निदान होने की संभावना ज़्यादा होती हैं।
विभिन्न प्रकार की “सेरेब्रल इंजरी” भी “क्रॉस आईज़” की समस्या से जुड़ी हुई हैं।
आंख की मांसपेशियों को कंट्रोल करने वाली नसों की समस्या के कारण स्ट्रैबिस्मस हो सकता है।
क्रॉस आई की समस्या ज्यादातर शिशुओं और छोटे बच्चों में पाई गई है लेकिन इस समस्या के पीछे का मूल कारण अभी भी पता नहीं चल सका है। स्ट्रैबिस्मस के बाद कई प्रकार की शारीरिक बीमारियाँ होती हैं जैसे डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, मल्टीपल स्केलेरोसिस, मायस्थेनिया ग्रेविस या थायरॉयड डिसआर्डर।
“स्ट्रैबिस्मस” को रोकने के लिए किसी विधि का पता नहीं चल पाया है, लेकिन विभिन्न उपचार विधियां महत्वपूर्ण रूप से प्रभावी हो जाती हैं जब इस चिकित्सा स्थिति का शुरुआत में पता चल जाता है।
इसके सबसे प्रभावी परिणाम 6 साल से कम उम्र के बच्चों में पाए गए हैं। “क्रॉस आइज़” की शुरुआत का पता लगाने के लिए, शिशुओं के आंखों के स्वास्थ्य को उनके शुरुआती वर्षों और स्कूल के समय के दौरान ही माता-पिता द्वारा ध्यान दिया जाना चाहिए। माता-पिता को सलाह दी जाती है कि वे अपने बच्चों को विभिन्न प्रकार की आंखों की बीमारियों की शुरुआत से बचने के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच करवाएं।
इसके उपचार का मूल लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि दृष्टि पूरी तरह से ठीक हो जाए। “क्रॉस आइज़” की समस्या को ठीक करने के लिए विभिन्न प्रकार के उपचारों का उपयोग किया जाता है। विभिन्न प्रकार के उपचारों के बारे में नीचे बताया गया है-
एक नेत्र विशेषज्ञ आंख की पूरी जांच करने के बाद संबंधित व्यक्ति को एक विशिष्ट प्रकार के कॉन्टैक्ट लेंस की सलाह दे सकता है।
ये विशेष प्रकार के लेंस होते हैं जिनमें लेंस का एक किनारा दूसरे से मोटा होता है। प्रिज़्म का काम आंख में प्रवेश करने वाले प्रकाश को बदलना है, जिससे किसी वस्तु को ठीक से देखने के लिए आंखों को लगातार मुड़ने की आवश्यकता नहीं होगी। इस प्रकार के लेंस मिसअलाइजन्मेंट को ठीक करते हैं जिससे एक व्यक्ति द्वारा इमेज के दो सेट देखे जा सकते हैं। एक व्यक्ति को अपने चश्मे के लिए सही प्रिज़्म का पता लगाने के लिए कई प्रकार के नेत्र परीक्षणों से गुजरना पड़ सकता है। विभिन्न प्रकार के टेस्ट जैसे “हिर्शबर्ग टेस्ट, क्रिम्स्की टेस्ट, कवर टेस्ट, मैडॉक्स टेस्ट” हैं। “क्रॉस आइज़” के उपचार के लिए प्रिज़्म लेंस को अधिक प्रभावी तरीका नहीं पाया गया है।
एक नेत्र विशेषज्ञ किसी व्यक्ति को आई कॉर्डिनेशन को बढ़ाने और किसी विशेष वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने की आंखों की क्षमता के लिए विभिन्न प्रकार के नेत्र उपचारों का सुझाव दे सकता है। “विजन थैरेपी” का केंद्रीय उद्देश्य “आंखों” और “मस्तिष्क” के बीच फंग्शनल रिलेशन को बेहतर बनाना है। किसी व्यक्ति की कॉगनिटिव और एथलेटिक एबिलिटी में सुधार के लिए विभिन्न प्रकार की विजन थैरेपी अत्यंत उपयोगी पाई गई है। विजन थैरेपी की दो मुख्य श्रेणियां हैं, जिन्हें इस रूप में जाना जाता है:
पहले वाला आंखों द्वारा विजुअल प्रोसेसिंक के सुधार में काफी हद तक प्रभावी पाया गया है और दूसरे वाला “बायनोक्यूलर फंक्शन” के सुधार में प्रभावी है।
जब “क्रॉस आइज़” के उपचार के अन्य सभी तरीके काम नहीं करते हैं, तो एक व्यक्ति के पास केवल अपनी दृष्टि बढ़ाने के लिए एक सर्जिकल प्रक्रिया से गुजरने का विकल्प बचा होता है।
सर्जरी का उद्देश्य आंख की मांसपेशियों की लंबाई या स्थिति को बदलकर दोनों आंखों को एक सीधी दिशा में सेट करना है। आंखों की सर्जरी से गुजरने वाले व्यक्तियों को भी दृष्टि की वृद्धि के लिए “विजन थेरेपी” की आवश्यकता होती है।
क्रॉस आई की स्थिति आमतौर पर समय के साथ बेहतर होती जाती है। अपनी आंखों को फोकस करने में मदद के लिए आप आंखों की एक्सरसाइज़ कर सकते हैं। इनका उचित उपचार से भी इलाज किया जा सकता है। आपका डॉक्टर आपकी दृष्टि में सुधार करने के लिए पहले आपको सुधारात्मक लेंस की सलाह देंगे। यदि यह काम नहीं करते हैं, तो आप सर्जरी करवा जा सकते हैं।
ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि टीवी देखने से स्ट्रैबिस्मस की स्थिति और खराब हो सकती है। हालांकि स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना आपकी आंखों के लिए ठीक नहीं है। इसलिए इस बात का अधिक ध्यान रखें।
3 साल की उम्र तक के बच्चों में क्रॉस आई या स्ट्रैबिस्मस विकसित होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि यह आमतौर पर बच्चे के चेहरे के बढ़ने के बाद गायब हो जाता है। जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है आंखों और दिमाग में नॉन-कॉर्डिनेशन विकसित होता है। यह एडल्ट्स में भी हो सकता है।
ज्यादातर छोटे बच्चे ऐसा इम्प्रेशन देते हैं कि उनकी क्रॉस आई हैं, क्योंकि उनका चेहरा पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता है। इसे स्यूडोस्ट्रैबिस्मस भी कहा जाता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होगा वह इस समस्या से बाहर आ जाएगा। हालांकि स्ट्रैबिस्मस को उपचार की आवश्यकता होगी और यह अपने आप ठीक नहीं होगा।
क्रॉस आई की समस्या का समय पर इलाज किया जाना चाहिए, नहीं तो वे कॉम्प्लिकेशन पैदा कर सकती हैं और आपकी दृष्टि को प्रभावित कर सकती हैं। आपको आखिर में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। क्रॉस आई में हमारी आंख की मांसपेशियां और नसें आंख को एक जगह रखने से थक जाती हैं, इसलिए इससे कुछ हद तक दृष्टि हानि हो सकती है। इसलिए जितनी जल्दी हो सके इस स्थिति का निदान करने की सलाह दी जाती है।
छोटे बच्चों में अक्सर क्रॉस आई की समस्या देखने को मिल जाती हैं और समय के साथ इसका प्रभाव समाप्त हो जाता है। इसके लक्षण होते हैं, जैसे-
हाँ। स्थिति को सुधारने के लिए आप आंखों के व्यायाम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप अपना अंगूठा दोनों आंखों के बीच में, नाक से दूर रख सकते हैं। फिर धीरे-धीरे इसे नाक की ओर लाएं और दोनों आंखों को एक ही समय में अंगूठे पर केंद्रित करें, बाद में अंगूठे को बिना देखे अपनी नाक से दूर ले जाएं। इस अभ्यास को दिन में कई बार करने से क्रॉस आई का इलाज करने में मदद मिल सकती है यदि यह शुरुआती स्टेज में है।
समस्याओं को दूर रखने के लिए आपको अपने बच्चे की आंखों की जांच तब करवानी चाहिए जब बच्चा दो साल का हो जाए और स्कूल जाना शुरू ना करा हो। स्वस्थ आंखों के साथ भी हर तीन साल में आंखों की जांच कराने की सलाह दी जाती है। और अगर आपका बच्चा अपनी आंखों से असहज लगता है, तो आपको तुरंत चेकअप करवाना चाहिए।
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