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पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजिस्ट डॉक्टर वह है जो बच्चों में सभी प्रकार की आंखों से संबंधित बीमारियों का निदान, रोकथाम और ट्रीटमेंट करते हैं। जिस तरह बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्पेशल डॉक्टर की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार बच्चे की आँखों को भी स्पेशल केयर की आवश्यकता होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आंखों की देखभाल के मामले में बच्चे बड़ों से बिल्कुल अलग होते हैं।
पीडियाट्रिक बच्चों में आंखों की समस्या के विशेषज्ञ होते हैं। ऐसे कई कारण या कंडिशन्स हो सकती हैं, जिनके लिए आपको अपने बच्चे को ऐसे डॉक्टर के पास ले जाने की जरूरत पड़ जाए:
बचपन में दिमाग और आंख का कनेक्शन पूरी तरह से डेवलप नहीं होता है, इसलिए बचपन में किसी भी विजन की कमी अगर ठीक नहीं की जाती है, तो आलसी आंखें या एंब्लोपिया की प्रॉब्लम हो सकती है। इसका मतलब यह है कि बच्चे के विजन की कैपेसिटी लिमिटेड हो जाती है, और अगर इसके ट्रीटमेंट में देरी हो जाए तो करेक्टीव ग्लासेज भी मदद नहीं कर पाते है। लाइफ के शुरुआती वर्षो में एंब्लोपिया थेरेपी बहुत जरूरी होती है।
कोगेनिशल एनोमलाइज या डेवलपमेंट से जुड़े डीसऑर्डर जीवन के शुरुआती सालों में दिखाई देते हैं। यह रिफ्रेक्टीव त्रुटियों के लिए हो सकते हैं जिनमें केवल करेक्टिव चश्मे की आवश्यकता होती है। इसके अलावा भेंगापन, आंखों का गलत अलाइंजमेंट, कोगेनिशल नासोलैक्रिमल, डक्ट ब्लॉक, प्टॉयसिस या पलकों का गिरना और यहां तक कि मोतियाबिंद और ग्लूकोमा।
कम वजन के साथ समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं को भी नवजात नर्सरी में लंबे समय तक रहना पड़ता है। इनमें प्रीमैच्योरिटी की रेटिनोपैथी नामक बीमारी होने की संभावना रहती है। आरओपी (RoP) संभावित रूप से विजन के लिए खतरा है और इस हाई रिस्क के टाइम बच्चे की जांच जरूर करानी चाहिए।
कुपोषण की स्थिति में बच्चे विटामिन ए की कमी के प्रति सेसीटिव होते हैं और इसके साथ आंखों की समस्याएं जैसे ड्राई आइज, कॉर्नियल अल्सर और यहां तक कि ब्लाइंडनेस होने का भी खतरा होता है। उधम मचाने वाले और चटपटा खाने वाले भी कभी-कभी स्वस्थ डाइट ठीक से खिलाए जाने के बावजूद कुछ माइक्रो न्यूट्रिशन की कमी से ग्रस्त हो सकते हैं।
बच्चों में मोतियाबिंद एक आंख में हो सकता है, एकतरफा या दोनों आंखों-द्विपक्षीय (both eyes—bilateral), जन्म के समय या जन्म के कुछ समय बाद भी हो सकता है।
मोतियाबिंद जन्म के समय आंशिक हो सकता है और बाद में इसका डेवलेपमेंट विजुअली रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है। वयस्कों के विपरीत बच्चों में मोतियाबिंद एक स्पेशल चैलेंज लेकर आता है। मोतियाबिंद की शुरुआत जितनी जल्दी होती है और मोतियाबिंद की अवधि जितनी लंबी होती है, रोग का निदान भी उतना ही खराब होता है।
जन्मजात मोतियाबिंद के ट्रीटमेंट में नई टेकनिक्स और मेटेरियल के साथ और बेहतर सर्जिकल और क्लीनिकल मैनेजमेंट के साथ विजुअल प्रोगनोसिस में सुधार हुआ है। अब ऑप्थल्मोलॉजिस्ट जीवन के पहले हफ्ते में ही ऑपरेशन करते हैं और चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के साथ बच्चे का विजुअली रिहेबिलेशन कर देते हैं।
बच्चों में मोतियाबिंद की सर्जरी जनरल एनस्थिसिया के तहत की जाती है। इसमें मोतियाबिंद (अपारदर्शी) क्रिस्टलीय लेंस को हटाना शामिल है। सेंट्रल विजुअल एक्सिस की क्लियरटी सुनिश्चित करने के लिए यह अक्सर अन्य सर्जिकल मेंडिकल उपायों के साथ की जाती है, जो अन्यथा ‘मोतियाबिंद के बाद’ (इफ्लामेंट्री कोशिकाओं और रेशेदार ऊतक का कलेक्शन) गठन द्वारा अस्पष्ट हो सकता है।
ऑप्थल्मोलॉजिस्ट और आई मंत्रा आई सेंटर की सहायक टीम इस बात से पूरी तरह अवगत है कि हमारे बच्चों को स्पेशल केयर की जरूरत होती है।
आई केयर प्रोफेसनल की हमारी टीम को बेहद खुशी होगी यदि वह आपके बच्चे के लिए बेस्ट आई केयर सुनिश्चित करने की आपकी कोशिशों में आपका साथ देगी।
आई मंत्रा आई सेंटर कंपेशन के साथ एथिकल चाइल्ड विजन केयर प्रदान करता है, जोकि ग्रुप के साथ रोगी की देखभाल की पहचान है। प्राइमरी आई केयर के संप्लीमेंट्स में बच्चों के लिए स्पेशलिस्ट सर्विस और आई एग्जामिनेशन में शामिल हैं:
आई मंत्रा हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक आई सर्जनों द्वारा नियमित रूप से की जाने वाली सर्जरी में शामिल हैं:
आपके बच्चे की आंखों की देखभाल के लिए आई मंत्रा दिल्ली के टॉप पीडियाट्रिक्स के साथ सबसे अच्छा आई हॉस्पिटल है। हम एक बच्चे की ओवरऑल हेल्थ के लिए हेल्थी आंखों और अच्छी दृष्टि के महत्व को समझते हैं।
वह न केवल अपने प्रोफेशनलिज्म और ट्रेनिंग में अनुकरणीय हैं, बल्कि आपके बच्चे के साथ दोस्ती करने की योग्यता भी उनमें हैं। इस बीच यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चे आई डॉक्टर की विज़िट के लिए तैयार रहें।
पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजी डिपार्टमेंट का वातावरण हमेशा सुकून भरा होता है और स्टाफ हमेशा बच्चों के साथ खेलने के लिए उत्सुक रहता है, जिससे आपके बच्चों की जांच टेंशन-फ्री और आसानी से हो सके।
विजन दर्द रहित होने के साथ-साथ निरंतर कम होता है। शुरुआती मोतियाबिंद नॉर्मल लाइट कंडिशन्स में पढ़ने में कठिनाई से जुड़ा होता है और बच्चे को ज्यादा रोशनी की जरूरत पड़ने लगती है। यदि आपके बच्चे को निम्न में से किसी भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो तुरंत उनके आई डॉक्टर से मिलने का समय निर्धारित करें:
पीडियाट्रिक बच्चों में पाया जाने वाला मोतियाबिंद है, जो बचपन की ब्लाइंडनेस की एक प्रमुख समस्या है। बच्चों में अनट्रीटेड मोतियाबिंद एक ग्रेट सोशल, इकोनॉमिक और इमोशनल भार की वजह बनने लगता हैं। पीडियाट्रिक मोतियाबिंद की ईटियोलॉजी अलग है और विशेष ईटियोलॉजी का निदान प्रोग्नोस्टिकेशन और कुशल मैनेजमेंट में मदद करता है।
अपरिपक्व (immature) मोतियाबिंद का इलाज करना आसान और विश्वसनीय है। आपका डॉक्टर शायद क्लियर तरीके से देखने के लिए किसी चश्मे की सिफारिश कर सकता है। जैसे-जैसे यह परिपक्व (matures) होता है, इसका इलाज कठिन होता जाता है और उसी काम को करने के लिए ज्यादा एनर्जी की जरूरत पड़ने लगती है। जब आपको लगता है कि दृष्टि खराब हो गई है, तो आपको सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
6 महीने की उम्र में बच्चे का शुरुआती कंप्लीट आई एग्जामिनेशन करवाना चाहिए। यह माता-पिता की जिम्मेदारी है। पैरेंट्स को फिर 3 साल की उम्र में अपने बच्चे की आंखों का टेस्ट करवाना चाहिए, साथ ही प्राइमरी क्लास में एडमिशन से ठीक पहले 5 या 6 साल की उम्र में एक टेस्ट और करा लेना चाहिए।
यहां कई संकेत दिए गए हैं, जो दिखाते हैं कि बच्चे को विजन की प्रॉब्लम हो रही है और उसे चश्मे की जरुरत है:
सुधार के बाद भी असामान्य रूप से बेस्ट-करेक्टीड विजन एंब्लोपिया की संभावना की ओर इशारा करती है। बच्चों में कई नए चित्रों, लेटर एक्यूटी या सिंबल चार्ट द्वारा विजन का टेस्ट किया जा सकता है। इसका इलाज 2 से 3 साल की उम्र के बच्चों में किया जाता है। एक बहुत ही छोटे बच्चे में आँख की मजबूती और निर्धारण को कंट्रोल करने के लिए एंब्लोपिया की प्रजेंस या अब्सेंस का एक इनडायरेक्ट सिग्नल है। बच्चों में आंख का विचलन (deviation), एक आंख का बड़ा निर्धारण भी अस्पष्टता का संकेत देता है।
बच्चों के लिए जनरल एनेस्थीसिया अप्लाई किया जाता है। इतना कि बच्चा बस सो जाए। केवल वयस्कों के लिए रिज़नल एनेस्थीसिया या एक आई ब्लॉक को एप्लाई किया जाता है।
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