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मोतियाबिंद के दौरान ऑंख के लेंस में अस्पष्टीकरण (Opacification) दृष्टि कम कर सकता है, जिसका इलाज मोतियाबिंद सर्जरी से किया जा सकता है। हालांकि मोतियाबिंद का ऑपरेशन आसान होने के बाद भी किसी दिक्कत से बचाव के लिये सावधानी और कौशल ज़रूरी है।
मोतियाबिंद एक ऐसी स्थिति है, जिसमें ऑंख के लेंस के बादल बनने से दृष्टि संबंधी समस्याएं होती हैं। आमतौर पर यह बीमारी बुजुर्गों में देखी जाती है यानी जिनकी उम्र पचास वर्ष से ज़्यादा है। इसमें लेंस को साफ या मोतियाबिंद का इलाज सर्जरी से किया जाता है।
एक नेत्र चिकित्सक (ऑप्थलमोलॉजी) मोतियाबिंद की यह सर्जरी करता है। सर्जन अस्पष्ट या बादल वाले लेंस को हटाकर इसे एक कृत्रिम (आर्टिफिशल) लेंस से बदल देता है। मोतियाबिंद सर्जरी एक सुरक्षित प्रक्रिया है, जो आजकल बहुत आम है। मोतियाबिंद अलग समय, अलग व्यक्तियों और एक ही व्यक्ति की दोनों ऑंखों में हो सकता है। एक आंख में मोतियाबिंद बढ़ने में लगने वाला वक्त मुख्य रूप से व्यक्ति पर ही निर्भर करता है, क्योंकि मोतियाबिंद को उम्र से जुड़ी बीमारी माना जाता है। इसलिए इसे बढ़ने में लंबा वक्त लगता है।
मोतियाबिंद मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैंः न्यूक्लियर स्क्लेरोटिक मोतियाबिंद, कॉर्टिकल मोतियाबिंद और पोस्टीरियर सबकैप्सुलर मोतियाबिंद।
मोतियाबिंद सर्जरी आपको ड्राइविंग या पढ़ने जैसी दैनिक गतिविधियों में दिक्कत आने या मोतियाबिंद सर्जरी ऑंखों से जुड़ी दूसरी समस्याओं में बाधा डालने पर की जाती है।
कुछ प्रकार की सर्जिकल प्रक्रियाएं मोतियाबिंद के इलाज में मदद करती हैं, जैसे-
मोतियाबिंद के मरीज़ में धुंधली दृष्टि और रात के समय देखने में समस्या जैसे कोई भी लक्षण दिख सकते हैं। कुछ लोगों को इससे प्रभावित ऑँखों में रंग फीका पड़ने, लाइट से सेंस्टिविटी और दोहरी दृष्टि जैसी शिकायत भी होती है। इन लक्षणों और ऑंखों से जुड़ी समस्याओं में मोतियाबिंद सर्जरी से मोतियाबिंद को हमेशा के लिए हटा दिया जाता है।
मोतियाबिंद होने के कई कारण होते हैं, जिनमें ऑक्सीडेंट के उत्पादन में वृद्धि शामिल है, क्योंकि ऑक्सीजन अणुओं में रासायनिक रूप से परिवर्तन होता है, धूम्रपान से, पराबैंगनी विकिरण द्वारा, स्टेरॉयड दवाओं के उपयोग से मोतियाबिंद होने की संभावना बढ़ जाती है। गंभीर दर्द और रेडिएशन थेरेपी के संपर्क में आने वाले लोगों में मोतियाबिंद होने की संभावना रहती है।
मोतियाबिंद में रिस्क फैक्टर्स की लिस्ट मेंं वृद्धावस्था भी शामिल है। माना जाता है कि बुज़ुर्गों में मोतियाबिंद की ज़्यादा संभावना होती है, लेकिन कम उम्र के लोगों में रेडिएशन या मोतियाबिंद का कोई और कारण भी हो सकता है। ज़्यादा शराब और धूम्रपान करने से मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा मरीज़ों के बल्डप्रेशर और मोटापा बढ़ना भी मोतियाबिंद के कारणों में से एक हो सकता है।
ऑंख में लगी पुरानी चोट या मोतियाबिंद के पारिवारिक इतिहास वाले मरीज़ों में इसके होने की संभावना ज़्यादा होती है। कीमोथेरेपी (कैंसर के उपचार में इस्तेमाल होने वाली) या एक्स-रे से सूर्य और रेडिएशन के संपर्क में बढ़ोतरी से भी युवा लोगों में मोतियाबिंद होता है। डायबिटीज़ के मरीज भी इसी श्रेणी में आते हैं।
मोतियाबिंद सर्जरी में आने वाली कठिनाई
ऑपरेशन के पहले हफ्ते में आपकी ऑंख आपके शरीर का कमजोर हिस्सा होती है। ऑपरेशन की सफलता दर ज़्यादा होने पर भी आपको दर्द, मतली, दृष्टि हानि जैसे कुछ लक्षण हो सकते हैं। ऑंखों में लालपन और अचानक दर्द बढ़ने जैसी कोई भी समस्या होने पर तुरंत अपने सर्जन को दिखाएं।
इस सर्जरी के बाद रिकवरी के लिए सबसे ज़रूरी धैर्य है। मोतियाबिंद सर्जरी से ठीक बाद बहुत एक्साइटेड न हों, क्योंकि रिकवरी धीरे होने से नॉर्मल डेली रुटीन में जाने के लिये आपको वक्त लगेगा। जबकि मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद आपको ज़्यादा एहतियात बरतने की ज़रूरत होगी, क्योंकि परिणाम और आपका रिकवरी रेट आपके डेली रुटीन पर होने वाले प्रभाव पर निर्भर करता है। इसे सावधानी और कॉमन सेंस के साथ संभालते हुए प्रदूषण और पराग वाली जगहों पर जाने से बचें।
56 साल की एक महिला का ऑंखों से जुड़ा कोई इतिहास नहीं था, लेकिन दृष्टि में आई ज़्यादा कमी को दूर करने के लिये उसकी मोतियाबिंद सर्जरी की गई, जिसके बाद उसने डिप्रेशन और हाइपोथायरायडिज्म के इलाज की दवाएं भी ली।
बेस्ट-करेक्टेड विज़ुअल एक्युटी 20/200 ओडी और -4.00 डीएस का रिफरेक्शन था। बायीं ऑंख की एक्युटी 20/20 और रिफरेक्शन -0.25डी मापी गई। जांच में महिला की दाहिनी ऑंख में 2 से ज़्यादा सफेद न्यूक्लियर स्क्लेरोटिक मोतियाबिंद मिला , जिससे अधिक गहरे मायोपिया और तीक्ष्णता का नुकसान होता है, जबकि बाईं ऑंख कॉर्टिकल स्पोकिंग दिखाती है। इसलिए उसने दांई ऑंख के साथ बाईं ऑंख में मोतियाबिंद सर्जरी कराने के बारे में सोचा। बाद में बेहतर मिनी स्क्लेरल टनल चीरे के साथ दाहिनी ऑंख में की गई मोतियाबिंद की सर्जरी के रिज़ल्ट से मरीज़ खुश थी। अगले दिन उसने बाईं ऑंख में इसी सर्जरी का विकल्प चुना। +1.50डी के रिफरेक्शन ने उसकी तीक्ष्णता को 20/80 तक ठीक किया, इसलिए इंट्राओकुलर लेंस को ऑंखों में बिना ज़्यादा आंखों में दर्द के बदल दिया गया।
बाद में मोतियाबिंद सर्जरी के बाद मरीज़ ने एक सप्ताह के बाद बाईं ऑंख में खराब दृष्टि के लक्षण दिखाए।
सर्जरी के बाद
यहां तक कि बहुत अनुभवी सर्जन को भी मोतियाबिंद की सर्जरी करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
सर्जरी के बाद भी कुछ मरीज़ रात में ठीक से गाड़ी नहीं चला पाने और कभी-कभी धुंधले विज़न की शिकायत करते हैं। एक ऑंख में 20/20 की ठीक नहीं हो पाने वाली दृष्टि के साथ ऐसी ऑंखों में सर्जरी करते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। +3.00डी के प्री-ऑपरेटिव रेफरेक्शन और मॉडरेट कॉर्टिकल मोतियाबिंद वाले लोगों को दूर की वस्तु देखने के लिए चश्मा पहनने की ज़रूरत नहीं है।
सर्जरी को निर्धारण रोगियों के लिए सुविधाजनक और काम से उनके समय को कम करना, आधुनिक सर्जरी विधियों की सुरक्षा और सफलता को दर्शाता है।
कभी-कभी सभी के लिए एक ऑंख की सर्जरी के बाद दूसरी ऑंख की सर्जरी अगले दिन कर पाना मुश्किल होता है। ऐसे में एक आंख के बाद दूसरी आंख में कम से कम एक महीने के अंतर से अच्छा रिज़ल्ट मिलता है।
रिज़ल्ट
चार महीने की सर्जरी के बाद मरीज़ की बायीं ऑंख में 20/30 एक्युटी ठीक नहीं हुई। उसने -0.25डी और 20/20 दृष्टि का रिफरेक्शन दिखाया। इस दौरान मरीज़ को अपनी बायीं ऑंख में हुई सर्जरी का पछतावा था, लेकिन फिर भी वह संतुष्ट है। वह सर्जरी के बाद कई महीनों तक दृष्टि खराब होने की निराशा को याद करती है।
आप कुछ सावधानियां बरतकर मोतियाबिंद सर्जरी के रिस्क और दिक्कतों से बच सकते हैं। सर्जरी के बाद आपकी ऑंखों को ठीक होने में कुछ वक्त लगेगा, इसलिए सर्जरी के बाद उतनी ही सावधानी बरतना चाहिए, जितना सर्जरी के दौरान डॉक्टर सावधानी बरतते हैं। सर्जरी के बाद आपकी ऑंखें कुछ वक्त के लिए कमजोर होती हैं, इसलिए आपको इस दौरान आने वाली समस्याओं के बारे में पता होना चाहिए। इन समस्याओं में सबसे आम ऑंखों में खुजली है, जिसके होने पर आपको ऑंखों को रगड़ने या छूने से बचना चाहिए। अपनी ऑंखों को किसी भी दिक्कत से बचाने के लिए सर्जरी के बाद इन स्टेप्स का पालन करें।
ऑपरेशन के बाद आप इन निर्देशों का पालन कर सकते हैं, जैसे-
झुकने वाले घर के किसी भी तरह काम से बचें, क्योंकि झुकने के दौरान आपकी ऑंखों पर पड़ने वाले दबाव से दिक्कत बढ़ सकती है। ऐसे में आपको सर्जरी के शुरुआती हफ्तों में घर को साफ और गंदगी से मुक्त रखने की सलाह दी जाती है, लेकिन इसे खुद साफ-सफाई न करके आप अपने परिवार के सदस्यों या मेड से मदद ले सकते हैं।
आपकी ऑंखों के एक नई दृष्टि में समायोजित होने की वजह से उन्हें जल्द और नेचुरली ठीक करने के लिए सभी ज़रूरी पोषक तत्व दें। कोई भी प्रोसेस्ड या जंक फूड के बदले अपने खाने में प्रोटीन और फाइबर युक्त भोजन शामिल करें, जैसे- हरी सब्जियां, अंडे और फल। ज्यादा चीनी वाले भोजन, पास्ता, चिप्स, स्नैक्स और कोई भी जंक फूड से परहेज करके आप अपना बल्ड शुगर लेवल कंट्रोल कर सकते हैं। बढ़ा हुआ ब्लड शुगर लेवल आपकी ऑंखों में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाकर आपके ट्रीटमेंट प्रोसेस में देरी कर सकता है।
अपनी ऑंखों को इंफेक्शन से बचाने के लिए कुछ दिनों तक सोते वक्त ऑंखों पर पट्टी बांधना मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद बरतने वाली सावधानियों में से एक है। इसके अलावा ऑपरेशन वाली ऑंख की तरफ सोने से बचें।
अपनी ऑंखों पर अतिरिक्त दबाव डालने वाली किसी भी गतिविधि से बचें, जैसे भारी वजन उठाना, क्योंकि ऑपरेशन के बाद आपकी ऑंखों को पूरे एक महीने या इससे ज़्यादा वक्त तक रिकवरी की ज़रूरत है।
यह आपके ठीक होने के लिए एक ज़रूरी कदम है। दुनिया को फिर से देखना अच्छी बात है, लेकिन अपने डॉक्टर के साथ ऑपरेशन के बाद अपॉइंटमेंट शेड्यूल करना न भूलें। सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको कुछ आई ड्रॉप और दवाएं लिखेंगे। इसमें डॉक्टर आपकी रिकवरी दर के विश्लेषण के साथ आपके द्वारा करने और नहीं करने वाले काम के बारे में बताएंगे।
डॉक्टर मोतियाबिंद का निदान ऑंखों की जांच या मरीज़ की अलग-अलग दूरी पर दृष्टि की जांच के लिए ऑंखों के परीक्षण के इस्तेमाल से कर सकता है और टोनोमेट्री आंखों के दबाव को मापने में भी मदद करती है।
ऑंखों के दबाव का टेस्ट हवा के पेनलेस पफ से किया जाता है, जो कॉर्निया को चपटा करके ऑंखों के दबाव को मापता है। किसी भी नुकसान के लिए ऑप्टिक नर्व और रेटिना की जांच के लिए पुतली के आकार में वृद्धि करने वाली बूंदों के इस्तमाल से मदद मिलती है। ग्लेयर और कलर परसेप्शन के प्रति प्रकाश संवेदनशीलता अन्य टेस्ट हैं, जिनसे मोतियाबिंद का निदान किया जाता है।
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