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कॉर्नियल अल्सर को केराटाइटिस भी कहते है, जो आपकी आंखों के कॉर्निया में एक खुला घाव है। कॉर्निया पुतली और आइरिस को ढकने वाली आंख की सबसे बाहरी परत है। हमारी आंखें कैमरे की तरह काम करती हैं और कॉर्निया वह खिड़की है, जिससे होकर रोशनी आंख के अंदर गुजरती है। कॉर्निया आंसुओं की एक परत से सुरक्षित रहता है, जो किसी भी बाहरी कण और इंफेक्शन से कॉर्निया को बचाता है।
कॉर्नियल अल्सर इंफेक्शन, कॉर्निया में कम आंसू, जलन, कॉन्टैक्ट लेंस का लंबे समय तक इस्तेमाल, सूखी आंखें(dry eyes) या ओकुलर हर्पीस की वजह से होता है। कॉर्निया पर सफेद या भूरे रंग के धब्बे, लाल-आंख, सूजी हुई पलकें, आंखों में ज़्यादा पानी, रेडनेस और धुंधली दृष्टि के साथ घाव काफी दर्दनाक हो सकते हैं। कॉर्नियल अल्सर और रोगों का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। कॉर्निया और दृष्टि परिवर्तन को और नुकसान को रोकने के लिए कॉर्नियल अल्सर का जल्द से जल्द इलाज किया जाना चाहिए।
कारणों के आधार पर इसके लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग होते हैं। अगर घाव बैक्टीरिया की वजह से होता है, तो यह कॉर्निया के सफेद भाग के अदंर खाली आंखों (बिना दूरबीन या चश्मे की सहायता से) को दिखाई देगा।
सभी कॉर्नियल घाव माइक्रोस्कोप के बिना नहीं दिखते। खासकर अगर वह हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस की वजह से होते हैं। अक्सर, कॉर्नियल अल्सर इन लक्षणों के कारण होता है, जैसे:
गंभीर मामलों में यह कीटाणुओं की वजह से होता है, जो पुरानी चोटों या कॉर्निया में खरोंच के ज़रिए प्रवेश करते हैं। इसका दूसरा कारण बैक्टीरिया, वायरल, फंगल या इंफेक्शन भी हो सकते हैं। अगर घाव हर्पीज सिंप्लेक्स वायरस की वजह से होता है, तो इसे डेंड्रिटिक अल्सर कहा जाता है, जो आंखों को दिखाई नहीं देगा।
हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस, वायरस का एक सामान्य इंफेक्शन हो सकता है, जो ज्यादातर लोगों को बचपन में होता है। वायरस के लक्षणों में अक्सर मुंह के छाले, खाने की नली (फैरिन्जाइटिस) और सूजी हुई ग्रंथियां शामिल हैं। वायरस का शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलना गैरमामूली नहीं है, लेकिन यह तभी होगा, जब आप संक्रमित क्षेत्र को छूकर अपनी आंख को छूते हैं।
कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वालों में कॉर्नियल अल्सर ज़्यादा आम हैं, लेकिन आंखों पर कॉन्टैक्ट लेंस को रगड़ने या गंदे होने की वजह से भी ऐसा होता है। बहुत ज़्यादा खरोंच लगने से स्किन का एक हिस्सा कमजोर होकर टूट सकता है, जिससे बैक्टीरिया आक्रमण कर सकते हैं और बढ़कर ज़्यादा फैलना शुरू कर सकते हैं।
लेंस पहनने वाले ऐसे लोग, जो उनकी सही साफ-सफाई नहीं रखते, उनमें कॉर्नियल अल्सर होने की संभावना भी बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, सोते समय सॉफ्ट लेंस पहनने या लेंस को हटाते या ठीक करते वक्त गंदा रहने से उन कीटाणुओं के संपर्क को बढ़ता है, जो इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं।
अध्ययनों से पता चला है कि नाइट कॉन्टैक्ट लेंस पहनना भी इंफेक्शन का एक प्रमुख कारण है। एकेंथामोएबा (एकेंथामोएबा कैराटाइटिस) आंखों का एक आम इंफेक्शन है। कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वाले लोग, जो स्विमिंग से पहले अपने लेंस नहीं हटा हाते, उन्हें पैरासिटिक आंखों का इंफेक्शन हो सकता है।
कॉर्नियल अल्सर के कई कारण हो सकते हैं:
अगर आपको सालों पहले कोई कॉर्नियल चोट लगी है, तो आपको कॉर्निया के ज़्यादा वक्त के लिए खराब होना का खतरा रहता है और आपको इस लंबे वक्त में अपनी दृष्टि में काफी बदलाव महसूस होगा। अल्सर के जोखिम को बढ़ाने वाले दूसरे कारक हैं:
कॉर्नियल अल्सर से गंभीर समस्याएं होती हैं, क्योंकि इसमें घाव का ठीक से इलाज नहीं किया जाता। अक्सर, इलाज कई तरह की समस्याओं को रोक सकता है, जैसे:
एल अल्सर को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। अगर आपको कॉर्नियल अल्सर का कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो आपको तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।
आपकी आंखों में इंफेक्शन या आंखों में किसी तरह की परेशानी महसूस होने पर आपको किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ या ऑप्टोमेट्रिस्ट से उसी वक्त चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। शुरुआती इलाज से घाव को बढ़ने से रोका जा सकता है। कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वालों को कॉन्टैक्ट लेंस को संभालने से पहले हाथ ज़रूर धोने चाहिए, जिससे कीटाणुओं और बाहरी पदार्थों को आंखों में जाने से रोका जा सके। सोते समय कॉन्टैक्ट लेंस पहनना बंद कर दें। अपनी दिनचर्या के हिसाब से अपने दैनिक काम करते वक्त आंखों का ध्यान रखने वाले उपायों के बारे में अपने आंखों की देखभाल करने वाले पेशेवर से बात करें।
कॉर्नियल अल्सर के इलाज के लिए डॉक्टर पहले अल्सर की गहराई का पता करेंगे। कॉर्नियल घाव बढ़ने पर इलाज में वक्त नहीं लगाना चाहिए। कारण पहले से पता है, तो इंफेक्शन फैलाने वाले संभावित इंफेक्शन को खत्म करने के लिए डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक दवाएं भी दे सकते हैं।
एंटीबायोटिक्स आमतौर पर आईड्रॉप्स के तौर पर दिए जाते हैं, जैसे कभी-कभी एक घंटे तक आंख में डालने के लिये। कुछ मामलों में सूजन नापने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड आई ड्रॉप्स दिए जाते हैं।
कॉर्नियल घाव के गंभीर होने पर कॉर्नियल ट्रांसप्लांट (केराटोप्लास्टी) करने की ज़रूरत पड़ सकती है। इस प्रक्रिया में रोगग्रस्त या घायल कॉर्निया को हटाकर नये कॉर्निया को छोटे टांकों से ध्यान से जोड़ा जाता है। आमतौर पर सर्जरी के कुछ हफ्तों बाद इलाज के आखिर में जोड़ों को हटा दिया जाता है। ज्यादातक लोगों को सर्जरी के कुछ दिनों बाद उनकी दृष्टि में सुधार महसूस होता है। कुछ मामलों में दो दिन तक अस्पताल में रहना होता है।
आपका ऑप्टोमेट्रिस्ट सलाह दे सकता है कि:
आपके ऑप्टोमेट्रिस्ट के साथ फॉलो-अप विज़िट के लिए हमेशा सलाह दी जाती है, फिर घाव चाहे कितना भी गंभीर क्यों न हो।
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