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फोटोकेराटाइटिस (Photokeratitis) यूवी किरणों (UV Rays) के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण कॉर्निया में होना वाली एक प्रकार की जलन है। यह अपने आप गायब हो जाता है लेकिन इसके उपचार में लक्षणों को सहने योग्य बनाना शामिल है।
फोटोकेराटाइटिस जिसे रेडिएशन केराटाइटिस या स्नो ब्लाइंडनेस के रूप में भी जाना जाता है, कॉर्निया (आंख की स्पष्ट सामने की सतह) की एक टेम्प्रेरी जलन है जिसके परिणामस्वरूप आंख में बहुत दर्द होता है।
स्नो ब्लाइंडनेस वास्तव में फोटोकेराटाइटिस का एक सामान्य रूप है। यह यूवी किरणों के कारण होता है जब वे बर्फ या स्नो से रिफलैक्टेड हो जाते हैं। इस प्रकार का फोटोकैराटाइटिस उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव क्षेत्रों में या उच्च पर्वत श्रृंखलाओं में अधिक आम है जहां भारी मात्रा में बर्फ होती है। इतनी ऊंचाई पर हवा भी पतली होती है और इसलिए यूवी किरणों से कम सुरक्षा प्रदान करती है। स्नो ब्लाइंडनेस को शुष्क हवा के कारण कॉर्निया की सतह के जमने या कॉर्निया की सतह के गंभीर रूप से सूखने के रूप में भी संदर्भित किया जा सकता है। स्कीइंग, स्नोमोबिलिंग और माउंटेन क्लाइम्बिंग कुछ ऐसी गतिविधियाँ हैं जिनके परिणामस्वरूप इस प्रकार की समस्या हो सकती है।
यूवी किरणों के लगातार संपर्क में रहने के 30 मिनट से 12 घंटे के बीच व्यक्ति में फोटोकैराटाइटिस के लक्षण विकसित होने लग सकते हैं। जब शरीर में निम्न में से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो इस बीमारी का पता आसानी से लग जाता है, जैसे-
फोटोकैराटाइटिस की स्थिति आंखों के यूवी किरणों के लंबे समय तक और असुरक्षित संपर्क के कारण होती है। ये यूवी किरणें रेत, पानी, बर्फ या स्नो से रिफलैक्शन के जरिए आंखों तक पहुंच सकती हैं। बहुत देर तक सूरज को घूरते रहना जैसे कि बिना चश्मे या किसी विशेष उपकरण के सीधे सूर्य ग्रहण देखने के मामले में भी रेटिना में हल्की जलन हो सकती है जो कि यूवी किरणों का लंबे समय तक चलने वाला प्रभाव है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि यह स्पष्ट है कि फोटोकैराटाइटिस का सबसे महत्वपूर्ण कारण केवल पराबैंगनी किरणों (विशेष रूप से यूवी-ए और यूवी-बी किरणों) के संपर्क में रहना है। सूर्य यूवी किरणों का प्रमुख और अंतिम स्रोत है। सूर्य से सीधे आने वाली ये हानिकारक किरणें मानव आंखों को अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह से नुकसान पहुंचा सकती हैं और इसके परिणामस्वरूप पूर्ण दृष्टि हानि हो सकती है। ये किरणें कॉर्निया की उपकला कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं और कई घंटों के बाद उन्हें बंद कर देती हैं। यह काफी हद तक आंखों में “सनबर्न” होने के समान है। यूवी-ए और यूवी-बी के अलावा, सूरज यूवी-सी किरणों का भी उत्सर्जन करता है। लेकिन ये किरणें पहले से ही ओजोन परत द्वारा अवशोषित हो जाती हैं और इसलिए आंखों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाती हैं।
सूर्य के अलावा पराबैंगनी किरणों (Ultraviolet Rays) के अलग-अलग स्रोतों में शामिल हैं:
एक व्यक्ति को स्पष्ट रूप से फोटोकैराटाइटिस होने का हाई रिस्क होता है यदि वह:
यूवी किरणों के लंबे और निरंतर संपर्क के बाद, यदि व्यक्ति ऊपर बताए गए लक्षणों में से एक या अधिक विकसित करना शुरू कर देता है, तो उसे नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास जाने की सलाह दी जाती है। नेत्र रोग विशेषज्ञ मरीज़ से उसके फिज़िकल एनवायरनमेंट में होने वाले परिवर्तनों के बारे में पूछताछ करेगा और द्विपक्षीय आंखों की भागीदारी की जांच के लिए एक फिज़िकल एग्ज़ामिनेशन करेगा। यदि आंख की भागीदारी एकतरफा है, तो किसी को कॉर्नियल या टार्सल फॉरन बॉडी या एकतरफा आंखों में जलन और लालपन के अन्य कारणों का संदेह हो सकता है। वह यूवी किरणों के कारण आंखों को हुई क्षति की डिग्री निर्धारित करने के लिए परीक्षण भी कर सकता है। वह मरीज़ की आंखों के लिए फ्लोरेसिन नामक डाई युक्त आई ड्रॉप का भी उपयोग कर सकता है। डाई कॉर्नियल सर्फेस पर सतही अनियमितताओं को प्रकट करने में मदद करती है।
फोटोकेराटाइटिस एक ऐसी बीमारी है जो आमतौर पर अपने आप दूर हो जाती है। इसलिए मेडिकल उपचार में केवल स्थिति को आसान बनाने और लक्षणों को सहने योग्य बनाने के लिए कदम शामिल होते हैं जब तक कि आंखों को बीमारी से पूरी तरह राहत नहीं मिल जाती।
फोटोकेराटाइटिस के इलाज के कुछ महत्वपूर्ण तरीके इस प्रकार हैं:
विशिष्ट चिकित्सा उपचार में मुख्य रूप से ऑप्थलमैलिक एंटीबायोटिक साल्यूशन की कुछ ड्राप्स को डालने के बाद आंखों को पैच के साथ बंद रखना शामिल है। लेकिन यह उपचार विकल्प कई विशेषज्ञों द्वारा बहुत उपयोगी नहीं पाया गया है। इसलिए आर्टिफिशियल आँसू, ऑइंटमेंट, आई ड्राप्स और ऑरल एनलगेसिक्स दवाओं के उपयोग जैसे अन्य विकल्पों को प्राथमिकता दी जाती है। दृष्टि ज्यादातर मामलों में 24 से 48 घंटों की अवधि के भीतर कॉर्नियल सतह को पुनर्जीवित करने के साथ 18 घंटों के बाद वापस आती है।
कॉर्निया में जलन या फोटोकेराटाइटिस होने पर आपको निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए, जैसे-
अपनी आंखों का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने आंखों के डॉक्टर के पास जाएं और नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच करवाएं। वह आपकी आंखों की बीमारी के इलाज के लिए बेहतर तरीके का आकलन करने में सक्षम होंगे। ज़्यादा जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट eyemantra.in पर जाएं। आई मंत्रा के साथ अपनी अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए हमें +91-9711115191 पर कॉल करें या हमें eyemantra1@gmail.com पर मेल करें। हमारी अन्य सेवाओं में रेटिना सर्जरी, चश्मा हटाना, मोतियाबिंद सर्जरी आदि शामिल हैं।