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आंखों के बैंक में किसी डोनर द्वारा डोनेट की गई आंखों (कॉर्निया) को सुरक्षित रखा जाता है। नए डोनर से इकट्ठा की गई मानव आंखों और कॉर्निया को कॉर्नियल दोष से प्रभावित नेत्रहीनों की आंखों में ट्रांसप्लांट किया जाता है। आंखों की ट्रांसप्लांट सर्जरी को सफल, सुरक्षित और गुणवत्ता वाले ऊतक देने की प्रक्रिया में सभी चरणों के लिए यह उत्तरदायी है।
आंखों का बैंक एक प्रतिष्ठान है, जो सरकारी या गैर-सरकारी संगठन भी हो सकता है। यह किसी व्यक्ति की मौत पर उनकी मर्ज़ी से डोनेट की गई आंखों (कॉर्निया) को इनके इस्तेमाल तक इकट्ठा और संसाधित करने के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा आंखों के बैंक का डोनेट आंखों को प्रशिक्षित एंटीपास्टी सर्जनों को वितरित करना भी है।
आंखों के बैंक की क्षेत्र इकाइयां स्वायत्त हैं, जो एक स्वैच्छिक समुदाय आधारित संगठन है और अस्पताल से जुड़ा है। ज्यादातर बैंक क्षेत्र इकाई एक बहुत बड़े अस्पताल (जैसे एम्स में नेशनल आई बैंक) में बस गई है। इस प्रकार यह कुछ दूसरे गैर-लाभकारी संगठनों के मामले में हो सकता है।
आंखों के बैंकों के लिए फंड सरकार, अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों, पर्सनल डोनर और धर्मार्थ ट्रस्टों से आता है, जबकि आंखों के बैंक की क्षेत्र इकाई के परिचालन खर्च का एक हिस्सा प्रक्रिया शुल्क से कवर किया जाता है। आमतौर पर उच्च सामाजिक-आर्थिक टीम एक-एक करके भुगतान करती हैं, जिसके बाद सरकार इसे कुछ सामाजिक-आर्थिक समूह को समर्थन के तौर पर दान करती है।
ऑप्थल्मिक साइंस के लिए राष्ट्रीय बैंक डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्र में स्थित है, जो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में है। इसके अस्तित्व के पचास वर्ष मनाने क लिए संस्थान ने कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है।
“हमें आंखों के बैंक में करीब तेईस सौ डोनर से आंखें मिलीं जिनमें से सोलह सौ से ज़्यादा का इस्तेमाल ट्रांसप्लांट सर्जरी के लिए किया गया था। पिछले एक वर्ष में हमने लगभग सौ ट्रांसप्लांट सर्जरी की हैं।”
इस कार्यक्रमों के दौरान अलग-अलग एक्टिविटीज़ आयोजित की गई। यह डॉक्टर की डिग्री में पूरे स्वास्थ्य के लिए है। साथ ही एम्स (AIIMS) में नेत्रदान अभियान और इसे बढ़ावा देने से जुड़ी कुछ खबरें और कुछ दूसरे अस्पतालों, जैसे आरएमएल (R.M.L.), एलएचएमसी (LHMC) और एसजे (S.J.) हॉस्पिटल में आशा कर्मचारियों, तिहाड़ जेल कैदियों और कार्यकर्ताओं के लिए जागरूकता सत्र के लिए है। नेत्रदान के लिए संस्थान में संघटन किया गया, जिसका मकसद नेत्रदान को आगे बढ़ाकर ऊतक परत पर दृश्य हानि से मुकाबला करना है।
संपर्क फोन नंबर 011-26593060 /011-26589461
एशियाई देश का आई बैंक एसोसिएशन यानि ईबीएआई वह शीर्ष निकाय है, जो आंखों के सभी बैंकों और वोटर्स के समन्वय प्रयासों के लिए जवाबदेह है और नेत्रदान का लक्ष्य रखते हैं। सन् 1989 में इसने सहयोग के उद्देश्य से ध्यान दान आंदोलन को ज़्यादा प्रोत्साहन देने का समर्थन किया था। अपने यांक काउंटरपार्ट की तरह अटेंशन बैंक एसोसिएशन ऑफ अमेरिका, ईबीएए (EBAA), ईबीएआई (EBAI) एशियाई देशों में हर जगह आंखों के बैंकों के लिए व्यापक चिकित्सा मानकों की स्थापना के लिए जवाबदेह है।
ईबीएआई ने बैंक तकनीशियनों के प्रशिक्षण और प्रमाणन को भी मानकीकृत किया है। यह पूरे देश में कुछ परामर्शदाता भी देता है। ईबीएआई बैंकों के लिए राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त एजेंसी है, जो नेत्रदान करने के लिए ज़रूरी मानक की पुष्टि करने के लिए हर एक आंखों के बैंक का मूल्यांकन करता है। यह ऊतक परत ट्रांसप्लांट के लिए भी है, जिसे आरामदायक विधि से सुरक्षित करने की ज़रूरत है।
सन् 1991 में अस्पताल ने एक टिशू लेयर रिट्राइवल कार्यक्रम की शुरुआत की, जो एशियाई देशों के बैंक संघ के तत्वावधान में चला जाता है। ईबीएआई ने सन् 1999 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से बैंकिंग चिकित्सा मानकों को विकसित किया।
वेबसाइट पर मेंशन ईबीएआई के उद्देश्य हैं:
सन् 1944 में डॉक्टर टाउनले एलन स्टीवर्ट पैटन और डॉक्टर जॉन मैकलीन ने बड़े एप्पल टाउन में प्राथमिक बैंक की शुरुआत की थी, जबकि भारत में प्राथमिक बैंक सन् 1945 में डॉक्टर आरईएस मुथैया द्वारा एक शहरी केंद्र था, जो चिकित्सा विशेषता के क्षेत्रीय संस्थान में है। तब से ही आंखों के सर्जन और राष्ट्रीय कार्यकर्ता बराबर अपने मूल समुदायों में नेत्रदान के प्रति जागरूकता अभियान चला रहे हैं। इसके साथ ही इसका उद्देश्य दुनिया भर में ऊतक परत दृश्य हानि को कम करना है।
फिक्स आंखों के बैंक का क्या प्रदर्शन है?
आंखों का बैंक नेत्रदान के लिए चलाई जा रही कई गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है, जिससे जुड़ी सबसे ज़रूरी क्षेत्र इकाई हैं:
उनमें से ज़्यादातर को सही इंटरवेशन से ठीक किया जा सकता है, जबकि एनाप्लास्टी के बाद उनमें से कम से कम तीन मिलियन की दृष्टि काम कर सकेगी। इस तरह ऐसे मरीज़ों में से 1/2 (साठ प्रतिशत क्षेत्र इकाई) बारह साल से कम उम्र के बच्चे हैं।
हालांकि सभी विविध विश्व स्वास्थ्य संगठन नेत्रदान करते हैं, जो दो नेत्रहीन लोगों को दृष्टि का उपहार दे सकता है। टिशू लेयर की एलिमेंट सर्जरी से एक आंख ने पाँच मरीज़ों को दृष्टि प्रदान की है, जिसमें टिशू लेयर को एक चुने हुए साइन के लिए ट्रांसप्लांट किया जाता है।
एक बार आंख मिलाने के बाद आप दृष्टि बचाने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा दस ऑपरेशन बदल सकते हैं, जिसके लिये पूरा ध्यान आंखों के बैंक की एरिया यूनिट पर देने के साथ ही इसका रिकॉर्ड भी रखा जाता है।
एनाप्लास्टी के लिए चिकित्सकीय तौर पर उपयुक्त नहीं लगने वाली आंखों को चिकित्सा विश्लेषण और शिक्षा के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। ये “अनफिट” दी गई आंखें डॉक्टरों को कई आंखों की स्थिति में एक ज़रूरी और मूल्यवान अंतर्दृष्टि देने का काम करती हैं। इससे ऐसी कई बीमारियों के इलाज की खोज आसानी से की जा सकती है, जिनका अब तक कोई इलाज नहीं किया जा सकता था। इसलिए नेत्रदान न सिर्फ अंधों की दृष्टि ठीक करता है, बल्कि यह संभावित नए उपचारों का विश्लेषण भी करता है।
अगर आप अपनी आंखें आई बैंक में दान करने के बारे में सोच रहे हैं, तो नीचे दिए गए अस्पतालों के नंबर पर संपर्क करके जानकारी दे सकते हैं:
नाम | फोन नंबर |
गुरु नानक आई सेंटर | 23234612 |
नेशनल आई बैंक (एम्स) | 26569461 |
एम्स (आपातकालीन) | 26569461 |
रोटरी दिल्ली सेंटर आई बैंक, सर गंगा राम हॉस्पिटल | 25781837 |
सर गंगा राम हॉस्पिटल | 25721800 |
अपोलो आई बैंक | 26925858 |
इनके अलावा आंखों के कई बैंक निजी अस्पतालों और धर्मार्थ ट्रस्टों के अंदर आते हैं, जिनकी जानकारी सिर्फ ऑनलाइन प्राप्त की जा सकती है।
अटेंशन बैंक से संपर्क करने के लिए भारत में यूनिवर्सल सिग्नलिंग 1919 है, जो 24×7 उपलब्ध रहती है। यह भारत के सभी राज्यों में चल रही 24×7 की पेशकश की एक मुफ्त सेवा है, जिससे आंखों के बैंकों के बारे में जानकारी ली जा सकती है।
अगर मुझे किसी की देखभाल का जिम्मा सौंपा गया है, जबकि अटेंशन बैंक की टीम आंखें इकट्ठा करने के लिए आती है, तो मुझे क्या करना चाहिए?
अगर आपको यह ज़रूरी काम दिया गया है और आप यह जिम्मेदारी लेना चाहते हैं। हालांकि किसी की इस हालत के लिए सिर्फ आप ही जिम्मेदार नहीं हैं। फिर भी कम से कम दो नेत्रहीन व्यक्तियों या उससे कम को दृष्टि देने के लिए ज़रूरी है। समय कम है और आप काम पर समय बर्बाद नहीं करना चाहते हैं, तो एक मौत के मामले में बैंक छह से आठ घंटे तक का ही समय देगा।
आंखों को सुरक्षित रखने के लिए कई सावधानियां ज़रूरी हैं, जैसे-
शरीर की सहजता के लिए आंखों के बैंक कई विभागों में बंटे हुए होते हैं। ऐसा आंखों के चिकनेपन और सही कामकाज की गारंटी के लिए होता है। आंखों के बैंक के विभागों में शामिल हैं:
1) तकनीकी विभाग (Technical Department)
इसकी जिम्मेदारियों में शामिल काम हैं:
2) डोनर का विकास (Donor Development)
इसकी जिम्मेदारियों में शामिल काम है:
3) गुणवत्ता नियंत्रण (Quality Control)
इसकी जिम्मेदारियों में शामिल काम हैंः
4) शिक्षण और प्रशिक्षण (Teaching and Training)
इसकी जिम्मेदारियों में शामिल काम हैः
हमारे देश में टिश्यू लेयर सेसिटी के आकार को देखते हुए हमें हमेशा अपनी आंखों को प्रतिज्ञा और उपहार देने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। हम किसी भी अंधविश्वास, मिथक और गलत मान्यताओं को दूर करने की कोशिश करते हैं, जिससे किसी के जीवन पर इसका सकारात्मक असर पड़ेगा।
अपनी आखें उपहार में देने के बाद हम किसी के जीवन को हमेशा के लिए बदल देते हैं, क्योंकि दृष्टि के उपहार को कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह किसी से हमेशा के लिए आपके अंदर की भावनाओं को अर्जित कर सकता है। वह आपकी आंखों से दुनिया को देख सकेंगे और आपकी आंखों को अमरता देंगे।
दुनिया में हर जगह बायोमेडिकल इंजीनियर और प्रैक्टिशनर वैज्ञानिक लगन से काम कर रहे हैं। यह उन लोगों को दृष्टि प्रदान करने के लिए आर्टिफिशियल कॉर्निया विकसित करते हैं, जो टिशू लेयर ट्रांसप्लांट का इंतज़ार कर रहे हैं। लेकिन इसके पूरा होने तक इन मरीज़ों के लिए एकमात्र उम्मीद दृष्टि का उपहार है, जिसके लिए आपका सबसे बड़ा कौशल है।
अगर हर एक व्यक्ति अपनी मृत्यु की स्थिति में अपनी आंखें दान में दे सकता है, तो टीशू लेयर सेसिटी का खतरा हमारे देश से दूर हो जाएगा।
आंखों से जुड़ी अपनी परेशानियों के बारे में परामर्श के लिए हमारे दिल्ली स्थित आई मंत्रा हॉस्पिटल में जाएं। हमारी एक्सपर्ट ऑप्थलमोलॉजिस्ट की टीम से आंखों की पूरी देखभाल प्राप्त करने या अधिक जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट eyemantra.in पर भी जाएं। एक नेत्र रोग विशेषज्ञ ही आपको स्पष्टता और विवरण सहित आंखों के लिए बेहतर सुझाव दे सकते हैं।
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