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दृष्टि दोष या रिफरेक्टिव एरर्स (Refractive Errors) को ठीक करने और चश्मा हटाने के लिए आईबॉल के आकार के साथ आंखों की पावर को भी बदलना होता है, जो सिर्फ सर्जरी से ही हो सकता है। हालांकि अगर आंखों की समस्या जैसे आंखों में खिंचाव, कंप्यूटर आई स्ट्रेन सिंड्रोम या किसी दूसरी विकसित बीमारियों के कारण होने पर इसे आंखों की एक्सरसाइज़ और आंखों के योग से ठीक किया जा सकता है।
दृष्टि दोष या आंखों की समस्या निम्नलिखित कारणों से हो सकती है, जैसे-
निकट दृष्टि दोष/मायोपिया (Near-Sightedness/Myopia): निकट दृष्टि दोष नेत्रगोलक के बहुत लंबा होने पर होता है और वस्तु से आने वाली प्रकाश किरणें रेटिना के सामने केंद्रित हो जाती हैं।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसी विशेषज्ञ ने कहा कि यह ज़रूरी नहीं कि आंखों की एक्सरसाइज़ और आंखों के योग वाले कार्यक्रम खरीदने वाले मरीज़ों की दृष्टि में कोई सुधार होगा। इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे यह साबित हो कि विज़ुअल ट्रेनिंग और एक्सरसाइज़ से दृष्टि में सुधार होता है।
एक्सरसाइज़ और व्यावसायिक रूप से इनका इस्तेमाल करने वाले लोग हमेशा इनका खंडन करते हैं। भले ही वह लोग इन एक्सरसाइज़ को बढ़ावा देते हैं, लेकिन साथ ही इसमें यह भी जोड़ते हैं कि दृष्टि में सुधार की दर और सीमा पूरी तरह से आपकी आंखों के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। दुनिया में कोई भी दो लोग एक्सरसाइज़ कार्यक्रम पर सटीक प्रतिक्रिया नहीं दे सकते हैं।
खुद से किये कुछ सवालों से आपको इसका सबसे बेहतर उत्तर मिल सकता है। अगर इसका उत्तर सकारात्मक है तो हां, आंखों की एक्सरसाइज़ से दृष्टि दोष को ठीक किया जा सकता है।
अगर इन सभी सवालों का जवाब ना हैं, तो सिर्फ तभी आंख के आकार और शक्ति को सर्जरी के बिना नहीं बदला जा सकता।
आंखों की एक्सरसाइज़ के सभी कार्यक्रमों में एक खंडन होता है कि परिणाम आपके आंखों के स्वास्थ्य के अधीन हैं और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। एक्सरसाइज़ की बेसिक टेक्निक हैं:
पलक झपकना एक नैचुरल, रिफ्लैक्स फंक्शन है। ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जो पलक झपकने से आंखों की रोशनी में सुधार को साबित कर सके। हालांकि, ऐसा ज़रूर कहा गया है कि अपनी मर्ज़ी से आंखों को झपकाएं, खासतौर से बिजली के उपकरणों पर काम करते वक्त ऐसा करने से आपकी आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिल सकती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि बिजली के उपकरणों के सामने बैठने पर हमारी पलक झपकने की दर में काफी कमी आती है। पलक झपकने से आंसू विभाजित होते हैं और आंखों में लुब्रिकेंट बना रहता है। इसका सबसे अच्छा तरीका इस एक्सरसाइज़ को पूरे दिन दोहराना है।
पामिंग अपनी हथेलियों से दोनों आंखों को धीरे से ढकने की तकनीक है।
पामिंग आंखों को आराम देने वाली एक सहायक तकनीक है, जिससे आंसुओं का विभाजन होता है और आंखों में लुब्रिकेंट बना रहता है।
कन्वर्जेंस एक्सरसाइज़ खासतौर से आपकी निकट दृष्टि की मांसपेशियों को मजबूत करती है।
माना जाता है कि आंखों को एक तरफ से दूसरी तरफ ले जाने से भी आंखों को आराम मिलता है।
यह आंखों की एक्सरसाइज़ में किये जाने वाला वही पलक झपकाना और हाथ फेरना है। इसके साथ ही धीरे-धीरे सांस लेने और छोड़ने के साथ अगल-बगल की आंखों की गति बदलना। आंखों की एक्सारसाइज़ की तरह व्यक्ति को आंखों को एक तरफ से दूसरी तरफ घुमाना चाहिए। योग और एक्सरसाइज़ में सिर्फ इतना ही अंतर है कि ऊपर देखते वक्त सांस लेना और नीचे देखते वक्त सांस छोड़ना चाहिए। इसी तरह खुद से दूर देखते हुए सांस लें और खुद की तरफ देखते हुए सांस छोड़ें।
आंखों का योग आंखों के आराम पर जोर देता है और आपको किसी भी तरह की एक्सरसाइज़ करते वक्त सांस लेने जैसे ज़रूरी कामों के बारे में जागरूक होने के लिए प्रोत्साहित करता है। सभी एक्सरसाइज़ पूरी होने के बाद मांसपेशियों को आराम देने के लिए आपको शवासन में लेटने के लिए कहा जाता है, जो योगा में शामिल थी। बेहतर नतीज़ों के लिए किसी प्रशिक्षित गुरु से योग सीखना चाहिए। ग्लूकोमा से पीड़ित लोगों को शीर्ष-आसन जैसी कुछ योग मुद्राएं नहीं करने की सलाह दी जाती है।
भले ही दृष्टि दोष जेनेटिक और आंख में कुछ संरचनाओं के बदलाव की वजह से हो सकता है, लेकिन इसके कुछ पर्यावरणीय कारण भी हो सकते हैं। एक्सरसाइज़ और योग से आंखों में संरचनात्मक बदलाव को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन आंखों के तनाव और थकान जैसे पर्यावरणीय कारकों में आंखों की एक्सरसाइज़ से काफी फायदा हो सकता है। आंखों की एक्सरसाइज़ के काम करने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, जिसकी वजह से आपका नेत्र चिकित्सक ज्यादातर इन्हें करने की सलाह नहीं देता। एक्सरसाइज़ के बजाय चिकित्सक चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस की सलाह देना पसंद करते हैं।
हालांकि आंखों के योग को दृष्टि में सुधार और चश्मे से छुटकारे का असरदार तरीके के तौर पर नहीं बताया गया, लेकिन फिर भी कुछ लोग कुछ हद तक दृष्टि में सुधार की उम्मीद के साथ इसकी प्रेक्टिस करते हैं। ज़्यादातर योग शिक्षक सांस लेने की तकनीक या विश्राम तकनीक का सुझाव देते हैं। इनमें से कई व्यक्तिगत पुष्टि और आपकी दृष्टि के दृश्य की सलाह भी देते हैं। इसका मतलब दिन में कई बार अपने आप को यह बताना है कि आपको वास्तव में चश्मे की ज़रूरत नहीं है और बिना चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के बिना पूरी तरह से देख सकते हैं। आपके योग शिक्षक आपसे कभी भी चश्मे के इस्तेमाल को पूरी तरह से बंद करने के लिये नहीं कहेंगे, क्योंकि कुछ योग मुद्राओं का आपकी आंखों पर प्रतिकूल असर हो सकता है, जैसे ग्लूकोमा। इस प्रशिक्षण के बारे में अपने नेत्र चिकित्सक से ठीक से चर्चा करके ही ऐसा करें।
आपके लिए अपनी आंखों के इलाज का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने आंखों के डॉक्टर या आई केयर प्रोफेशनल के पास जाएं और नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच करवाएं। वह आपकी आंखों की बीमारी के इलाज के सबसे बेहतर तरीके के बारे में आपको बताएंगे और गाइड करेंगे।
आंखों के बेहतर और किफायती उपचार के लिए आप आई मंत्रा हॉस्पिटल में भी विज़ट कर सकते हैं। आंखों के बारे में किसी भी जानकारी के लिये हमारी वेबसाइट eyemantra.in पर जाएं। अपनी अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए +91-9711115191 पर कॉल करें या eyemantra1@gmail.com पर मेल करें। हमारी सेवाओं में रेटिना सर्जरी, चश्म हटाना, मोतियाबिंद सर्जरी समेत और भी कई अन्य सेवाएं शामिल हैं।