Contents
आंखों के तनाव या आई स्ट्रेन (Eye Strain) की रोकथाम से पहले आपको इसके बारे में समझना ज़रूरी है। आमतौर पर आंखों में तनाव को आंखों में खिंचाव भी कहते हैं, लेकिन चिकित्सा क्षेत्र में इसे एस्थेनोपिया (Asthenopia) कहते हैं। आंखों में तनाव एक आम समस्या है, जो लगभग सभी आयु वर्ग के लोगों को होती है। बढ़ते डिजिटल जुड़ाव के साथ आंखों का तनाव एक प्रचलित लक्षण बन गया है।
आंखों का तनाव लक्षणों का एक समूह है, जो लंबे समय तक ज़्यादा इस्तेमाल से आंख की मांसपेशियों में थकान की वजह से होता है। सीधे शब्दों में कहें, तो आंख की मांसपेशियों में थकान के कारण आंखों में तनाव एक खास लक्षण है। कोई भी गतिविधि जिसमें आपकी आंखों का हद से ज़्यादा इस्तेमाल होता है, वह अतिरिक्त-ओकुलर मांसपेशियों की थकान का कारण बन सकती है, जिससे आंखों में तनाव हो सकता है।
ज्यादातर मामलों में आंखों का तनाव एक छोटी सी समस्या है, जिसमें थोड़ी देर तक आंखों को आराम देने से यह ठीक हो जाता है। कुछ मामलों में आंखों के तनाव को एक अंतर्निहित आंखों की बीमारी से जोड़ा जा सकता है, जिसके लिये नियमित रूप से आपको आंखों की जांच कराने की सलाह दी जाती है। आमतौर पर हम एक मिनट में लगभग 18 बार पलकें झपकाते हैं। पलकों के झपकने की यह आवृत्ति हमारी आंखों को तरोताजा रखने में मदद करती है, लेकिन जब किसी वस्तु या काम, जैसे- किताब, ड्राइविंग, कंप्यूटर स्क्रीन और लिखने पर ज़्यादा फोकस लगाते हैं, तो पलक झपकने की यह आवृत्ति कम हो जाती है, जो आंखों में तनाव पैदा कर सकती है। इसके लिये आपको आंखों के तनाव की रोकथाम के बारे में विस्तार से समझना चाहिए।
आंखों में तनाव के सामान्य लक्षण हैं, जैसे-
मेडिकल अटेंशन देने वाले असामान्य लक्षण हैं, जैसे-
नीचे दिए गए पैराग्राफ में हम आंखों के तनाव की रोकथाम को समझेंगे।
आंखों में तनाव कुछ गतिविधियों की वजह से होता है, जिसमें कम पलक झपकने और दृष्टि का लंबे समय तक इस्तेमाल करना शामिल है। इसके अलावा इन थकाने वाली गतिविधियों में शामिल हैं-
मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर स्क्रीन, टेलीविजन स्क्रीन, गेमिंग स्क्रीन, टैबलेट और अन्य डिजिटल स्क्रीन को लगातार देखना आंखों के तनाव का प्राथमिक और सबसे प्रचलित कारण है। इन डिजिटल स्क्रीन से निकलने वाली हानिकारक किरणों के साथ लंबे समय तक घूरने से आंखों में तनाव हो सकता है।
पढ़ने या लिखने जैसी गतिविधि, जिसमें लंबे समय तक दृष्टि का लगातार इस्तेमाल होता है, उससे आंखों में तनाव हो सकता है।
कम या ज़्यादा रोशनी वाले क्षेत्र में काम करने से भी आंखों में खिंचाव हो सकता है। जैसे- मोबाइल स्क्रीन पर पढ़ना या पूरी तरह से अंधेरे कमरे में ज़्यादा चमक वाली डिजिटल स्क्रीन पर मूवी देखना, हद से ज़्यादा लाइट सेटिंग्स वाले स्टूडियो में काम करना और स्ट्रोब लाइट सेटिंग्स आदि के साथ शूटिंग करना। इन परिस्थितियों में काम करने से आंखों की मांसपेशियों पर ज़्यादा दबाव पड़ता है, जिससे आंखों में तनाव होता है।
आंखों के तनाव के लक्षण एक आंख विकार से जुड़े एक ओवरलैपिंग लक्षण हो सकते हैं। अगर आपको आंखों में लगातार तनाव का कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो तुरंत अपनी आंखों की जांच करवाएं।
किसी भी डिजिटल उपकरण के इस्तेमाल से होने वाले आंखों के तनाव को डिजिटल आई-स्ट्रेन कहते हैं। इसका प्रमुख कारण कंप्यूटर या लैपटॉप स्क्रीन पर लंबे समय तक काम करना है। लंबे समय तक डिजिटल आई स्ट्रेन से कंप्यूटर विजन सिंड्रोम हो सकता है। अध्ययनों के हिसाब से कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करने वाले पचास से नब्बे प्रतिशत लोगों में कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के विकसित होने का खतरा होता है। मौजूदा डिजिटल दुनिया में कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के खतरे को पूरी तरह टाला नहीं जा सकता, लेकिन उचित सावधानी बरतकर इसकी स्थिति को ज़्यादा बिगड़ने से रोका ज़रूर जा सकता है।
आंखों के तनाव से बचाव को विस्तार से समझें, जैसे
1. तनाव को 20-20-20 नियम से सीमित करें
20-20-20 नियम में 20-सेकंड के ब्रेक के साथ मुख्य गतिविधि पर 20 मिनट का फोकस करना होता है। इसमें आप 20 फीट दूर रखी किसी वस्तु पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। यह गतिविधि आपकी आंखों को आराम देकर तनाव से बचाती है। आप 20-20-20 नियम के अलावा उस गतिविधि से दूर रहने के लिये भी ब्रेक ले सकते हैं, जो आपकी आंख को आराम देती है। लंबी ड्राइव के लिये 10 मिनट से 20 मिनट का ब्रेक लें, जिसमें टहलना या छोटी झपकी शामिल हो सकती है। आप लंबे समय तक स्क्रीन समय के लिये कुछ इसी तरह की प्रैक्टिस कर सकते हैं। इससे स्क्रीन समय को सीमित करने और आंखों के तनाव को कम करने में मदद मिलती है।
2. अपनी स्क्रीन का सही स्थान बनाए रखें
आपके डिजिटल उपकरण की सही दूरी और उचित मुद्रा बनाए रखना ज़रूरी है। इसके हिसाब से एक आदर्श दूरी 20 से 26 इंच दूर और आंखों के स्तर से थोड़ा नीचे होनी चाहिए। अपना पोस्चर बदलने की कोशिशि करें। इससे आप स्क्रीन और अपनी बैठने की स्थिति को एडजस्ट कर सकते हैं। इससे आपको लगातार देखने से विराम और आंखों के तनाव को कम करने में मदद मिलेगी।
3. एंटी-ग्लेयर प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करें
डिजिटल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी से आंखों में तनाव पैदा होता है। ऐसे में एंटी-ग्लेयर ग्लासेस या एंटी-ग्लेयर स्क्रीन कवर के इस्तेमाल से अपनी आंखों को इन हानिकारक किरणों से बचाया जा सकता है। आंखों और स्क्रीन के बीच एक एंटी-ग्लेयर फिल्टर के इस्तेमाल से आंखों में प्रवेश करने वाली हानिकारक किरणें सीमित हो जाती हैं, जिससे आंखों के तनाव को रोका जा सकता है।
4. उचित रोशनी का प्रयोग करें
एक्टिविटी के आधार पर सही लाइट एडजस्ट की जानी चाहिए। कोई किताब पढ़ते वक्त या नोटबुक में कुछ लिखते वक्त लाइट का उस चीज़ पर फोकस होना ज़रूरी है। इसके लिये एक सही रोशनी वाले कमरे में बैठकर पढ़ने से आपको अपनी आंखों पर कम दबाव पड़ने का अहसास हो सकेगा। इसके अलावा कम रोशनी वाले सेटअप में टीवी देखने से भी आंखों का तनाव कम किया जा सकता है। इसी तरह अपने डिजिटल स्क्रीन की चमक को एनवायरनमेंट की रोशनी के साथ एडजस्ट करें। आंखों के तनाव को रोकने के लिये आप अंधेरा होने पर रात के फिल्टर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
5. मल्टीटास्किंग करते समय आंखों की गति को रोकें
मल्टीटास्किंग के दौरान आंखों के बार-बार हिलने-डुलने से भी आंखों में खिंचाव पैदा हो सकता है। जैसे- टेबल और लैपटॉप स्क्रीन पर रखे हाथों से लिखे हुये नोट पर ध्यान केंद्रित करना या वैकल्पिक रूप से किसी कार्य को करने के लिये फोकस को स्थानांतरित करना। इसके बजाय आप अपने डॉक्युमेंट को देखने की सीधी रेखा में रखने के लिये डॉक्युमेंट स्टैंड का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपकी आंखों पर लोड कम होगा और आंखों के तनाव को रोका जा सकेगा।
6. अपनी आंखों को आई-ड्रॉप्स से हाइड्रेट करें
किसी काम पर लगातार फोकस की वजह से आपकी पलकें कम झपकती हैं। पलकें झपकना एक ऐसा प्राकृतिक तंत्र है, जो आपकी आंखों में नमी को फिर से भरने का काम करता है। पलकों के कम झपकने से आपकी आंखें सूख सकती हैं, जो आई स्ट्रेन का कारण बन सकता है। आई ड्रॉप्स के इस्तेमाल से आंखों के सूखेपन और आंखों के तनाव को कम किया जा सकता है।
7. प्रदूषित हवा से खुद को बचाएं
हवा में मौजूद प्रदूषण और धूल के कणों से आपकी आंखों में जलन हो सकती है, जिससे आंखों में तनाव पैदा होता है। इसके अलावा एयर कंडीशनर से निकलने वाली सूखी हवा आपके कॉर्निया को शुष्क बनाकर आंखों पर दबाव डाल सकती है। एयर प्यूरीफायर या ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करके एयर कंडीशनर को एडजस्ट किया जा सकता है, जिससे आंखों के तनाव को कम करने में मदद मिलेगी।
8. आंखों को तरोताजा करने वाली दिनचर्या की प्रैक्टिस करें
आंखों पर दबाव डालने वाले काम पूरा होते ही अपनी आंखें बंद करें और आंख पर दस मिनट के लिये ठंडे पानी का गीला कपड़ा रखें। इस नियमित अभ्यास से आपकी आंखों को ठीक होने और आंखों के तनाव के लक्षणों को कम करने में मदद मिलेगी।
उन लोगों की आंखों में तनाव सबसे ज़्यादा होता है, जो सबसे ज़्यादा इसके कारकों के संपर्क में आते हैं, जैसेः
आई स्ट्रेन आंखों की बहुत ही आम समस्या है, जिसका आमतौर पर कोई गंभीर नतीजा नहीं होता। आंखों की अच्छी स्वच्छता बनाए रखने और आंखों के तनाव को कम करने के लिये आसान से उपायों का पालन करके इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके साथ ही आंखों के दर्द से जुड़ी परेशानी के लिये नेत्र रोग विशेषज्ञ (Ophthalmologist) की सलाह से आई ड्रॉप का इस्तेमाल किया जा सकता है।
हालांकि बिगड़ते आंखों के तनाव के लक्षण आंखों की किसी बीमारी से जुड़े हो सकते हैं। तेज़ सिरदर्द, धुंधली दृष्टि और समय की अवधि में दर्द से जुड़ी खुजली वाली आंखों के लिये चिकित्सकीय ध्यान देने की ज़रूरत होती है। ऐसे में आंखों की जांच के लिये किसी ऑप्थलमोलॉजिस्ट से सलाह लें।
आई स्ट्रेन से आपकी आंखों को कोई शारीरिक जटिलता नहीं होती, लेकिन आंखों के तनाव से जुड़ी परेशानी चिंता, मिजाज़ बदलना, कम उत्पादकता, काम से जुड़ी गलतियां बढ़ना, नींद की समस्या और शारीरिक थकान का कारण बन सकती है। हालांकि डिजिटल उपकरणों से निकलने वाली नीली किरणों से आपकी दृष्टि को नुकसान होता है और आंखों में खिंचाव की समस्या पैदा होती है। इसके अलावा इससे नींद के चक्र में गड़बड़ी, उम्र से संबंधित मैकुलर डिजनरेशन, मोतियाबिंद, रेटिना से जुड़ी जटिलताओं आदि सहित कई संबंधित समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
आंखों में तनाव एक ऐसी समस्या है, जो लगभग हर किसी में देखी जाती है लेकिन अपनी आंखों की देखभाल, आंखों की उचित स्वच्छता और आंखों की नियमित रूप से जांच करवाना आंखों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए बहुत ज़रूरी है। बताए गए आसान और छोटे-छोटे उपायों को आज़माकर आंखों का तनाव को कम किया जा सकता है। अगर फिर भी लक्षण बने रहते हैं, तो किसी ऑप्थलमोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
आंखों के तनाव से छुटकारा पाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप सबसे अच्छे आंखों के अस्पताल आई मंत्रा में जाएं, जहां आंखों का डॉक्टर आपकी आंखों की अच्छी तरह से जांच करके आपको बेहतर सुझाव देंगे।
आंखों के तनाव से जुड़ी अधिक जानकारी के हमारी बेवसाइट eyemantra.in पर जाएं। आई मंत्रा में अपनी अपॉइंटमेंट बुक करने के लिये हमें अभी +91-9711115191 पर कॉल करें या आप हमें eyemantra1@gmail.com पर ईमेल भी कर सकते हैं।
हम रेटिना सर्जरी, चश्मा हटाने, लेसिक सर्जरी, भेंगापन, मोतियाबिंद सर्जरी, ग्लूकोमा सर्जरी और बहुत सी विभिन्न सेवाएं भी प्रदान करते हैं।