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कॉन्टैक्ट लेंस छोटे प्रिस्क्रिप्शन लेंस होते हैं, जिन्हें रिफरेक्टिव त्रुटियों को सुधारने और आंख की सेहत को बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। आधुनिक कॉन्टैक्ट छोटे चश्मे के लेंस से कहीं ज़्यादा हैं, जो आपकी आंखों पर फिट होते हैं। हालांकि, वे रेगुलर चश्मों की तरह प्रकाश को रिफ्लेक्ट करने और फोकस करने का काम करते हैं, जिससे वस्तुएं साफतौर से दिखाई दें। लेंस आपकी आंख की सतह पर आंसू द्रव से चिपके रहते के कारण स्वाभाविक रूप से आपके साथ ही चलते हैं। ऐसा अक्सर होता है, लेकिन कॉन्टैक्ट लेंस के पास चश्मे से एक फायदा ज़्यादा होता है।
कॉन्टैक्ट लेंस किसी भी उम्र के लोगों के लिए दृष्टि सुधार का एक ऐसा विकल्प है, जिस पर यकीन कर पाना मुश्किल है, लेकिन इसके लिए प्रमाण संख्या के अंदर है। कॉन्टैक्ट लेंस के इस्तेमाल में हुई बढ़ोतरी की वजह हाल में आई लेंस प्रौद्योगिकी में तकनीकी प्रगति है, जिसने कॉन्टैक्ट लेंस को पहले की तुलना में कहीं ज़्यादा सुरक्षित बनाया है। यहां तक कि जिन लोगों को पहले कॉन्टैक्ट लेंस पहनने में दिक्कत आई है,वो आज कॉन्टैक्ट लेंस के लिए अच्छे उम्मीदवार हैं।
हम आपको कॉन्टैक्ट लेंस की कुछ मुख्य श्रेणियों के बारे में ज़रूरी बातें बता रहे हैं, जिसके बाद आपको अपने ऑफ्थामोलॉजिस्ट से सलाह लेते वक्त बेहतर जानकारी मिल सकेगी। सबसे आधुनिक और सटीक जानकारी के लिए और एक व्यापक कॉन्टैक्ट का अंदाज़ा लगाने के लिए के लिए एक नेत्र विशेषज्ञ के पास जाएं, जिससे आपके लिए सबसे अच्छे लेंस के बारे में पता किया जा सकेगा।
कॉन्टैक्ट लेंस और उनका कॉन्सेप्ट ज़्यादातर लोगों के भरोसे के मुकाबले लंबे समय तक होती है।
“लियोनार्डो दा विंची” ने 1508 में कई आधुनिक सुविधाओं के साथ कॉन्टैक्ट लेंस के कॉन्सेप्ट के बारे में सोचा था। 1636 में, रेनी डेसकार्टेस ने एक उभरे हुए कॉन्टैक्ट का स्कैच बनाकर इसे और आगे बढ़ाया। बाद में, 1801 में थॉमस यंग नाम के एक वैज्ञानिक ने इसे मोम से अपनी आंख पर सुरक्षित किया और इसके साथ ही वह कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वाला पहला व्यक्ति बन गया।
कॉन्टैक्ट लेंस की कुछ प्रकार के होते हैं:
सॉफ्ट लेंस को हाइड्रोजेल या सिलिकॉन हाइड्रोजेल लेंस भी कहते हैं। सॉफ्ट लेंस काफी पतले और नम होते हैं, जिन्हें पानी को सोखने वाले मेटेरियल से बनाया जाता है। जेल जैसा एहसास देने वाले इन सॉफ्ट लेंस का वजन इसमें मौजूद लगभग पचास प्रतिशत पानी की वजह से होता है, जिससे इन्हें पहनना काफी आरामदायक और आसान होता है।
कॉन्टैक्ट लेंस का ज़िक्र आने पर सॉफ्ट लेंस का नाम सबसे पहले आता है। इनमें से ज़्यादातर सिलिकॉन हाइड्रोजेल लेंस होते हैं, जो पारंपरिक हाइड्रोजेल लेंस के मुकाबले फोकस की सतह पर ज़्यादा ऑक्सीजन पहुंचाते हैं। सॉफ्ट कॉन्टैक्ट लेंस को हाइड्रोजेल और पतले-झरझरे प्लास्टिक को मिलाकर बनाया जाता है। सॉफ्ट कॉन्टैक्ट्स में हाइड्रोजेल हार्ड नहीं सॉफ्ट होते हैं। इससे सांस लेने में होने वाली सहूलियत इन्हें लोगों में सबसे मशहूर लेंस का प्रकार बनाती है। और इन्हें “तोड़े बिना” आसानी से पहना जा सकता ने में सहज हैं। आप इन तरीकों से सॉफ्ट लेंस की देखभाल कर सकते हैं:
कॉन्टैक्ट लेंस आपके लिए सही हैं या नहीं, यह तय करते वक्त इन बातों को याद रखें। इसके लिए सबसे ज़रूरी है कि कॉन्टैक्ट लेंस पहनते वक्त आपको कोई दिक्कत नहीं है। पहली बार कुछ करने की कोशिश अक्सर डराने वाली होती है, इसलिए इस दौरान नर्वस होना सामान्य बात है, लेकिन जब आप अपने नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास जाएं और कॉन्टैक्ट लेंस से जुड़े सभी सवाल करें, इनको लेकर आपका डर दूर हो जाए।
मामूली साफ-सफाई आपको आंखों के गंभीर इंफेक्शन से बचाने में मदद करती है। हर साल 10,000 में से चार कॉन्टैक्ट पहनने वालों को बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है।
एकैंथअमीबा (Acanthamoeba) इंफेक्शन कम देखा जाता है, लेकिन आंख का बैक्टीरियल इंफेक्शन ज़्यादा आम है, जो हर साल लगभग 10,000 में से चार कॉन्टैक्ट पहनने वालों को इफेक्ट कर सकता है।
बैक्टीरियल इंफेक्शन से संक्रमित लगभग 13 प्रतिशत लोगों की दृष्टि पर्याप्त रूप से कमजोर हो जाती है।
हालांकि, बैक्टीरियल इंफेक्शन अक्सर गंभीर और तेजी से काम करने वाले होते हैं। कॉन्टैक्ट लेंस से जुड़े इन इंफेक्शन्स के लिए स्यूडोमोनास (pseudomonas) बैक्टीरिया और जल-प्रेमी सूक्ष्मजीव (water-loving microorganism) जिम्मेदार होते हैं। यह कभी-कभी घंटों में ध्यान की सतह से बाहर निकल सकता है।
इन्हें जीपी कॉन्टैक्ट लेंस भी कहते हैं, जो कठोर प्लास्टिक से बने होते हैं और कभी-कभी सॉफ्ट लेंस के मुकाबले तेज, ज़्यादा स्थिर दृष्टि देते हैं। जीपी कॉन्टैक्ट लेंस कई सॉफ्ट लेंसों की तुलना में मुकाबले ध्यान की सतह पर ज़्यादा ऑक्सीजन देने का काम करते हैं। कुछ कॉन्टैक्ट लेंस से जुड़ी आंखों की समस्याओं के खतरे को कम करते हैं। आमतौर पर जीपी लेंस का व्यास सॉफ्ट लेंस से छोटा होता है, जिससे यह आपकी आंखों के पास फिट हो जाते हैं।
हालाँकि, उनके कठोर स्वभाव और मोटे प्रोफाइल की आदत होने में वक्त लग सकता है, जबकि कुछ लोग आराम से लेंस नहीं पहन सकते।
एक हाइब्रिड कॉन्टैक्ट लेंस दो कॉन्टैक्ट लेंस के प्रकारों (सॉफ्ट और जीपी कॉन्टैक्ट लेंस) को एक साथ जोड़ता है। हाइब्रिड कॉन्टैक्ट में रिगिड गैस परमाएबल से प्लास्टिक से बना एक केंद्र होता है, जो एक सॉफ्ट लेंस मेटेरियल से घिरा होता है। यह हाइब्रिड डिज़ाइन सेंटीमेंटल लेंस को आराम के साथ जीपी कॉन्टैक्ट के शार्प ऑप्टिक्स के साथ जोड़ती है।
हालांकि, हाइब्रिड लेंस अक्सर सॉफ्ट या जीपी लेंस की तुलना में महंगे, फिटिंग में कठिन और ज़्यादा समय लेने वाले होते हैं। इन्हीं कारणों से अमेरिका में सिर्फ 5 प्रतिशत कॉन्टैक्ट पहनने वाले लोग हाइब्रिड लेंस पहनते हैं।
कलर कॉन्टैक्ट उन लोगों के लिए सबसे अच्छा विकल्प है, जो खुद को अलग दिखाना चाहते हैं या शायद अपनी प्राकृतिक खासियत के साथ प्रयोग कर सकते हैं। यह आपके लुक के साथ विलक्षित और सुरक्षित है।
प्रकार: –
• विज़िबिलिटी टिंट्स – आमतौर पर लेंस में जोड़ा जाने वाला यह टिंट हल्के वजन वाले नीले या हरे रंग का होता है और इसे कॉन्टैक्ट्स डालते-हटाते समय लेंस को ठीक से देखने में आपकी मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है या अगर आप एक को छोड़ देते हैं। असल में यह हल्का रंग है, इसलिए विजिबिलिटी टिंट वाला कलर लेंस आपकी आंखों के रंग पर असर नहीं करता है।
• एन्हांसमेंट टिंट्स – यह अक्सर एक ठोस, लेकिन पारभासी (सी-थ्रू) टिंट होता है, जो एक विजिबिलटी टिंट की तुलना में गहरा होता है। एन्हांसमेंट टिंट लेंस अलग होतो है, क्योंकि इससे आपकी आंखों का रंग नहीं बदलता है। इसके नाम का मतलब और इसका मकसद आपकी आंखों के हल्के रंग को कठोर करना है। इन्हें आमतौर पर कॉन्टैक्ट पहनने वाले लोगों के लिए बनाया जाता है। हल्के रंग की आंखों वालों को अपनी आंखों का रंग बढ़ाने के लिए इसकी ज़रूरत होती है।
• कलर टिंट – ये लेंस गहरे और धुंधले रंग के होते हैं जो आपकी आंखों के रंग को पूरी तरह से बदल देते हैं। कलर टिंट में आमतौर पर ठोस रंगों के पैटर्न होते हैं। अगर आपकी आंखें काली हैं, तो यह अक्सर उस प्रकार का लेंस होता है, जो आपकी आंखों के रंग को बदलने में ज़रूरी होगा। कलर कॉन्टैक्ट में हेज़ल, हरा, नीला, बैंगनी और ग्रे जैसे कई तरह के रंग मिलते हैं।
आपकी ऑंखों का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका आई केयर प्रोफेशनल के पास जाकर आपकी ऑंखों की नियमित जांच है।
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