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अभिसरण अपर्याप्तता या कन्वर्जेंस इंसफिशिएंसी को आंखों की अक्षमता के तौर पर जाना जाता है, जो पास की रेन्ज पर काम करते समय दूरबीन का बनाए रखने के लिए है। ज्यादातर मामलों में जब कोई व्यक्ति अपनी दृष्टि को किसी खास वस्तु पर फोकस करने की कोशिश करता है, तो उसकी एक आंख बाहर की तरफ घूमेगी। स्कूली बच्चों और किशोरों में ऐसी चिकित्सा स्थिति आम है। हाल ही में किसी चोट या गंभीर मस्तिष्क की चोट से पीड़ित व्यक्ति में अभिसरण अपर्याप्तता होने के चान्स ज़्यादा होते हैं।
आमतौर पर अभिसरण आंखों की नॉन-सिंक्रनाइज़्ड गति है, जैसे- किसी व्यक्ति द्वारा अपना विज़न किसी पास की वस्तु पर केंद्रित करने पर उसकी आँखें अंदर की तरफ घूमती हैं। इसके अलावा, किसी व्यक्ति की आंखों में इस खास तरह की गति होना बंद हो जाता है, जिसकी वजह से इस चिकित्सा स्थिति को “अभिसरण अपर्याप्तता” या कन्वर्जेंस इंसफिशिएंसी कहते हैं। इससे जुड़ा एक पीढ़ीगत पहलू है कि अगर किसी के परिवार में किसी सदस्य के लिए इस स्थिति का निदान किया गया है, तो उस व्यक्ति की भी यही स्थिति हो सकती है।
इस चिकित्सीय स्थिति की मुख्य वजह अभी मिल नहीं पाई है, लेकिन एक नेत्र विशेषज्ञ के हिसाब से कुछ खास कारक इस चिकित्सीय स्थिति का कारण बन सकते हैं, जैसे-
इस चिकित्सीय स्थिति की पहली स्टेटमेंट 1885 में दी गई थी, तभी से ज़्यादातर आर्थोप्टिस्ट ने इलाज की शुरुआती विधि में कुछ ऑर्थोप्टिक व्यायामों को ज़रूरी बताया है। आज के समय में कई आई लेबोरेटरी की रिसर्च से मिले आंकड़ों ने अभिसरण की वास्तविक स्वभाव और गतिशीलता पर सवाल उठाए हैं। ऐसी चिकित्सा स्थिति किसी व्यक्ति के अपनी आंखों की सही देखभाल नहीं करने से होती है, क्योंकि आंखें इंसान के शरीर का सबसे संवेदनशील अंग होती हैं।
व्यक्ति को कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठकर अपनी आंखों पर ज्यादा दबाव नहीं डालना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति कुछ एहतियाती उपायों का पालन करता है, तो उसे “कंप्यूटर विजन सिंड्रोम” हो सकता है। किसी भी व्यक्ति को दिन में कम से कम तीन बार अपनी आंखें पानी से धोनी चाहिए, ताकि आंख में गया कोई भी बाहरी कण बाहर आ सके। आंखों की सही देखभाल से एक स्पष्ट और बेहतर दृष्टि मिलेगी। अगर अभिसरण अपर्याप्तता के लक्षणों का निदान जल्द किया जाता है, तो इलाज का तरीका भी काफी ज़्यादा असरदार हो जाता है।
अभिसरण अपर्याप्तता रोग का निदान एक नेत्र रोग विशेषज्ञ या ऑप्टोमेट्रिस्ट करता है। जब यह किसी रोगी के लक्षणों की स्थिति को आराम से जानकर अभिसरण क्षमता को ठीक से नाप लेते हैं, तो उसके बाद रोगी की आंखों की जांच की जाती है। इस स्थिति के लिए आंखों की जांच में उस दूरी की नाम शामिल है, जिससे व्यक्ति अपनी आंखों को एक साथ रख सकता है। इस आंखों के टेस्ट में दोहरी दृष्टि (double vision) के बिना कोई व्यक्ति कितनी दूर और कितनी अच्छी तरह देख सकता है, इसका टेस्ट किया जाता है। अगर व्यक्ति की आंख की मांसपेशियों खराब हैं या आंख से जुड़ी कोई दूसरी बीमारी है, तो इन चिकित्सीय स्थितियों का भी ठीक से अंदाज़ा लगाया जाना चाहिए।
उपचार में इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका रोगी की उम्र पर भी निर्भर करता है, इसकी विधि हैं:-
अभिसरण अपर्याप्तता के इलाज में आंखों के व्यायाम के कई तरीके इस्तेमाल किये जाते हैं, जैसे पेंसिल पुश-अप। आई एक्सरसाइज़ के इस रूप में किसी व्यक्ति को अपने सामने पेंसिल को अपने हाथ की लंबाई तक एक खडी अवस्था में पकड़ना चाहिए। पेंसिल का सिरा नुकीला है, फिर व्यक्ति को पेंसिल को सीधे अलाइनमेंट में घुमाते हुए अपनी नाक के पास लाना चाहिए। व्यक्ति को पेंसिल को आंखों की रोशनी के स्तर के ठीक नीचे टिप के साथ चेहरे के सामने रखकर पेंसिल को तब तक देखते रहना चाहिए जब तक कि उसे धुंधलापन न लगने लगे। इसके बाद व्यक्ति को पेंसिल को फिर से अपने हाथ की लंबाई तक लकर कम से कम 12 सेकंड तक पकड़ना चाहिए और विज़न बढ़ाने के लिये इस एक्सरसाइज़ को कम से कम 8 बार दोहराना चाहिए।
पेंसिल पुश-अप्स दूर की वस्तुओं को देखते हुए होने वाले आपकी आंखों को तनाव कम कर सकते हैं।
स्टेप्स – एक पेन या पेंसिल को दो आंखों के बीच विज़न लाइन में एक हाथ की लंबाई में पकड़ें। अब धीरे-धीरे पेंसिल को नाक के पास लेकर आएं। जैसे-जैसे पेंसिल नज़दीक आएगी रिफ्लेक्शन एक बिंदु पर दोगुना हो जाएगा। इसके दोहरा दिखाई देने तक इस बिंदु पर रुकें। पेंसिल को फिर से हाथ की लंबाई तक लाकर इन स्टेप्स को कई बार दोहराएं।
इस एक्सरसाइज़ का मकसद अभिसरण/कन्वर्जेंस बिंदु को आंखों के नज़दीक लाना और सिंगल इमेज को जहां तक हो सके उसके अंतिम बिंदु पर बनाए रखना है। तेजी से इस छवि को एक छवि के रूप में देखने की बात आंखों के करीब होने लगती है।
दोहरी दृष्टि के लक्षणों से बचने के लिए प्रिज्म चश्मे का इस्तेमाल किया जा सकता है चश्मे के इन रूपों में एक मोटा और पतला आधार होता है। एक प्रिज्म प्रकाश को मोड़ने का कार्य करता है, जिसके कारण व्यक्ति एक ही छवि देख सकती है। दोहरी दृष्टि यानि डबल विज़न के ज़्यादातर मामलों में इलाज का यह तरीका ज़्यादा असरदार नहीं रहा है, लेकिन आंखों के व्यायाम के कई रूप विज़न बढ़ाने में मदद करते हैं।
ऑप्टिकल इल्यूजन कार्ड या स्टिरियोग्राम अलग-अलग अभिसरण और ध्यान केंद्रित करके काम करते हैं, जिसके लिए आंखों के अस्पताल से खास निर्देशों की ज़रूरत हो सकती है। साथ ही इसे सही ढंग से निष्पादित करने के लिए कुछ अभ्यास भी करने पड़ सकते हैं:
स्टेप्स –
नेत्र विशेषज्ञ कन्वर्जेंस इंसफिशिएंसी का इलाज करने के लिए कई तरह के कन्वर्जेंस कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। एक व्यक्ति अपनी नाक के पुल के पास एक कन्वर्जेंस कार्ड पकड़कर और अपना ध्यान सबसे दूर के बिंदु या सर्कल पर रखकर और फिर अपनी आंखों को एक नज़दीकी लक्ष्य की ओर ले जाकर इस अभ्यास को शुरू कर सकता है। एक्सरसाइज़ का यह तरीका कन्वर्जेंस इंसफिशिएंसी दूर करने में मदद करता है।
स्टेप्स– कार्ड को अपनी नाक के किनारे को एक तिरछे कोण से छूते हुए पकड़ें, ताकि आप उस पर सभी सिंबल्स को देख सकें।
सिंबल्स को सबसे दूर से देखें और उसे एक देखने की कोशिश करें- ऐसा करने पर दूसरे सिंबल्स दोहरे दिखाई देंगे और आपकी तरफ फैन आउट होंगे।
जब आप इस सिंबल को अकेले देख सकें, तो धीरे-धीरे 10 तक गिनें। एक बार गिनती पूरी हो जाए, तो इसके साथ अगले सिंबल को देखते हुए आँखों को धीरे से एक साथ खींचकर इसे सिंगल करें और एक बार फिर 10 तक गिनती पूरी होने तक इसे पकड़ें। बाकी सभी सिंबल्स दोहरे दिखेंगे। आप जिस सिंबल को देख रहे हैं, उसमें से एक पर क्रॉस बना लें। अपनी तरफ सिबंल्स लाइन जारी रखते हुए ध्यान दें कि सभी सिंगल हों और हरेक पर अपनी दृष्टि रखते हुए 10 तक गिनें। अगर आप इसे सिंगल नहीं बना पा रहे हैं, तो पिछले वाले पर वापस लौटें और कर एक बार फिर कोशिश करें।
सबसे पहले एक एक्सरसाइज़ 5 मिनट सुबह और 5 मिनट शाम को करें जब आप खुद तरोताजा महसूस करें। एक्सरसाइज़ के इस समय को अगले 2 महीनों के लिए धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 5 से 15 मिनट करें। 2 महीने तक लगातार यह एक्सरसाइज़ करते रहें। आप कुछ दिन बाद 5 मिनट की एक्सरसाइज़ आँखों के अच्छे कन्वर्जेंस को बनाए रखने के लिए काफी होगी।
अगर यह कन्वर्जेंस एक्सरसाइज़ लगातार किया जाए, तो कुछ ही हफ्तों में आपको अपनी आंखों में सुधार दिख सकता है। हालांकि, ठीक होने का वक्त स्थिति की गंभीरता पर है। आमतौर पर शुरुआती चरण में यह एक्सरसाइज़ एक आर्थोप्टिस्ट की देखरेख में की जाती है। एक ऑर्थोप्टिस्ट कन्वर्जेंस एक्सरसाइज़ की तकनीक, इसे कितनी बार दोहरना है और इस के समय के बारे में बताता है, जबकि फॉलो-अप अपॉइंटमेंट अंदाजा लगाने के लिए तय किये जाते हैं।
कन्वर्जेंस एक्सरसाइज़ के बाद आपकी आंखों की मांसपेशियों में आराम महसूस करना बेहद ज़रूरी है। एक्सरसाइज़ के शुरुआती दिनों में आंखों में ज़्यादा खिंचाव, दर्द या सिरदर्द महसूस होना सामान्य है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आपकी आंखों की मांसपेशियों को इतनी मेहनत करने की आदत नहीं है। खासकर शुरुआती दिनों मे, लेकिन वक्त के साथ इसकी आदत होने पर आपके सीआई (CI) के लक्षण ठीक या कम हो जाएंगे।
एक्सरसाइज़ के अपनी आंखों को आराम देना ध्यान रखें। इसके लिए आप आंखों को कम से कम 1 मिनट के लिए बंद रख सकते हैं या खिड़की से दूर देख सकते हैं। अपने नेत्र विशेषज्ञ की सलाह से ज़्यादा देर तक एक्सरसाइज़ न दोहराएं।
कन्वर्जेंस इंसफिशिएंसी का इलाज काफी कम मामलों में सर्जरी से किया जाता है। अगर कोई आखों के किसी सामान्य व्यायाम से इस स्थिति में सुधार नहीं आता है, तो तब नेत्र विशेषज्ञ आपको सर्जरी की सलाह दे सकते हैं, लेकिन ऐसे खास मामले में सर्जरी से भविष्य में आंखों से जुड़ी कई समसमयाएं हो सकती हैं।
अभिसरण अपर्याप्तता का कई तरह के तंत्रिका विकारों (Neural Disorders) से जुड़ी है। कभी-कभी गंभीर सिर की चोट इसका कारण बन सकती है, जिसके इलाज मे कम से कम तीन महीने का समय लगता है और ठीक हो जाने के बाद भी इसके लक्षण दोबारा हो सकते हैं।
अभिसरण अपर्याप्तता सिम्प्टोमैटिक और असिम्प्टोमैटिक भी हो सकता है, लेकिन सिर्फ लक्षणों वाले रोगी को इलाज की ज़रूरत होती है। लगातार आंखों की जांच के दौरान अभिसरण पर्याप्तता का निदान किया जा सकता है। आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होने इसकी पहचान तब की जा सकती है, जब रोगी उत्तेजित हो या दिशाओं को ना पहचान पाए। ऐसे रोगियों को आगे आने वक्त में अपने लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए, फिर चाहे उन्हें इलाज की ज़रूरत नहीं है, लेकिन उन्हें फॉलो-अप रखना चाहिए।
दोहरी दृष्टि (double vision) और अभिसरण अपर्याप्तता (convergence insufficiency) के लक्षणों वाले रोगियों को डॉक्टर के पास जाकर सही इलाज लेना चाहिए। डॉक्टर शायद आंखों की एक्सरसाइज़ की सलाह देंगे और एक्सरसाज़ से इलाज नहीं होने पर इसके लिए सर्जरी की जाएगी। हालांकि, आंखों के व्यायाम से कन्वर्जेंस की कमी हमेशा के लिए ठीक हो सकती है। रोगी के तनावग्रस्त होने या पूरी नींद नहीं लेने से इसके लक्षण फिर उभर सकते है और पहले की तरह ही इलाज के बाद ये लक्षण फिर से गायब हो जाएंगे।
आँखों के इलाज का सबसे अच्छा तरीका है, आपके नेत्र विशेषज्ञ द्वारा आपकी आखों की नियमित जांच, जिससे भविष्य में होने वाली आंखों की किसी भी प्रकार की समस्या से बचा जा सकता है।
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