Contents
- 1 बाइफोकल लेंस क्या है? Bifocal Lens Kya Hai?
- 2 बाइफोकल लेंस का इतिहास – Bifocal Lens Ka Itihas
- 3 बाइफोकल लेंस का उपयोग – Bifocal Lens Ka Upyog
- 4 बाइफोकल लेंस के प्रकार – Bifocal Lens Ke Prakar
- 5 बाइफोकल लेंस का निर्माण – Bifocal Lens Ka Nirman
- 6 बाइफोकल वर्सेज़ प्रोग्रेसिव लेंस – Bifocal v/s Progressive Lens
- 7 निष्कर्ष – Nishkarsh
बाइफोकल लेंस क्या है? Bifocal Lens Kya Hai?
कभी-कभी एक वक्त में दो या तीन अलग-अलग वस्तुओं को नहीं देख पाने पर ऑप्टिशियंस हमें बाइफोकल लेंस (Bifocal Lens) की सलाह देते हैं। आमतौर पर एक से दूर की वस्तुओं और एक से पास की वस्तुओं को देखने के लिए बाइफोकल-लेंस (Bifocal-Lens) का इस्तेमाल किया जाता है। बाइफोकल लेंस में दो फोकल बिंदु होते हैं, जिनमें एक बहु-फोकल लेंस है। इसकी सहायता से एक से दूर और एक से पास की वस्तुओं को देखने में मदद मिलती है। बाइफोकल लेंस का मूल रूप से आविष्कार बेन फ्रैक्लिन ने किया था।
बाइफोकल लेंस का इतिहास – Bifocal Lens Ka Itihas
बाइफोकल या बिफोकल लेंस का इतिहास काफी लंबा है-
सन् 1938 में न्यूयॉर्क के फीनब्लूम ने एक खंड बाइफोकल सीएल (Bifocal CL) और ट्राइफोकल सीएल (Trifocal CL) की जानकारी दी। हालांकि उनके आने में कोई चिकित्सीय उद्देश्य शामिल नहीं था, क्योंकि लेंस के घूमने के लिए कोई रास्ता नहीं निकाला गया था।
सन् 1957 में लंदन में डिक्लेयर का एक घूर्णी (Rotational) समस्या से मुक्त समकालिक दृष्टि द्विफोकल (Simultaneous-Vision Bifocal) का आविष्कार अब वर्तमान बाइफोकल लेंस के लिए एक बेसिक फॉर्मुला बन गया है।
सन् 1980 और 1990 के दशक के बीच में नॉनस्फेरिकल प्रोग्रेसिव मल्टीफोकल लेंस (Nonspherical Progressive Multifocal Lens) और डिफरैक्शन प्रोग्रेसिव कॉन्टैक्ट लेंस (Diffraction Progressive Contact Lens) आए। इस चरण के दौरान बड़ी संख्या में बाइफोकल प्रॉडक्ट ऑफर किये गए। इनमें से कुछ लेंसों की डिमांड ज़्यादा बढ़ने से अन्य लेंसों की मांग वक्त के साथ घटती गई।
हाल ही में हुआ बाइफोकल लेंस में सुधार अब संशोधित मोनो-विज़न लेंस विकसित कर चुका है। इनमें दाएं-बाएं लेंस में अंतर आसानी से किया जा सकता है। इसके बाद बाइफोकल सॉफ्ट कॉन्टैक्ट लेंस की शुरुआत हुई, जिसमें ऑप्टिकल एक्सिस लाइन-ऑफ-साइट से मेल खाता है।
बाइफोकल लेंस का उपयोग – Bifocal Lens Ka Upyog
बाइफोकल लेंस का उपयोग अलग-अलग समस्याओं में किया जाता है, जैसे-
प्रेसबायोपिया (Presbyopia)
चालीस साल की उम्र तक आते-आते आप में स्वाभाविक रूप से प्रेसबायोपिया (Presbyopia) कहे जाने वाली बीमारी विकसित होकर धीरे-धीरे आपकी पास की वस्तुओं पर फोकस करने और छोटे प्रिंट को पढ़ने की क्षमता कम कर देती है। बदलते वक्त के साथ 45 से 47 की उम्र में आते-आते यह बीमारी आपके लिए ज़्यादा कठिन हो जाती है। इस दौरान कुछ भी पढ़ने में कठिनाई होने की वजह से आप एक निश्चित सीमा में पढ़ने की कोशिश करते हैं। डॉक्टरों की मानें तो इसके पीछे कोई निश्चित तर्क नहीं है। माना जाता है कि बढ़ती उम्र के साथ आंखों के अंदर आपके सिलिअरी शरीर की मांसपेशियां ज़्यादा लचीली होकर ठीक से काम करना बंद कर देती हैं।
एकोमोडेटिव डाइसफंक्शन (Accommodative Dysfunction)
एकोमोडेटिव डाइसफंक्शन की वजह से कुछ लोगों को बाइफोकल लेंस की ज़रूरत होती है। इससे बच्चों में दूर से ध्यान केंद्रित नहीं कर पाने की स्थिति विकसित हो जाती है। साथ ही दूर-पास, क्लास में पढ़ते या लिखते वक्त ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करते हुए भी बच्चों को अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
एकोमोडेटिव एसोट्रोपिया (Accommodative Esotropia)
इस बीमारी को एकोमोडेटिव एसोट्रोपिया के नाम से जाना जाता है। इस स्थिति में बच्चे बचपन में ही बाइफोकल (Bifocal) लेंस पहनना शुरू कर देते हैं। यह एसोट्रोपिया के सामान्य रूपों में से एक है जो एक प्रकार का भेंगापन है। इसे आंख का गलत संरेखण भी कहते हैं। इसमें किसी भी वस्तु को स्पष्ट रूप से देखने के लिए आंख को ज्यादा फोकस करने की ज़रूरत होती है।
बाइफोकल लेंस के प्रकार – Bifocal Lens Ke Prakar
बाइफोकल लेंस के प्रकारों को उनके आकार के आधार पर बांटा गया है-
फ्लैट-टॉप (Flat-Top)
इसका आकार आधा चांद या इसके किनारे पर “डी” अक्षर की तरह एक छोटे खंड जैसा होता है। इसे नासिका (Nasal) और नीचे की ओर इंगित किया जाता है। डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह के हिसाब से उनके लेंस का खंड 25 और 28 मिमी के बीच और शीर्ष खंड में है, जिस में लेंस पर कुछ रेखाएँ भी दिखाई देती हैं।
राउंड सेगमेंट (Round Segment)
इसमें राउंड बाइफोकल (round bifocal) लेंस के नीचे की ओर 22 या 24 एमएम का राउंड सेगमेंट होता है, जिसे पढ़ने को आसान बनाने के लिए बनाया गया है। आज के समय में राउंड सेममेंट का ज़्यादा इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
ब्लेंडेड बाइफोकल्स (Blended Bifocals)
यह नो-लाइन बाइफोकल्स के विकास से पहले के लोकप्रिय बाइफोकल लेंस थे। यह ऐसी सामग्री से बनाए जाते हैं, जिसमें एक राउंड सेगमेंट के किनारों को बाकी लेंस के साथ अंदर की ओर ब्लेंड किया जाता है।
एग्ज़ीक्यूटिव बाइफोकल (Executive Bifocal)
ऐसे लेंस लाइन बाइफोकल होते हैं, जहां दूर की वस्तुओं को देखने में इस्तेमाल किये जाने वाला लेंस का ऊपरी आधा भाग, पास की वस्तुओं को देखने में इस्तेमाल किये जाने वाले नीचे के आधे भाग से बिल्कुल अलग होता है। आमतौर पर ऐसे लेंस का इस्तेमाल कॉर्पोरेट लोग करते हैं, जिन्हें घंटों कंप्यूटर डेस्क पर बैठना पड़ता है, लेकिन वक्त के साथ लेंस पर मौजूद भद्दी रेखाओं की वजह से इन लेंसों की लोकप्रियता घटती गई।
प्रोग्रेसिव लेंस (Progressive Lens)
इस प्रकार के लेंस प्रकृति में अदृश्य और निर्बाध (सीमलेस) होते हैं, जिन पर कोई विज़िबल लाइन नहीं होती है। लेंस को लेंस के नीचे की ओर बिना किसी दृश्य रेखा के नीचे की तरफ बढ़ाया जाता है, इसलिए ऐसे बाइफोकल लेंस पहनते वक्त आप पढ़ने की शक्ति में क्रमिक वृद्धि पाएंगे। कम वक्त में ज़्यादा लोकप्रिय हुए इन लेंस ने स्पेकियों को एक नया और अलग अनुभव देने का काम किया।
बाइफोकल लेंस का निर्माण – Bifocal Lens Ka Nirman
एक बाइफोकल लेंस को निचले आधे भाग में कॉनवैक्स लेंस और ऊपरी भाग पर कॉनवैक्स लेंस के कम से कम इस्तेमाल से डिज़ाइन किया जाता है। अब 20वीं सदी में दो लेंसों को आधा काटकर और एक साथ जोड़कर एक फ्रेम बनाया जाता है।
19वीं शताब्दी के अंत में लुई डी वेकर द्वारा लेंस के सेक्शन को फ़्यूज़ करने की इस विधि का विकास हुआ था।
बाइफोकल लेंस को आज के समय में एक तरह से रीडिंग सेगमेंट को प्राथमिक लेंस में ढालकर बनाया जाता है।
बाइफोकल वर्सेज़ प्रोग्रेसिव लेंस – Bifocal v/s Progressive Lens
दूर के फोकल एरिया के साथ आने वाले बाइफोकल लेंस आपको दूर की वस्तुओं को देखने और बीच की जमीन के बिना वस्तुओं को बंद करने में मदद करेगा। इसमें लेंस पर मौजूद विज़िबल लाइन देखी जा सकती हैं।
प्रोग्रेसिव लेंस नो-लाइन मल्टीफोकल लेंस होते हैं, जिसमें इसे बाइफोकल लेंस से बेहतर विकल्प बनाने वाली कोई भी दृश्य रेखा नहीं होगी।
बाइफोकल में एक दूर की वस्तुओं और एक पास की वस्तुओं को देखने के लिए दो-लेंस की शक्ति होती है, जिनके बीच के जंक्शन को बाइफोकल लाइन कहते हैं।
एक प्रोग्रेसिव लेंस में पावर धीरे-धीरे एक बिंदु से दूसरे बिंदु पर बदलती है, जिससे किसी भी दूरी पर वस्तुओं को साफ तौर से देखने की सही शक्ति मिलती है।
निष्कर्ष – Nishkarsh
दोनों लेंसों के कई फायदे और नुकसान हैं, लेकिन आपको इनमें फर्क करना आना चाहिए कि आपकी ज़रूरत के हिसाब से कौन-सा चश्मा या लेंस आपके लिए सबसे अच्छा है। प्रोगेसिव लेंस में लाइनों की कमी इसलिए होती है, जिससे आप एक साथ तीन दूरी पर देख सकें, लेकिन बाइफोकल लेंस में उनके पास दो नुस्खे और दो दूरी हैं।
ऐसे में ज़रूरतों और अलग-अलग दृष्टि के हिसाब से कई बाइफोकल और प्रोगेसिव लेंस हैं, जो दृष्टि की एक अलग श्रेणी में आते हैं।
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