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मधुमेह मोतियाबिंद एक मधुमेह जटिलता है जो आंखों को प्रभावित करती है। यह आंख के पीछे (रेटिना) प्रकाश के प्रति संवेदनशील ऊतक के रक्त वाहिकाओं को नुकसान के कारण होता है।
सबसे पहले, मधुमेह रेटिनोपैथी में कोई लक्षण नहीं हो सकता है या केवल हल्की दृष्टि समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन इससे अंधापन हो सकता है।
टाइप 1 या टाइप 2 मधुमेह वाले किसी भी व्यक्ति में स्थिति विकसित हो सकती है। आपको मधुमेह जितना अधिक समय तक रहेगा और आपका रक्त शर्करा जितना कम नियंत्रित होगा, आपको इस नेत्र संबंधी जटिलता के विकसित होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
जैसे की हमने जाना की हमारी आँखों के अंदर जो रक्त वाहिकाएं होती है वो आमतौर पर काफी मजबूत होती है. और इनसे खून कभी भी लीक नहीं होता। लेकिन अगर आपको मधुमेह है तो रक्त वाहिकाएं के कमजोर होने के कारण उनमें से खून लीक होने लगता है. और ये खून आपके पर्दे के बीच में या आगे जो आपकी वेट्रिक्स कैविटी उसके अंदर आ जाता है जिसे आपकी दृष्टि धुंधली हो जाती है. तो कभी भी आपके पर्दे के ऊपर मधुमेह संबंधित रक्तस्राव हो जाती है या आपके पर्दे पर कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है. जिससे पर्दे पर सूजन आ जाती है, जिसका कारण आपका बढ़ता मधुमेह होता है.
रेटिनोपैथी बढ़ने पर आंखों की रोशनी कम होने लगती है। हालत बिगड़ने पर रोशनी पूरी तरह से जा सकती है। मधुमेह के अलावा अगर मरीज ब्लड प्रेशर, थायरॉयड, कोलेस्ट्रॉल, हार्ट या किडनी डिसीज से जूझ रहता है तो खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है। डायबिटीज से 20% से 40% मरीजों में रेटिनोपैथी हो सकती है।
आंख का लाल होना काफी सारी बीमारियों में देखा गया है. पहले शुरूवाती चरण में मधुमेह रेटिनोपैथी की स्तिथी में देखने में कोई समस्या नहीं होती है। लेकिन यह एक विस्तृत जांच के बाद ही आपके आंख के डॉक्टर निष्कर्ष पर आते है की आपकी आंख पर शुगर का असर है या नहीं है। जैसे-जैसे स्थिति बढ़ रही है, आप मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी के लक्षण देख सकते हैं। जैसे की:
ये भी कहा जाता है कि शुरूवात के 2-3 साल में रोगी को कुछ पता नहीं चलता है. इसलिए जिन रोगी को भी मधुमेह रेटिनोपैथी या मधुमेह है, तो उसमें हम रोगी को सलाह देते है की आपको आंख में कुछ प्रॉब्लम आई है या नहीं आ रही. आप एक बार अपना आंख का वार्षिक जांच जरूर कराए जिसे पता चल सके की आपको दिक्कत है या नहीं है. और जैसे ये बीमारी आगे बढ़ती जाती है वैसे ही रक्ततस्राव भी बढ़ती जाती है, जिसके कारण हमारे रेटिना पर खिचाव बनने लगता है. जिससे पर्दा पूरे तरीके से अपनी जगह से हिल जाता है. उसको हम रेटिनल डिटैचमेंट कहते है.
मधुमेह रेटिनोपैथी दो प्रकार की होती है:
कभी-कभी रेटिनल रक्त वाहिका क्षति से रेटिना के मध्य भाग (मैक्युला) में द्रव (एडिमा) का निर्माण होता है। यदि मैकुलर एडीमा दृष्टि कम हो जाती है, तो स्थायी दृष्टि हानि को रोकने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है।
मधुमेह रेटिनोपैथी इस अधिक गंभीर प्रकार की प्रगति कर सकती है, जिसे प्रोलिफेरेटिव मधुमेह रेटिनोपैथी के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार में खराब रक्त वाहिकाएं बंद हो जाती हैं, जिससे रेटिना में नई, असामान्य रक्त वाहिकाओं का विकास होता है। ये नई रक्त वाहिकाएं नाजुक होती हैं और आपकी आंख के केंद्र को भरने वाले स्पष्ट, जेली जैसे पदार्थ में रिसाव कर सकती हैं।
आखिरकार, नई रक्त वाहिकाओं के विकास से निशान ऊतक आपकी आंख के पीछे से रेटिना को अलग कर सकता है। यदि नई रक्त वाहिकाएं आंख से तरल पदार्थ के सामान्य प्रवाह में बाधा डालती हैं, तो नेत्रगोलक में दबाव बन सकता है। यह बिल्डअप उस तंत्रिका को नुकसान पहुंचा सकता है जो आपकी आंखों से छवियों को आपके ऑप्टिक तंत्रिका तक ले जाती है, जिसके परिणामस्वरूप ग्लूकोमा होता है।
अगर आपकी बीमारी थोड़ी बढ़ जाती है और आपको माइल्ड नॉनप्रोलिफेरेटिव मधुमेह रेटिनोपैथी होती है तो उन मामलों में पैनेरेटिनल फोटोकैग्यूलेशन कर सकते है जिससे की आपके नए रक्त वाहिकाएं बनी है। और जो टपकाती हुई रक्त वाहिका उनको हम लेजर करके जला देते है. जिससे नए रक्त वाहिकाएं का लीक होना बंद हो जाता है. अगर आपको सिवीर मधुमेह रेटिनोपैथी (severe diabetic retinopathy) है, साथ ही साथ आपको मैक्युलर इडिमा(पर्दे की सूजन) भी है तो इन मामलों में लेजर के साथ ही साथ आँखों में एंटी वेजफ इंजेक्शन देने जरूरी होते है. और ये इंजेक्शन हर महीनें दिए जाते है.
अगर आपके आंख में रक्त आ गया है या पर्दा सरक गया है तो विट्रोक्टोमी सर्जरी करके हम आंख के पर्दे को जगह पर ला सकते है. और अगर bleeding हो गई है तो हम blood को निकाल सकते है.
डायबिटीज से पीड़ित किसी भी रोगी को मधुमेह रेटिनोपैथी हो सकता है। आंख से जुड़ी इस समस्या के विकसित होने का खतरा इन स्थिति में बढ़ सकता है. जैसे की:
आखिर में कहना चाहुंगी की मधुमेह रेटिनोपैथी में सबसे अहम चीज है की इसका रोकथाम कर सके। अगर आपको मधुमेह है तो आँखों का नियमित जांच करवाते रहे हर तीन से चार महीनें। जिसमें दवाई डाल के आपके आंख के पर्दे का चेकअप बहुत जरूरी है। और ये होने के बाद अगर आपको कोई प्रारंभिक लक्षण है डायबिटीज के तो उसे गंभीर ले. और अपने ब्लड शुगर कंट्रोल में रखे. मधुमेह रेटिनोपैथी की प्रगति होने से बचाना एक मात्र उपाय है.
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