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रंग दृष्टिहीनता या कलर ब्लाइंडनेस (Color Blindness) आंखों से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है जिसमें रंगों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। कलर ब्लाइंडनेस टेस्ट उन लोगों के लिए किया जाता है, जो अलग-अलग रंगों को नहीं देख सकते। इसके लिए कोई व्यक्ति इशिहारा टेस्ट का इस्तेमाल कर सकता है। इशिहारा टेस्ट छवियों का एक सेट है, जो कलर ब्लाइंडनेस की जांच के सबसे आम और व्यापक तरीकों में शामिल किया जाता है। कलर ब्लाइंडनेस टेस्ट के प्रकार और प्रक्रिया को समझने से पहले कलर ब्लाइंडनेस की स्थिति को समझना ज़रूरी है।
कलर ब्लाइंडनेस को कलर विजन डेफिशियेंसी (Colour Vision Deficiency) भी कहते हैं। रंग दृष्टिहीनता ऐसी मेडिकल कंडीशन है, जिसमें परंपरागत रूप से रंगों को नहीं देख पाते। आमतौर पर यह फोटोरिसेप्टर (Photoreceptors) कहे जाने वाली कुछ कोशिकाओं के अभाव से होता है, जिन्हें आपकी आंखों में शंकु के रूप में भी जानते हैं। यही शंकु आपको इंद्रधनुष के सभी रंगों को देख पाने के लिए जिम्मेदार हैं। वर्णांधता यानि कलर विज़न डेफिशियेंसी में व्यक्ति इनमें से सभी रंग को नहीं देख सकता है। हम सभी अपने फोटोरिसेप्टर कार्यों के कामकाज की वजह से रंगों को अलग तरह से देखते हैं। ये कोशिकाएं प्रकाश की अलग तरंग दैर्ध्य (Wavelengths) पर प्रतिक्रिया करती हैं। मोतियाबिंद समेत उम्र से जुड़ी कुछ आंखों की बीमारियां आपकी बढ़ती उम्र के साथ रंग देखने का तरीका भी बदल सकता है।
रंग अंधापन के प्रकार के आधार पर कई लोगों में अलग-अलग लक्षण और संकेत हो सकते हैं। वंशानुगत वर्णान्धता यानि आपको पूर्वजों से आपको मिलने वाली स्थिति के मामले में आप जन्म से ही इसका अनुभव करेंगे, लेकिन कोई संकेत नहीं देख सकते, क्योंकि आपने रंगों को हमेशा एक ही तरह से देखा है। हालांकि अगर आपको किसी चोट या बीमारी की वजह से कलर ब्लाइंडनेस हुआ है, तो आप अचानक बदलाव या कलर ब्लाइंडनेस के लक्षण देख सकते हैं, जहां आप रंगों को पहचान सकते हैं। कुछ मामलों में यह लक्षण बहुत धीमी तगि से हो सकते हैं।
रंग दृष्टिहीनता/कलर विज़न की कमी का कारण हमारे जीन में बदलाव या म्यूटेशन है। कई मामलों में लोगों को जन्म से ही कलर ब्लाइंडनेस का अनुभव होता है। इसकी वजह उनकी आंखों में काम करने वाले शंकुओं का नहीं होना है, जो पूर्ण-रंगीन दृष्टि (Full-Color Vision) देने में मदद करते हैं।
कई लोग कलर ब्लाइंडनेस और ब्लाइंडनेस में भ्रमित रहते हैं। अंधापन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति दुनिया देखने की क्षमता पूरी तरह से खो देता है। कलर ब्लाइंडनेस भी एक तरह का अंधापन है, जिसमें व्यक्ति अलग-अलग रंग देखने में सक्षम नहीं होता है। रंगों के अलावा व्यक्ति लोगों, वस्तुओं को देखने के साथ अपने जीवन की दैनिक दिनचर्या को बिना किसी कठिनाई के कर सकता है।
रंगहीनता के मुख्यतः दो प्रकार होते हैंः
रंगहीनता के कई परीक्षणों के लिए डॉक्टर के पास जाने और नहीं जाने की ज़रूरत भी हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:
इशिहारा कलर टेस्ट (Ishihara Color Test): इस विधि को लाल-हरे रंग के अंधापन की जांच के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें कई रंगों और आकार के डॉट्स वाले वृत्तों या प्लेटों की एक श्रृंखला को देखना शामिल है। कई बिंदु आकार और एक या दो अंकों की संख्या बनाते हैं। अगर आपको लाल और हरे रंग के बिंदुओं को देखने में कठिनाई या उन्हें बिल्कुल भी देखने में असमर्थता का सामना करना पड़े, तो आपको लाल-हरे रंग का अंधापन हो सकता है।
एनोमलोस्कोप (Anomaloscope): इस विधि में एक ऐपिस और एक सर्कल के माध्यम से देखना शामिल है। सर्कल के ऊपरी आधे हिस्से में पीली और निचले हिस्से में लाल-हरी रोशनी होती है। यहां आपको नॉब्स को तब तक घुमाने की जरूरत है जब तक कि दोनों हिस्सों की चमक और रंग समान न हो जाए। कलर ब्लाइंडनेस टेस्ट के लिए इस विधि का उपयोग लाल और हरे रंग देखने में परेशानी की जांच के लिए किया जाता है।
कैम्ब्रिज कलर टेस्ट (Cambridge Color Test): यह कुछ हद तक इशिहारा टेस्ट के जैसा है। इसमें आपको कंप्यूटर स्क्रीन को देखने की ज़रूरत होती है। टेस्ट के दौरान स्क्रीन पर एक सी आकार बेतरतीब ढंग से पॉप अप होगा, जो पृष्ठभूमि के रंग से पूरी तरह अलग होगा। वर्णांधता के लक्षणों वाले व्यक्ति को स्क्रीन पर सी आकृति ढूंढना होगा और उसके मिलने पर उसे चार चाबियों में से एक को दबाना होगा।
फ़ार्न्सवर्थ-मुन्सेल 100 ह्यू टेस्ट (Farnsworth-Munsell 100 Hue Test): कलर ब्लाइंडनेस टेस्ट के लिए इस विधि में कई रंगों और एक ही रंग के ब्लॉक या खूंटे का इस्तेमाल किया जाता है। आपको उन ब्लॉकों या खूंटे को एक निश्चित तरीके से क्रम में लगाना होता है, ताकि आप जांच कर सकें कि क्या आप मामूली रंग बता सकते हैं। कई कंपनियां इस तकनीक का इस्तेमाल अपने कर्मचारियों को सही रंग दिखाने के लिए करती हैं।
फ़ार्न्सवर्थ लालटेन परीक्षण (Farnsworth Lantern Test): इस टेस्ट का इस्तेमाल अमेरिकी सेना यह जांचने के लिए करती है कि क्या रंगरूटों में रंग अंधापन के हल्के से गंभीर रूप हैं।
स्यूडोलसोक्रोमैटिक प्लेट (पाइप) कलर विजन टेस्ट (Pseudolsochromatic Plate (Pip) Color Vision Test): इस प्रकार के कलर ब्लाइंडनेस टेस्ट में 9 रंगीन (पीआईपी) प्लेट्स का उपयोग किया जाता है, जिसमें एक सर्कल में व्यवस्थित कई डॉट्स होते हैं। ये बिंदु आकार और रंग में अव्यवस्थित रूप से दिखाई देते हैं। डॉट्स का पैटर्न इसमें एक नंबर बनाता है, जिसे रेड-ग्रीन कलर ब्लाइंडनेस वाले लोगों के लिए देखना मुश्किल होगा।
लालटेन कलर ब्लाइंडनेस टेस्ट (Lantern Color Blindness Test): कलर ब्लाइंडनेस के लिए इस टेस्ट में रात में पर सिग्नल लाइट की पहचान करना शामिल है। इस टेस्ट में लाल, हरे और पीले रंग के साथ वर्टिकली ओरिएंटेड जोड़ी दिखाई जाती है।
हालांकि कलर ब्लाइंडनेस का आपकी रोजमर्रा की गतिविधियों जैसे ड्राइविंग, काम आदि पर असर नहीं पड़ता, लेकिन रंगों की पहचान करने की बात आने पर कलर ब्लाइंड आपके जीवन को मुश्किल बना सकता है। कई रंग अंधापन टेस्ट आपको अपने लक्षणों की पहचान करने और नेत्र रोग विशेषज्ञ से चिकित्सा उपचार लेने में मदद कर सकते हैं।
अपनी ऑंखों का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका है नेत्र देखभाल पेशेवर द्वारा आपकी ऑंखों की नियमित रूप से जांच। नेत्र देखभाल पेशेवर आपकी ऑंखों की बीमारी के इलाज के सर्वोत्तम तरीके का आंकलन करने में सक्षम होंगे।
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