आजकल लोग घर पर ही रहकर ऑनलाइन आँखों की जांच करवाना पसंद करते हैं। इस तरह के आई टेस्ट की किमत भी बहुत कम होती हैं, सिर्फ यही नही इस तरह ऑनलाइन की जांच करवाने से डॉक्टर के पास जाने का समय और पैसा दोनों बचता है। पर क्या आप और मैं इस तरह के आई टेस्ट पर भरोसा कर सकते हैं? ऑनलाइन की जाने वाली जांच का रिजल्ट क्या डॉक्टर द्वारा की गई जांच के रिजल्ट के जैसा ही होगा है?
ऐसे कई सवाल हैं, जो आपके मन में जरुर आते होंगे, परंतु सच्चाई तो ये है कि पैसे बचाने के लिए भले ही हम ऑनलाइन टेस्ट का सहारा ले लें, पर वास्तव में ऐसे टेस्ट में हमारे पैसे फिजुल में ही जा रहे हैं।
इस तरह की जांच सिर्फ ये बता सकती है कि आप दूर की और पास की चीज़ों को ठीक तरह से देख पा रहे हैं या नहीं। इसके अलावा यह जांच ग्लूकोमा, मोतियाबिंद या मैक्यूलर डिजनरेशन ( देखते वक्त धब्बों का दिखना) जैसी आँखों की बीमारी को नहीं पकड़ पाती है। इस तरह की जांचों के रिजल्ट को देखकर जो चश्में और कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल हम करते हैं।
वह आँखों की समस्याओं को और ज्यादा बढ़ा देते हैं, क्योंकि इन जांचों से आने वाले रिजल्ट पूरी तरह सही नहीं होते इसलिए बेहतर यही है कि आप अपनी आँखों का इलाज एक अच्छे जानकर डॉक्टर से ही करवाएं।
ऐसे कई सवाल हैं, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देते हैं।
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घर बैठे होने वाली ऑनलाइन आँखों की जांच (Online eye test) आप कहीं से भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको बस अपने गूगल में टाइप करना होता है ‘ONLINE EYE TEST’इसके बाद आपके पास टेस्ट के कई सारे ऑपशन आ जाते हैं, जिनमें से किसी एक को क्लिक करते ही आप टेस्ट कराने वाली साइट पर पहुंच जाते हैं। यहां आपके पास अलग-अलग टेस्ट कराने के विकल्प होते है, जिसे चुनने के बाद आपका आई टेस्ट शुरू हो जाता है। टेस्ट पूरा करते ही आपका रिजल्ट स्क्रीन पर दिखाई देने लगता है।
यह टेस्ट कुछ ही मिनटों में आपकी दृष्टि के स्वास्थ्य की जानकारी आपको दे देता है।
कम खर्चिली: आजकर ज़्यादातर लोग ऑनलाइन ही चश्में और कॉन्टैक्ट लेंस मंगवा रहे हैं। लेकिन यह तभी कारगर है,जब आप पहले ही डॉक्टर के पास जा चुके हों और आपके पास डॉक्टर द्वारा लिखा गया पर्चा हो। इस बात को मानने में कोई दोराय नहीं है कि ऑनलाइन जांच सिर्फ ये तय करता है कि तब से लेकर अब तक आपके चश्मों के नंबर में कोई बदलाव आया है या नहीं। साथ ही यह ऑनलाइन आई टेस्ट कई मायनों में किफायती भी है। एक्सपर्टस की माने तो आँखों की जांच (Online eye test) के लिए किसी प्रोफेशनल का ही सहारा लेना चाहिए, क्योंकि आँखों में होने वाली समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं। जिसकी जांच ऑनलाइन नहीं की जा सकती।
टेक्नॉलजीः टेक्नॉलजी जैसे-जैसे बेहतर हो रही है। वैसे -वैसे ऑनलाइन होने वाली आँखों की जांच (Online eye test) में सुधार आ रहा है। अब आप जांच के साथ डॉक्टरों से ऑनलाइन सलाह भी ले सकते हैं। जिससे आने-जाने में लगने वाली मेहनत की भी बचत होती हैं।
मेहनत की भी बचत: घर के आरामदायक माहौल में ये जांच मिनटों में पूरी हो जाती है। आपको डॉक्टर के पास जाने कि कोई ज़रूरत नहीं है, और न ही हॉस्पिटल की लंबी लाइनों में लगने की ज़रूरत है। घर बैठे होने वाली आँखों की ऑनलाइन जांच आपको इन सब परेशानियों से बचाता है।
चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के लिए इस ऑनलाइन टेस्ट पर भरोसा न करें। अगर आप ऐसा करते हैं, तो इससे आपके आँखों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
आँखों की कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनका पता ऑनलाइन टेस्ट द्वारा नहीं लगाया जा सकता। यदि सही समय पर इन बीमारियों इलाज ना करवाया जाए तो इन रोगों के असर से आपकी दृष्टि को अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। कुछ बीमारियां इस प्रकार हैंः
एएमडी (आयु से संबंधित मैक्यूलर डिजनरेशन या दृष्टि में काले धब्बों का दिखना)– यह आँख की एक बीमारी है, जो उम्र के साथ बदतर होती जाती है। यह रोग 60 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों के लिए अंधेपन का कारण भी बनता है।
यह रेटिना के एक छोटे से हिस्से पर होती है, जिसे मैक्यूला कहते हैं। रेटिना आँख के पीछे का वो हिस्सा है, जिसकी मदद से हम साफ-साफ देख पाते हैं। इससे अंधापन तो नहीं होता है, पर देखने में कई समस्याएं खड़ी हो सकती है। इसके लिए जानकारों द्वारा जांच कराना ज़रूरी है, क्योंकि इसके लिए आँखों के अंदरूनी भागों की जांच होती है। जो ऑनलाइन टेस्ट के ज़रिए मुमकिन नही है।
मोतियाबिंद– लेंस आंख का एक ज़रूरी और पारदर्शी (जिसके आर पार प्रकाश जा सकता है) भाग है। जो लाइट या इमेज को रेटिना पर फोकस करने में सहायता करता है। रेटिना की मदद से ही हम चीज़ों को साफ-साफ देख पाते हैं। सामान्य आंखों में, प्रकाश पारदर्शी लेंस से रेटिना पर इकट्ठा होता है और एक बार जब यह रेटिना पर पहुंच जाता है, तो प्रकाश नर्व सिग्नल्स में बदल जाते हैं, जो मस्तिष्क की ओर भेजे जाते हैं।
रेटिना चीज़ों की साफ तस्वीर प्राप्त करें, इसके लिए ज़रूरी है कि लेंस क्लियर हो। जब लेंस क्लाउडी (धुंधला) हो जाता है, तो प्रकाश लेंसों से सही तरीके से गुजर नहीं पाता। जिससे जो इमेज आप देखते हैं वो धुंधली हो जाती है। इसके कारण दृष्टि के बाधित होने को मोतियाबिंद या सफेद मोतिया कहते हैं। ऑनलाइन टेस्ट, ये तो बता सकता है कि आपकी दूर की नज़र या पास की नज़र कमज़ोर है, लेकिन आपको मोतियाबिंद है या उसके होने वाले कारणों का पता नहीं लगा सकता। इसके लिए डॉक्टरों से जांच करवाना ज़रूरी है। सही जांच न किए जाने पर आप हमेशा के लिए अपनी दृष्टि खो सकते हैं।
डायबिटिक रेटिनोपैथी–
यह डायबिटीज़ के कारण होता है। इसमें रोगी सालों से डायबिटिज का शिकार होता है। जिसका असर उसकी आँखों पर भी पड़ता है। डायबिटीज़ के कारण रेटिना के पास मौजूद खून की नसों को नुकसान पहुंचता है। जिसकी वजह से रोगी को धुंधला दिखना, दोहरा दिखना, रंगों की पहचान न कर पाना और रात में कम रोशनी में कम दिखना जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
इस रोग की जांच डॉक्टर द्वारा ही की जानी चाहिए। डॉक्टर कई उपकरणों की मदद से आँखों की पास से जांच करता है। साथ ही, डॉक्टर समस्या की जड़ तक पहुंचने के लिए विशेष टेस्ट भी लिख सकता है। ऑनलाइन किए जाने वाले टेस्ट आँँखों में मौजूद नसों की गड़बड़ी का पता नहीं लगा सकते। जिसकी वजह से रोगी को इलाज में देरी हो सकती है।
ग्लूकोमा–
ग्लूकोमा को काला मोतियाबिंद या काला मोतिया भी कहते हैं। काले मोतियाबिंद के अधिकतर मामलों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते ना ही दर्द होता है, इसलिए यह दृष्टि (vision) के खोने का मुख्य कारण बन सकता है। काले मोतिया में हमारी आंखों की ऑप्टिक नर्व पर दबाव पड़ता है, जिससे उन्हें काफी नुकसान पहुंचता है।अगर ऑप्टिक नर्व पर लगातार दबाव बढ़ता रहेगा तो वो नष्ट (destroy) भी हो सकती हैं। इस दबाव को इंट्रा ऑक्युलर प्रेशर कहते हैं। हमारी आंखों की ऑप्टिक नर्व ही सूचनाएं और किसी चीज की इमेज दिमाग तक पहुंचाती हैं।
यदि ऑप्टिक नर्व और आंखों के अन्य भागों पर पड़ने वाले दबाव को कम न किया जाए तो आंखों की रोशनी पूरी तरह जा सकती है। पूरे विश्व में ग्लूकोमा आँखों की रोशनी खोने का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है। ग्लूकोमा के कारण जब एक बार आँखों की रोशनी चली जाती है तो उसे दोबारा पाया नहीं जा सकता, इसलिए बहुत जरूरी है कि आंखों की थोड़े- थोड़े समय में किसी प्रोफेशनल से जांच करवाई जाए।
इस तरह की ऑनलाइन होने वाली जांच ग्लूकोमा की जांच में देरी कर सकती है। जिसकी वजह से आपकी आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है।
ऑनलाइन जांच से आने वाले गलत रिजल्टः- ऐसी ऑनलाइन जांच का गलत रिजल्ट आना आम बात है। कई बार देखने में समस्या होने के बावजूद भी, ये टेस्ट आपको नेगेटिव रिजल्ट देते हैं। जिसकी वजह से रोगी को लगता है कि उसे किसी भी तरह की आँखों की परेशानी नहीं है। इस तरह एक रोगी अपनी आंखों की परेशानियों को नज़अंदाज़ कर देता है। यही परेशानियां बाद में गंभीर रूप ले लेती हैं और इसके बाद रोगी की देखने की शक्ति कम होने लगती है,सिर्फ यही नहीं कई मामलों में रोगी की खोई हुए दृष्टि वापस लाना नामुमकिन भी हो जाता है।
डॉक्टर द्वारा की गई जांच के मुकाबले मुख्य कमियों का छुट जानाः– जब डॉक्टर आपकी आँखों की जांच करता है, तो वो हर हिस्से की बारीकी से देखता है। वह आँखों में होने वाली बीमारी की जांच हेतु उपलब्ध उपकरणों का इस्तेमाल करता है। संतुष्ट न होने पर बार- बार जांच करता रहता है। जिसकी वजह से सही तरीके में आप पता लगा पाते हैं कि आपकी आँखों के साथ दिक्कत क्या है? लेकिन ऑनलाइन टेस्ट में ऐसा नहीं होता है। उसके पास आँखों की जांच करने के लिए गिन-चुनें टेस्ट रहते हैं।
जो आँखों की सभी प्रकार की समस्याओं का पता लगाने में असमर्थ होते हैं। बहुत से कारक हैं जिसकी वजह से ऑनलाइन किए जाने वाले आँखों के रिजल्ट गलत हो सकते हैं।
घर में खुद से आँखों की जांच कैसे करेंः– घर बैठे आँखों की जांच खुद करना भी डॉक्टरी जांच से बेहतर ऑप्शन नहीं बन सकता। इससे आप बस यह पता लगा सकते हैं कि आपकी पास और दूर दृष्टि ठीक है या नहीं, लेकिन शुरूआती लक्षणों का पता लगाने से घरेलू इलाजों से भी आराम मिल सकता है। ऑनलाइन टेस्ट का फायदा आपको तभी मिलेगा, जब आप ऑनलाइन टेस्ट देने वाली कंपनी की बुनियादी सेवाओं को जानते हों। आइयें जानते है कुछ स्टेज जिनकी मदद से आप बच्चों (3 वर्ष से कम), बड़े बच्चों और वयस्कों की दृष्टि की जांच कर सकते हैं।
बच्चों की आँखों की जांच करने का सबसे आसान तरीका है कि उनसे अक्षरों की दिशा पूछी जाए। इसके लिए आप ‘E’ अक्षर वाला कार्ड इस्तेमाल कर सकते हैं। जिसे बारी-बारी से आपको हर दिशा ( पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण ) में घूमाना है। बच्चे से पूछना है कि ‘E’ का मुंह किसी दिशा की ओर है।
अगर आपका बच्चा चश्मा पहनता है, तो टेस्ट के दौरान उसे चश्मा पहनने के लिए कहें। टेस्ट तब तक जारी रखें, जबतक वह सबसे छोटे अक्षर तक न पहुंच जाएं। टेस्ट के दौरान ध्यान रखें कि बच्चे की एक आँख ढकी रहें और किसी भी प्रकार की चिटिंग न हो। इस प्रक्रिया को दूसरी आँख के साथ भी दोहराएं।
बच्चे/ वयस्क को चार्ट से लगभग 10 फीट दूर बैठाएं। चार्ट को आँखों की बराबरी में रखें। एक- एक करके हर एक लाइन पर टॉर्च की मदद से रोशनी डालें और उन्हें ज़ोर-ज़ोर से पढ़ने के लिए कहें। तब तक पढ़ने के लिए कहें, जब तक उन्हें पढ़ने में दिक्कत नहीं आती या वो आख़िरी लाइन तक नहीं पहुंच जाते। दो बातों का ध्यान रखें कि एक आँख अच्छे से ढकी हुई हो और चार्ट सही ऊंचाई पर लगा हुआ हो।
ज़्यादातर 3 साल से कम उम्र के बच्चे 40 में से 20 लाइन पढ़ पाने में सफल होंगे और बड़े बच्चे या वयस्क 30 मे से 20 लाइन, लेकिन टेस्ट का रिजल्ट हर दिन अलग हो सकता है, इसलिए ज़रूरी है कि थोड़े- थोड़े दिन में टेस्ट करते रहें। अगर आपको लग रहा है कि एक लाइन एक आँख से देखने में दिक्कत आ रही है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
ये तो हमें मानना ही होगा कि कोरोनाकाल में ऑनलाइन होने वाली आँखों की जांच एक आरामदायक सुविधा है। न घर से निकलना, न कहीं जाना और न किसी इंसान से मिलना जुलना। पर हमें याद रखना चाहिए कि ऑनलाइन होने वाली आँखों की जांच, कभी भी डॉक्टर द्वारा की गई जाँच की बराबरी नहीं कर सकती।
ऑनलाइन होने वाली जांच कमज़ोर नज़र के अलावा किसी भी प्रकार की दूसरी बीमारियों का पता नहीं लगा सकती।यदि आप ऐसे किसी भी लक्षण या समस्या का अनुभव करते हैं, तो तुरंत एक आंखों के डॉक्टर के पास जाएँ। अगर आप दिल्ली में एक अच्छे नेत्र अस्पताल की तलाश में हैं, चाहे वह मोतियाबिंद सर्जरी करानी हो या आंखों के अन्य उपचार, तो EyeMantra के साथ संपर्क करें। हम रेटिना सर्जरी, मोतियाबिंद सर्जरी, चश्मा हटाने आदि कई सेवाएँ प्रदान करते हैं। अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए +91-9711118331 पर कॉल करें या eyemantra1@gmail.com पर ईमेल करें।