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भेंगापन क्या है? Squint Kya Hai?
भेंगापन एक आंख की स्थिति है, जिसे स्क्विंट और स्ट्रैबिस्मस के नाम से भी जाना जाता है। भेंगापन वाले व्यक्ति की दोनों आंखें एक समय और एक ही दिशा में संरेखित करने में असमर्थ होती हैं। इसका मतलब है कि जब आपकी एक आंख एक दिशा में देख रही होती है, तो उस दौरान आपकी दूसरी आंख अलग बिंदु पर केंद्रित होती है। ऐसा बार-बार या कुछ वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करते समय हो सकता है। आमतौर पर भेंगापन का मुख्य कारण आंखों की मांसपेशियों का एकसाथ काम नहीं करना माना जाता है। यह मांसपेशियां आंख की गति और आंखों की रोशनी को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होती हैं, जिन्हें एक्स्ट्राऑकुलर मांसपेशियां कहते हैं। एक्स्ट्राऑकुलर मांसपेशियां आंख की गति को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं हैं, जिसकी वजह से किसी व्यक्ति की दोनों आंखें एक समय में एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ होती हैं। आमतौर पर भेंगेपन की बीमारी का इलाज भेंगापन सर्जरी से किया जाता है, लेकिन कई बार भेंगापन सर्जरी फायदेमंद न होकर नुकसानदायक साबित होती है। इस लेख में हम आपको भेंगापन सर्जरी से होने वाले इन्हीं नुकसानों के बारे में बताएंगे।
भेंगापन सर्जरी के क्या नुकसान हैं?
हर सर्जिकल ऑपरेशन में किसी न किसी तरह का जोखिम शामिल होता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ भेंगापन सर्जरी बहुत विकसित हो गई है, लेकिन अगर आप भेंगापन सर्जरी के नुकसान के बारे में सोचते हैं, तो अन्य सर्जरी की तरह भेंगापन सर्जरी की कुछ सीमाएं और नुकसान हैं।
भेंगापन सर्जरी के फायदे
भेंगापन सर्जरी के कई ज़रूरी फायदे हैं और आपकी परिधीय दृष्टि का बढ़ना इन्हीं फायदों में से एक है। भेंगापन सर्जरी के बाद मरीजों के अपीयरेंस में सुधार होता है, क्योंकि यह मरीजों की आंखों को सीधा नहीं दिखने देती। इससे आपकी आंखें ऊपर की तरफ, नीचे, दाएं या बाएं मुड़ी हुई दिखती हैं। इसके अलावा भेंगापन सर्जरी कभी-कभी गहराई की धारणा में भी सुधार करती है।
भेंगापन सर्जरी के दुष्प्रभाव – Squint Surgery Side Effects
हर सर्जरी या ऑपरेशन में सर्जरी के दौरान या सर्जरी के बाद कुछ जोखिम और जटिलताएं शामिल होती हैं। हालांकि, भेंगेपन के 1000 मामलों में 2 या 3 मामले ही ऐसे होते हैं, जिसमें मरीज गंभीर समस्याओं का सामना करते हैं। भेंगापन सर्जरी के कुछ नुकसान इस प्रकार हैं:
- कुछ मामलों में भेंगापन पूरी तरह से ठीक नहीं होता है, जिसमें पूरी तरह से सुधार करने लिये भेंगापन सर्जरी के बाद मरीज को अन्य सर्जरी की ज़रूरत हो सकती है। यह तब बहुत ज़्यादा सामान्य है, जब मरीजों में गंभीर भेंगापन का निदान किया जाता है।
- कई मामलों में सर्जिकल ऑपरेशन के बाद भी भेंगापन पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में दोहरी दृष्टि की समस्या को सुधारने के लिए कई बार नेत्र रोग विशेषज्ञ आपको खास तरह का चश्मा पहनने की सलाह दे सकते हैं।
- किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से आपकी आंखों में मवाद (फोड़ा) या तरल पदार्थ (सिस्ट) बनता है, जिसे निकालने के लिए आपको एंटीबायोटिक उपचार या किसी अन्य प्रक्रिया की ज़रूरत होती है।
- सर्जरी के दौरान कई मांसपेशियां बाहर निकल जाती हैं और सर्जन द्वारा छूट जाती हैं। इस स्थिति में मांसपेशियों में सुधार करने के लिए एक अन्य सर्जरी की ज़रूरत होती है।
- इसकी वजह से आंखों में एक छोटा सा छेद हो जाता है, क्योंकि सर्जरी के दौरान आंख की मांसपेशियों को सिलना पड़ता है।
- दृष्टि की हानि, भेंगापन सर्जरी से होने वाले सबसे खतरनाक और गंभीर नुकसानों में से एक है। हालांकि, यह स्थिति बहुत दुर्लभ है।
- अगर बात करें उम्र की, तो भेंगापन की सर्जरी किसी भी उम्र में की जा सकती है। इस स्थिति में जल्द से जल्द सर्जरी करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि कम उम्र में दोनों आंखों के एक साथ काम करने की क्षमता बहाल करने की संभावना ज़्यादा होती है, जबकि परिपक्व भेंगापन में यह संभावना कम होती है।
भेंगापन सर्जरी को प्रणाली की जटिलता से गुजरना पड़ता है, जो जटिलताओं के सिर्फ एक हिस्से में सुधार कर सकती है। इसके अलावा, भेंगापन के कुछ प्रकार दूसरों से बेहतर प्रतिक्रिया देते हैं, जबकि कुछ समस्याओं को सर्जरी से ठीक नहीं किया जा सकता है। हर मरीज को डॉक्टर द्वारा उनकी स्थिति के लिए सामान्यताओं के आवेदन पर स्पष्टीकरण दिया जाता है।
भेंगापन सर्जरी का जोखिम – Squint Surgery Risk
भेंगापन (स्ट्रैबिस्मस) की समस्या बच्चों में सबसे ज़्यादा आम है। हालांकि, भेंगापन का प्रभाव अक्सर वयस्कों में भी देखा जाता है। अगर आंकड़ों पर नज़र डालें, तो साल 2011 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी के मुताबिक, भारतीय आबादी के 4 प्रतिशत से 6 प्रतिशत लोग आंखों में भेंगापन की समस्या प्रभावित हैं। हालांकि, अब 93 प्रतिशत मामलों में आंखों की इस समस्या का इलाज किया जा सकता है, जिसके लिए ढेर सारे नए तरीकों की मदद संभव है। अगर वैकल्पिक उपचार से भेंगापन की स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो इलाज के लिए सर्जरी को आखिरी विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
भेंगापन की समसया ज़्यादातर बच्चों में देखी जाती है, इसलिए सर्जरी का फैसला लेने से पहले उनकी सुरक्षा की गारंटी देना ज़रूरी है। भेंगापन सर्जरी से जुड़े कुछ जोखिम इस प्रकार हैं:
1. भेंगापन की डिग्री के आधार पर मरीज को भेंगापन सुधार की ज़रूरत हो सकती है।
2. भेंगापन की समस्या दोबारा हो सकती है, जिसके लिए ऑपरेशन में आंख की मांसपेशियों को दोबारा से उनकी जगह पर लगाया जाता है।
3. कुछ मामलों में मरीज को दोहरी दृष्टि (डबल विजन) का सामना करना पड़ सकता है। यह सामान्य हो जाता है, क्योंकि आंखें एक ही समय में दोनों आंखों से देखने के लिए अभ्यस्त हो जाती हैं।
4. ऑपरेशन वाली आंख में लंबे समय तक लालपन हो सकता है, जो आंख की सतह पर स्कार टिश्यू के विकास के कारण होता है। इससे आंखों की रोशनी धुंधली और खराब हो जाती है, जिसे चिकित्सकीय रूप से ठीक किया जा सकता है।
5. गहरे टांके कभी-कभी आंख के अंदरूनी हिस्से को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा आंख के सफेद हिस्से में छोटा सा छेद हो सकता है, जिसका इलाज आगे लेजर विधि से किया जाता है।
6. भेंगापन ठीक करने के लिए आंख की मांसपेशियां आगे या पीछे स्थानांतरित करके आंख की स्थिति को सुधारा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान या बाद में यह आंख की मांसपेशी फिसल सकती है, जिससे आंख अंदर या बाहर की तरफ मुड़ जाती है। इसकी वजह से आंख की गति झटकेदार होती है और समय रहते इलाज नहीं किये जाने से स्थिति ज़्यादा गंभीर हो सकती है।
7. कुछ मामलों में ऑपरेशन वाली आंख संक्रमित हो सकती है, जिसके इलाज के लिए डॉक्टर आई ड्रॉप इस्तेमाल करने का सुझाव देते हैं। ऐसी कोई भी समस्या होने पर मरीज को जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हालांकि, मरीजों के लिए बताई गई समस्याओं को याद रखना ज़रूरी है, क्योंकि इन समस्याओं मामले बहुत कम, लेकिन दुर्लभ होते हैं।
भेंगापन सर्जरी की जटिलताएं – Squint Surgery Complications
सभी ऑपरेशनों में जटिलताओं की संभावना शामिल होती है, जिससे बचने का कोई तरीका नहीं है। स्ट्रैबिस्मस सर्जरी और भेंगापन सर्जरी मिलती जुलती हैं, जिनकी मदद से सर्जरी से पहले या बाद की किसी संभावित समस्या के जोखिम को कम किया जा सकता है। इसके लिए हर समय सर्जरी के नियमों का पालन करना ज़रूरी है। इसके अलावा किसी भी प्रकार की जटिलता का पता लगाने और सर्वोत्तम नतीजे के लिए इसे उचित तरीके से संभालना ज़रूरी है।
प्लिका सेमिलूनर कंजक्टिवा की अनजाने में प्रगति
आमतौर पर प्लिका सेमिलूनर कंजक्टिवा की अनजाने में हुई प्रग्रति को सिर्फ प्लिका भी कहा जाता है, जो प्लिका के किनारे से सटे कंजक्टिवा के टांके की वजह से होती है। अक्सर लिम्बल चीरे का इस्तेमाल करके स्ट्रैबिस्मस सर्जरी के बाद यह जटिलता हो सकती है। स्टैंडर्ड मानक लिम्बल सर्जरी के दौरान लिम्बल कंजक्टिवल फ्लैप का अगला भाग प्लिका के नीचे मुड़ जाता है। ऑपरेशन पूरा होने के बाद सर्जन कंजक्टिवल फ्लैप के सामने की सीमाओं का पता लगाते हैं। इसके अलावा हो सकता है कि सर्जरी के दौरान प्लिका हाइड्रेटेड हो और सूज गया हो। इससे सर्जन को लगता है कि उसने कंजक्टिवल फ्लैप के पूर्वकाल कोनों को पकड़ लिया है, जबकि असल में कई बार प्लिका के मार्जिन को गलती से पकड़ लिया जाता है।
कीमोसिस
सभी व्यक्तियों में स्ट्रैबिस्मस सर्जरी के बाद कीमोसिस आम है, हालांकि कुछ मामलों में यह गंभीर हो सकती है। पारंपरिक स्ट्रैबिस्मस सर्जरी के बाद गंभीर कीमोसिस असामान्य है, जो हाइड्रोलिक डिसेक्शन कंजक्टिवल फोर्निक्स के सस्पेंसरी अटैचमेंट को नुकसान पहुंचा सकती है। कंजक्टिवा के लंबे समय तक आगे निकलने के कारण सिलवटें आपस में मिल सकती हैं, जिससे सर्जरी की ज़रूरत हो सकती है।
पायोजेनिक ग्रेन्युलोमा
पायोजेनिक ग्रेन्युलोमा एक गुदगुदा लाल ट्यूमर है, जो तेजी से बढ़ता है। सर्जरी के साथ प्रियर ट्रॉमा के लिए एक प्रोलिफेरेटिव फाइब्रोवास्कुलर प्रतिक्रिया इस घाव का मुख्य कारण है। ज़्यादातर मामलों में यह घाव अपने आप ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कई सर्जन इसके लिए टॉपिकल स्टेरॉयड का सुझाव देते हैं।
निकली/खुली हुई टेनन पट्टी
स्ट्रैबिस्मस सर्जरी के बाद टेनन की पट्टी बाहर निकल सकती है या कंजक्टिवल चीरा की वजह से खुल सकती है। सर्जरी के बाद कंजक्टिवल चीरे के मार्जिन में ठीक तरीके से टांके लगाकर इस समस्या को रोका जा सकता है।
एपिथेलियल इंक्लूजन सिस्ट
स्ट्रैबिस्मस सर्जरी की जटिलता के तौर पर सबकंजक्टिवल एपिथेलियल इंक्लूजन सिस्ट असामान्य हैं। यह सर्जिकल एरिया में कहीं भी दिखाई दे सकते हैं, लेकिन यह कंजक्टिवल चीरों या स्क्लेरा में एक नई मांसपेशी के आसपास ज़्यादा फैले होते हैं। कंजक्टिवल एपिथेलियल कोशिकाओं को मूल प्रोप्रिया या स्क्लेरा में डालने से इन्हें अल्सर का कारण माना जाता है।
फिसलती, खोई और खिंची हुई मांसपेशियां
फिसलती हुई मांसपेशी
फिसलती हुई मांसपेशी (स्लिपिंग मसल) एक डिस्सर्टेड रेक्टस मांसपेशी है, जो ग्लोब से रीटैचमेंट के बाद अपने मसल कैप्सूल के अंदर पीछे हट जाती है। जबकि खाली कैप्सूल नई सम्मिलित जगह पर स्क्लेरा से जुड़ा रहता है। इसके लिए एक फिसलती हुई मांसपेशी को एक खोई हुई मांसपेशी से अलग किया जाना चाहिए, जिसमें स्क्लेरा से जुड़े कैप्सूल सहित मांसपेशी का कोई हिस्सा नहीं होता है।
खोई हुई रेक्टस मांसपेशी
जब एक एक्स्ट्राऑकुलर मांसपेशी टूट जाती है, तो फिसलती हुई पेशी के अलावा मस्कुलर टेंडन और ग्लोब के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता है। मसल और उसके कैप्सूल दोनों पीछे की तरफ कक्षा में वापस आ जाते हैं। फिसलती हुई मांसपेशी में मामूली डक्शन कमी के विपरीत एक कोई हुई मसल वाला मरीज में स्ट्रैबिस्मस अक्सर गंभीर होता है और सर्जरी के घंटों या दिनों में एक साथ बड़ी डक्शन की कमी होती है।
खिंचाव के निशान का सिंड्रोम
स्ट्रैबिस्मस सर्जरी के बाद खिंचाव के निशान वाले मरीज़ स्लिपिंग मसल वाले मरीज़ों की तरह दिखाई दे सकते हैं। हालांकि, एक फिसलती हुई मांसपेशी में ज़्यादा सुधार आमतौर पर सर्जरी के तुरंत बाद होता है। जबकि, खिंचाव के निशान वाले सिंड्रोम में ज़्यादा सुधार कई महीनों के बाद होता है। स्क्लेरल अटैचमेंट पॉइंट से मस्कुलर टेंडन को अलग करने वाला बिना आकार का स्कार टिश्यू आमतौर पर दोबारा ऑपरेशन के बाद देखा जाता है। बार-बार होने वाले विचलन को सर्जरी के बाद निशान लंबा होने के कारण माना जाता है।
भेंगापन के लिए व्यायाम – Squint Ke Liye Exercise
भेंगापन के लिए निम्नलिखित व्यायाम हैः
पेंसिल पुश-अप्स
पेंसिल पुश-अप्स भेंगापन को सुधारने वाले सबसे प्रभावी व्यायामों में से एक है। यह आपकी दोनों आंखों को एक निश्चित बिंदु पर लाकर आपकी ऑकुलर प्रोग्रेस को सुधारता है। पेंसिल पुश-अप्स की प्रक्रिया के लिए अपने से दूर इशारा करते हुए एक पेंसिल को हाथ की लंबाई में पकड़ें। अपनी साइट को इरेज़र या किनारे पर लिखे ऑरोन अंक पर केंद्रित करें। इसके बाद पेंसिल को धीरे-धीरे नाक के ब्रिज की तरफ ले जाएं। इस प्रक्रिया को आपको बहुत धीरे-धीरे दोहराना चाहिए। ऐसा बार-बार दोहराते हुए ध्यान केंद्रित करें और उस बिंदु पर रुकें जब आपकी दृष्टि धुंधली न हो जाए।
ब्रोक स्ट्रिंग
तीन अलग-अलग रंग के मोतियों के साथ 5 फीट लंबी डोरी लें। डोरी के एक किनारे को एक निश्चित बिंदु पर पकड़ें और रेलिंग के लिए कुर्सी का इस्तेमाल करें। मोतियों के बीच बराबर जगह बनाते हुए डोरी के दूसरे किनारे को अपनी नाक से मजबूती से पकड़ें। आपको उस पर तक तब फोकस करना चाहिए, जब तक आप अपना ध्यान बीट से बीट पर स्थानांतरित कर रहे हों। जिस बिड पर आप ध्यान केंद्रित कर रहे हैं वह दो समान डोरी के अभिसरण पर अपने आप ही दिखाई देगी, जिसमें जबल “एक्स” बने होंगे। अगर आपको बिड के सामने या बिड के पीछे तार पार करती हुए देखाई देती हैं, तो इसका मतलब है कि आपकी आंखें मोतियों पर ठीक से ध्यान केंद्रित नहीं हैं। ऐसे में आपको यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि आपको सभी मोतियों पर “एक्स” दिखाई दे, सिर्फ एक को छोड़कर जो कि “वी” में आपके सामने आने वाले दो तार होंगे।
बैरल कार्ड
एक्सोट्रोपिया में यह एक्सरसाइज से बहुत प्रभावी है। इसके लिए आपको कार्ड के एक तरफ पिछले वाले की तुलना में बढ़ी हुई लंबाई के 3 लाल बैरल खींचने की जरूरत है। दूसरी तरफ हरे रंग के साथ इस बार भी यही दोहराएं और कार्ड को लंबाई में पकड़ें। यह आपके सामने इस तरह से आना चाहिए कि सबसे बड़ा बैरल सबसे बड़ी दूरी पर हो। इसके बाद उस बैरल को देखें, जो आपसे सबसे दूर है। इसे तब तक घूरते रहें जब तक कि दोनों रंगों के साथ 1 छवि न बन जाए और बैरल की अन्य दो छवियां दोगुनी न हो जाएं। लगभग 5 सेकंड तक ध्यान केंद्रित करते हुए देखते रहें। इसके बाद बीच की और सबसे छोटी बैरल छवियों के साथ भी ऐसा ही दोहराएं।
आई मंत्रा – Eye Mantra
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