भेंगापन (स्क्विंट/स्ट्रैबिस्मस): लक्षण, कारण और उपचार – Bhengapan (Squint/Strabismus): Lakshan, Karan Aur Upchar

overview of Squint

भेंगापन/स्क्विंट क्या है? Bhengapan/Squint Kya Hai?

भेंगेपन को स्क्विंट (Squint) या स्ट्रैबिस्मस (Strabismus) भी कहते हैं। इस स्थिति में दोनों आंखें ठीक से एक साथ देखने में असमर्थ होती हैं यानि एक आंख अंदर, ऊपर, नीचे या बाहर की तरफ मुड़ती है, जबकि दूसरी एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करती है। ऐसा हर बार या नियमित अंतराल पर भी हो सकता है। इसका कारण आंख और पलक की गति को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियां, जिसे एक्स्ट्राओकुलर मांसपेशियां भी कहा जाता है, का एक साथ काम नहीं करना है।

इसका नतीजा यह होता है कि दोनों आंखें एक ही समय में एक ही स्थान पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाती हैं। यह एक दिमागी विकार का कारण भी हो सकता है, जिसका मतलब आंखों का सही ढंग से समन्वय नहीं कर पाना होता है। स्ट्रैबिस्मस भी बाइनोक्युलर विज़न को कठिन बना देता है, जिसकी वजह से व्यक्ति के लिए गहराई की धारणा को पहचानने में कठिनाई होती है।

जन्म के बाद शारीरिक विकास के दौरान आनुवंशिकता या समस्याओं की वजह से स्ट्रैबिस्मस अक्सर शिशुओं और बच्चों को प्रभावित करता है। बच्चों में ऐसे ज्यादातर मामले दिमाग, मांसपेशियों और आंख की नसों के बीच खराब संचार का कारण बनते हैं। हालांकि स्ट्रोक, सिर में लगी चोट या डायबिटीज़ से पीड़ित वयस्क भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। अगर इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो इससे दोहरी दृष्टि, गहराई की धारणा की कमी और दृष्टि हानि भी हो सकती है।

भेंगेपन के लक्षण – Squint/Strabismus Ke Lakshan 

Symptoms of Strabismus

भेंगेपन वाले वयस्क निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं:

  • आँख में थकान 
  • दोहरी दृष्टि
  • ओवरलैप या धुंधली छवियां
  • आंखों के चारों तरफ खींचाव
  • पढ़ने में कठिनाई
  • गहराई की धारणा का नुकसान
  • संवाद या दोनों आँखों से लोगों को देखते वक्त सीधे संपर्क न कर पाना।

ठीक से ध्यान केंद्रित नहीं कर पाने की समस्या को ठीक करने के लिए भेंगेपन वाले कई वयस्कों को ध्यान केंद्रित करते वक्त सिर को झुकाना या मोड़ना पड़ता है। इसके अलावा लोगों को देखते वक्त दोनों आंखों से सीधा संपर्क करने में भी उन्हें काफी दिक्कत होती है। ऐसी सामाजिक परिस्थितियों से उनका आत्मविश्वास कम हो सकता है। इन लक्षणों का रोजगार और सामाजिक अवसरों पर नकारात्मक असर हो सकता है। 

भेंगेपन के कारण – Squint/Strabismus Ke Karan 

ज्यादातर वयस्कों में बचपन से ही भेंगेपन की समस्या पाई जाती है। हालांकि वयस्कता में भी चिकित्सकीय समस्याओं की वजह से स्ट्रैबिस्मस की शुरूआत हो सकती है। ज़्यादातर स्क्विंट आंखों की गति न्यूरोमस्कुलर नियंत्रण की खराबी का नतीजा है। कभी-कभी इसका कारण वास्तविक आंख की मांसपेशी में समस्या होती है, जबकि कई मामलों में भेंगापन पहले से ही होता है और स्ट्रैबिस्मस वाले लगभग तीस प्रतिशत बच्चों के परिवार में एक जैसी समस्या वाले सदस्य होते हैं।

भेंगेपन से जुड़ी अन्य समस्याएं हैं:

  • अपवर्तित अपवर्तक त्रुटियां
  • एक आंख में खराब दृष्टि
  • मस्तिष्क पक्षाघात
  • डाउन सिंड्रोम (इनमें से 20 से 60 प्रतिशत मरीज़ प्रभावित होते हैं)
  • हाइड्रोसिफ़लस (एक जन्मजात बीमारी है जिसकी वजह से दिमाग में द्रव बनने लगता है)।
  • ब्रेन ट्यूमर 
  • स्ट्रोक (वयस्कों में भेंगेपन का मुख्य कारण) 
  • सिर की चोटें जो आंखों की गति के नियंत्रण के लिए जिम्मेदार दिमागी क्षेत्र, आंखों की गति को नियंत्रित करने वाली नसों और आंखों की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
  • न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका प्रणाली) समस्याएं
  • ग्रेव्स डिजीज़ (थायरॉयड हार्मोन का ज़्यादा बनना)

भेंगेपन के प्रकार – Squint/Strabismus Ke Prakar 

भेंगेपन या स्ट्रैबिस्मस के दो रूप सबसे आम हैं:

  • अकोमोडेटिव एसोट्रोपिया (Accommodative Esotropia): यह अक्सर दूरदर्शिता या फॉरसाइटेडनेस को ठीक नहीं किये जाने या परिवार में पहले किसी को यह समस्या होने की वजह से भी होता है। ध्यान केंद्रित करने की क्षमता उस जगह से जुड़ी होती है, जहां आंखें इशारा कर रही होती हैं। इसके कारण दूर की वस्तुओं पर स्पष्ट फोकस करने के लिये ज़्यादा ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत होती है, जिससे आंखें अंदर की तरफ मुड़ सकती हैं। ऐसी स्थितियों के लक्षणों में दोहरी दृष्टि, पास की कोई चीज देखने पर एक आंख को बंद करना या ढंकना और सिर को झुकाना या मोड़ना शामिल है। ऐसे स्ट्रैबिस्मस की शुरुआत आमतौर पर जीवन के पहले कुछ सालों में होती है। हांलाकि इसका इलाज चश्मे से किया जाता है, लेकिन इसके लिए एक या दोनों आंखों की मांसपेशियों पर आई पैचिंग या सर्जरी की ज़रूरत भी पड़ सकती है।
  • इंटरमिटेंट एक्सोट्रोपिया (Intermittent Exotropia): ऐसे स्ट्रैबिस्मस में एक आंख लक्ष्य पर एकाग्र हो जाती है, जबकि दूसरी आंख बाहर की तरफ इशारा करती है। आमतौर पर दोहरी दृष्टि, सिरदर्द, पढ़ने में कठिनाई, आंखों में खिंचाव और दूर की वस्तुएं देखते वक्त या तेज रोशनी में एक आंख बंद करने को इसके लक्षणों के तौर देखा जाता है। इसके अलावा मरीजों में कोई लक्षण नहीं हो सकता है, जबकि ओकुलर विचलन या अंतर दूसरों को दिखाई दे सकता है। इंटरमिटेंट एक्सोट्रोपिया किसी भी उम्र में हो सकता है, जिसके उपचार में चश्मा, पैचिंग, आंखों की एक्सरसाइज़ और एक या दोनों आंखों की मांसपेशियों की सर्जरी शामिल हो सकती है। 

भेंगेपन की कैटेगरी 

भेंगेपन की अलग-अलग कैटेगरी इस प्रकार हैं-

  • हाइपरट्रोपिया (Hypertropia)- हाइपरट्रोपिया आंखों के गलत संरेखण की स्थिति है, जिसमें एक आंख का ऑप्टिकल एक्सिस दूसरी आंख को ठीक करने वाली आंख से ज़्यादा होता है। डिसएसोशिएट वर्टिकल डेविएशन एक तरह का हाइपरट्रोपिया है, जो आमतौर पर मरीज़ के बेपरवाह होने पर एक या दोनों आंखों के ऊपर की तरफ कम गति से बहाव की तरफ जाता है। 
  • हाइपोट्रोपिया (Hypotropia)- इस स्थिति में फोकस आंख पर होता है और ऑप्टिकल एक्सिस दूसरे फिक्सिंग आंख से कम होता है। 
  • एसोट्रोपिया (Esotropia)- यह स्ट्रैबिस्मस का एक रूप है, जिसमें एक या कभी-कभी दोनों आंखें अंदर की तरफ मुड़ जाती हैं। यह स्थिति पूरे समय मौजूद या नियमित अंतराल पर हो सकती है और प्रभावित व्यक्ति को ‘क्रॉस-आइड’ रूप दे सकती है।
  • एक्सोट्रोपिया (Exotropia)- इसमें एक या दोनों आंखें बाहर की तरफ मुड़ जाती हैं। एक्सोट्रोपिया समय-समय पर या स्थिर भी हो सकता है और हर आयु वर्ग को हो सकता है। 

भेंगेपन का उपचार – Squint/Strabismus Ka Upchar

उपचार के विकल्पों में कई तरीके शामिल हैं, जैसे-

  • चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस (Glasses or Contact Lenses): इनका इस्तेमाल बिना सुधार की अपवर्तक त्रुटियों (Refractive Errors) वाले लोग करते हैं। उपचारात्मक लेंस के साथ आंखों को ध्यान केंद्रित करने में ज़्याजा कोशिश नहीं करनी पड़ती और यह सीधे रह सकते हैं।
  • प्रिज्म लेंस (Prism Lens): यह एक खास तरह के लेंस हैं, जो प्रकाश को मोड़ने और आंख में प्रवेश करने में मदद करते हैं। इसके अलावा यह वस्तुओं को देखने के लिए आंख को मोड़ने की मात्रा को कम करने में मदद भी करते हैं।
  • ऑर्थोप्टिक्स (आंखों की एक्सरसाइज़) Orthoptics (Eye Exercises): कुछ प्रकार के स्ट्रैबिस्मस खासतौर से एक्सोट्रोपिया के रूप अभिसरण अपर्याप्तता (Convergence Insufficiency) पर काम कर सकता है। 
  • दवाएं (Medications): आई ड्रॉप या ऑइंटमेंट के अलावा बोटुलिनम टोक्सिन टाइप ए (जैसे बोटॉक्स) के इंजेक्शन एक अति सक्रिय आंख की मांसपेशियों को कमजोर कर सकते हैं। मरीज़ की स्थिति के आधार पर इन उपचारों का इस्तेमाल सर्जरी के साथ या सर्जरी के विकल्प के तौर पर किया जा सकता है।
  • पैचिंग (Patching): एम्ब्लियोपिया (आलसी आंख) के इलाज में पैचिंग का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब मरीज़ एक ही समय में एम्बियोपिया और स्ट्रैबिस्मस दोनों से पीड़ित हो। इसके साथ ही दृष्टि में सुधार भी आंख के गलत संरेखण को नियंत्रित कर सकता है। 
  • आंखों की मांसपेशियों की सर्जरी (Eye Muscle Surgery): यह सर्जरी आंखों की मांसपेशियों की लंबाई या आकार को बदल देती है, ताकि आंखें ठीक से संरेखित हो जाएं। यह जेनरल एनेस्थिसिया के तहत टांकों के साथ भी किया जाता है, जो वक्त के साथ टूट जाते हैं। कभी-कभी वयस्कों को ठीक करने के लिये एडजस्टेबल स्ट्रैबिस्मस सर्जरी की जाती है और सर्जरी के बाद आंख की मांसपेशियों की समस्या को ठीक किया जाता है।

बिना उपचार का भेंगापन 

आंखों को ठीक से संरेखित नहीं करने के कई परिणाम हो सकते है, जैसे- 

  • आलसी आंख, एम्ब्लियोपिया या मुड़ी हुई आंख में स्थायी दृष्टि की समस्या तब होती है, जब आंखें अलग-अलग दिशाओं में देख रही होती हैं। इसके कारण दिमाग को दो छवियां मिलती हैं, लेकिन दोहरी दृष्टि से बचने के लिए दिमाग मुड़ी हुई आंख से छवि को अनदेखा कर सकता है, जिससे एक आंख में खराब दृष्टि बढ़ सकती है।
  • धुंधली दृष्टि हर बिंदु पर आपके प्रदर्शन को प्रभावित करके आपके आनंद और अवकाश गतिविधियों के तरीकों में रूकावट बन सकती है।
  • आंखों में तनाव का बढ़ना।
  • आंखों में थकान।
  • बार-बार सिरदर्द।
  • दोहरी दृष्टि की उपस्थिति।
  • खराब 3-डायमेंशन (3-डी) विज़न।

भेंगेपन की सर्जरी के फायदे – Squint/Strabismus Surgery Ke Fayde 

भेंगेपन की सर्जरी के फायदे हैं, जैसे-

  • बेहतर उपस्थिति 
  • बढ़ी हुई परिधीय (साइड) दृष्टि
  • बेहतर गहराई की धारणा 

भेंगेपन के उपचार के लिए एक्सरसाइज़ – Squint/Strabismus Ke Upchar Ke Liye Exercises

भेंगेपन के उपचार के लिए कई अलग-अलग एक्सरसाइज़ हैं, जैसे- 

पेंसिल पुश-अप्स (Pencil Push-Ups)

पेंसिल पुश-अप्स ऑक्युलर प्रोग्रेस के लिए आसान वर्कआउट हैं, जो दोनों आंखों को एक ही निश्चित बिंदु पर निर्देशित करते हैं। उन्हें दूसरे नाम से भी बुलाया जाता है, जो अभिसरण अभ्यास के बिंदु के पास है।

एक पेंसिल को अपने से दूर की तरफ इशारा करते हुए हाथ की लंबाई में पकड़ें। अपनी दृष्टि को इरेज़र या किनारे पर एक अक्षर/अंक पर केंद्रित करें। पेंसिल को धीरे-धीरे नाक के पास लाएं और इस प्रक्रिया को लगातार दोहराएं, लेकिन दृष्टि धुंधली होने पर आपको इसे रोकना होगा।

ब्रॉक स्ट्रिंग (Brock String)

आंखों के समन्वय में सुधार के लिए स्विस ऑप्टोमेट्रिस्ट फ्रेडरिक ब्रॉक इस अभ्यास के साथ आए। इसके लिए आपको तीन अलग-अलग रंगीन मोतियों के साथ लगभग पांच फीट लंबी एक स्ट्रिंग की ज़रूरत होती है।

स्ट्रिंग के एक किनारे को एक निश्चित बिंदु जैसे रेलिंग या कुर्सी के पीछे सुरक्षित करें और मोतियों को बराबर दूरी पर रखें। स्ट्रिंग के दूसरे सिरे को अपनी नाक के पास मजबूती से पकड़े रहें। जब आप अपना ध्यान मोती से मोती पर स्थानांतरित करते हैं, तो आपको एक सुसंगत पैटर्न पर ध्यान देना चाहिए। आप जिस मोती को देख रहे हैं वह दो समान तारों के अभिसरण पर दूसरे मोतियों के जोड़े के साथ एक ऐक्स (X) बनाता हुआ दिखाई देगा। अगर आप मोती को सामने या अंदर तारों को पार करते हुए देखते हैं, तो आपकी आंखें मोती पर ठीक से केंद्रित नहीं होती। हैं। सुनिश्चित करें कि आप सभी मोतियों पर एक्स देख पा रहे हैं, (दूर छोर पर एक को छोड़कर, जिसमें वी (V) में केवल दो तार आपके सामने आएंगे)।

बैरल कार्ड (Barrel Cards)

यह एक्सोट्रोपिया के लिए एक आसान एक्सरसाइज़ है। एक कार्ड के एक तरफ लाल रंग के लंबाई में बढ़ते हुए आकार के तीन बैरल ड्रॉ करें और दूसरी तरफ हरे रंग से इसी प्रक्रिया को दोहराएं।

कार्ड को लंबाई में और खड़ा करके अपनी नाक के सामने इस तरह पकड़ें कि सबसे बड़ा बैरल सबसे दूर हो। दूर बैरल को तब तक देखते रहें जब तक दोनों रंगों के साथ एक छवि न बन जाए और अन्य दो बैरल छवियां दोगुनी न हो जाएं। लगभग पांच सेकंड के लिए इसी तरह अपनी नज़र इस पर केंद्रित करके रखें। फिर मध्य और सबसे छोटी बैरल छवियों के साथ भी ऐसा की करें। 

निष्कर्ष – Nishkarsh

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