Contents
- 1 आंखों को चश्मे से कैसे बचाएं? Aankhon Ko Glasses Se Kaise Bachayein?
- 2 स्क्रीन के नुकसान – Screen Ke Nuksan
- 3 ऑनलाइन क्लासेस – Online Classes
- 4 स्क्रीन एक्सपोजर के प्रभाव – Screen Exposure Ke Prabhav
- 5 चश्मे से बचाव के टिप्स – Glasses Se Bachav Ke Tips
- 6 आंखों के लिए ज़रूरी केयर टिप्स – Aankhon Ke liye Zaruri Care Tips
- 7 निष्कर्ष – Nishkarsh
आंखों को चश्मे से कैसे बचाएं? Aankhon Ko Glasses Se Kaise Bachayein?
ऑनलाइन क्लासेस के कारण लगातार स्क्रीन एक्सपोजर का हमारी आंखों पर हानिकारक प्रभाव हो रहा है। ऐसे में आखों को होने वाले नुकसान से बचाने या उचित स्वस्थ आंखों के लिए ज़रूरी कदम उठाने की ज़रूरत है। कोविड-19 ने हमारे काम करने, खाना बनाने, खाना खाने और यहां तक की सोने जैसी तमाम दिनचर्या को बदल कर रख दिया है। इन सभी पहलुओं पर बहुत कुछ लिखा, कहा और सुना जा चुका है, जिसके बाद हमारी युवा आबादी इन सभी बदलावों का सामना करते हुए अपने पढ़ाई के तरीके को ज़रूरी बदलावों के ज़रिए बदल रही है।
नया अकादमिक साल शुरू हो गया है। इसके लिए भारत और दुनिया भर में प्राथमिक शैक्षणिक संस्थानों और उच्च-स्तरीय विश्वविद्यालयों के लंबे समय के बंद ने ज्ञान हस्तांतरण और अर्जित करने को एक ट्रेडिशनल क्लासरूम सेटिंग से वर्चुअल गैदरिंग में बदल दिया है। यही वजह है कि ऑनलाइन क्लासेस के कारण चश्मे पहनने को रोकना लगभग असंभव हो गया है।
स्क्रीन के नुकसान – Screen Ke Nuksan
सबसे पहले इस पहलू पर ध्यान ज़रूरी है कि आंखों के लिए स्क्रीन हानिकारक क्यों हैं? इसका सबसे पहला उत्तर स्मार्टफोन और टैबलेट है। आज के समय में ज़्यादातार लोग स्मार्टफोन और टैबलेट का इस्तेमाल करते हैं और इन सभी के लिए आपको स्क्रीन को अपनी आंखों के पास रखने की ज़रूरत होती है। बच्चों में लंबे समय तक स्क्रीन पर काम करने से मायोपिया यानी निकटदृष्टि दोष में वृद्धि भी हो सकती है।
इसका दूसरा कारण है कि जब हम स्क्रीन देख रहे होते हैं, तो हमारी आंखें एक निश्चित दूरी पर लंबे वक्त तक केंद्रित रहती हैं। आमतौर पर रोजमर्रा की जिंदगी में हमारा ध्यान दूर की वस्तुओं से आस-पास की वस्तुओं की तरफ बदलता रहता है। स्क्रीन देखते वक्त सब कुछ निश्चित दूरी पर हो रहा होता है, जिससे हमारी आंखों की मांसपेशियों में थकान और कमजोरी हो सकती है।
पलकें नहीं झपकाना इसका तीसरा कारण है। स्क्रीन देखते समय हम पल भर में ही काफी मशगूल हो जाते हैं और पलकें झपकना भूल जाते हैं। यह खासतौर से बच्चों में देख जाता है, जिससे आंखें सूख जाती हैं और आंखों से पानी आने लगता है।
चौथा कारण स्क्रीन से आने वाली नीली रोशनी से रेटिना को पहुंचने वाला नुकसान है। ऐसा ज़्यादातर स्क्रीन को अंधेरे कमरे में देखने से होता है, जिसके कारण मैक्युलर डिजनरेशन होने की संभावना रहती है। यह सभी कारक चश्मे को रोकना असंभव बनाते हैं।
ऑनलाइन क्लासेस – Online Classes
कोरोना महामारी से पहले की स्थिति बिल्कुल अलग थी, जिसमें स्क्रीन एक्सपोज़र एक निश्चित संख्या में लोगों तक सीमित था। इसके अलावा 6 से 7 घंटे स्क्रीन के सामने सीधे बैठकर काम करना बिल्कुल जरूरी नहीं था। दुनिया में महामारी के बाद सभी एक्टिविटी और प्रोसीडिंग स्क्रीन पर आने से हमारा स्क्रीन एक्सपोज़र का समय बढ़ गया। अगर ऑनलाइन मोड के ज़रिए बच्चों की क्लासेस के बारे में बात करें, तो स्क्रीन एक्सपोज़र का समय स्पष्ट रूप से बढ़ गया है। इसकी वजह से बच्चों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। ऑनलाइन क्लासेज़ के कारण लगातार स्क्रीन एक्सपोजर से बच्चों में पाई जाने वाली कुछ प्रमुख समस्याएं इस प्रकार हैं:
ड्राई-आई सिंड्रोम
लंबे वक्त तक बिना पलक झपकाए और लगातार स्क्रीन देखने से आंखों से आंसू तेजी से सूख सकते हैं, जिससे आंखें ड्राई हो जाती है और यह स्थिति आपकी आंखों में ड्राई आई सिंड्रोम का कारण बनती है।
मांसपेशियों का तनाव
ऑनलाइन क्लासेस के कारण लगातार स्क्रीन के संपर्क में रहने से आंखों की मांसपेशियों में तनाव बढ़ जाता है। इससे आंखों की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिसकी वजह से छात्रों को सिरदर्द और धुंधली दृष्टि जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
ऑनलाइन क्लासेस से छात्रों में होने वाली यह दो समस्याएं प्रमुख हैं। इतनी कम उम्र में इस प्रकार की समस्याओं का विकास करना छात्रों के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है, इसलिए अच्छी और स्वस्थ आंखों को बनाए रखने के लिए ऑनलाइन क्लासेस लेने के दौरान कुछ ज़रूरी तरीके अपनाने चाहिए।
स्क्रीन एक्सपोजर के प्रभाव – Screen Exposure Ke Prabhav
स्क्रीन के सामने बहुत ज़्यादा समय बिताने से हमारी आंखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ज्यादा देर तक स्क्रीन को घूरने से हमारी आंखें ज्यादा देर तक नहीं झपकती हैं, जिससे आंखों में सूखापन आ सकता है। हमारी आंखों पर बढ़े हुए स्क्रीन एक्सपोज़र के कुछ प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं:
आंखों में थकान
कंप्यूटर और अन्य उपकरणों की स्क्रीन के लंबे और लगातार संपर्क से हमारी आंखें सामान्य से जल्दी थक सकती हैं। इससे दोहरी दृष्टि, सिरदर्द और एकाग्रता की कमी हो सकती है।
कमज़ोर दृष्टि
स्क्रीन पर काम करते वक्त स्क्रीन और हमारी आंखों के बीच कम दूरी होती है, जिसके कारण डिवाइस से निकलने वाली हानिकारक रेडिएशन सीधे हमारी आंखों को प्रभावित करती है। इससे न सिर्फ हमारी आंखों कमजोर होती हैं, बल्कि हमारी देखने की क्षमता भी कम होती है। नतीजतन, हमारे लिए वस्तुओं को ठीक से देखना मुश्किल हो जाता है।
ऐसे में स्थिति के मुताबिक हमें पास और दूर की वस्तुओं को देखने के लिए उपयुक्त पॉवर वाले चश्मे की ज़रूरत होगी। आमतौर पर एक बार किसी को यह समस्या होने पर चश्मे से नहीं बच सकते, लेकिन कुछ आदतों को शामिल करके आप आंखों की स्थिति को ज़्यादा खराब होने से ज़रूर रोक सकते हैं। चश्मे से बचने के लिए कुछ सुझाव और स्थिति के बारे में अगले भाग में बताया गया है।
सूखी आंखें
हम जितना ज़्यादा समय स्क्रीन पर काम करने में बिताते हैं, उतना ही हमारी आंखें खुली रहती हैं। स्क्रीन पर काम करते समय हमारी आंखें बार-बार झपकाती नहीं, जिससे हमारी आंखों की सतह पर बनने वाली आंसुओं की परत का तेजी से वाष्पीकरण होता है। यह आंसू हमारी आंखों को नमीयुक्त रखने और उन्हें किसी भी प्रकार के बाहरी पदार्थों से बचाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। उनके वाष्पीकरण के कारण सूखी आंखें या ड्राई आईज़ की समस्या होती है।
मांसपेशियों में खिंचाव
हमें ज़्यादा समय तक अपनी आंखों को एक ही स्थिति में केंद्रित नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे हमारी आंखों की मांसपेशियों पर अनावश्यक दबाव पड़ सकता है, जो आंखों की रोशनी कमजोर होने का कारण हो सकता है।
चश्मे से बचाव के टिप्स – Glasses Se Bachav Ke Tips
चश्मे से बचाव के निम्नलिखित टिप्स हैं-
हेल्दी डाइट
ऑनलाइन क्लासेस में लगातार स्क्रीन एक्सपोजर के कारण होने वाली आंखों की कई समस्याओं से बचने और स्वस्थ दृष्टि के लिए ज़रूरी सभी पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा के साथ एक स्वस्थ आहार योजना का पालन करना महत्वपूर्ण है। एक स्वस्थ आहार से चश्मे को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता है, लेकिन यह नुकसान को कम कर सकता है। इसलिए, स्वस्थ आंखों को बनाए रखने के लिए आपकी डाइट में निम्नलिखित शामिल होना ज़रूरी है:
- बीटा-कैरोटीन, ल्यूटिन, जिंक और विटामिन ए, सी और ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट।
- अगर आप मांसाहारी हैं, तो मछली में मौजूद स्वस्थ वसा और विटामिन के साथ अंडे का सेवन आंख के स्वस्थ विकास में मदद करते हैं। यह आंख के पीछे रेटिना की देखभाल करते हैं और अंडे की जर्दी में मौजूद विटामिन ए कॉर्निया की सुरक्षा करता है।
- अपनी डाइट में बादाम का सेवन बढ़ाएं, क्योंकि बादाम में विटामिन ई होता है, जो हमारी आंखों को मैक्युलर डिजनरेशन या मोतियाबिंद से बचाता है।
- ज़्यादा डेयरी प्रोडक्ट के सेवन की कोशिश करें, जिसमें विटामिन ए और जिंक होता है। विटामिन ए आंखों के लिए अच्छा होता है, जबकि जिंक इस विटामिन को लीवर जैसे शरीर के दूसरे अंगों तक पहुंचाने में मदद करता है।
- स्वस्थ आंखों के लिए गाजर और संतरा भी काफी अच्छे हैं। गाजर में विटामिन ए के साथ बीटा-कैरोटीन होता है और संतरे में विटामिन सी होता है, जो हमारी आंखों के लिए फायदेमंद हैं।
ब्लिंकिंग मोशन
आमतौर पर लोग एक मिनट में करीब 12 से 14 बार पलकें झपकाते हैं। हालांकि किताब के अध्यायों को पढ़ते हुए या स्क्रीन पर एजुकेशनल वीडियो देखते वक्त लोग पलकें झपकाना भूल जाते हैं, जिससे पलक झपकने की दर बहुत कम हो जाती है और नतीजतन आंखों में खुजली के साथ ही सूखापन आ जाता है।
हर 30 मिनट में 10 बार धीरे से पलकें खोलना और बंद करना, टियर ग्लैंड सेक्रेशन के साथ आंखों की बाहरी परतों को नम करने में मदद करता है, जिससे आंखों में सूखेपन और जलन की स्थिति को रोका जा सकता है।
हथेली की मालिश
ई-ट्यूटोरियल फॉलो करते वक्त लैपटॉप या टैबलेट को आंखों के काफी करीब रखा जाता है, इसलिए आंखों की मांसपेशियों को लंबे समय तक तेज रोशनी के संपर्क में रहने के अलावा बड़े पैमाने पर फैलाया जाता है। हथेलियों को आपस में रगड़कर उन्हें पलकों पर रखना एक अच्छी एक्सरसाइज़ है, जो स्किन देखने से होने वाले तनाव को कम करके आंखों को शांत करता है।
पर्याप्त रोशनी
घर में एक शांत कमरे के अलावा एक आरामदायक अध्ययन कुर्सी और डेस्क के साथ दृष्टि से जुड़ी थकावट को रोकने के लिए पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी ज़रूरी है। चश्मे से बचने का यह सबसे अच्छा तरीका है, क्योंकि किसी भी काम को करते समय पर्याप्त मात्रा में प्रकाश व्यवस्था बहुत ज़रूरी है। इसका सबसे अच्छा सॉल्यूशन सुबह का पाठ है, जिसमें खिड़कियों से बहुत सारी धूप छनती है। अगर शाम की क्लासेस लेते हैं, तो सफेद एलईडी या फ्लोरोसेंट बल्बों की चकाचौंध से बचें और इसके बजाय वॉर्म लाइट वाले स्रोतों का विकल्प चुनें।
डिस्टेंसिंग डिवाइस
लंबे वक्त के लिए एक मॉनिटर पास से देखने के कारण रेटिना और ऑप्टिक नर्व में धीरे-धीरे गिरावट आती है। ध्यान दें कि इलेक्ट्रॉनिक्स को आंखों से कम से कम 18 से 24 इंच की दूरी पर रखा जाए। इसके साथ ही एक सीधे बैठकर डिवाइस को आंखों के लेवल पर रखें। देखने को आसान बनाने के लिए गैजेट की चमक और कंट्रास्ट सेटिंग्स को एडजस्ट करें और ओक्युलर ऑपरेशन को बचाने और चश्मे को रोकने की कोशिश करें
- पास और दूर के फोकस में सुधार के लिए
- अपने अंगूठे को अपने चेहरे से लगभग 10 इंच दूर रखें और 15 से 20 सेकंड के लिए उस पर फोकस करें।
- अपने से 10 फीट दूर किसी वस्तु का पता लगाएं। इसी तरह 15 से 20 सेकेंड तक इस पर फोकस करें।
- अपने अंगूठे पर फोकस लौटाएं।
- यही प्रक्रिया 5 से 6 बार दोहराएं।
आंखों के लिए ज़रूरी केयर टिप्स – Aankhon Ke liye Zaruri Care Tips
आंखों की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण टिप्स इस प्रकार हैं-
क्या करें
- हमेशा अपनी आंखों और स्क्रीन के बीच उचित अंतर रखें (कम से कम 30 से 35 सेमी.)।
- हर 20 मिनट के बाद स्क्रीन एक्सपोजर से ब्रेक लेने की कोशिश करें। समय-समय पर पर्याप्त ब्रेक लेने से आपकी आंखों को उचित आराम मिलेगा और आप लंबे समय तक ज़्यादा असरदार तरीके से काम कर सकेंगे। इससे लगातार स्क्रीन के संपर्क में रहने के कारण आपकी आंखों को पहुंचने वाले नुकसान की संभावना को किया जा सकता है।
- ऑनलाइन क्लासेस से अपनी आंखों में किसी तरह की परेशानी होने पर डॉक्टर से परामर्श करें। उनसे स्क्रीन के सपंर्क से होने वाली आंखों की समस्याओं की जांच करने के लिए कहें। आई ड्रॉप्स और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं समय पर लें। दवाएं और आई ड्रॉप उचित समय पर लेने से भी ऑनलाइन क्लासेस से आंखों में होने वाली किसी भी प्रकार की परेशानी को जल्द ठीक करने और चश्मे को रोकने में मदद मिलेगी।
- आप स्क्रीन के ज़रिए डिवाइस से निकलने वाली रेडिएशन की मात्रा को कम नहीं कर सकते, लेकिन आंखों तक पहुंचने वाली इसकी मात्रा को ज़रूर कम किया जा सकता है। रेडिएशन को कम करने के लिए अपने डिवाइस के लिए एंटी-ग्लेयर स्क्रीन/मैट स्क्रीन प्रोटेक्टर इस्तेमाल करने की कोशिश करें।
क्या ना करें
- इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर काम करते वक्त अपनी आंखों पर ज्यादा दबाव न डालें। छोटे फॉन्ट साइज़ वाले पेज़ों और साइटों को पढ़ने से बचें। फॉन्ट को पढ़ने के लिए आप इसका साइज़ बढ़ा सकते हैं, क्योंकि इससे आपके लिए पढ़ना आसान होता है और आपकी आंखों पर तनाव की मात्रा कम होती है।
- अपने स्क्रीन डिस्प्ले को हमेशा इस तरह से एडजस्ट करें कि यह बहुत ज़्यादा ब्राइट भी न हो और ऑपरेट करने बहुत सुस्त न हो। बहुत ब्राइट स्क्रीन डिस्प्ले अक्सर आंखों की रोशनी को कमजोर कर देती है। इसके अलावा बहुत सुस्त स्क्रीन डिस्प्ले से हमारी आंखे काफी हद तक प्रभावित होती हैं।
- कम रोशनी या अंधेरे कमरे में स्क्रीन का इस्तेमाल करने से बचें। लंबे समय तक लगातार स्क्रीन के संपर्क में बैठने से पहले अपने आस-पास उचित रोशनी सुनिश्चित करें।
- अगर आपकी आंखें पहले से ही कमजोर हैं यानी आप पहले से ही चश्मे का इस्तेमाल करते हैं, तो स्क्रीन के सामने बैठने से पहले चश्मे का इस्तेमाल करना न भूलें। इनके इस्तेमाल से आपकी आंखों की रोशनी में ज्यादा सुधार नहीं होगा, लेकिन इससे स्थिति को बिगड़ने से रोकने में मदद ज़रूर मिलेगी।
निष्कर्ष – Nishkarsh
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