आंख के बारे में (About Eye)

नेत्रोद (एक्वेस ह्यूमर): स्ट्रक्चर, कंपोजीशन, फंक्शन और ड्रेनेज – Netrod (Aqueous Humor): Structure, Composition, Function Aur Drainage

नेत्रोद/एक्वेस ह्यूमर (एएच) क्या है? Netrod/Aqueous Humor (AH) Kya Hai?

हमारी ऑंख में दो द्रव प्रणालियां (फ्ल्यूड सिस्टम) मौजूद होती हैं, जिनमें एक “विट्रियस ह्यूमर” और दूसरी को “एक्वेस ह्यूमर” यानि नेत्रोद भी कहते हैं। तरल पदार्थ जैसे दिखने वाले “एक्वेस ह्यूमर” और  “विट्रियस ह्यूमर” में समानता के साथ-साथ अंतर भी हैं। अगर इनकी समानता पर नज़र डालें तो दोनों ही अंतर्गर्भाशयी द्रव (intraocular fluids) हैं, जो नेत्रगोलक (eyeball) पर ऑंख के प्रकाश के कार्य करने के लिए के दबाव बनाए रखते हैं। विट्रियस ह्यूमरस (vitreous humerus) का लेंस के पीछे और दूसरा लेंस के सामने होना इसका दूसरा अंतर है। इसके अलावा इसमें जिलेटिन जैसा पदार्थ अपने आप नहीं बहता, जबकि दूसरा खुद बहने वाला द्रव है। 

“नेत्रोद” या एक्वेस ह्यूमर (Aqueous Humor) शब्द मेडिकल लाइन से अलग लोगों के लिए समझ पाना मुश्किल है। यह उस द्रव प्रणाली का ही नाम है, जो कुछ रचनाओं के साथ पानी जैसे पदार्थ की तरह बहता और ऑंख के पीछे दोनों कक्षों को भी भरता है। अक्सर विट्रियस ह्यूमर ऑंखों में अपने स्थान को लेकर भ्रमित करता है। इसके अलावा यह प्लाज़मा के जैसा दिखने वाला पारदर्शी तरल पदार्थ है, जहां नेत्रोद में प्रोटीन के मामले में तुलनात्मक रूप से कम एकाग्रता होती है। 

एक्वेस ह्यूमर लोकेशनAqueous Humor Location

तरल पदार्थ होने की वजह से इसे किसी एक जगह पर नहीं ढूंढ़ा जा सकता। इसके बजाय यह ऑंख के पूर्वकाल यानि आईरिस-कॉर्निया के अंदर और ऑंख में लेंस के पीछे यानि ऑंखों के सामने कक्षों के बीच ग्लाइड होता है।

इसमें दो उपकला कोशिकाएं होती हैं, जिसे रंजित उपकला कोशिकाएं (pigmented epithelial cells) और गैर-वर्णित उपकला कोशिकाएं (non-pigmented epithelial cells) कहते हैं। इनमें से पहली स्ट्रोमा के पास और दूसरी नेत्रोद यानी एक्वेस ह्यूमर के पास होती है और इस तरह ये दोनों स्ट्रोमा एक्वेस ह्यूमर को अलग करने का काम करते हैं।

एक्वेस ह्यूमर कंपोजीशन – Aqueous Humor Composition

अब बात करते हैं इसके तरल की, तो एल्ब्यूमिन (albumin) के साथ प्रोटीन और वाइ-ग्लोब्युलिन (γ-globulins) भी होता है, लेकिन एल्ब्यूमिन (albumin) इस द्रव का प्रमुख घटक है। इसमें प्लाज्मा की तुलना में ये तीनों घटक कम मात्रा में पाये जाते हैं। इसके अलावा नेत्रोद (एक्वेस ह्यूमर) में लैक्टिक एसिड, ग्लूकोज, एस्कॉर्बिक एसिड भी मौजूद होता है। साथ ही कुछ इलेक्ट्रोलाइट्स भी सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, क्लोराइड, HCO3, फॉस्फेट और Osm से भी बने होते हैं। 98% द्रव (फ्ल्यूड) में पानी होता है। 

एक्वेस ह्यूमर प्रोडक्शनAqueous Humor Production

पारदर्शी तरल पदार्थ बनाने वाली सिलिअरी बॉडी में आगे (anterior) और पीछे (posterior) दो भाग होते हैं। इसके आगे के भाग में फोल्ड्स होती है, जबकि पिछला भाग प्लेन होता है। मूल रूप से शरीर में तीन संरचनाएं होती हैं, जिन्हें सिलिअरी मसल, सिलिअरी बॉडी स्ट्रोमा और सिलिअरी एपिथेलियम के नाम से जाना जाता है। सिलिअरी मसल के नीचे हाइली वैस्क्युलर स्ट्रोमा होता है, जो नेत्रोद बनाने का काम करता है। स्ट्रोमा के ऊपर गैर-वर्णित सिलिअरी एपिथेलियम होता है, जो नेत्रोद बनाने में मुख्य भूमिका निभाता है। 

नेत्रोद उत्पादन या एक्वेस ह्यूमर प्रोडक्शन (Aqueous Humor Production) में कुछ स्टेप्स शामिल हैं, जैसे- 

  • एपिथेलियम एमिट पॉजिटिवली चार्जड होकर सोडियम आयन बनाती है, जिसके बाद नेगेटिवली चार्जड क्लोराइड और बाइकार्बोनेट बनते हैं।
  • इसके बाद क्षेत्र में ऑसमोटिक प्रेशर के बढ़ने से पानी उस क्षेत्र में चला जाता है, जिसमें उसके साथ, ग्लूकोज, अमीनो एसिड और एस्कॉर्बिक एसिड भी बहते हैं।

ऊपर बताए गए सभी स्टेप्स नेत्रोद के स्राव के लिए बुनियादी तंत्र हैं।

स्ट्रोमा वॉल्स में होने वाली यह प्रक्रिया स्ट्रोमल द्रव को अपने ज़रिए बहने देती हैं, जिससे नेत्रोद बनता है। सिलिअरी बॉडी द्वारा संश्लेषित नेत्रोद पीछे कक्ष में नेत्रोद बनाने का काम करता है।

स्ट्रोमल तरल पदार्थ बनने के बाद प्रसार, अल्ट्राफिल्ट्रेशन और सक्रिय स्राव जैसी प्रक्रियाएं होती हैं, जो नेत्रोद बनाने के लिए जिम्मेदार होती हैं। पूरे नेत्रोद को बदलने में लगभग सौ मिनट लगते हैं और जलीय उत्पादन दर व्यक्ति के जागने और सोने के दौरान अलग-अलग होती है। अगर सोते हुए पर ध्यान दिया जाए तो उत्पादन दर आमतौर पर (1.5 μL/min) होती है, जबकि एक स्वस्थ और जागे हुए व्यक्ति के मामले में यह उत्पादन दर दोगुनी होती है। शुरुआत में नेत्रोद का रूप स्थिर माना जाता था, जो बहता नहीं है, लेकिन 1921 में सीडेल ने एक प्रयोग से इसे एक सर्कुलेटिंग प्रोपर्टी साबित किया।  

सीडेल का इस प्रयोग के  लिए खरगोशों को चुनना काफी दिलचस्प बात थी। आप सोच रहे होंगे कि उसने वास्तव में क्या किया? सीडेल ने नीली डाई से भरी एक ट्यूब जैसी आकृति को खरगोश से जोड़ा। इस दौरान ट्यूब को नीचे किया जाने पर यह पूर्वकाल कक्ष से स्पष्ट तरल पदार्थ से भर गया। इसी तरह उस ट्यूब की संरचना के ऊपर उठने पर ट्यूब में भरी डाई ऑंख में चली गई और फिर अंत में  एपिस्क्लेरल वेनस प्लेक्सस के ब्लड में देखी गई, जिसके बाद सीडेल ने निष्कर्ष निकाला कि नेत्रोद का बनना और जल निकासी एक सतत और प्रक्रिया होनी चाहिए। इसके बाद ऐसे कई प्रयोग किए गए, जिनसे इससे जुड़े कई अन्य निष्कर्ष निकले।

एक्वेस ह्यूमर फंक्शनAqueous Humor Function

ऑंख में घूमते हुए नेत्रोद बहुत ज़रूरी और कई अहम काम करता है, जैसे-

  • नेत्रोद का पहला और सबसे ज़रूरी काम ऑंखों के ऊतकों (टीशू) को पोषक तत्वों के साथ ऑंखों में अवास्कुलर स्ट्रक्चर देना है। यह ग्लूकोज, अमीनो एसिड को पोषक तत्वों के रूप में, एस्कॉर्बिक एसिड को एक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में लाने के साथ ही कुछ मात्रा में ऑक्सीजन लाने का काम भी करता है। कॉर्निया और लेंस आँख के वह ऊतक हैं, जो नेत्रोद से सहायता लेते हैं।
  • इसकी सबसे ज़रूरी जिम्मेदारी नेत्रगोलक (आईबॉल) के आकार को बनाए रखने में मदद करना और नेत्रगोलक के लिए ऑंतरिक रूप से निर्मित बीमारियां ढूंढना है।
  • नेत्रोद इंट्राओकुलर प्रेशर (IOP) बनाने के लिए कार्य करता है। इंट्राओकुलर प्रेशर का अर्थ है, ऑंख का ओकुलर प्रेशन। यह द्रव उस दबाव को बनाए रखने में मदद करके आपकी ऑंखों को आराम देता है।
  • इसके अलावा यह ऑंख के अंदरूनी हिस्से यानि लेंस और कॉर्निया को अंदर से धोकर इसे पोषण देता है और वेस्ट मेटाबोलाइट्स को हटाता है।

एक्वेस ह्यूमर ड्रेनेज – Aqueous Humor Drainage

नेत्रोद (एक्वेस ह्यूमर) लगभग 2.5 माइक्रो-लीटर/मिनट की दर से लगातार बनता है, इसलिए इसे भी कहीं बहा देना चाहिए। आमतौर पर सभी द्रव को बदलने में एक या दो घंटे लगते हैं।

पीछले कक्ष से होकर नेत्रोद पुतली के ज़रिए आगे के कक्ष में बहता है, जिसके बाद अब इसे ब्लड सर्कुलेशन में जाना है। आईरिस और कॉर्निया के बीच में जाली जैसी संरचना होती है, जिसे मेशवर्क (meshwork) कहते हैं। इस मेशवर्क में मौजूद एक ओपनिंग कैनाल से एक्वेस ब्लड में जाता है। 

हमारी ऑंख और उसके सभी कामों में नेत्रोद की एक अहम भूमिका होती है। एक्वेस ह्यूमर डिसऑर्डर की वजह से ऑंख में ग्लूकोमा जैसी कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

निष्कर्ष – Nishkarsh

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