एंटीबायोटिक आईड्रॉप्स: उपयोग, साइड इफेक्ट्स और याद रखने वाली बातें – Antibiotic Eyedrops: Upyog, Side Effects Aur Yaad Rakhne Wali Batein

एंटीबायोटिक आईड्रॉप्स – Antibiotic Eyedrops

एक एंटीबायोटिक आईड्रॉप्स एक निश्चित प्रकार के ऑंख के इंफेक्शन (Bacterial Eye Infection) के इलाज में मदद कर सकते हैं, जिसे डॉक्टर की परामर्श के बाद से लिया जा सकता है। अगर आप अपनी ऑंखों में लालपन (Redness), ऑंखों में पानी आना (Tearing) और ड्रेनेज (Drainage) महसूस कर रहे हैं, तो यह ऑंखों के इंफेक्शन के लक्षण हो सकते हैं। आई इंफेक्शन (Eye Infection) ज़्यादा संक्रामक हो सकता है। 

बैक्टीरियल इंफेक्शन के इलाज के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक आईड्रॉप्स लिखते हैं। एंटीबायोटिक आईड्रॉप्स बैक्टीरिया (Microscopic Organism) से छुटकारा पाने में मदद करते हैं, जिससे ऑंख में इंफेक्शन हुआ है। 

ऑंख में इंफेक्शन – Aankh Mein Infection

ऑंख में इंफेक्शन होने पर आपको किसी आंखों के डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डॉक्टर जांच करके यह बता सकते हैं कि क्या आपको एंटीबायोटिक आई ड्रॉप या अन्य इलाज की ज़रूरत है? 

निम्नलिखित ऑंखों के इंफेक्शन के लक्षण हो सकते हैं, जैसे-

  • सूजी हुई ऑंखें
  • लालपन
  • ऑंखों में दर्द
  • लाइट से सेंसिटिव
  • ऑंखों से पानी बहना (पीला-हरा मवाद या आँखों में पानी)। यह  बैक्टीरियल आई इंफेक्शन का सबसे आम लक्षण हैं।

इसकी सबसे अच्छी सलाह के लिए आपको अपने आई डॉक्टर के पास जाना चाहिए, जिसके हिसाब से डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स लिखेंगे। आमतौर पर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स तीन दिन में असर दिखाते है, लेकिन अगर फिर भी आपके लक्षण दूर नहीं होते हैं, तो अपने डॉक्टर बताएं।  

बैक्टीरियल आई इंफेक्शन के कारण – Bacterial Eye Infection Ke Kaaran

  • बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस (Bacterial Conjunctivitis) – यह बैक्टीरियल आई इंफेक्शन का सबसे आम कारण माना जाता है। यह बच्चों की देखभाल और स्कूल में ज़्यादा संक्रामक होता है।
  • कॉन्टैक्ट लेंस (Contact-lens) – कॉन्टैक्ट लेंस की वजह से ऑंखों में इंफेक्शन हो सकता है। सोते समय कॉन्टैक्ट लेंस पहनना या गंदे कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से भी ऑंखों में बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है। इससे बचने के लिए अपने कॉन्टैक्ट लेंस की साफ-सफाई का ध्यान रखें।

एंटीबायोटिक आईड्रॉप्स – Antibiotic Eyedrops

एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स सिर्फ आपकी ऑंखों में इंफेक्शन फैलाने वाले बैक्टीरिया से लड़ सकते हैं। ऑंखों से जुड़ी अन्य बीमारियों का इलाज इन आई ड्रॉप्स से नहीं किया जा सकता है, जैसे-

  • वायरल कंजक्टिवाइटिस (Viral Conjunctivitis) – एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स वायरस से होने वाले कंजक्टिवाइटिस के इलाज में फेल हो जाते हैं।
  • एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस (Allergic Conjunctivitis) ऑंख में होने वाली जलन को एक इंफेक्शन के तौर पर नहीं समझाया जा सकता। यह धूल, पराग या पालतू जानवरों से एलर्जिक रिएक्शन होने की वजह से होता है, जिसके लक्षण होने पर एंटीबायोटिक आईड्रॉप्स से कोई राहत नहीं मिलेगी।
  • ऑंख में फंगल इंफेक्शन या फंगल केराटाइटिस (Fungal Keratitis) – आमतौर पर यह अनोखा इंफेक्शन गंदे कॉन्टैक्ट लेंस पहनने की वजह से होता है।

हालांकि ऑंखों की इन समस्याओं में यह एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स किसी काम के नहीं होंगे। 

एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स का उपयोग कैसे करें? Antibiotic Eye Drops Ka Upyog Kaise Karein?

इनका इस्तेमाल करने से पहले सील की जांच कर लें। अगर सील टूटी हुई हो, तो आई ड्रॉप का इस्तेमाल न करें। एंटीबायोटिक आई ड्रॉप के इस्तेमाल के लिए नीचे दिए गए निर्देशों को ध्यान में रखें।

  • 2 साल और उससे ज़्यादा उम्र के बच्चे और वयस्क एक या दोनों ऑंखें इंफेक्टेड होने पर दोनों एक-एक बूंद आईड्रॉप डालें। पहले 48 घंटों में हर 2 घंटे और उसके बाद हर 4 घंटे में आई ड्रॉप डालें।
  • 5 दिनों से पहले दवा का कोर्स बंद नहीं करना चाहिए, क्योंकि कोर्स बीच में रोक देने से आपकी हालत और बिगड़ सकती है।

एंटीबायोटिक आईड्रॉप्स के उपयोग में सावधानी – Antibiotic Eyedrops Ke Upyog Mein Savdhani

बच्चे के लिए एंटीबायोटिक आईड्रॉप के किसी भी कोर्स की शुरूआत से से पहले अपने डॉक्टर को बताएं कि आपके बच्चे को किसी एंटीबायोटिक से एलर्जी तो नहीं है। आई ड्रॉप के इस्तेमाल से पहले अपने हाथों को धोना और सुखाना बहुत ज़रूरी है। वैसे तो आपको प्रत्येक ऑंख में एक बूंद डालने की आवश्यकता होगी। यदि आपको एक से ज़्यादा आई ड्रॉप का उपयोग करने की ज़रूरत है, तो दूसरी आई ड्रॉप डालने से पहले अपनी ऑंख को कम से कम पांच मिनट का गेप ज़रूर दें। 

  • आपको किसी दूसरे के बताए गए तरीकों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • दवा का कोर्स बीच में न छोड़ें। डॉक्टर से सलाह करके पूरा कोर्स करें।
  • बिना प्रयोग में आए नुस्खे का बाद में इस्तेमाल न करें।
  • क्लोरैम्फेनिकॉल या कोई दूसरी एलर्जी है, तो आपको एंटीबायोटिक आई ड्रॉप का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • अगर आपको कभी बोन मैरो (bone marrow) या रक्त से जुड़ी कोई समस्या हो, तो कोर्स शुरू न करें।
  • परिवार में ब्लड डिस्क्रासियास (Dyscrasias) होने पर भी आपको दवा नहीं लेनी चाहिए। “डिस्क्रासियास”। इससे थकान और चोट लगने जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं।
  • गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को एंटीबायोटिक्स आई ड्रॉप का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसे मामलों में दवा के लिए डॉक्टर से परामर्श करना ज़्यादा बेहतर होता है।

एंटीबायोटिक आईड्रॉप्स के साइड इफेक्ट्स – Antibiotic Eyedrops Ke Side Effects

एंटीबायोटिक आई ड्रॉप के कुछ दुष्प्रभाव या साइड इफैक्ट्स हो सकते हैं, जैसे- 

इसके हल्के साइड इफेक्ट्स में हल्की चुभन, ऑंखों की रोशनी में धुंधलापन या आंखों में आई ड्रॉप डालने के तुरंत बाद आपके मुंह का एक अजीब टेस्ट हो जाना शामिल है। कभी-कभी एंटीबायोटिक आईड्रॉप से एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है।

एलर्जिक रिएक्शन  के लक्षण हो सकते हैं:

  1. ऑंख या पलकों में गंभीर सूजन और लालपन, जिससे जलन भी हो सकती है।
  2. सूजी हुई पलकें, होंठ या चेहरा।
  3. कुछ लोगों को इस दौरान सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है।
  4. त्वचा पर लाल चकते।

ऐसे कोई लक्षण दिखने पर दवा को बंद कर दें और तुरंत चिकित्सा सहायता लें। इन इंफेक्शन के इलाज के लिए आपको एंटीबायोटिक गोलियों या इंजेक्शन की ज़रूरत होगी। 

आईड्रॉप प्रिस्क्रिप्शन से पहले ध्यान रखने वाली बातें – Eyedrop Prescription Se Pehle Dhyan Rakhnein Wali Batein

  • आपको लंबे वक्त तक इन दवाओं का इस्तेमाल या बार-बार होने वाले इंफेक्शन का इलाज नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से इंफेक्शन खास दवा से रिएक्शन कर सकता है और इसे दोबारा लेने से इसके इलाज में कठिनाई आएगी।
  • इस दवा के असर से आपकी दृष्टी थोड़ी देर के लिए धुंधली हो सकती है। असर कम होने तक आपको ड्राइविंग या मशीन के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
  • एंटीबायोटिक आई ड्रॉप कोर्स के दौरान कॉन्टैक्ट लेंस या चश्मे का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए।
  • एंटीबायोटिक आई ड्रॉप में मौजूद प्रिजर्वेटिव से सॉफ्ट कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वाले लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए 24 घंटे बाद ही दोबारा लेंस का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • एलर्जी का एक कारण फेनिलमर्क्यूरिक नाइट्रेट (Phenylmercuric Nitrate) भी है।
  • एंटीबायोटिक आई ड्रॉप कोर्स शुरू करने से जारी अन्य दवा लेने के बारे में अपने डॉक्टर को बताएं।

डॉक्टर से सलाह कब लें – Doctor Se Salah Kab Lein?

  • अगर आपकी ऑंख में कोई बाहरी चीज़ (उदाहरण के लिए, स्प्लिंटर) है जिसे हटाया नहीं गया हो।
  • अगर आपको बार-बार ऑंखों में इंफैक्शन हो रहा हो।
  • अगर आपकी ऑंखों की सर्जरी हुई हो या लेज़र उपचार पिछले छह महीनों में हुआ हो।
  • अगर आपको आँखों में ग्लूकोमा/ड्राई आई सिंड्रोम/ऑंख की चोट या यदि आपको पहले इनमें से कोई एक हो चुका हो।
  • अगर आप पहले से ही किसी अन्य आई ड्रॉप या ऑइंटमेंट का उपयोग कर रहे हों।

निष्कर्ष – Nishkarsh

आपकी ऑंखों के इलाज का सबसे अच्छा तरीका आपके आईकेयर प्रोफेशनल द्वारा नियमित तौर पर की गई ऑंखों की जांच हैे, जो ऑंखों की बीमारी के लिए आपको सबसे अच्छे तरीके का सुझाव दे सकेंगे।

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