Contents
- 1 कॉर्निया में जलन (फोटोकेराटाइटिस) क्या है? Cornea Mein Jalan (Photokeratitis) Kya Hai?
- 2 लक्षण – Lakshan
- 3 फोटोकेराटाइटिस के कारण – Photokeratitis Ke Karan
- 4 फोटोकेराटाइटिस रिस्क – Photokeratitis Risk
- 5 फोटोकेराटाइटिस का निदान – Photokeratitis Ka Nidan
- 6 फोटोकेराटाइटिस का उपचार – Photokeratitis Ka Upchar
- 7 सावधानियां – Savdhaniyan
- 8 निष्कर्ष – Nishkarsh
कॉर्निया में जलन (फोटोकेराटाइटिस) क्या है? Cornea Mein Jalan (Photokeratitis) Kya Hai?
फोटोकेराटाइटिस (Photokeratitis) यूवी किरणों (UV Rays) के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण कॉर्निया में होना वाली एक प्रकार की जलन है। यह अपने आप गायब हो जाता है लेकिन इसके उपचार में लक्षणों को सहने योग्य बनाना शामिल है।
फोटोकेराटाइटिस जिसे रेडिएशन केराटाइटिस या स्नो ब्लाइंडनेस के रूप में भी जाना जाता है, कॉर्निया (आंख की स्पष्ट सामने की सतह) की एक टेम्प्रेरी जलन है जिसके परिणामस्वरूप आंख में बहुत दर्द होता है।
स्नो ब्लाइंडनेस वास्तव में फोटोकेराटाइटिस का एक सामान्य रूप है। यह यूवी किरणों के कारण होता है जब वे बर्फ या स्नो से रिफलैक्टेड हो जाते हैं। इस प्रकार का फोटोकैराटाइटिस उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव क्षेत्रों में या उच्च पर्वत श्रृंखलाओं में अधिक आम है जहां भारी मात्रा में बर्फ होती है। इतनी ऊंचाई पर हवा भी पतली होती है और इसलिए यूवी किरणों से कम सुरक्षा प्रदान करती है। स्नो ब्लाइंडनेस को शुष्क हवा के कारण कॉर्निया की सतह के जमने या कॉर्निया की सतह के गंभीर रूप से सूखने के रूप में भी संदर्भित किया जा सकता है। स्कीइंग, स्नोमोबिलिंग और माउंटेन क्लाइम्बिंग कुछ ऐसी गतिविधियाँ हैं जिनके परिणामस्वरूप इस प्रकार की समस्या हो सकती है।
लक्षण – Lakshan
यूवी किरणों के लगातार संपर्क में रहने के 30 मिनट से 12 घंटे के बीच व्यक्ति में फोटोकैराटाइटिस के लक्षण विकसित होने लग सकते हैं। जब शरीर में निम्न में से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो इस बीमारी का पता आसानी से लग जाता है, जैसे-
- आँख का लाल होना- चूंकि यह स्थिति सनबर्न की तरह है, इसलिए फोटोकैराटाइटिस के मरीज़ की आंखें इंफेक्शन या बीमारी के पहले प्रमुख संकेत के रूप में पूरी तरह से लाल हो जाती हैं। वास्तव में बर्फीले क्षेत्रों या अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आंखों का लाल होना एक बहुत ही आम बात है क्योंकि हवा आंखों को सुखा देती है।
- आंखों में सूजन और दर्द- कई आंखों की समस्याओं के समान जब भी आंखें किसी असामान्य घटना का पता लगाती हैं, तो वे सूज जाती हैं और स्थिति खराब होने पर दर्द का कारण बनती हैं। समय के साथ सूजन बढ़ जाती है। आंखों में सूजन का एक संभावित कारण कॉर्निया की सूजन हो सकता है जो इस सनबर्न स्थिति के दुष्प्रभावों में से एक के रूप में होता है।
- धुंधली दृष्टि- आंखों के लेंस धुंधले होने के लिए यूवी किरणें जिम्मेदार पाई जाती हैं। यूवी किरणों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से आंखों का लेंस अपारदर्शी हो सकता है। यह भी मोतियाबिंद के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है। यदि आंख में सनबर्न की स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो यह धीरे-धीरे मोतियाबिंद का कारण बन सकता है।
- अन्य मामूली लक्षण- ऊपर बताए गए लक्षणों के अलावा सिरदर्द, छोटी पुतलियां, तेज रोशनी से सेंस्टिविटी और पलकों का फड़कना कुछ अन्य छोटे लक्षण हैं जो यह संकेत देते हैं कि व्यक्ति फोटोकेराटाइटिस या कॉर्निया की जलन से पीड़ित हो सकता है।
फोटोकेराटाइटिस के कारण – Photokeratitis Ke Karan
फोटोकैराटाइटिस की स्थिति आंखों के यूवी किरणों के लंबे समय तक और असुरक्षित संपर्क के कारण होती है। ये यूवी किरणें रेत, पानी, बर्फ या स्नो से रिफलैक्शन के जरिए आंखों तक पहुंच सकती हैं। बहुत देर तक सूरज को घूरते रहना जैसे कि बिना चश्मे या किसी विशेष उपकरण के सीधे सूर्य ग्रहण देखने के मामले में भी रेटिना में हल्की जलन हो सकती है जो कि यूवी किरणों का लंबे समय तक चलने वाला प्रभाव है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि यह स्पष्ट है कि फोटोकैराटाइटिस का सबसे महत्वपूर्ण कारण केवल पराबैंगनी किरणों (विशेष रूप से यूवी-ए और यूवी-बी किरणों) के संपर्क में रहना है। सूर्य यूवी किरणों का प्रमुख और अंतिम स्रोत है। सूर्य से सीधे आने वाली ये हानिकारक किरणें मानव आंखों को अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह से नुकसान पहुंचा सकती हैं और इसके परिणामस्वरूप पूर्ण दृष्टि हानि हो सकती है। ये किरणें कॉर्निया की उपकला कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं और कई घंटों के बाद उन्हें बंद कर देती हैं। यह काफी हद तक आंखों में “सनबर्न” होने के समान है। यूवी-ए और यूवी-बी के अलावा, सूरज यूवी-सी किरणों का भी उत्सर्जन करता है। लेकिन ये किरणें पहले से ही ओजोन परत द्वारा अवशोषित हो जाती हैं और इसलिए आंखों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाती हैं।
सूर्य के अलावा पराबैंगनी किरणों (Ultraviolet Rays) के अलग-अलग स्रोतों में शामिल हैं:
- वेल्डिंग स्पार्क्स (Welding Sparks)
- मरकरी वैपर लैंप (Mercury Vapor Lamps)
- हलोजन, फ्लोरोसेंट और गर्म रोशनी (Halogen, Fluorescent and Incandescent Lights)
- टैनिंग लैंप और टैनिंग बेड (Tanning Lamps and Tanning Beds)
फोटोकेराटाइटिस रिस्क – Photokeratitis Risk
एक व्यक्ति को स्पष्ट रूप से फोटोकैराटाइटिस होने का हाई रिस्क होता है यदि वह:
- सूरज के सीधे और लंबे समय तक संपर्क में रहने के साथ बाहर बहुत समय बिताता है।
- मरकरी वैपर लैंप, बल्बों का उपयोग करता है या ऐसे वातावरण में काम करने में बहुत समय व्यतीत करता है जिसमें यूवी प्रकाश स्रोत होता है।
- ज़्यादा ऊंचाई पर रहता है (स्नो ब्लाइंडनेस विकसित होने की संभावना) या सनबेल्ट (यूवी किरणों के सीधे संपर्क में) में रहता है।
फोटोकेराटाइटिस का निदान – Photokeratitis Ka Nidan
यूवी किरणों के लंबे और निरंतर संपर्क के बाद, यदि व्यक्ति ऊपर बताए गए लक्षणों में से एक या अधिक विकसित करना शुरू कर देता है, तो उसे नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास जाने की सलाह दी जाती है। नेत्र रोग विशेषज्ञ मरीज़ से उसके फिज़िकल एनवायरनमेंट में होने वाले परिवर्तनों के बारे में पूछताछ करेगा और द्विपक्षीय आंखों की भागीदारी की जांच के लिए एक फिज़िकल एग्ज़ामिनेशन करेगा। यदि आंख की भागीदारी एकतरफा है, तो किसी को कॉर्नियल या टार्सल फॉरन बॉडी या एकतरफा आंखों में जलन और लालपन के अन्य कारणों का संदेह हो सकता है। वह यूवी किरणों के कारण आंखों को हुई क्षति की डिग्री निर्धारित करने के लिए परीक्षण भी कर सकता है। वह मरीज़ की आंखों के लिए फ्लोरेसिन नामक डाई युक्त आई ड्रॉप का भी उपयोग कर सकता है। डाई कॉर्नियल सर्फेस पर सतही अनियमितताओं को प्रकट करने में मदद करती है।
फोटोकेराटाइटिस का उपचार – Photokeratitis Ka Upchar
फोटोकेराटाइटिस एक ऐसी बीमारी है जो आमतौर पर अपने आप दूर हो जाती है। इसलिए मेडिकल उपचार में केवल स्थिति को आसान बनाने और लक्षणों को सहने योग्य बनाने के लिए कदम शामिल होते हैं जब तक कि आंखों को बीमारी से पूरी तरह राहत नहीं मिल जाती।
फोटोकेराटाइटिस के इलाज के कुछ महत्वपूर्ण तरीके इस प्रकार हैं:
- मरीज़ की बंद आँखों के ऊपर ठंडे पानी में डूबा हुआ एक मुलायम वॉशक्लॉथ रखें। प्रभावित आंखों की 10 से 15 मिनट तक हल्की मालिश करें।
- आर्टिफिशियल आँसू का प्रयोग करें, खासकर उन मामलों के लिए जिनमें आंखें सूखी हो गई हैं। इस प्रकार उत्पन्न होने वाले आंसू आंख के ऊपर एक सुरक्षात्मक परत बनाएंगे जो आंख को यूवी किरणों से बचाने में मदद करेगी।
- अपने नेत्र रोग विशेषज्ञ की सिफारिशों के अनुसार आंखों के लिए नियमित रूप से आई ड्रॉप का उपयोग करें।
- अगर आंखों में बहुत ज्यादा दर्द हो, तो दर्द निवारक का प्रयोग करें।
- धूप में या यूवी किरणों के किसी भी स्रोत के पास जाने से बचें। जब तक आपकी आंख की स्थिति में सुधार न हो जाए, तब तक बैठने और अपना अधिकांश समय अंधेरे में बिताने की कोशिश करें।
विशिष्ट चिकित्सा उपचार में मुख्य रूप से ऑप्थलमैलिक एंटीबायोटिक साल्यूशन की कुछ ड्राप्स को डालने के बाद आंखों को पैच के साथ बंद रखना शामिल है। लेकिन यह उपचार विकल्प कई विशेषज्ञों द्वारा बहुत उपयोगी नहीं पाया गया है। इसलिए आर्टिफिशियल आँसू, ऑइंटमेंट, आई ड्राप्स और ऑरल एनलगेसिक्स दवाओं के उपयोग जैसे अन्य विकल्पों को प्राथमिकता दी जाती है। दृष्टि ज्यादातर मामलों में 24 से 48 घंटों की अवधि के भीतर कॉर्नियल सतह को पुनर्जीवित करने के साथ 18 घंटों के बाद वापस आती है।
सावधानियां – Savdhaniyan
कॉर्निया में जलन या फोटोकेराटाइटिस होने पर आपको निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए, जैसे-
- अलग मरीज कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग करता है, तो उसे कॉर्निया ठीक होने तक उन्हें दूर रखना चाहिए।
- फोटोकैराटाइटिस से पीड़ित व्यक्ति को उपचार के दौरान अपनी आंखें नहीं मलनी चाहिए। आंखों को मलने से पहले से ही दर्दनाक आंख के संक्रमित होने की संभावना बढ़ सकती है।
- यूवी खतरे को कम करने के लिए बाहर जाते समय पर्याप्त यूवीबी प्रोटेक्शन और आंखों के पूरे कवरेज (साइड शील्ड) के साथ धूप का चश्मा या शेड्स का प्रयोग करें।
निष्कर्ष – Nishkarsh
अपनी आंखों का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने आंखों के डॉक्टर के पास जाएं और नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच करवाएं। वह आपकी आंखों की बीमारी के इलाज के लिए बेहतर तरीके का आकलन करने में सक्षम होंगे। ज़्यादा जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट eyemantra.in पर जाएं। आई मंत्रा के साथ अपनी अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए हमें +91-9711115191 पर कॉल करें या हमें [email protected] पर मेल करें। हमारी अन्य सेवाओं में रेटिना सर्जरी, चश्मा हटाना, मोतियाबिंद सर्जरी आदि शामिल हैं।