Eye Diseases

दृष्टिवैषम्य (एस्टिग्मेटिज्म): लक्षण और उपचार – Drishtivaishamya (Astigmatism): Lakshan Aur Upchar

दृष्टिवैषम्य (एस्टिग्मेटिज्म) क्या है? Drishtivaishamya (Astigmatism) Kya Hai?

दृष्टिवैषम्य (Astigmatism) एक त्रुटि या एरर है जो कॉर्निया/लेंस के आकार में विकसित होती है या इसके आकार में थोड़ी सी खराबी होती है। आमतौर पर कॉर्निया और लेंस का आकार घुमावदार होता है और सभी दिशाओं में समान रूप से फैला होता है और वे आमतौर पर चिकने (स्मूद) होते हैं। यह कॉर्निया और लेंस से टकराने वाली प्रकाश किरणों को आंख के पीछे स्थित रेटिना पर केंद्रित करने में मदद करता है। यदि कॉर्निया या लेंस का आकार थोड़ा अनियमित होता है और स्मूद नहीं है, तो यह ठीक से मुड़ा नहीं होगा और डॉक्टर के शब्दों में इसे रिफरेक्टिव एरर (Refractive Error) के रूप में जाना जाता है। इससे लोगों को धुंधली या विकृत दृष्टि होती है। दृष्टिवैषम्य इस बात से अलग होता है कि यह कहाँ प्रभावित होता है। यदि कॉर्निया का आकार अनियमित है, तो इसे “कॉर्नियल दृष्टिवैषम्य” (Corneal Astigmatism) कहा जाता है और यदि लेंस का आकार विकृत हो जाता है, तो इसे “लेंटिकुलर दृष्टिवैषम्य” (Lenticular Astigmatism) के रूप में जाना जाता है।

नज़दीक दृष्टि (मायोपिया) या दूरदृष्टि (हाइपरमेट्रोपिया) से पीड़ित लोगों में दृष्टिवैषम्य हो सकता है और यह बहुत आम है। यह “कॉर्नियल एस्टिग्मेटिज्म” या “लेंटिकुलर एस्टिग्मेटिज्म ” हो सकता और दोनों ही मामलों में दृष्टि विकृत होती है और एक लहरती उपस्थिति होती है।यह लोगों की सामान्य जीवन शैली में समस्या पैदा कर सकती है। सामान्य वस्तु का आकार अत्यधिक विकृत हो जाता है और यह सामान्य प्रतीत नहीं हो सकता है, उदाहरण के लिए, एक ग्राउंड बॉल दीर्घवृत्ताकार (ellipsoidal) आकार की हो सकती है या एक छोटी वस्तु लम्बी दिखाई दे सकती है।

दृष्टिवैषम्य से प्रभावित बच्चे तब तक नहीं जानते कि उन्हें दृष्टिवैषम्य है, जब तक कि वे दृष्टि में धुंधलापन का अनुभव न करने लगें। दृष्टिवैषम्य आमतौर पर जेनेटिक हो सकता है और लोगों को उनके जन्म से ही प्रभावित कर सकता है। समय के साथ स्थिति कम या उत्तरोत्तर खराब हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति की दृष्टि में वस्तुओं के आकार में धुंधलापन या परिवर्तन होना शुरू हो जाता है, तो उन्हें तुरंत नेत्र चिकित्सक से जांच करवानी चाहिए और डॉक्टर चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस की सलाह दे सकते हैं जो आपकी दृष्टि में बदलाव कर सकता है।

दृष्टिवैषम्य (एस्टिग्मेटिज्म) के लक्षण – Drishtivaishamya (Astigmatism) Ke Lakshan

दृष्टिवैषम्य के लक्षणों में शामिल हैं: 

  • दृष्टि में धुंधलापन
  • आंखों में तनाव
  • बार-बार सिरदर्द
  • रात में देखने में कठिनाई
  • स्पष्ट रूप से देखने की कोशिश करते समय झुकना
  • आंखों में बेचैनी

अगर किसी व्यक्ति में ये लक्षण होने लगें तो बेहतर होगा कि वह किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ (ophthalmologist) से सलाह लें। आंखों के डॉक्टर यह निर्धारित करने के लिए आवश्यक आंखों की जांच करेंगे कि यह दृष्टिवैषम्य है या कोई अन्य स्थिति है। डॉक्टर “विजुअल एक्युटि” नामक एक एग्जामिन करेंगे। उसमें वह आपको आंखों के चार्ट के लिए डिज़ाइन किए गए कुछ अक्षरों को पढ़ने के लिए कहेंगे। यह जांच आपकी दृष्टि की तीक्ष्णता (शार्पनेस) को निर्धारित करती है।

दृष्टि के माप को निर्धारित करने वाले उपकरणों में शामिल हैं:

  • केराटोमीटर (Keratometer)– यह एक उपकरण है जो कॉर्निया लेंस की सामने के सर्फेस की कर्वेटर को मापता है। इसे ओफ्थाल्मोमीटर के रूप में भी जाना जाता है।
  • फोरोप्टर (Phoropter)- यह टेस्ट के दौरान प्रत्येक आंख पर व्यक्तिगत रूप से लेंस की जांच करने के लिए उपयोग किया जाने वाला उपकरण है। यदि कोई व्यक्ति फ़ोरोप्टर द्वारा निर्धारित किसी विशेष लेंस से स्पष्ट रूप से देख सकता है, तो उस लेंस का उपयोग किया जाता है।
  • ऑटोरिफ्रेक्टर (Autorefractor)– आंखों की जांच के दौरान लाइट की इंटेन्सिटी और आंख में लाइट पैथ में परिवर्तन का विश्लेषण किया जाता है और उपकरण व्यक्ति की आंख की रिफरैक्टिव एरर के कुछ माप प्रदान करता है और उपयुक्त कॉन्टैक्ट लेंस या चश्मे के बारे में भी एक आइडिया देता है।

इन सभी टेस्ट को करने के बाद नेत्र चिकित्सक सभी मापों का विश्लेषण करता है और यह निर्धारित करता है कि व्यक्ति दृष्टिवैषम्य से पीड़ित है या नहीं।

आपकी दृष्टिवैषम्य माप रिपोर्ट में कुछ संख्याएँ हैं जो वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण हैं। दृष्टिवैषम्य को रिफरैक्टिव पावर की इकाई में मापा जाता है जिसे डायोप्टर कहा जाता है। सही दृष्टि वाले व्यक्ति के पास 0 डायोप्टर होते हैं जबकि अधिकांश लोगों में 0.5 से 0.75 की सीमा में डायोप्टर होते हैं। यदि माप 1.5 से अधिक है, तो उसे स्पष्ट रूप से देखने के लिए चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस की आवश्यकता हो सकती है। 

कॉन्टैक्ट लेंस या चश्मे के प्रिस्क्रिप्शन में तीन में से अंतिम दो नंबरों को दृष्टिवैषम्य कहा जाता है। कुछ के बारे में नीचे बताया गया है:

  1. स्फेरिकल (एसपीएच) – यह हमें डायोप्टर में मापे गए लेंस की पावर की मात्रा के बारे में बताता है। एक पॉजिटिव (+) चिन्ह दूर-दृष्टि को इंगित करता है और एक नेगेटिव (-) चिन्ह निकट-दृष्टिता को इंगित करता है।
  2. सिलेंडर (सीवाईएल) – यह इंगित करता है कि एक व्यक्ति किस हद तक दृष्टिवैषम्य से पीड़ित है। यदि इस कॉलम के नीचे का माप खाली है, तो व्यक्ति को कोई दृष्टिवैषम्य नहीं है या हल्का दृष्टिवैषम्य है जिसमें लेंस या चश्मे का उपयोग शामिल नहीं है।
  3. एक्सिस (Axis) – यह उस कोण की मात्रा को दर्शाता है जिस पर आपके कॉन्टैक्ट लेंस में सिलेंड्रीकल सेक्शन रखा गया है। एक्सिस नंबर की रेंज 1 से 180 तक होती है।

दृष्टिवैषम्य (एस्टिग्मेटिज्म) के कारण – Drishtivaishamya (Astigmatism) Ke Kaaran

जैसा कि पहले कहा गया है कि एस्टिग्मेटिज्म फैमिली जेनेटिक्स से संबंधित हो सकता है या यह किसी दुर्घटना के बाद या आंख की बीमारी के बाद या सर्जरी के बाद भी हो सकता है। कॉर्निया/लेंस आंख में आने वाले लाइट पैथ को मोड़ने के लिए जाना जाता है। प्रकाश की उस किरण को रेटिना पर सटीक रूप से केंद्रित करने के लिए कॉर्निया लेंस को स्मूद और आकार में परफैक्ट होना चाहिए, तो वस्तु को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। हालांकि दृष्टिवैषम्य में कॉर्निया लेंस का आकार गोल नहीं होता है और प्रकाश की किरण आवश्यक क्षेत्र में रेटिना से नहीं टकराती है, इसलिए दृष्टि लहराती और धुंधली हो जाती है। डॉक्टरों भी अभी यह पता नहीं लगा पाए हैं कि कॉर्निया का आकार अलग-अलग लोगों में अलग-अलग क्यों होता है।

केराटोकोनस (Keratoconus) भी एक दुर्लभ स्थिति है, जो दृष्टिवैषम्य का मुख्य कारण हो सकती है। इसमें कॉर्निया पतला और कोन-शेप के आकार का हो जाता है। इससे दृष्टिवैषम्य समय के साथ बिगड़ जाता है और लोगों को चीजों को देखने के लिए चश्मे के बजाय कॉन्टैक्ट लेंस की आवश्यकता हो सकती है। कभी-कभी उन्हें कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन की आवश्यकता होती है। 

दृष्टिवैषम्य (एस्टिग्मेटिज्म) का उपचार – Drishtivaishamya (Astigmatism) Ka Upchar

आमतौर पर चश्मा और कॉन्टैक्ट लेंस दृष्टिवैषम्य के कारणों को ठीक करने के लिए जाने जाते हैं। कुछ मामलों के लिए कुछ उपचारों की आवश्यकता होती है जिनमें शामिल हैं:

ऑर्थोकेरेटोलॉजी (Orthokeratology

ऑर्थोकेरेटोलॉजी को कॉर्नियल रिफ्रैक्टिव थेरेपी/ऑर्थो-के या ओवरनाइट विजन करेक्शन के रूप में भी जाना जाता है। इसमें कॉन्टैक्ट लेंस की एक सीरीज़ का उपयोग शामिल है जो कॉर्निया को फिर से आकार देता है। ओवरनाइट टर्म इसलिए आता है क्योंकि व्यक्ति को अस्थायी रूप से कॉन्टैक्ट लेंस पहनने का सुझाव दिया जाता है, जैसे रात भर और फिर सुबह उन्हें हटाने की सलाह दी जाती है। ऑर्थो-के दृष्टि को स्थायी रूप से ठीक नहीं करता है। यदि व्यक्ति कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग करना बंद कर देता है, तो उसकी दृष्टि अपनी पहले जैसी स्थिति में वापस आ सकती है।

लेसिक और पीआरके सर्जरी (LASIK and PRK Surgery)

लेसिक सर्जरी (सीटू केराटोमाइलेज में लेज़र) कॉर्निया के आकार को ठीक करने के लिए एक सर्जरी है जिसमें कॉर्निया के अंदरूनी हिस्से से टीशू की एक पतली लेयर को हटाना शामिल है। पीआरके (Photorefractive keratectomy) एक प्रकार की लेज़र सर्जरी है जिसमें नेत्र सर्जन कॉर्निया की ऊपरी परत से टीशू को हटाता है, जिसे एपिथेलियम कहा जाता है और बदले में आकार और वक्रता को ठीक करता है।

निष्कर्ष – Nishkarsh

आपका आंखों का डॉक्टर आपकी स्थिति के लिए सबसे उपयुक्त और बेहतर उपचार की सलाह देगा और वह आपके साथ उपलब्ध सर्जरी के ऑप्शन पर भी चर्चा करेगा। आप आईमंत्रा के साथ अपनी अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए +91-9711115191 पर कॉल कर सकते हैं या आप हमें eyemantra1@gmail.com पर मेल भी कर सकते हैं। हम रेटिना सर्जरीस्पेक्स रिमूवललेसिक सर्जरीस्क्विंटमोतियाबिंद सर्जरीग्लूकोमा सर्जरी जैसी कई अलग-अलग सेवाएं भी प्रदान करते हैं।

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