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थायराइड के मरीज की आंख में कभी-कभी एक ऐसी कंडीशन डेवलप हो जाती है, जिसकी वजह से इम्यून सिस्टम आंखों के आसपास की मांसपेशियों और अन्य टिशूज पर अटैक करना लगता है। थायराइड नेत्र रोग की वजह से आने वाली यह सूजन आईबॉल में देखने में ऐसी लगती है कि मानो आंखें अपने सॉकेट से बाहर आ जाएगी। यह सूजन एक ऑटोइम्यून रिएक्शन के कारण होती है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम आंखों के आसपास की मांसपेशियों और अन्य टिशूज पर अटैक करना लगता है।
थायराइड नेत्र रोग में इम्यून सेल्ज़ थायरॉयड ग्रंथि पर हमला करती हैं ,जो बदले में थायराइड हार्मोन की ज्यादा मात्रा को स्रावित करके रिएक्शन करती हैं। इससे थायरॉइड ग्लैंंड बढ़ जाती है और एकस्ट्रा हार्मोन मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती हैं। हाइपरमेटाबोलिक अवस्था में तेज नाड़ी / दिल की धड़कन, ज्यादा पसीना, हाई बल्ड प्रेशर, चिड़चिड़ापन, हिट इंटोलरेंस, वजन कम होना, थकान, बालों का झड़ना और बालों की क्वलिटी में बदलाव जैसे लक्षण देखने को मिलते है। जब इम्यून सिस्टम आंखों के अंदर और आसपास के टिशू पर हमला करता है, तो इससे आंखों की मसल्स और फैट का एक्सपैंशन होने लगता है।
आंखें इस बीमारी की वजह से विशेष रूप से कमजोर हो जाती हैं क्योंकि ऑटोइम्यून अटैक अक्सर आंखों की मांसपेशियों और आंख के सॉकेट के भीतर के कनेक्टीव टिशू को टारगेट करता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन टिशूज में प्रोटीन मौजूद रहता हैं, जोकि थायरॉयड ग्रंथि के इम्यून सिस्टम के जैसे ही दिखाई देता हैं। इस नेत्र रोग के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं, लेकिन दृष्टि हानि का खतरा केवल 10-20% रोगियों में ही हो सकता है। इसके अलावा बहुत ही कम मामले ऐसे होते जो गंभीर रुप लेते है, या फिर जिनमें दृष्टि का नुकसान हो सकता है।
थायराइड नेत्र रोग (TED) को कभी-कभी इन अन्य नामों से भी जाना जाता है-
थायरॉइड रोग और थायरॉइड नेत्र रोग दोनों ही बीमारियां हेल्थी टिशूज पर इम्यून सिस्टम के अटैक पैदा होती है। हालांकि एक रोग सीधे दूसरे रोग का कारण नहीं बनता है। इसलिए जरूरी नहीं कि थायरॉइड ग्रंथि के इलाज से आंखों की बीमारी में सुधार हो जाएगा। दोनों रोग अपने अलग-अलग कोर्स से चलते हैं और इन्हें एक ही समय में हल नहीं किया जा सकते हैं।
TED सूजन पैदा कर सकता है, जोकि आंखों के आसपास की मसल्स और अन्य टीशूज को प्रभावित कर सकता है। इसके लक्षण हो सकते हैं:
इसे ज्यादा एडवांस स्टेज में आंखों की स्पीड में कमी होने लगती है। पलक झपकने में भी मुश्किल होती है, साथ ही कॉर्नियल अल्सरेशन के साथ आंख का सिर्फ आधा ही बंद होना जैसी परेशानियां भी होने लगती है। ऑप्टिक नर्व का कम्प्रेशन भी इसके लक्षणों मे शामिल है। इसे शायद ही कभी, दृष्टि का नुकसान हो सकता है।
थायराइड रोग शरीर के इम्यून सिस्टम में खराबी के कारण होता है। इस रोग के होने की अभी असल वजह साफ तौर पर पता नहीं लग पाई है। एक नॉर्मल वायरस बैक्टीरिया, या अन्य विदेशी सब्सटेंश के लिए सामान्य इम्यून सिस्टम रिएक्शन उन्हें टारगेट करने के लिए डिज़ाइन किए गए एंटीबॉडी का प्रोडक्शन करता है। थायराइड रोग में शरीर की थायरॉयड ग्लैंड में सेल्स के एक हिस्से के लिए एक एंटीबॉडी का प्रोडक्श करता है, जो गर्दन में एक हार्मोन- प्रोड्यूसिंग ग्लैंड है।
आमतौर पर थायरॉयड फंक्शन दिमाग के बेस पर एक छोटी ग्लैंड द्वारा रिलीज एक हार्मोन द्वारा कंट्रोल होता है, जिसे पिट्यूटरी ग्लैंड कहा जाता है। थायराइड से जुड़ा एंटीबॉडी – थायरोट्रोपिन रिसेप्टर एंटीबॉडी (टीआरएबी) – रेगुलेटरी पिट्यूटरी हार्मोन के रूप में काम करता है। इसका मतलब है कि टीआरएबी थायराइड के नॉर्मल रेगुलेशन को ओवरराइड करता है, जिससे थायराइड हार्मोन (हाइपरथायरायडिज्म) की क्वांटिटी ज्यादा हो जाती है। यह कंडिशन आंखों के पीछे की मसल्स और टिशूज में कुछ कार्बोहाइड्रेट के डेवलपमेंट की वजह से होती है – इसकी असल वजह अभी भी ज्ञात नहीं है। ऐसा लगता है कि वही एंटीबॉडी जो थायरॉइड डिसफंक्शन को प्रेरित कर सकती है, आंखों के आसपास के टिशूज के लिए “अट्रेक्शन” का काम भी कर सकती है।
TED एक ऑटोइम्यून आंख की कंडिशन है, जो थायरॉयड रोग से अलग होने पर, अक्सर इसके साथ कंजक्शन में देखी जाती है। थायरॉइड रोग वाले लगभग 25% से 30% लोगों में हल्के लक्षण होते हैं, जबकि केवल एक छोटे प्रतिशत में ही गंभीर लक्षण डेवलप होते है। थायराइड ऑप्थल्मोपैथी अक्सर हाइपरथायरायडिज्म के रूप में या कई महीनों बाद दिखाई देती है, लेकिन ऑप्थल्मोपैथी के लक्षण हाइपरथायरायडिज्म की शुरुआत से सालों पहले या बाद में हो सकते हैं। हाइपरथायरायडिज्म न होने पर भी थायरॉइड ऑप्थल्मोपैथी की शिकायत हो सकती है।
हालाँकि, यह स्थिति उन लोगों में देखी जाती है, जिनमें थायराइड के डिसफंक्शन के कोई अन्य लक्षण नहीं होते हैं। हालांकि, अधिकांश थायराइड रोगियों में थायराइड नेत्र रोग विकसित नहीं होता है। अगर उनमें यह रोग विकसित भी होता है तो इसके हल्के लक्षण ही रोगी में देखने को मिलेंगे।
यह रोग हाइपरथायरॉइड रोगियों (77%) में सबसे अधिक दिखाई देता है, और यूथायरॉइड (20%) और हाइपोथायरायड (3 प्रतिशत) रोगियों में कम बार होता है। TED थायराइड रोग से पहले या बाद में सामने आ सकता है। आमतौर पर ज्यादातर मरीजों में एक- दूसरे के 18 महीने के भीतर यह लक्षण दिखाई देते है। हालांकि इस रोग की सीरियसनेस और पीरियड बहुत अलग-० अलग होते है, फिर भी TED एक सेल्फ- लिमिटींग बीमारी है, जोकि स्मोकिंग न करने वालों के लिए लगभग एक साल और स्मोकिंग करने वालों के लिए तीन वर्ष तक रहती है।
TED आमतौर पर 30 से 60 साल की उम्र के बीच होता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसके होने के चांस 5 गुना ज्यादा होते है। हालांकि पुरुष में यदि यह रोग होता है, तो इसके लक्षण काफि एडवांस ऐज में और बहुत सीरियस रुप में देखने को मिलते है। स्मोकिंग सबसे मजबूत रिस्क का कारक है, जिसकी वजह से रोग और भी ज्यादा सीरियस रुप ले लेता है। यह कंडिशन फिर इम्यूनो-सप्रेसिव थेरेपी के प्रति कम रिस्पॉसिव हो जाती है।
पहले, यह माना जाता था कि रेडियो एक्टिव आयोडीन (आरएआई) का इस्तेमाल करके हाइपरथायरायडिज्म का इलाज TED के डेवलपमेंट या इसके बिगड़ने से जुड़ा हुआ है। हालांकि आगे की स्टडीज ने यह सुझाव दिया है कि आरएआई इलाज के बाद थायराइड हार्मोन का तेजी से स्टेबलाइजेशन एडवर्सन प्रोग्रेसन को रोक सकता है।
कुछ रिसर्च्स ने TED को जेनेटेकली रूप से ट्रांसमिटीड होने से जोड़ा है, लेकिन स्पेशफिक सबूतों को कंफर्म किया जाना बाकी है।
हल्के मामलों के लिए आपको दिन में कुछ बार आंखों को लुब्रिकेट करने के लिए आई ड्रॉप और आर्टिफिशियल टियर डालने की सलाह दी जा सकती है। हवा और तेज रोशनी से बचें। यदि आपको सीरियस लक्षण देखने को मिल रहें हैं, तो आपका डॉक्टर आपकी आंखों की सूजन को कम करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसे कि प्रेडनिसोन लिख सकता है, हालांकि सिर्फ कुछ रोगियों में ऑर्बिट डिकम्प्रेशन सर्जरी की सलाह दी जाती है। यह प्रोसेजर आंख के सॉकेट और उसके पीछे की हवा साइनस के बीच की हड्डी को हटा देता है, ताकि आपकी आंख में अधिक जगह बनें। इससे आपकी दृष्टि में सुधार हो सकता है, लेकिन फिर भी डबल विजन का खतरा रहेगा।
डबल विजन की परेशानी तब भी हो सकती है, जब नेत्र रोग से स्कार टिशू आंख की मशल्स को बहुत छोटा कर देता है। एक विजन देने के लिए और लंबाई को सही करने के लिए आई मसल सर्जरी का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि इस सर्जरी को सफल बनाने के लिए एक से अधिक सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
आगे हम TED के रोगियों के इलाज के लिए बेस्ट टैक्निक पर बात करेंगे-
विटामिन सप्लीमेंट्स: माइल्ड थायरॉइड नेत्र रोग वाले रोगियों में सेलेनियम के सप्लीमेंट्स रोग की सीरियसनेस और प्रोग्रेस को कम करने के लिए इफेक्टीव माने गए है, इसलिए बीमारी के दौरान जितनी जल्दी हो सके इसकी खुराक देना शुरू कर दिया जाता है, अनुमान है कि शुरुआत के 6 महीने के भीतर TED के रोगियों में विटामिन डी संप्लीमेंट्स के ऊपर कोई सही रिसर्च नहीं की गई है, हालांकि, लेबोटरी स्टडीज ने एक एंटी- इंफ्लामेंट्री रिएक्शन दिया है। विटामिन डी की बल्ड लेवल में जाँच करवाना और उचित रूप से सप्लीमेंटस की राय. देना रोगी के लिए फायदेंमंद साबित हो सकता है। इसके अलावा, एक अच्छा मल्टीविटामिन और एक हेल्थी डाइट कम खासतौर पर कम फैट प्रोसेस्ड फूड ओवरऑल हेल्थ के साथ- साथ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (gastrointestinal) के लिए भी फायदेमंद होता हैं।
टॉपिकल दवाएं: ओकुलर सरफेस डिजीज के इलाज के लिए टॉपिकल आई ड्रॉप्स या ऑइंटमेंट सबसे अधिक सजेस्ट किया जाता हैं। शुरुआती और एक्टिव स्टेज में आंख की सतह की सूजन ड्राई आंखों का कारण बनती है। यह अक्सर लोटेप्रेडनोल या फ्लूरोमेथोलोन जैसे कम खुराक वाले स्टेरॉयड का रिस्पॉस देता है। जबकि बीमारी के बाद के स्टेज में, क्रोनिक एक्सपोजर ड्राई आंखों का मैन रिज़न है और इसे लुब्रिकेशन की मदद से ठीक किया जा सकता है। कृत्रिम आँसू, जेल, और रात के समय मलहम अक्सर जरुरी होते हैं,जबकि लास्ट में सर्जरी की जरुरत हो सकती है। एक अग्रेसिव टॉपिकल डाइट TED से पीड़ित रोगियों के लिए जीवन की क्वीलिटी में सुधार कर सकता है।
स्टेरॉयड–
स्टेरॉयड TED में लक्षणों को कम करने के लिए बेस्ट हैं, लेकिन यह बीमारी में कोई बदलाव नहीं करते हैं। यह इसकी स्टेज में सॉफ्ट-टिशू के लक्षणों में सिर्फ तब तक सुधार करते हैं जब तक कि शरीर रोग के स्टेबल बाद के स्टेज में नहीं जा सकता।
स्टेरॉयड को ऑर्बिट में सीधे इंजेक्शन के रूप में इट्रावेनस इंन्फ्यूजन के रूप में, या फिर गोलियों के रूप में दिया जा सकता है। क्लिनिक में हर चार सप्ताह में जितनी बार प्रत्यक्ष इंजेक्शन दिए जा सकते हैं। यह उन रोगियों को ज्यादा राहत प्रदान करेगा , जिन्हें भीड़ में आंखों में दर्द या सुस्त दर्द का अहसास होता है। यह विशेष रूप से हेल्पफुल होते हैं। यदि रोग अलग है या यदि किसी रोगी को डायबिटीड है, या फिर इसके अलावा कोई दूसरी हेल्थ कंडीशन है जो स्टेरॉयड के अन्य रुप को रिस्की बनाती है।इट्रावेनस स्टेरॉयड को ओरल स्टेरॉयड (80 से 50) की कम्परिजन में ज्यादा इफेक्टीवनेस के लिए जाना जाता है।
हालांकि यह TED का इलाज नहीं है, लेकिन यह क्लीनिकल सिवेरिटी को कम करता है और रोगी की लाइफ की क्वालिटी में सुधार करता है। लेकिन लगभग 10% रोगी स्टेरॉयड के रेजिस्टेंट होते हैं। स्टेरॉयड लेने से रोगी को इन्सोम्निया, लिवर फेल होना, डायबिटीज, साइकोलॉजिकल बदलाव और कभी-कभी रोगी की मौत भी हो सकती है, क्योंकि यह ट्रीटमेंट रोग के कोर्स को नहीं बदलता है। ट्रीटमेंट के इस तरीके को अपनाने या न करने का फैसला बहुत ही पर्सनल होता है। सिवाय जब, जब रोगी को दृष्टि के नुकसान का अनुभव होने लगता है।
ऑर्बिट रेडिएशन: रेडिएशन उन मामलों में हेल्पफुल होता है, जब सूजन लगातार बनी रहती है। ज्यादातर समय, यह स्टेरॉयड के साथ प्रिसक्राइब्ड किया जाता है, क्योंकि रेडिएशन और स्टेरॉयड का कंबाइंड इफेक्ट अकेले सेम अधिक होता है। आम साइड इफेक्ट्स में कॉर्निया की ड्राईनेस या मोतियाबिंद का डेवलपमेंट शामिल होता है। रेडिएशन उन रोगियों में विशेष रूप से हेल्पफुल हो सकता है, जिनको स्क्वींट आई और डबल विजन की शिकायत होता है, हालांकि यह एक्टिव थायरॉयड नेत्र रोग के कोर्स को ठीक या छोटा नहीं करता है।
बायोलॉजिकल थेरेपी: बायोलॉजिकल थेरेपी या कस्टमाइज मॉलेक्यूलर ड्रग जो TED में अबनॉर्मल बायो कैमिकल रास्तों को सीधे टारगेट करती हैं। यह भविष्य के लिए आशाजनक हो सकते है। इसके अलावा, दवाएं काफी महंगी हैं, जोकि लार्ज- स्केल पर रेंडमाइज्ड ट्रायल करने से रोकती हैं। बायोलॉजिकल दवाओं और टारगेट मॉलेक्यूलर थेरेपी के लिए बहुत ज्यादा रिसर्च की जरुरत है।
ऑर्बिटल डीकंप्रेसन: ऑर्बिटल डीकंप्रेसन सर्जरी TED रोगियों के रिहेबिलेशन का मुख्य तरीका है। यह बीमारी की वजह से होने वाले लगभग हर नुकसान की भरपाई कर सकता है। चाहे वह साइट- थ्रेटनिंग हो या ऑप्टिक नर्व का नुकसान या फिर यूनिवर्स के लिए कॉर्नियल एक्सपोजर, इस सर्जरी के बाद लाइफ की क्वालिटी में काफी सुधार होता है, क्योंकि यह ऑर्बिट कंडीशन, दर्द और ड्राई आई में सुधार करता है। इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक के आधार पर सामान्य कॉम्प्लीकेशन्स में डबल विजन और स्कार्स शामिल हैं। बहुत कम मामले ऐसे होते है जिनमें दृष्टि का नुकसान हो सकता है (ऑपरेटिड आंख में 0.5% से कम या पूरा)।
हालांकि इन्हें नई, न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल तकनीकों से कम किया जा सकता है। यह सर्जरी एक आउट पेशेंट के आधार पर की जाती है, जनरल एनेस्थीसिया के साथ पलकों की नेचुरल लेयर में छिपे त्वचा चीरों के जरिए यह 60 से 90 मिनट तक चल सकती है।
स्ट्रैबिस्मस सर्जरी: स्क्विंट ट्रीटमेंट सर्जरी काफी आम है। ज्यादातर एक्सटर्नल मसल्स को एडजस्ट करने और डबल विजन में सुधार करने के लिए यह की जाती है, हालांकि TED के लिए स्ट्रैबिस्मस सर्जरी सामान्य सर्जरी की कम्परिजन में कहीं ज्यादा कठिन है। इस समस्या का इलाज किसी अच्छे आंखों के अस्पताल के द्वारा करवाना होगा, जोकि थायरॉइड नेत्र रोग में अच्छी तरह से अनुभवी है। इस सर्जरी में लगभग 30 से 60 मिनट का समय लगता है। यह नॉर्मल या टॉपिकल एनिथिसिया के तहत किया जा सकता है। यह एक आउट पेशेंट के बेस पर किया जाता है। कितनी मसल्स का ऑपरेशन किया गया था, इसके बेसिस पर मरीजों में जरुरी सुधार हो देखने को मिल सकते है।
आइलिड सर्जरी: पलक की मरम्मत के लिए यह सर्जरी अक्सर रिहेबिलेशन में लास्ट स्टेज के रूप में की जाती है। यह कदम सबसे सेसीटिव भी हो सकता है, क्योंकि पलक का स्ट्रक्चर ठीक और अनप्रेडिक्टेबल होता है। हालांकि, आमतौर पर जरुरी सुधार हासिल कर लिए जाते है। यह सर्जरी लोकल एनिथिसिया के तहत की जाती है, इसमें 30 से 60 मिनट का समय लग सकता है, और यह एक आउट पेशेंट के बेसिस पर होती है।
कॉस्मेटिक सर्जरी: TED मुख्य रूप से ऑर्बिट के अंदर के टिशूज को एफेक्ट करता है। इसकी वजह से त्वचा, भौहें, गाल, गर्दन और चेहरे के और भी एरिया में मौजूद फैट में जरुरी बदलाव दिखाई देने लगते हैं। इन बदलावों को लेजर, फिलर्स, आई बोटॉक्स (यानी बोटुलिनम टॉक्सिन), या पलक, भौंहें, चेहरे और गर्दन की सर्जरी कॉम्बिनेशन के साथ कॉन्टेक्ट किया जा सकता है। थायराइड नेत्र रोग के बारे में ओकुलोप्लास्टी सर्जरी से गुजरते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। यदि एक TED रोगी का इलाज भी उसी तरह से किया जाए जैसे और कॉस्मेटिक सर्जरी के रोगियों का किया जाता है, तो इस सर्जरी के नतीजे एक खोखला और अननेचुरल रूप ले सकते हैं। इसके नतीजे खराब के साथ गंभीर भी हो सकते हैं। इसके अलावा कॉर्नियल एक्सपोजर और विजन का नुकसान या आंख की हानि भी हो सकती है।
यदि आप ऊपर लिखें किसी भी लक्षण का सामना कर रहे हैं, तो कृपया जल्द ही एक नेत्र रोग विशेषज्ञ से मिलें ।
अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए इस नंबर पर +91-9711118331 कॉल करें। या eyemantra1@gmail.com पर ईमेल करें।।
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