आज के समय को देखें तो लगभग हर आबादी चश्मे का उपयोग करती है। इसके अनुसार हर व्यक्ति की अपनी जरूरतें होती हैं, जिसमें पढ़ने, ड्राइविंग और स्क्रीन का सामना करने जैसे कई ज़रूरी कामों के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है आंखों की दृष्टि का साफ होना। मेडिकल साइंस और टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट के साथ तरह-तरह के चश्मे ने ग्राहकों की हर ज़रुरत को पूरा किया है। इन्हीं में से एक हैं एंटी-रिफ्लेक्टिंग ग्लासेज़, लेकिन ज्यादातर लोग नहीं जानते कि हर काम के लिए किस तरह का चश्मा चाहिए होता है।
Contents
- 1 एंटी-रिफ्लेक्टिंग ग्लासेज़ क्या है? Anti-Reflecting Glasses Kya Hai?
- 2 एंटी-रिफ्लेक्टिंग ग्लासेज़ की कोटिंग कैसे होती है? Anti-Reflecting Glasses Ki Coating Kaise Hoti Hai?
- 3 क्या एंटी-रिफ्लेक्टिव ग्लासेज़ फायदेमंद हैं? Kya Anti-Reflective Glasses Faydemand Hain?
- 4 एंटी-रिफ्लेक्टिव ग्लासेज़ के फायदे – Anti-Reflective Glasses Ke Faayde
- 5 एंटी रिफ्लेक्टिंग ग्लासेज़ कैसे चुनें? Anti-Reflecting Glasses Kaise Chunein?
- 6 सावधानी – Savdhani
- 7 निष्कर्ष – Nishkarsh
एंटी-रिफ्लेक्टिंग ग्लासेज़ क्या है? Anti-Reflecting Glasses Kya Hai?
आई केयर बिज़नेस में इस एंटी-रिफ्लेक्टिंग चश्मे को ए.आर. कोटिंग ग्लासेज़ कहते हैं। एंटी-रिफ्लेक्टिंग ग्लास एक खास तरह का चश्मा होता है, जिसमें लेंस आपके चश्मे के लेंस से गुजरने वाले प्रकाश को संचारण (transmittance of light) का इस्तेमाल करने में मदद करता है। इन्हें टेलीस्कोप, बाइनोकुलर, कैमरों या चश्मे सहित किसी अन्य ऑप्टिकल सर्फेस में भी इस्तेमाल किया जाता है।
एंटी-रिफ्लेक्टिंग ग्लासेज़ की कोटिंग कैसे होती है? Anti-Reflecting Glasses Ki Coating Kaise Hoti Hai?
एंटी-रिफ्लेक्टिंग ग्लास की कोटिंग हाइली टेक्नीक मैकेनाइजेशन में से किसी एक प्रक्रिया के ज़रिए की जाती है, जिसमें से एक है वैक्यूम डिपोजिशन टेक्नोलॉजी। लेंस पर एंटी-ग्लेयर ग्लास लगाते समय कई सावधानियां बरतनी चाहिए, जैसे-
- शुरुआत में लेंस को अच्छी तरह से साफ करना पड़ता है। इस दौरान देखना ज़रूरी होता है कि एंटी-रिफ्लेक्टिंग ग्लास के लिए इस्तेमाल किए जा रहे लेंस में ज़रा भी गंदगी न हो। साथ ही सतह पर एक फेंटेड स्म्यूट कोटिंग प्रोसेस का रिज़ल्ट एक अनसाउंड प्रोडक्ट होगा।
- आमतौर पर लेंस की सतह को क्रिस्टल क्लियर करने के लिए अल्ट्रासोनिक बाथिंग प्रोसेस का ऑप्शन चुनते हैं। यह प्रक्रिया बार बार दोहराने से लेंस की अच्छी क्वालिटी प्राप्त होती है। लेंस हेयरलाइन स्मज फ्री हो जाने के बाद कोटिंग की जाती है।
- अब नहाने और धोने की प्रक्रिया के बाद कोटिंग प्रक्रिया को अप्लाई किया जाता है। इस दौरान कोटिंग करते वक्त लेंस पर नमी का कोई निशान नहीं रहना चाहिए, इसके लिए लेंस को हवा में सुखाने और गर्म करके नमी रहित बनाया जाता है।
- अगला प्रक्रिया में कोटिंग चैम्बर में अप्लाई किया जाता है। इसमें चैम्बर को सील करा जाता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसमें थोड़ी भी हवा पास न हो। एंटी-रिफ्लेक्टिव ग्लास बनाने के लिए लेंस को रैक में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
- सुपर क्लीन और ड्राई लेंस वाले रैक एक साथ रोटेट होते हैं, जिसमें हर कम्पार्टमेंट में मेटल ऑक्साइड युक्त इलेक्ट्रॉनों का एक बीम उत्सर्जित होता है।
- लेंस पर इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के बाद वे कोटिंग चैम्बर में ही वेपोराइज़्ड होकर लेंस की सतहों से चिपक जाते हैं, जिससे लेंस पर एक पतली और बारीक दिखने वाली लेयर बन जाती है।
क्या एंटी-रिफ्लेक्टिव ग्लासेज़ फायदेमंद हैं? Kya Anti-Reflective Glasses Faydemand Hain?
अब तक आप एंटी-रिफ्लेक्टिंग ग्लास क्या होते हैं और इनका प्रोडक्शन कैसे होता है ये जान गए हैं। फिर सवाल आता है कि क्या ये आपकी आंखों के लिए फायदेमंद हैं। क्या ये उपयोग करने लायक हैं? अगर हां, तो किस लेवल तक या सामान्य चश्मे से किस तरह अलग हैं?
आपके प्रश्न का उत्तर इसके गुणों में निहित है जो यह अपने यूज़र्स के लिए पेश करता है। आप उन चश्मे के साथ कैसे दिखते हैं, उनसे आपका विज़न कितना अच्छा है और पूरे दिन उनके इस्तेमाल के बाद आप कैसा फील करते हैं, इसमें ये एक मेन रोल प्ले करते हैं।
एंटी-रिफ्लेक्टिव ग्लासेज़ के फायदे – Anti-Reflective Glasses Ke Faayde
- स्पष्ट दृष्टि (Clear vision): तेज चमकदार रोशनी जो आपको चश्मे से साफ देखने से रोकती है। ये कभी-कभी चोट भी पहुँचाते हैं। एंटी-रिफ्लेक्टिंग कोटिंग आपके चश्मे से गुजरने के लिए ज़्यादा प्रकाश अनुमती देती है, जिससे ज़्यादा स्पष्ट दृष्टि मिलती है। यह उस ग्लेयर को दृष्टि में समस्या पैदा करने से रोकते हैं और उनके वजह से होने वाले दर्द को कम करने में भी मदद करते हैं। इसलिए आप सभी के पास एक स्पष्ट दृष्टि होनी चाहिए।
- अपीयरेंस एन्हांसमेंट (Appearance Enhancement): कई बार चश्मे वाले लोगों से बात करते वक्त उनकी आंखें ठीक से दिखाई नहीं देती। उनके चश्मे के ज़रिए आप उनका ब्लर आई विज़न देख सकते हैं। यह रिफ्लेक्शन के वजह से होता है, जो ऑनलाइन इंटरव्यू या रिलेटिव से बात करते वक्त आपके आत्मविश्वास के लेवल को कम करके परेशानी कर सकती हैं।
लंबे समय तक चलने वाला चश्मा (Longer-lasting glasses): ज़्यादा वक्त तक इस्तेमाल होने वाले चश्मे नाज़ुक होने की वजह से उन पर आसानी से खरोंच आ जाती है। एंटी-रिफ्लेक्टिंग ग्लास को इस तरह के कोटिंग से शील्ड करने से इसका खतरा कम हो जाता है। इन चश्मों के इस्तेमाल से आपके द्वारा इन चश्मों पर खर्च लागत कम हो जाएगी, क्योंकि चश्मे जितना कम खराब होंगे आपको उन्हें बदलने की उतनी ही कम ज़रूरत होगी।
- ब्लू लाइट एक्सपोजर में कमी (Reduction in blue light exposure): आप सोच रहे होंगे कि यह ब्लू लाइट क्या है। यह एक ऐसी लाइट है जो ज़्यादा मात्रा में एनर्जी रिलीज़ करती है। पहले इसके लिए सूर्य ही एकमात्र स्रोत था, लेकिन इंसानों ने डिजिटल दुनिया के विकास के क्रम में इसे बहुत करीब ला दिया है। इसके ज़्यादा इस्तेमाल से लोगों को दर्द, थकान और तनाव हो जाता है। बिना ग्लेयर वाले चश्मे एक प्रोटेक्टिव शील्ड के साथ उन हानिकारक किरणों का मुकाबला करते हैं और आपकी आंखों और दिमाग को बिना चोट पहुंचाए लंबे समय तक काम करते रहते हैं।
- यूवी रे प्रोटेक्शन (UV ray protection): एंटी-रिफ्लेक्टिव ग्लास हानिकारक किरणों के खिलाफ एक शील्ड के रूप में भी काम करते हैं, जिसमें सेफ्टी लेंस पीछे की ओर रखा जाता है।
एंटी रिफ्लेक्टिंग ग्लासेज़ कैसे चुनें? Anti-Reflecting Glasses Kaise Chunein?
सबसे अच्छा एंटी-रिफ्लेक्टिव कोटेड ग्लास चुनना कठिन हो सकता है। अगर आप इसे लेकर दुविधा में हैं, तो आपको किसी प्रोफेशनल के पास जाना चाहिए। वे आपके सवालों को ज़्यादा अच्छे से आपकी लाइफ-स्टाइल और आपके काम के हिसाब से सुलझा सकेंगे, क्योंकि अलग तरह के एंटी-रिफ्लेक्टिंग ग्लास कोटिंग की अलग परतों के साथ बनाए जाते हैं। जितनी ज़्यादा परतें होंगी, उतने ही ज़्यादा रिफ्लेक्शन खत्म होते हैं। उनके उद्देश्यों के साथ ए.आर कोटिंग ग्लास में से कुछ निम्नलिखित हैं। डॉक्टरों की सलाह है कि ज़्यादा वक्त तक स्क्रीन पर काम करने वाले लोगों को ए.आर कोटिंग का इस्तेमाल करना चाहिए, जो ब्लू लाइट के रिस्क को कम करता है।
सावधानी – Savdhani
क्या आपको अपने ए.आर कोटिंग ग्लास से सावधान रहने की ज़रूरत है? इसका जवाब है हाँ। यह सच है कि नॉन-कोटेट की तुलना में वे कम खराब होते हैं, लेकिन एक बार इन पर खरोंच आने के बाद ये साफ दिखने लगते हैं। इसलिए साफ करते वक्त उन्हें गीला करें। एंटी-रिफ्लेक्टिंग लेंस के लिए आपको सूखे कपड़े का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये कोटिंग को खराब कर देते हैं।
ए.आर कोटिंग ग्लास इन दिनों बहुत जरूरी हैं। आपको इस पर विचार करते हुए अपनी आंखों के बारे में ज़्यादा सावधान रहना चाहिए। लैक ऑफ विज़न बच्चों और बड़ों में ऑंखों में सबसे आम समस्या है। इसलिये अपने डॉक्टर के सलाह लेकर ही अपने लिए सूटेबल एंटी-रिफ्लेक्टिंग ग्लासेज़ लें।
निष्कर्ष – Nishkarsh
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