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जब एक आँखों का मरीज़ चश्मे के अलावा आँखों में सुधार के लिए लसिक (LASIK) जैसी सही अपवर्तक सर्जरी की तलाश में होता है, तो उसके कुछ मानदंड हैं जिनके बारे में मरीज़ को जान लेना चाहिए। इन मानदंडों में से एक कॉर्नियल का मोटा होना भी है। फ्लैप बनाने के लिए पर्याप्त कॉर्नियल टिशू उपलब्ध होना चाहिए। यदि कॉर्निया फ्लैप के नीचे कम से कम 300 माइक्रोन की परत बनाने के लिए पर्याप्त मोटा नहीं है, तो लैसिक सर्जरी मरीज़ के लिए सबसे अच्छा अपवर्तक सुधार नहीं है। कॉर्निया हमारी आँख का बाहरी भाग होता है। एक औसत कॉर्निया की मोटाई लगभग 540 से 560 माइक्रोन के बीच होती है। लसिक (LASIK) सर्जरी के योग्य होने के लिए आपको कम से कम 485 माइक्रोन मोटे कॉर्नियल टिशू की आवश्यकता होगी। दृष्टि सुधार के लिए प्रति डायोप्टर यूनिट में 12 से 14 माइक्रोन निकाले जाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपको -2D अपवर्तक समस्या है, तो 24 से 26 माइक्रोन कॉर्नियल टिशूज हटा दिए जाएँगे। पतली कॉर्निया के लिए करेक्ट रिफरेक्टिव सर्जरी के बारे में इस आर्टिकल से पूरी जानकारी प्राप्त करें।
लसिक (LASIK) सर्जरी में कॉर्नियल टिशूज को ठीक करके कॉर्नियल अनियमितताओं का इलाज किया जाता है। सर्जन कॉर्निया की परत में से एक फ्लैप काट देगा और कुछ टिशूज को हटा देगा या ठीक कर देगा, फिर फ्लैप को ठीक करने के लिए वापस रख देगा। लसिक सर्जरी से दूर की दृष्टि, पास की दृष्टि और दृष्टि वैषम्य जैसी कई आँखों की समस्याओं को ठीक किया जा सकता है।कुछ लोग पतली कॉर्निया के साथ ही पैदा होते हैं जबकि कुछ लोगों में आँखों को रगड़ना, आँखों का सूखना या आँखों की एलर्जी जैसे कारक कॉर्निया के पतले होने का कारण बनते हैं। एक पतली कॉर्निया वाला मरीज़ सही अपवर्तक सर्जरी के लिए अन्य विकल्प जैसे पीआरके, फेकिक आईओएल इम्प्लांटेशन चुन सकता है। इन सही अपवर्तक सर्जरी में फ्लैप इंसीशियन (चीरा) लगाने की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए, पतली कॉर्निया वाला व्यक्ति इन सर्जरी को आसानी से करवा सकता है।
लसिक (LASIK) सर्जरी इसकी सबसे अच्छी आँख सुधारात्मक सर्जरी में से एक है। हालाँकि, हर कोई इसके लिए उपयुक्त नहीं होता। पतली कॉर्नियल आँखों के साथ लसिक सर्जरी एक गंभीर आँखों की समस्या वाले व्यक्ति की भी नहीं की जा सकती है, क्योंकि सर्जरी के दौरान उसमें सुधार करने के लिए बहुत अधिक कॉर्नियल टिशूज को हटा दिया जाता है। अगर आपको यह समस्या है, तो आपको घबराने या परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि इसके कई अन्य विकल्प नेत्र सुधार जैसी सर्जरी के लिए अब उपलब्ध हैं, जैसे-
फोटोरिफ्रेक्टिव केराटोटॉमी (Photorefractive Keratotomy- PRK) पीआरके के दौरान सर्जन कॉर्निया की सबसे ऊपरी परत को हटा देता है। एपिथेलियम नामक सबसे ऊपरी परत को अल्कोहल के घोल का उपयोग करके हटा दिया जाता है, ताकि स्ट्रोमा को बाहर निकाला जा सके। नेत्र रोग विशेषज्ञ स्पेक्टेल-फ्री विजन सुनिश्चित करने के लिए एक लेजर का उपयोग करके आपके कॉर्निया को फिर से आकार देता है। कोई फ्लैप नहीं उठाया जाता और केवल एपिथेलियम को हटा दिया जाता है, जो तीन से चार दिनों में वापस बढ़ जाता है। इस प्रक्रिया के बाद सर्जन कॉर्निया की रक्षा के लिए एक बैंडेज कॉन्टैक्ट लेंस डालता है, जब तक कि एपिथेलियम परत वापस नहीं बढ़ती। मोटा कॉन्टैक्ट लेंस इस समय के दौरान होने वाली परेशानी को कम करने में भी मदद करता है।
एएसए / एडवांस्ड सरफेस एब्लेशन (Advanced Surface Ablations- ASA) सामूहिक रूप से लसिक सहित सर्जरी के एक समूह को संदर्भित करता है (जिसमें एक ट्रेफिन एपिथेलियल फ्लैप को हटा देता है, जिसे सर्जरी के अंत में बदल दिया जाता है), इपीआई लसिक (जो एक विशेष माइक्रोकेराटोम, इपीआई-केराटोम का उपयोग करता है) एपिथेलियल फ्लैप, जिसे सर्जरी के अंत में बदल दिया जाता है) और सुप्रा लसिक या टच-लेस लसिक (जो एक सतह लेजर प्रक्रिया है, जो कॉर्निया को फिर से आकार देने से पहले सतह की कोशिकाओं को हटाने के लिए तकनीकी रूप से उन्नत एक्साइमर लेज़र का प्रबंधन करती है)।
सुप्रा लैसिक सहित सर्फेस एब्लेशन्स के डिसएडवांटेजेस हैं:
एएसए का स्पष्ट लाभ यह है कि वे उन मरीज़ों के लिए उपयोगी होते हैं, जिनका पहले कॉर्निया ट्रांसप्लांट हुआ हो। हालाँकि, पतले कॉर्निया वाले लोगों को जो संभावित लाभ प्रदान करने के लिए समझा जाता है, उसे अब चुनौती दी जा रही है। लसिक तकनीक (LASIK Technology) व्यक्तिगत कॉर्निया की ज़रूरतों के लिए अधिक उन्नत और अनुकूलित होती है। इस प्रकार सर्जन पतले कॉर्निया वाले मरीज़ों के लिए भी लसिक के नए रूपों में से एक की सलाह देते हैं।
पतले कॉर्निया वाले लोगों के लिए एक और सही अपवर्तक सर्जरी लेंस रिप्लेसमेंट सर्जरी है, जिसे रिफरेक्टिव लेंस एक्सचेंज के रूप में भी जाना जाता है। इस सर्जरी प्रक्रिया में, रिफरेक्टिव एरर वाले प्राकृतिक लेंस को आर्टिफिशियल इंट्राओकुलर लेंस (IOL) से बदल दिया जाता है। लेंस रिप्लेसमेंट सर्जरी मोतियाबिंद सर्जरी के समान है, क्योंकि आईओएल को भी मोतियाबिंद सर्जरी में प्राकृतिक लेंस के स्थान पर रखा जाता है। लेंस रिप्लेसमेंट सर्जरी दूर की दृष्टि के लिए बेहतर है। पास की दृष्टि वाले मरीज़ अन्य करेक्टिव सर्जरी के साथ बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
फेकिक इंट्रोक्यूलर लेंस (Phakic Intraocular Lenses) जिन्हें आमतौर पर ‘इम्प्लांटेबल लेंस’ (Implantable Lenses) कहा जाता है, पतले कॉर्निया वाले लोगों के लिए भी एक बढ़िया विकल्प हैं। करेक्ट रिफरेक्टिव सर्जरी की इस प्रक्रिया में, आईरिस और कॉर्निया के बीच इम्प्लांट लेंस लगाए जाते हैं, इस प्रक्रिया में प्राकृतिक लेंस भी बरकरार रहता है। फेकिक आईओएल कॉन्टैक्ट लेंस की तरह है, जो आपकी आँखों में स्थायी रूप से बस जाते हैं। मायोपिया वाले लोगों को ये लेंस उपयुक्त लगने चाहिए।
लसिक (LASIK) सर्जरी के दौरान कॉर्निया का आकार बदल जाता है, जिससे किसी की दृष्टि प्रभावित होती है। इसलिए, अपनी दृष्टि और आँखों को अच्छी तरह से रखने के लिए सर्जरी प्रक्रिया को समझदारी से चुनना महत्त्वपूर्ण है। रिफरेक्टिव एरर को ठीक करने के लिए ऊपर बताई गई सर्जरी में से लसिक (LASIK) एक अच्छा विकल्प है। फिर भी सबसे उपयुक्त प्रकार की सर्जरी के बारे में जानने के लिए अपनी आँखों की जाँच किसी नेत्र चिकित्सक से करवाएँ और उनसे सुझाव माँगें। आप पतली कॉर्निया में करेक्ट रिफरेक्टिव सर्जरी (Correct Refractive Surgery in Thin Cornea) के बारे में EyeMantra से भी सलाह ले सकते हैं। हमारे एक्सपर्ट आपको इसके बारे में पूरा गाइड करेंगे। हम विभिन्न सेवाओं जैसे कि चश्मा हटाने, कम्प्यूटर विजन सुधार, बाल नेत्र रोग विशेषज्ञ आदि भी प्रदान करते हैं। आप हमें +91-9711115191 पर कॉल करके अपनी अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं या बुकिंग के लिए eyemantra1@gmail.com पर मेल भी कर सकते हैं।