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केराटोकोनस और उसका उपचार – Keratoconus And Its Treatment In Hindi
केराटोकोनस एक पुतली की बीमारी है जिसमें आपकी पुतली यानि कॉर्निया धीरे धीरे पतली होती है और वो एक आइसक्रीम कॉर्न की तरह कोनिकल हो जाती है इसके कई लक्षण होते है जैसे-
- इस कंडीशन में आपका आँखों का नंबर जल्दी बढ़ने लग जाता है।
- साथ ही आँखों का सिलिंड्रिकल नंबर बदलता रहता है।
- नजर काफी कमजोर होती जाती है।
- रात में हेलोस एंड ग्लेयर दिखने लगते है।
- लाइटिंग फैली हुई लगने लगती है।
अब इस बीमारी का इलाज जिस तकनीक के साथ किया जाता है उसे हम कॉर्नियल क्रॉस लिंकिंग कहते है। इस प्रक्रिया में आँखों में या कॉर्निया पर एक ड्राप डालते है जिसे राइबोफ्लेविन कहते है और उसके बाद युवी लाइट का इस्तेमाल करके इस ड्राप को अब्सॉर्ब होने का वक़्त दिया जाता है। इस तरह इस प्रक्रिया की मदद से आपके कॉर्निया में जोड़ बन जाते हैं जिससे कॉर्निया मजबूत हो जाता है और ये बीमारी यहीं रुक जाती है।
इस ब्लॉग में, हम आपको केराटोकोनस उपचार के उन पहलुओं के बारे में बताएंगे जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए। हम सर्जरी के दौरान और उसके बाद आपके सामने आने वाली वास्तविकताओं को साझा करेंगे। इस तरह, आप पूरी तरह से तैयार हो सकते हैं और जान सकते हैं कि वास्तव में क्या उम्मीद करनी है। तो, आइए विस्तार से जानें।
केराटोकोनस उपचार से होने वाले कुछ सामान्य दुष्प्रभाव – Some Common Side Effects Of Keratoconus Treatment In Hindi
हालांकि यह सच है कि सी3आर प्रक्रिया केराटोकोनस से जूझ रहे कई लोगों के लिए आशा की किरण है, लेकिन यह उचित ही है कि हम इसके कुछ नुकसानों के बारे में भी बात करें।
तो, C3R आम तौर पर सुरक्षित है और केराटोकोनस जैसी कंडीशन से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए एक प्रभावी विकल्प है, लेकिन ये एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके साथ सामान्य दुष्प्रभाव साथ में आना स्वाभाविक है तो आइये इनके बारे में जानें:-
- सूजन या संक्रमण: किसी भी सर्जरी के बाद थोड़ी सूजन और इंफेक्शन हो सकता है लेकिन सही दवाओं से इन्हें आसानी से ठीक किया जा सकता है।
- कॉर्निया धुंध: प्रक्रिया के बाद, कुछ लोगों ने अपने कॉर्निया पर एक प्रकार की धुंध देखी। यह थोड़ा डरावना लगता है, लेकिन घबराएं नहीं। ज्यादातर मामलों में, यह समय के साथ धीरे-धीरे बेहतर हो जाता है।
- एलर्जी प्रतिक्रियाएँ: अब, यहाँ थोड़ी परेशानी है। कभी-कभी, उपचार के दौरान उपयोग की जाने वाली राइबोफ्लेविन ड्रॉप्स किसी पर अच्छी नहीं बैठती हैं। यदि आप उनमें से एक हैं, तो आपको एलर्जी का अनुभव हो सकता है। यह आम बात नहीं है, लेकिन फिर भी सावधान रहने की जरूरत है।
- सूखापन: यह काफी आम है। सर्जरी के बाद आपको अपनी आंखों में थोड़ा सूखापन महसूस हो सकता है, लेकिन धैर्य रखें, क्योंकि समय बीतने के साथ यह अक्सर बेहतर हो जाता है।
दुष्प्रभावों को कम करने के उपाय – Ways To Reduce Side Effects In Hindi
आइये सर्जरी के बाद होने वाले दुष्प्रभावों से बचने के लिए कुछ उपायों के बारे में जानें:-
- तैयारी महत्वपूर्ण है: उपचार के लिए आगे बढ़ने से पहले, अपने डॉक्टर से बात करें कि आप खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं। वे आपको संक्रमण या एलर्जी से बचने के बारे में कुछ सुझाव दे सकते हैं।
- सर्जरी के बाद की देखभाल: सर्जरी के बाद आप जो देखभाल करते हैं वह बहुत मायने रखती है। आपका डॉक्टर आपको बताएगा कि क्या करें और क्या न करें। कॉर्नियल धुंध या सूखापन जैसी जटिलताओं से बचने के लिए डॉक्टर द्वारा दिए गए टिप्स का पालन करें।
- शांत रहें और हाइड्रेटेड रहें: यह आसान लग सकता है, लेकिन भरपूर पानी पीने से वास्तव में आपकी आंखों में सूखापन कम करने में मदद मिल सकती है। तो, जितना हो सके उतना अधिक पानी पिए और खुदको हमेशा हाइड्रेटेड रखें।
- आपातकालीन किट: आवश्यक दवाओं और आई ड्रॉप्स से भरी एक छोटी किट हमेशा अपने पास रखें। यदि आपको संक्रमण या एलर्जी प्रतिक्रिया का कोई लक्षण दिखाई देता है, तो आप तुरंत उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
- फॉलो-अप अपॉइंटमेंट्स: इन अपॉइंटमेंट्स को न छोड़ें। आपका डॉक्टर किसी भी संभावित समस्या को बड़ी समस्या बनने से पहले ही पकड़ सकता है और उसका समाधान कर सकता है।
निष्कर्ष – Conclusion In Hindi
हम जानते हैं कि आंखों की समस्याओं का सामना करना कितना कठिन हो सकता है, विशेष रूप से केराटोकोनस जैसी महत्वपूर्ण समस्या। यदि आप भी केराटोकोनस जैसे नेत्र रोगों से हैं पीड़ित? तो लक्षणों के बिगड़ने का इंतज़ार न करें। भारत के सर्वश्रेष्ठ नेत्र अस्पताल में अभी अपनी निःशुल्क अपॉइंटमेंट बुक करें- 9711116605