कोर्टिकल मोतियाबिंद (कैटरेक्ट): लक्षण, कारण और उपचार – Cortical Motiyabind (Cataract): Lakshan, Karan Aur Upchar

Cortical Cataract causes, risk factors, symptoms, and treatment

कोर्टिकल मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) Cortical Motiyabind (Cataract) Kya Hai?

कोर्टिकल मोतियाबिंद एक ऐसी स्थिति है, जिसमें स्वस्थ और प्राकृतिक क्रिस्टलीय नेत्र लेंस क्लाउडी, आर-पार नहीं देखा जा सकने वाला और धुंधला हो जाता है, जिसकी वजह से यह वस्तु की सही छवि नहीं बना पाता। यह बढ़ती उम्र की प्रक्रिया का एक भाग है, जो किसी व्यक्ति की दृष्टि पर गहरा असर होता है। चालिस साल से ज़्यादा उम्र के लोगों में यह दृष्टि हानि के लगभग सबसे आम कारणों में से एक है।

मोतियाबिंद के कई प्रकार होते हैं, जैसे:

  • सबकैप्सुलर मोतियाबिंद (कैटरेक्ट)
  • न्यूक्लियर मोतियाबिंद (कैटरेक्ट)
  • कॉर्टिकल मोतियाबिंद (कैटरेक्ट)

आंखों के लेंस के कई हिस्सों में कई तरह के मोतियाबिंद होते हैं। कोर्टिकल मोतियाबिंद लेंस (परिधि) के बाहरी किनारे पर शुरू होता है। इसमें सफेद धारियों और कील के आकार की अस्पष्टता की खासियत होती है, जिसे आमतौर पर कॉर्टिकल स्पोक्स कहते हैं। ये स्पोक लेंस के किनारों से शुरू होकर केंद्र तक अपना रास्ता बनाते हैं, इसलिए दृष्टि को ब्लॉक और ख़राब करते हैं (हालाँकि दृष्टि हानि अस्पष्टता की मौजूदगी वाले स्थान पर निर्भर करती है)। आमतौर पर इस तरह का मोतियाबिंद लेंस कॉर्टेक्स में होता है। लेंस का यह हिस्सा सेंट्रल न्यूक्लियस को घेरता है।

कोर्टिकल मोतियाबिंद आमतौर पर दोनों आंखों (bilateral) में होते हैं, लेकिन यह सिर्फ एक आंख (asymmetric) में भी हो सकता है। कोर्टिकल मोतियाबिंद आमतौर पर रोशनी के आसपास चमक और प्रकाश संवेदनशीलता बढ़ने की वजह से बनता है। ये मोतियाबिंद मरीज़ की सीरियस कंडीशन के आधार पर धीरे या तेजी बढ़ सकते हैं और एक ही अवस्था में बहुत लंबे समय तक रह सकते हैं।

Cortical cataract

 

कोर्टिकल कैटरेक्ट के कारण – Cortical Cataract Ke Karan

आंख का प्राकृतिक लेंस पानी और विशेष प्रोटीन मिलकर बना होता है। एक स्वस्थ आँख में इन प्रोटीनों को प्राकृतिक रूप से इस तरह क्रम में लगाया जाता है कि वस्तु से आने वाली प्रकाश किरणों में कोई रूकावट न हो। स्पष्ट चित्र बन सकें और आसानी से इन प्रोटीनों से होकर गुजर सकें। बदकिस्मती से, इनमें से कुछ प्रोटीन उम्र के साथ आपस में चिपकने लगते हैं, जिसकी वजह से उनके पास से गुजरने वाली छवियां क्लाउडी या धुंधली दिखने लगती हैं। इसी वजह से कैटरेक्ट उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का एक हिस्सा है और चालिस साल की उम्र के बाद ही यह ज़्यादा बढ़ने लगता है।

दूसरे कैटरेक्ट की तरह कॉर्टिकल कैटरेक्ट भी उम्र बढ़ने, चोट या किसी पुरानी बीमारी जैसी प्राकृतिक प्रक्रियाओं का नतीजा हो सकता है। कॉर्टिकल कैटरेक्ट खासतौर पर फाइबर कोशिकाओं की संरचना के ब्लॉक होने और मेम्ब्रेन की इंटेग्रिटी से समझौता किये जाने पर बढ़ता है।

कोर्टिकल कैटरेक्ट के रिस्क फैक्टर – Cortical Cataract Ke Risk Factors

डाइट में कैरोटीनॉयड के ज़्यादा सेवन से मोतियाबिंद का खतरा कम किया जा सकता है।सामान्य लोगों के मुकाबले कुछ विकारों या समस्याओं वाले लोगों में कॉर्टिकल मोतियाबिंद होने का खतरा ज़्यादा होता है:

  • डायबिटीज़
  • हाइपरटेंशन
  • धूम्रपान करना
  • तम्बाकू धूम्रपान
  • पुरानी आंख की चोट या आंख की सर्जरी
  • लंबे वक्त तक कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं के इस्तेमाल करना

लक्षण – Lakshan

कॉर्टिकल मोतियाबिंद वाले लोगों में दिखने वाले कुछ सामान्य लक्षण हैं:

  • धुंधली और मंद दृष्टि: मोतियाबिंद का सबसे ज़रूरी लक्षण धुंधली दृष्टि है। आखों के लेंस के अस्पष्ट होने की वजह से मोतियाबिंद वाले लोग वस्तुओं की स्पष्ट छवि नहीं देख पाते हैं। इसलिए उन लोगों को कोई भी छवि धुंधले या अस्पष्ट दिखती है। इसके अलावा आंखों के लेंस की वस्तुओं की सही छविया नहीं बना पाने की वजह से व्यक्ति की दृष्टि धीरे-धीरे कम हो जाती है।
  • प्रकाश और चमक के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता: कैटरेक्ट (खासतौर से कॉर्टिकल कैटरेक्ट) वाले लोग आमतौर पर ज़्यादा रोशनी वाले स्रोत जैसे दीपक या गाड़ी की हेडलाइट्स के प्रकाश को बहुत उजला और स्पष्ट पाते हैं। किसी भी स्रोत से आने वाली रोशनी अचानक मोतियाबिंद के रोगी की आंखों में पहले से ज्यादा चमकने लगती है।
  • रंगों का फीका पड़ना: मोतियाबिंद वाली आंखों में प्रकाश और चमक के लिये संवेदनशीलता बढ़ते ही वह रंगों की अपनी उज्ज्वल पहचान भी खो देते हैं, जिसकी वजह से  । मोतियाबिंद वाले लोगों को पहले के मुकाबले रंग कम चमकीले लगते हैं।
  • अन्य मामूली लक्षण: इन लक्षणों के अलावा कॉर्टिकल मोतियाबिंद के कुछ मामूली लक्षणों में दोहरी दृष्टि, रतौंधी (Night Blindness), कम रोशनी में पढ़ते वक्त कठिनाई आदि शामिल हैं।

अगर किसी को लगातार इनमें से एक या उससे ज़्यादा लक्षण महसूस होते हैं, तो उसे तुरंत एक नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। चालिस साल से ज़्यादा उम्र के लोगों में इन लक्षणों को मोतियाबिंद के स्पष्ट लक्षण के रूप में मानना ​​चाहिए, जबकि इससे कम उम्र के लोगों को आँख से जुड़ी किसी दूसरी समस्या के लिए डॉक्टर से ठीक से निदान करने के लिए कहना चाहिए, क्योंकि उम्र में मोतियाबिंद होने की संभावना थोड़ी कम होती है।

कॉर्टिकल कैटरेक्ट के लिए उपचार – Cortical Cataract Ke Liye Upchar

मोतियाबिंद का इलाज नहीं किये जाने या गलत तरीके से किये गये इलाज से यह बढ़ता रहेगा और रोगी की दृष्टि में ज़्यादा बड़ी समस्याओं का कारण बनेगा। ऐसे में हालात खराब होने से पहले एक उपयुक्त उपचार का विकल्प चुनने की सलाह दी जाती है। आमतौर पर, मोतियाबिंद का इलाज प्रिस्क्रिप्शन चश्मे या मोतियाबिंद सर्जरी के ज़रिए किया जाता है।

प्रिस्क्रिप्शन चश्मे (या बाइफोकल्स) को मोतियाबिंद के रोगी की खराब दृष्टि में सुधार करने में मदद के लिए पहला कदम माना जाता है। अगर रोगी पहले से ही चश्मा पहनता है, तो रोगी को ज़्यादा स्पष्ट रूप से देखने में मदद के लिए डॉक्टर ज़्यादा पॉवर के लिए शॉर्ट-टर्म सॉल्यूशन वाले चश्मे दे सकते हैं। हालांकि, यह उपचार विकल्प कॉर्टिकल मोतियाबिंद के लिए एक शॉर्ट-टर्म सॉल्यूशन है।

एक कुशल आई सर्जन द्वारा की जाने वाली मोतियाबिंद सर्जरी अगला और आखिरी चरण वह है, जब डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के चश्मे से आंख में मोतियाबिंद का इलाज नहीं किया जा सका हो। मोतियाबिंद सर्जरी एक रिप्लेसमेंट प्रक्रिया के अलावा और कुछ नहीं है। इसमें आंख के क्लाउडी लेंस को आर्टिफिशियल लेंस से बदल दिया जाता है।

Treatment

 

कॉर्टिकल कैटरेक्ट के लिए सर्जरी के प्रकार – Cortical Cataract Ke Liye Surgery Ke Prakar

फेकमूल्सीफिकेशन (Phacoemulsification)

सर्जरी करने वाला सर्जन इसमें एक हाथ से पकड़े जाने वाले उपकरण का इस्तेमाल करता है और एक से अल्ट्रासोनिक पल्स जारी करता है। भेजा गया संकेत इतना मजबूत होता है कि यह आंखों में मौजूद मोतियाबिंद को टुकड़ों में नष्ट कर देता है। वैक्यूम पंप के तौर पर काम करने वाली एक ट्यूब रोगी की आंखों से खत्म नष्ट सामग्री को चूस लेती है, जिसके बाद आखिर में रोगी की आंखों के लेंस को एक इंट्राओकुलर लेंस से बदल दिया जाता है।

फेम्टो मोतियाबिंद सर्जरी (Femto Cataract Surgery)

फेम्टो मोतियाबिंद सर्जरी फेकमूल्सीफिकेशन प्रक्रिया का एक इम्प्रूव और एडवांस वर्जन है। इस तरह की सर्जरी में आंख में एक छोटा सा छेद और लेंस एंटेरियर कैप्सूल बनाने के लिए एक फेमटोसेकंड लेजर का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह यह आंखों में मौजूद लेंस को टुकड़ों में तोड़कर आंख में हाई सिलिंड्रिकल पावर होने पर कॉर्निया पर टॉरिक कट लगाता है। ऐसी सर्जरी का परिणाम पिछले वाले के मुकाबले ज़्यादा सुरक्षित माना जाता है।

मोतियाबिंद की सर्जरी आम हो गई है, क्योंकि हर दिन मोतियावबिंद सर्जरी करवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस सर्जरी को चुनने वालों में से दस में से नौ रोगी सर्जरी के बाद 20/20 और 20/40 के बीच उनकी दृष्टि ठीक होने की रिपोर्ट करते हैं। 

कैटरेक्ट के उपाय – Cataract Ke Upay

धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान करने वाले लोगों को जितनी जल्दी हो सके, इसे छोड़ने की कोशिश करनी चाहिए। धूम्रपान रोकने के तरीके के बारे में सलाह के लिए अपने डॉक्टर से पूछें, जिसमें दवा, परामर्श और ऐसी दूसरे उपाय हो सकते हैं।

हेल्दी डाइट लें: अपनी आंखों को हेल्दी रखने के लिए अपनी डाइट में विटामिन ए ज़्यादा लें। अध्ययनों की मानें, तो डाइट में शामिल पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट से मोतियाबिंद को रोकने में मदद मिलती सकती है। मोतियाबिंद के विकास का रिस्क बढ़ाने वाले खाने वाले पदार्थ लेने से बचें। 

धूप का चश्मा पहनें: आंखों को सूर्य के प्रकाश के सीधे संपर्क में लाने से बचाएं, क्योंकि यह आपकी आंखों के स्वास्थ्य के नुकसानदायक हैं। इनसे मोतियाबिंद के अलावा कई दूसरी आंखों की समस्याएं हो सकती हैं।

निष्कर्ष – Nishkarsh

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