आंखों के सॉकेट में फ्रैक्चर: लक्षण, प्रकार और उपचार – Eye Socket Fracture: Lakshan, Prakar Aur Upchar

Eye socket fracture

आंखों के सॉकेट में फ्रैक्चर क्या है? Eye Socket Fracture Kya Hai?

आपके सोने के बाद आंखें अपना काम शुरू कर देती हैं। यही आंखें जागने तक आपको दुनिया की सभी आभासी विवरणों को देखने और प्रोसेस करने के काबिल बनाती हैं। आंखों के कारण ही आस-पास की सभी चीजें देखकर दुनिया को लेकर आपकी धारणा बनती है। आखों का सॉकेट आंखों को चलने में सक्षम बनाता है, जिसके कारण आखें बिना किसी अंतर के चारों तरफ देख सकती हैं। आंख में कई भाग होते हैं, जैसे रेटिना, आईरिस, कॉर्निया, आईबॉल और स्क्लेरा इत्यादि, जो सिर्फ खुद तक सीमित नहीं हैं। बोनी कप की तरह दिखने वाला आंखों का सॉकेट आंखों के चारों तरफ एक सुरक्षा कवच का काम करता है, जो सात हड्डियों से बना होता है।

आईबॉल और आंख की मांसपेशियां आंखों के सॉकेट का ही एक हिस्सा हैं, जिसमें मांसपेशियों का काम नेत्रगोलक को गति करने में मदद करना होता है। कभी-कभी आंख के चारों तरफ की हड्डी पर आंख के सॉकेट से बड़ी किसी चीज जैसे मुट्ठी या स्टीयरिंग व्हील आदि से हमला किया जाता है, इससे सॉकेट में होने वाले फ्रैक्चर को ऑर्बिटल फ्रैक्चर कहते हैं। आंखों के सॉकेट में अटैक के कारण हुए ऑर्बिटल फ्रैक्चर से आंखों में बड़ी चोट लग सकती है, जिनमें से कुछ चोटों से दृष्टि की हानि भी हो सकती है। एक अध्ययन के मुताबिक, औसतन 28 प्रतिशत लोग ऑर्बिटल फ्रैक्चर के बाद अपनी दृष्टि खो देते हैं। आंतरिक तौर पर सॉकेट में आंसू ग्रंथियां, क्रेनियल तंत्रिकाएं, लिगामेंट्स, ब्लड वेसल्स और अन्य तंत्रिकाएं भी शामिल हैं।

आंखों के सॉकेट में फ्रैक्चर के लक्षण – Eye Socket Fracture Ke Lakshan

  • आंखों की सूजन
  • आंखों के आसपास लगातार दर्द और जलन महसूस होना
  • मतली और उल्टी
  • आंख को किसी भी दिशा में नहीं ले जा सकना
  • आंख के आस-पास ब्लीडिंग
  • दोहरी दृष्टि
  • कम दृष्टि

आंखों के सॉकेट में फ्रैक्चर के प्रकार – Eye Socket Fracture Ke Prakar

जैसा कि पहले बताया गया है कि आंखों के सॉकेट में सात हड्डियां होती हैं, जिनमें से किसी भी हड्डी में फैक्चर हो सकता है। इन सात हड्डियों में तीन तरह के फैक्चर हो सकते हैंः  

ऑर्बिटल रिम फ्रैक्चर

ऑर्बिटल रिम फैक्चर आंख के सॉकेट को कार के स्टीयरिंग व्हील या ब्लंट ऑब्जेक्ट से पूरी ताकत के साथ अटैक करने से होता है। आमतौर पर इस फ्रैक्चर से होने वाला डैमेज आंखों के सॉकेट के एक से ज़्यादा क्षेत्र में होता है, जिसे ट्राइपॉड फ्रैक्चर या जाइगोमैटिक मैक्सिलरी कॉम्प्लेक्स फ्रैक्चर भी कहते हैं।

ब्लोआउट फ्रैक्चर

इस प्रकार का फ्रैक्चर कम्युनेटेड ऑर्बिटल वॉल फ्रैक्चर के नाम से भी जाना जाता है, जो आपके आंख के सॉकेट से बड़ी किसी चीज़ से टकराने के कारण होता है। ज़्यादातर मुट्ठी या ब्लंट ऑब्जेक्ट से अचानक टकरानेसे गंभीर फैक्चर हो सकता है या हड्डी टूट सकती है। यह फ्रैक्चर आंख के तरल पदार्थ में दबाव बनने की वजह से होता है। आंख के सॉकेट में इस दबाव के स्थानांतरित होने से फ्रैक्चर बाहर की तरफ हो जाता है।

ट्रैपडोर फ्रैक्चर

ट्रैपडोर फ्रैक्चर बच्चों में बहुत आम है। बच्चों की हड्डियां वयस्कों के मुकाबले ज़्यादा लचीली होती हैं, इसलिए यह आंख के सॉकेट में हड्डियों को तोड़ने के बजाय इसे बाहर की तरफ फैलाता है और कभी-कभी यह अपने आप स्थिति में वापस आ जाता है, जिसकी वजह से इसे ट्रैपडोर फ्रैक्चर कहते हैं। किसी भी तरह का बाहरी नुकसान नहीं होने पर भी अगर उचित उपचार नहीं किया जाता, तो यह कुछ गंभीर तंत्रिका डैमेज की वजह बन सकता है।

आंखों के सॉकेट के पार्ट्स – Eye Socket Ke Parts

आंखों के पार्ट्स को चार मुख्य भागों में बांटा गया है, जिसमें सभी पार्ट्स एक अलग हड्डी से बनते हैं। आंख के सॉकेट के किसी भी हिस्से में फ्रैक्चर हो सकता है। आंखों के पार्ट्स के यह चार मुख्य भाग हैंः

इन्फीरियर वॉल

इसे कक्षीय तल (ऑर्बिटल फ्लोर) कहते हैं। यह इन्फीरियर वॉल या निचली दीवार, ऊपरी जबड़े की हड्डी, गाल की हड्डी के हिस्से और कठोर तालू के एक छोटे हिस्से से मिलकर बनी होती है। इंटीरियर फ्लोर में होने वाला फ्रैक्चर चेहरे के निचले हिस्से पर किसी ब्लंट ऑब्जेक्ट, कार एक्सिजेंट या मुट्ठी आदि से अचानक चोट लगने के कारण हो सकता है।

जाइगोमैटिक बोन

जाइगोमैटिक बोन आंख के सॉकेट का अस्थायी या बाहरी हिस्सा है, जिससे कई महत्वपूर्ण नसें गुजरती हैं। जाइगोमैटिक हड्डी में होने वाला एक फ्रैक्चर गाल या चेहरे के किनारे पर अचानक चोट लगने की वजह से होता है।

मेडियल वॉल

मेडियल वॉल एथमॉइड हड्डी द्वारा बनाई जाती है, जो आपके नाक गुहा को आपके दिमाग से अलग करती है। मेडियल वॉल में होने वाला फ्रैक्चर नाक या आंख पर ब्लंट ट्रॉमा की वजह से होता है।

सुपीरियर वॉल

सुपीरियर वॉल को आंख के सॉकेट की छत के तौर पर भी जाना जाता है, जो फ्रंटल बोन के हिस्से से बनती है। सुपीरियर वॉल में फ्रैक्चर कम से कम आम हैं, लेकिन सुपीरियर वॉल में फ्रैक्चर से अन्य क्षेत्रों में भी चोट लग सकती है।

आंखों के सॉकेट में फ्रैक्चर का उपचार – Eye Socket Fracture Ka Upchar

Treatment of an eye socket fracture
  • सभी आंखों के सॉकेट में फ्रैक्चर के लिए सर्जरी ज़रूरी नहीं होती है, लेकिन इसकी ज़रूरत है या नहीं, यह डॉक्टर तय करते हैं।
  • सर्जरी के कारण कम से कम 3 से 4 दिनों तक मतली हो सकती है, जिसमें व्यक्ति को फुल बेड रेस्ट की सलाह दी जाएगी।
  • अपनी नाक को कई हफ्तों तक ब्लो न करें, क्योंकि ऐसा करने से इंफेक्शन हो सकता है। टूटी हुई हड्डी में छोटी जगह के कारण साइनस इंफेक्शन को आंख के सॉकेट में फैला सकते हैं।
  • डॉक्टर नाक बहने या छींकने को रोकने के लिए नेज़ल स्प्रे लिख सकते हैं, जिससे दर्द में राहत के साथ ही इंफेक्शन फैलने से भी बचा जा सकता है।
  • किसी भी तरह का इंफेक्शन फैलने से बचने के लिए एंटीबायोटिक्स भी ले सकते हैं।
  • इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन पर कुछ भी देखने से बचें, क्योंकि इसके कारण घायल आंख पर दबाव पड़ने से और दर्द हो सकता है।

कभी भी दुर्घटनाओं से बचा नहीं जा सकता, लेकिन उनके जोखिम को कम किया जा सकता है। काम करते वक्त या किसी भी तरह के खेल में शामिल होने के दौरान प्रोटेक्टिव आईवियर ज़रूर पहनने चाहिए, क्योंकि इससे काफी हद तक आंखों के सॉकेट में फ्रैक्चर को रोकने में मदद मिल सकती है। जितना संभव हो, आंखों के सॉकेट में फ्रैक्चर से बचने के लिए कोई भी गॉगल्स, प्रोटेक्टिव शील्ड या फेस कवरिंग मास्क पहनना ज़रूर ध्यान रखें।

आंखों के सॉकेट में फ्रैक्चर आम हैं, इसलिए इसके बारे में ज्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। ज्यादातर लोग कुछ हफ्तों के बाद अपनी चोटों से ठीक हो जाते हैं, लेकिन दो से चार महीने तक सर्जरी के बाद के प्रभाव रह सकते हैं। ऐसे में जितना हो सके उतनी सावधानी बरतने की ज़रूरत है क्योंकि कभी-कभी इन चोटों का प्रभाव जिंदगी भर रह सकता है।

निष्कर्ष -Nishkarsh

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