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रेटिना की बीमारी के शुरुआती लक्षणों और रोग के कारणों को जानकर विज़न में बदलाव की निगरानी के लिए एम्सलर ग्रिड का इस्तेमाल किया जाता है। एम्सलर टेस्ट से खराब मैक्युला (Damaged macula) या ऑप्टिक तंत्रिका (Optic nerve) के परिणाम से जु़डी जैसी विजन प्रॉब्लम्स का पता लगाता है। डैमेज मैक्युला का मुख्य कारण मैक्युलर डिजेनेरेशन (Macular degeneration) और ऑंखों से ज़ुड़े अन्य रोग हो सकते हैं। एम्सलर ग्रिड के ज़रिए ऐसी बीमारियों को पता लगाया जा सकता है जिसके उपयोग से आप बीमारी को पहले ही जानकर वक्त रहते इलाज कर सकते हैं। एम्सलर ग्रिड से किया गया इलाज विज़न लॉस को सीमित या धीमा कर देगा।
अगर आपको ड्राई एज-रिलेटेड मैक्युलर डिजेनेरेशन (AMD) है, तो एम्सलर ग्रिड आपकी विज़न मॉनिटरिंग के लिए ज़रूरी है। ग्रिड ड्राई एएमडी के विकास को उसके वेट फॉर्म में तुरंत और उपचार के स्टेज में ट्रैक करने में मदद करेगा।
अगर आपकी ऑंखें नॉर्मल हैं, तो आपको रेखाएं सीधी दिखेंगी। इसका मतलब आपकी एक ऑंख बिना एएमडी के है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो इसका मतलब है कि आपके पास वेट एएमडी है। ऐसे लोगों को कुछ रेखाएं घुमावदार (curved lines), ग्रे, सफेद या काले क्षेत्र से ब्लॉक के रूप में दिखाई देंगी। ऐसा रेटिना के अंदर या नीचे जमा होने वाले तरल पदार्थ (fluid) की वजह से होती है। ऐसी स्थिति में फफोले (blister) बनने से स्ट्रेट लाइन्स सर्कल दिखने लगती हैं। कभी-कभी रेटिना के काम में लिक्विड का इन्टरफेयर विज़ुअल एरिया के केंद्र में या उसके पास एक ग्रे, सफेद, काले या लाल “ब्लाइंड स्पॉट” का कारण बनता है।
दुरभाग्य से इलाज के दौरान मासिक आधार (monthly basis) पर ब्रोलुसीज़ुमैब (बेवू) Brolucizumab (Beovu), बेवाकिज़ुमैब (एवास्टिन) Bevacizumab (Avastin), एफ़्लिबेरसेप्ट (ईलिया) Aflibercept (Eylea) या रानीबिज़ुमाब (ल्यूसेंटिस) Ranibizumab (Lucentis) दवाओं को आंखों में इंजेक्ट करके रेटिना में लीक होने वाली नई रक्त वाहिकाओं (blood vessels) की वजह से बने लिक्विड को सुखाया जा सकता है
कुछ महीनों या उससे ज़्यादा समय तक वेट एएमडी वाली ऑंख का इलाज नहीं किये जाने पर यह रेटिनल स्कारिंग विकसित कर सकता है, जिससे विज़ुअल एरिये के कुछ हिस्सों में पर्मानेन्ट विज़न लॉस हो सकता है। इससे बचाव का सबसे अच्छा विकल्प है, हफ्ते में एक या एक से ज़्यादा बार एम्सलर ग्रिड के ज़रिए अपने विज़न मॉनिटर किया जाए। किसी भी तरह का बदलाव पाये जाने पर तुरंत अपने रेटिना स्पेशियलिस्ट से संपर्क करें।
अगर रेटिना स्पेशियलिस्ट आपको वेट एएमडी नहीं होने के बारे में बताता है, तो टेस्ट के बात तुरंत बाद आप ग्रिड पर नज़र रखें, जिसमें आपकी आधार रेखा शामिल है। हो सकता है “ड्रूसन” (Drusen) की वजह से जगह में लाइनों की जगह सेमी-सोलिड मैटिरियल का रुप एएमडी में रेटिना के नीचे बन सकता है। कभी भी एक निश्चित अवधि के बाद दोबारा जांच करवाते वक्त किसी नए एरिया में लहर या उपस्थिति एरिया में कोई बदलाव, या कोई “ब्लाइंड स्पॉट मिले तो तुरंत अपने रेटिना स्पेशियलिस्ट को बुलाएं।
आपको एम्सलर टेस्ट के बिना भी विज़न में बदलाव दिखने पर अपने आई डॉक्टर को कॉल करना चाहिए:
हवा के अनुकूल होने के कारण तापमान में सुधार होता है। तापमान में सुधार होता है तो रोग के रूप में बेहतर होता है या “मेटामोरफोप्सिया” (metamorphopsia) या “स्कोटोमा” (scotoma) का तापमान बेहतर होता है। अग्रिम में एम्पॉर्टमेंट के लिए बेहतर गुणवत्ता के लिए उपयुक्त के रूप में मुख्य रूप से एक घरेलू उपकरण के रूप में उपयोग किया जाता है।
ग्रिड का नाम स्विस नेत्र विशेषज्ञ (Swiss ophthalmologist) मार्क एम्सलर (1891-1968) के नाम पर रखा गया है।
ग्राफ़ पेपर के टुकड़े की तरह दिखने वाले एम्सलर ग्रिड के केंद्र में एक छोटा डॉट होता है, जहां आपको फोकस करना होता है। रीडिंग ग्लासेज़ पहनते समय ज़्यादातर रेखाएं फोकस में लाने के लिए ग्रिड को एक निश्चित दूरी पर होल्ड करें। इस चार्ट से आप घर पर भी विज़न मॉनिटरिंग करके मैकुलर डिजेनेरेशन के खतरे का पता लगा सकते हैं। आपको ऑंखों से जुड़ी समस्या का पता लगाने के लिए केवल चार्ट पर भरोसा न करके नियमित रूप से अपने डॉक्टर के पास विज़िट करना चाहिए, क्योंकि एक प्रोफेशनल हमेशा उन संकेतों के बारे में ज़्यादा जान सकता है, जिन पर अक्सर आपका ध्यान नहीं जाता।
एम्सलर टेस्ट या एम्सलर ग्रिड टेस्ट निम्नलिखित परिदृश्यों (scenarios) में उपयोगी हो सकता है:
एक आंख से इसे पूरा करने के बाद, दूसरी आंख पर स्विच करें और दोहराएं।
नोट: किसी भी तरह की इरेग्यूलेरिटी का अहसास होने पर तुरंत अपने ऑप्टिशियन को जानकारी दें। एम्सलर ग्रिड में ठीक से नहीं दिखने वाले एरिया को उन्हें मार्क करें और विजिट के वक्त ग्रिड को ऑप्टिशियन के पास लाएं। कभी भी ऑप्टिशियन द्वारा सजेस्ट की गई अनियमितता दिखने पर एम्सलर ग्रिड से अपनी ऑंखों का टेस्ट करें।
एम्स्लर ग्रिड टूल से मैक्युलर डिसीज़ ट्रैक या मॉनिटर किया जा सकता है।
मेटामोर्फोप्सिया (Metamorphopsia)- स्मॉल स्क्वायर की तुलना में स्क्वायर चौड़े दिखना मैक्रोप्सिया को दर्शाता करता है। इस एरिया में पैरलल (parallel) लाइन्स के बीच कर्व (curve) दिख सकता है, जिससे माइक्रोप्सिया के एरिया में पैरलल लाइन्स एक दूसरे की ओर खींची हुई लगती हैं।
स्कोटोमा (Scotoma)- मरियम वेबस्टर डिक्शनरी में इसे “विज़न एरिया में एक स्थान में दृष्टि ना होने या कमी होने” के फॉर्म में परिभाषित किया गया है, जिसमें दृष्टि का एक सामान्य एरिया स्कोटोमा से घिरा होता है।
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