Contents
- 1 प्रिज्म करेक्शन क्या है? Prism Correction Kya Hai?
- 2 प्रिज्म करेक्शन का कार्य – Prism Correction Work
- 3 प्रिज्म करेक्शन ग्लास की ज़रूरत – Prism Correction Glass Ki Zarurat
- 4 प्रिज्म करेक्शन ग्लास टेस्ट – Prism Correction Glass Test
- 5 प्रिज्म करेक्शन ग्लास प्रिस्क्रिप्शन – Prism Correction Glass Prescription
- 6 प्रिस्क्रिप्शन में शर्तें – Prescription Mein Terms
- 7 उपयोग के लिए टिप्स – Upyog Ke Liye Tips
- 8 साइड इफेक्ट्स – Side Effects
- 9 निष्कर्ष – Nishkarsh
प्रिज्म करेक्शन क्या है? Prism Correction Kya Hai?
जब आपकी दोनों आंखें अपने द्वारा खींची हुई और हमारे द्वारा देखी जाने वाली व्यक्तिगत पिक्चर को अंतिम छवि में बदलने के लिए सही ढ़ंग से काम कर रही होती हैं, तो तब वह सही दृष्टि कहलाती है। आपकी आंखों की यह प्रक्रिया कई कारणों से विफल हो जाती है और इससे किसी व्यक्ति को एक के बजाय दो अलग-अलग इमेज दिखाई देने लगते हैं। प्रिज्म करेक्शन अभिसरण त्रुटि (कन्वर्जेंस एरर) का सुधार करता है, जो इस दोहरी दृष्टि (डबल विजन) का कारण बनता है।
प्रिज्म करेक्शन का कार्य – Prism Correction Work
आंख के काम में प्रकाश प्रवेश करता है और आंख के पीछे रेटिना पर गिरने के लिए कॉर्निया से होकर गुजरता है। इस तंत्र से वस्तु की छवि देखने में मदद मिलती है, क्योंकि प्रकाश रेटिना के एक ही हिस्से पर पड़ता है। जब प्रकाश गुजरता है और प्रत्येक आंख में रेटिना के अलग-अलग भागों पर पड़ता है। यह दोहरी दृष्टि का कारण बनता है, जिसके होने पर आपको एक ही वस्तु के दो चित्र दिखाई देते हैं।
प्रिज्म करेक्शन चश्मे में प्रिज्म क्या है?
डॉक्टर आपकी आंखों की कमजोरी को दूर करने के लिए एक खास जगह पर प्रिज्म और आंख की मांसपेशियों की कमजोरी ठीक करने के लिए एक खास पावर रखता है। प्रिज्म आंख से गुजरने से पहले प्रकाश को मोड़ देता है, जिससे यह प्रकाश अपने रास्ते पर दोबारा निर्देशित होकर प्रत्येक आंख में रेटिना के एक ही हिस्से पर सही ढंग से गिरता है। इसलिए मस्तिष्क अपना काम करता है, प्रत्येक आंख से बनाई गई अलग-अलग छवियों को एक सही और स्पष्ट छवि में मिला देता है।
प्रिज्म करेक्शन ग्लास की ज़रूरत – Prism Correction Glass Ki Zarurat
दोहरी दृष्टि (डिप्लोपिया) और आंशिक दृष्टिहीनता (हेमियानोपिया) से पीड़ित व्यक्ति को प्रिज्म सुधार चश्मे की ज़रूरत होती है। इसके अलावा एथलीट भी उनका इस्तेमाल करते हैं, जिससे उन्हें उन्नत दृष्टि के साथ अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
- डिप्लोपिया: डिप्लोपिया की स्थिति में आपको एक के बजाय दो चित्र दिखाई देते हैं। यह स्थिति एक या दोनों आंखों में हो सकती है, लेकिन एक आंख में दोहरी दृष्टि को एककोशिकीय डिप्लोपिया या मोनोक्युलर डिप्लोपिया कहते हैं, जिसमें कॉर्निया, लेंस, मोतियाबिंद, दिमाग आदि शामिल हो सकते हैं।
लक्षण
1. आंखों के आसपास दर्द
2. कमजोरी
3. सिरदर्द
- हेमियानोपिया: इस स्थिति में कोई व्यक्ति अपनी आंशिक दृष्टि (पार्शियल विज़न) खो देता है।
हेमियानोपिया दो प्रकार के होते हैं:
1. होमोनिमस हेमियानोपिया का सबसे आम प्रकार है, जो एक ही आंख में दृश्य क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों को प्रभावित करता है।
2. ऑप्टिक चियास्म पर घाव (दिमाग में ऑप्टिक नर्व द्वारा एक एक्स बनाने वाला क्षेत्र) हेटेरोनिमस हेमियानोपिया का कारण बनती है।
लक्षण
1. प्रभावित साइड से दिखाई न देना
2. हैलुसिनेशन
3. दृश्य लापरवाही
प्रिज्म करेक्शन ग्लास टेस्ट – Prism Correction Glass Test
प्रिज्म निदान के लिए नेत्र परीक्षण:
हिर्शबर्ग टेस्ट (Hirschberg Test)
हिर्शबर्ग टेस्ट को कॉर्नियल लाइट रिफ्लेक्स टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है, जो ओकुलर अलाइनमेंट की जांच करने का बहुत ही आसान और त्वरित तरीका है। इससे नवजात शिशुओं, छोटे बच्चों और कमजोर दृष्टि वाले मरीज़ों आदि में आंखों का गलत संरेखण यानी स्ट्रैबिस्मस का परीक्षण करने में मदद मिलती है। इस परीक्षण में डॉक्टर एक प्रकाश स्रोत जैसे पेनलाइट का इस्तेमाल करते हैं और मरीज़ को प्रकाश स्रोत पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहते हैं। वह कॉर्निया पर प्रकाश के रिफ्लेक्शन का निरीक्षण करते हैं, जो प्रत्येक आंख के केंद्र के पास सफेद प्रकाश के एक ही बिंदु पर होना चाहिए।
अगर संरेखण सामान्य है, तो पुतली में रिफ्लेक्शन उसी स्थिति में होगा, जबकि आंख में कोई गलत संरेखण होने पर रिफ्लेक्शन पुतली के केंद्र से दूर होगा। रिफ्लेक्स की स्थिति में अंतर आंखों के विचलन (आई डेविएशन) के रूप में उल्टी दिशा में होगा। आंखों के विचलन के प्रकार निम्नलिखित हैं:
- आंख का आवक विचलन (इंवार्ड डेविएशन) होने पर एसोट्रोपिया होता है, जिसमें प्रकाश की रिफ्लेक्शन उल्टी दिशा में होगा।
- हाइपरट्रोपिया में यह विचलन आंख में ऊपर की तरफ होता है और प्रकाश का रिफ्लेक्शन पुतली के केंद्र से दूसरी जगह चला जाता है।
प्रिज्म के 15 डायोप्टर यानी केंद्र से लगभग 7 डिग्री. विचलन के प्रत्येक 1 मिमी. को ठीक करता है।
क्रिम्स्की टेस्ट (Krimsky Test)
यह टेस्ट गलत संरेखण की डिग्री को मापने के लिए है। यह वही हिर्शबर्गल टेस्ट है, जो लोक्न एक प्रिज्म के साथ किया जाता है। इसमें डॉक्टर आपको पेनलाइट देखने के लिए कहते हैं। इस दौरान वह आपकी आंख के सामने अलग-अलग ताकत के अलग-अलग प्रिज्म रखता है। यह उपकरण प्रत्येक आंख में रिफ्लेक्शन को केंद्र में लाकर सही प्रिज्म माप का पता लगाने के लिए उसे मापता है। डॉक्टर बाईनोक्युलर फ्यूजन दृश्य टूट जाने पर गलत संरेखण (फोरिया) से पीड़ित लोगों के बजाय आंखें खुली होने पर आंख का विचलन (ट्रोपियास) से पीड़ित लोगों को इस परीक्षण की सलाह देते हैं।
कवर टेस्ट (Cover Test)
मिस-अलाइनमेंट यानी स्ट्रैबिस्मस की मौजूदगी, प्रकार और परिमाण को निर्धारित करने के लिए कवर टेस्टिंग विधि का इस्तेमाल किया जाता है। कवर टेस्टिंग एक ऐसी विधि है, जिसका इस्तेमाल नज़दीक और दूर दोनों दूरी पर किया जा सकता है। अगर इसे नज़दीक किया जाता है, तो लक्ष्य 33 सेमी. की दूरी पर तय किया जाता है। वहीं दूरी के लिए लक्ष्य लगभग 6 मीटर की दूरी पर निर्धारित किया जाता है। यह परीक्षण स्ट्रैबिस्मस ढूंढ़ने या पता लगाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
कवर टेस्ट तीन प्रकार के होते हैं:
- कवर-अनकवर टेस्ट: इस टेस्ट को प्रक्रिया में पहले किया जाता है। यह आंखों की गति का निरीक्षण करने की प्रक्रिया है, जिसमें एक कवर का इस्तेमाल करके एक आंख को कवर किया जाता है। इस परीक्षण की मदद से हेटरोफोरिया या फोरिया के कोई लक्षण मौजूद होने या नहीं होने का पता लगाने के लिए किया जाता है।
- ऑल्टरनेट-कवर टेस्ट: आमतौर पर इस टेस्ट को कवर के अनकवर के बाद किया जाता है। यह पूरे विचलन (फुल डेविएशन) देखने के लिए एक परीक्षण है और बाइनोक्यूलर फ्यूजन को खत्म करके फोरिया की मौजूदगी का पता लगाया जाता है। इस परीक्षण में फ्यूजन को खत्म करने के लिए एक आंख को सेकंड के लिए कवर करना, फिर दूसरी आंख में शिफ्ट करना और मरीज़ की आंख में बाईनोकुलर फ्यूजन की इजाज़त के बिना इसे लगातार दोहराना शामिल है, क्योंकि आंख जितनी तेजी से ठीक होगी, विचलन का नियंत्रण उतना ही बेहतर होगा।
- ऑल्टरनेट प्रिज्म कवर टेस्ट: यह टेस्ट ऑल्टरनेट कवर टेस्ट की तरह है, जो मिस-अलाइनमेंट की मात्रा का पता लगाने के लिए एक आंख में प्रिज्म को जोड़ता है। यह अलग-अलग पावर के प्रिज्मों को गैर-स्थिर (नॉन-फिक्सेटिंग) आंख पर गलत दिशाओं में रखकर तब तक किया जाता है जब तक किसी भी आंख में निर्धारण में बदलाव न हो। विचलन का परिमाण प्रिज्म (डायोप्टर में) का माप है, जो आंख में विचलन को बेअसर करने के लिए ज़रूरी है।
प्रिज्म करेक्शन ग्लास प्रिस्क्रिप्शन – Prism Correction Glass Prescription
एक सामान्य प्रिज्म ग्लास प्रिस्क्रिप्शन में मौजूद दो नंबर इस प्रकार हैं:
- सामान्य चश्मों की तरह, डायोप्टर (गलत संरेखण को मापने की यूनिट) आंखों का गलत संरेखण इंगित करने के लिए है।
- इसकी मदद से डॉक्टर आपकी बीमारी के हिसाब से दोहरी दृष्टि नापकर प्रिज्म लगाते हैं। ‘बेस’ प्रिज्म का वह किनारा है जो बताता है कि प्रकाश दोबारा कहां निर्देशित होता है। डॉक्टर के मुताबिक यह कहीं भी हो सकता है।
प्रिस्क्रिप्शन में शर्तें – Prescription Mein Terms
- ओएस और ओडी का मतलब ओकुलस डेक्सटर और ओकुलस सिनिस्टर है। यह दाहिनी आंख और बायीं आंख के लिए लैटिन शब्द हैं, जिसमें ओयू का मतलब ओकुलस यूटर्क्यू यानी दोनों आंखें हैं। प्रिज्म करेक्शन ग्लास प्रिस्क्रिप्शन पर बायीं आंख से पहले दाहिनी आंख की जानकारी आती है। इसका एक कारण यह है कि डॉक्टर आपके संपर्क में आते हैं, तो आपकी दाहिनी आंख उनकी नज़र में आती है। जैसे कि यह उनकी बाईं तरफ है और फिर आपकी बाईं आंख, क्योंकि यह उनके दाईं तरफ लगती होती है।
- एसपीएच लेंस की पावर को दर्शाता है, जिसे डायोप्टर में मापा जाता है। इसे दूरदर्शिता और निकट दृष्टिदोष को ठीक करने के लिए प्रिस्क्राइब किया जाता है। आपके प्रिस्क्रिप्शन पर मौजूद संख्या में माइनस (-) के निशान का मतलब है कि आप निकट दृष्टिदोष (मायोपिया) से पीड़ित हैं और प्रिस्क्रिप्शन पर पॉजिटिव नंबर या कोई संकेत नहीं होने का मतलब दूरदर्शिता (हाइपरोपिया) है। अगर कोई सुधार नहीं है, तो इसे 0.00 या पीएल (PL) लिखा जाता है।
- सीवाईएल दृष्टिवैषम्य (आंख के घुमाव में एक इम्पर्फेक्शन) को ठीक करने के लिए लेंस की पावर है। दृष्टिवैषम्य दो फोकल बिंदुओं से आंख में आने वाला प्रकाश है, जिसे ठीक करने के लिए एसपीएच पावर का इस्तेमाल एक फोकल पॉइंट को रेटिना और सीवाईएल पावर को रेटिना में दूसरे फोकल पॉइंट पर ले जाने के लिए किया जाता है। सीवाईएल कॉलम खाली होने का मतलब कोई दृष्टिवैषम्य नहीं होना या बेहद कम है, जिसे ठीक करने के लिए एक चश्मे के लेंस की ज़रूरत नहीं है। कॉलम में माइनस का निशान निकट दृष्टिवैषम्य के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, कॉलम में प्लस के निशान का मतलब दूरदर्शी दृष्टिवैषम्य का होना होता है। सीवाईएल पावर हमेशा एसपीएच के बाद प्रिज्म करेक्शन प्रिस्क्रिप्शन में लिखा जाता है।
- एक्सिस नंबर 1 और 180 के बीच की वैल्यू है। अगर किसी प्रिस्क्रिप्शन में सिलिंड्रिकल पावर है, तो इसमें एक एक्सिस और इसका उल्टा होना चाहिए।
उपयोग के लिए टिप्स – Upyog Ke Liye Tips
मरीज़ को प्रिज्म करेक्शन चश्मा पहनने पर कई नए अनुभव होते हैं। प्रिज्म करेक्शन चश्मे का सही इस्तेमाल करने के लिए कुछ निर्देश इस प्रकार हैं-
- आपको प्रिज्म करेक्शन चश्मे को नियमित रूप से पहनना चाहिए यानी सुबह इन्हें लगाना और रात के बाद इन्हें हटाना ज़रूरी होता है।
- अगर मरीज़ के चश्मे में कोई प्रोग्रेसिव लेंस नहीं है, तो वस्तु पर अपनी नाक को इंगित करके वस्तु को देखें।
- कुछ मरीज़ों को शुरुआत में आंखों पर थोड़ा खिंचाव महसूस हो सकता है और उन्हें एडजस्ट होने में कुछ समय लग सकता है।
- जमीन पर देखना और चलना कुछ लोगों के लिए मुश्किल काम हो जाता है। ऐसे में लोगों को लगता है कि वह लंबे हो गए हैं या उनके सिर पर कोई वजन नहीं है।
- कुछ लोग अपनी गर्दन के खिंचाव और गर्दन की लम्बाई में सुधार महसूस करते हैं।
- आपके चेहरे का संरेखण सबसे ज़रूरी है, क्योंकि यह करेक्शन चश्मे में सबसे ज्यादा मायने रखता है।
- अगर मरीज़ को अंधेरे में सोना आसान लगता है, तो वह चश्मा हटाने के बाद स्लीपिंग मास्क का इस्तेमाल कर सकता है।
- कुछ मरीज़ एक मुश्किल समय की रिपोर्ट करते हैं जब वह नहाते वक्त चश्मा निकालते हैं। ऐसे में चश्मे को हटाने के बाद आप एक आंख पर आई पैच का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- बीमारी की वजह से आसपास की मांसपेशियां बहुत तनावपूर्ण और तंग हो जाती हैं। लेंस के इस्तेमाल करने से आपकी मांसपेशियों को आराम मिल सकता है और आपके लक्षणों को कम किया जा सकता है। आपका संरेखण बार-बार बदल सकता है, जिसके लिए यह प्रिस्क्रिप्शन का एक हिस्सा है और प्रिस्क्रिप्शन में बदलाव से मदद मिलती है।
- प्रत्येक ग्राहक के लिए करेक्शन ग्लास अलग हैं। कुछ को इन्हें एडजस्ट करने में थोड़ा समय लग सकता है, जबकि कुछ इन्हें पहनने के तुरंत बाद ही एडजस्ट कर सकते हैं।
साइड इफेक्ट्स – Side Effects
प्रिज्म चश्मे के इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- आंख का दर्द
- आंख का तनाव
- सिरदर्द
- गलत संरेखित आंखें
- दोहरी दृष्टि
प्रिज्म सुधार चश्मे से होने वाली परेशानी के कारण हैं:
- लेंस का गलत संरेखण- प्रिज्म सुधार चश्मे के नियमित इस्तेमाल के कारण वह गलत संरेखित हो सकते हैं, लेकिन आप चश्मे को फिर से एडजस्ट करके उन्हें ठीक कर सकते हैं। इससे स्थिति बेहतर और असुविधा कम हो जाएगी।
- गलत या एक्सपायर्ड प्रिस्क्रिप्शन- इसका एक दूसरा कारण प्रिज्म करेक्शन के लिए गलत या एक्सपायर्ड प्रिस्क्रिप्शन हो सकता है। यह आपकी आंख और आपकी दृष्टि को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसके कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए सुनिश्चित करें कि आपका प्रिस्क्रिप्शन अप-टू-डेट है।
बताए गए सभी मामलों में डॉक्टर से परामर्श करना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि यह निश्चित रूप से आपकी मदद कर सकता है।
निष्कर्ष – Nishkarsh
प्रिज्म करेक्शन एक बुनियादी बीमारी है, जो किसी को भी हो सकती है। अगर आप सिरदर्द, आंखों में दर्द और मुख्य रूप से दोहरी दृष्टि महसूस कर रहे हैं, तो तुरंत अपने नजदीकी डॉक्टर से मिलें, क्योंकि इलाज में देरी से आंखों की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसके कारण आप अपना विज़न लॉस भी कर सकते हैं। प्रिज्म करेक्शन में सही चश्मा और सही प्रिस्क्रिप्शन एक बहुत ही ज़रूरी कारक है।
आईमंत्रा में हमारी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की कुशल टीम आपकी आंखों का इलाज और उनकी संपूर्ण देखभाल करने में पूरी तरह सक्षम है। आंखों से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट eyemantra.in पर जाएं। हमसे संपर्क करने के लिए आप हमें +91-9711115191 पर कॉल या [email protected] पर मेल भी कर सकते हैं। आईमंत्रा में रेटिना सर्जरी, चश्मा हटाना, लेसिक सर्जरी, भेंगापन, मोतियाबिंद सर्जरी और ग्लूकोमा सर्जरी सहित कई अन्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं।