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भूरे यानी हेज़ल आंखों के रंग के कई अलग-अलग कारण होते हैं, लेकिन सबसे प्रमुख रेले स्कैटरिंग का मिश्रण होता है, जो आईरिस के इंटीरियर बॉर्डर के अंदर मेलेनिन की एक मध्यम मात्रा होती है। अक्सर भूरी आंखों के रंग में बदलाव दिखाई देता है, जिसमें एक ही वक्त में आंखें भूरे, सुनहरे और हरे रंग की तरह कई रंगों की दिखाई देती हैं। आमतौर पर यह रंग हरे रंग के साथ हल्के भूरे रंग का एक रंग बनाते हुए एक दूसरे में पिघल जाते हैं।
आंखें किसी भी व्यक्ति में दिखाई देने वाली प्राथमिक विशेषताएं हैं, जिसे कभी-कभी “आत्मा की खिड़की” भी कहते हैं। अक्सर लोग अपनी आंखों के रंग के बारे में जानने के लिए उत्सुक होते हैं, जो काफी स्वाभाविक है। ऐसे लोग अक्सर स्वास्थ्य क्लीनिकों में विशेषज्ञ ऑप्टोमेट्रिस्ट और नेत्र रोग विशेषज्ञों से परामर्श करते समय लगातार कई सवाल पूछते हैं, जैसे:
• मेरी आंखों का रंग क्या है?
• क्या मैं कलर कॉन्टैक्ट लेंस पहन सकता हूं?
• क्या मेरे बच्चे की आंखों का रंग भूरा हो सकता है?
ज़्यादातर लोगों के लिए पहेली बना हेज़ल/शहद की आंखों का रंग सबसे हैरान करने वाला आंखों का रंग है। यहां हम एक बार फिर भूरे रंग की आंखों के कारण का मूल्यांकन करेंगे। साथ ही भूरे रंग की आंखों से जुड़े कई सवालों के उत्तर ढूंढ़ने की कोशिश करेंगे, जैसे भूरी आंखों के रंग का क्या कारण है, यह अक्सर किस रंग के लिए गलत होते हैं, किन लोगों में भूरे रंग की आंखें होने की संभावना ज़्यादा होती है और क्यों कुछ व्यक्तित्व लक्षण या खासियत भूरे रंग यानी हेज़ल आंखों से जुड़े होते हैं।
अक्सर भूरी आंखों वाले लोगों की आंखों का रंग हल्के भूरे, सुनहरे, भूरे-हरे रंग के रूप में बताया जाता है, क्योंकि इसके नाम की तरह हेज़लनट का रंग होता है। इसका सही रंग बताने में दिक्क्त इसके द्वारा परावर्तित होने वाले सूर्य के प्रकाश की मात्रा के आधार पर अलग-अलग स्वरों की क्षमता से आती है। हालांकि भूरे रंग की आंखों में नीले, हरे या एम्बर की झिलमिलाहट होती है, लेकिन यह कलर पिगमेंट मानव आंखों के अंदर मौजूद नहीं होते, जिसके कारण यह रहस्य बना हुआ है कि असल में भूरी आंखों का रंग कहां से आता है। भूरा या हेज़ल रंग असल में एक दुर्लभ आंखों का रंग है, जो कुल आबादी के सिर्फ पांच प्रतिशत लोगों की आंखों में देखा जाता है। आइए जानते हैं कि इसके कारण क्या हैं, प्राकृतिक भूरे रंग की आंखें किसके पास हो सकती हैं और क्यों।
सब जानते हैं कि आंखों का रंग हमें आनुवंशिक रूप से अपने माता-पिता से विरासत में मिलता है। हमें यह भी पता है कि दुनिया में सबसे लोकप्रिय भूरी आंखों का रंग है। सबसे आम एलील है। नीली आंखों का रंग जीन रिसेसिव और दुर्लभ है, जो ज्यादातर पश्चिमी देशों में पाए जाने वाले भूरे रंग की आंखों की तरह है, क्योंकि नीली आंखों का रंग एक पुनरावर्ती जीन है। पहले यह माना जाता था कि सिर्फ दो नीली आंखों वाले माता-पिता सिर्फ नीली आंखों वाले बच्चों को जन्म दे सकते हैं, लेकिन अक्सर इस सिद्धांत को गलत बताया जाता है। वैज्ञानिक रूप से माना जाता था कि सिर्फ दो जीन आपकी आंखों का रंग निर्धारित करते हैं, लेकिन हाल ही में हुए अध्ययनों से पता चला है कि सोलह जीन किसी व्यक्ति की आंखों का रंग निर्धारित कर सकते हैं।
किसी बच्चे की आंखों के रंग का निर्धारण करने के लिए जेनेटिक से अलग कई कारक हैं, जिन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए। नीली आंखों के साथ पैदा होने वाले कई बच्चों की आंखों का रंग उम्र के साथ अलग होने लगता है और धीरे-धीरे यह हरे, भूरे या हेज़ेल की छाया में विकसित होता है। आमतौर पर ऐसा मेलेनिन का स्तर बढ़ने या सूरज की रोशनी के संपर्क में आने के कारण होता है।
कुछ लोगों की आंखों का रंग वक्त के साथ बदलता है, क्योंकि बचपन में उनमें मेलेनिन की पूरी मात्रा मौजूद नहीं होती है। इससे पता चलता है कि उम्र बढ़ने के साथ हमारे आईरिस में ज़्यादा मेलेनिन जमा हो सकता है, जिससे आंखों का रंग बदल सकता है। मेलेनिन की ज़्यादा मात्रा वाले बच्चों की आंखों की रंग भूरा हो जाता है, जबकि कम मेलेनिन वाले बच्चों की आंखों का रंग हरे या हेज़ल रंग में बदल जाता है। एथनिसिटि की परवाह किए बिना भूरी आंखों के साथ पैदा हुए शिशुओं की आंखों का रंग हमेशा के लिए होगा, जिससे पता चलता है कि बच्चे का जन्म निश्चित तौर से आंखों और स्किन में मेलेनिन के हाई लेवल साथ हुआ है।
जैसे प्रत्येक आंख का रंग अपने में अनोखा होता है, वैसे ही आंख के आसपास के ऊतक यानी आइरिस होते हैं। इसी तरह प्रत्येक रंग के अपने चिकित्सीय फायदे और नुकसान होते हैं। मेलेनिन की अलग-अलग मात्रा आंखों के रंग को नियंत्रित करती है, लेकिन नेचुरल सिलेक्शन में भी इसकी अपनी भूमिका होती है। भूरे रंग की आंखों वाले लोगों में पर्यावरण से होने वाले शोर के कारण तंत्रिका डैमेज होने की कम गुंजाइश होती है, लेकिन व्यवहार संबंधी मुद्दों और एंजाइटी डिसऑर्डर को लेकर भूरे रंग की आंखों वाले लोग ज़्यादा संवेदनशील होते हैं।
एशियाई, अफ्रीकी अमेरिकी या हिस्पैनिक विरासत वाले लोगों में हेज़ल आईज़ होने की संभावना नहीं है, क्योंकि उनमें स्वाभाविक तौर पर जन्म से ही मेलेनिन की भारी मात्रा होती है। कोकेशियान वंश के लोगों में हेज़ल आईज़ विकसित हो सकती हैं, क्योंकि उम्र के साथ उनकी आंखों की पुतली काली पड़ जाती है।
भूरी आंखें मुश्किल और शानदार दोनों हैं, क्योंकि आंखों में भूरे रंग की कोई पर्टिकुलर शेड नहीं है। यह रंग कई कारकों द्वारा तय किया जाता है, जैसे-
भूरी आंखें आंतरिक और बाहरी दोनों तत्वों के फैलाव पर निर्भर करती हैं, जो हर भूरी आंखों को अनोखा बनाती है।
अगर आप दुर्लभ भूरी आंखों के रंग के साथ खुद को अकेला समझते हैं, तो यहां भूरी आंखों के रंग वाली कुछ हस्तियों की सूची दी गई है, जैसे-
डेविड बेखम
केली क्लार्कसन
एंजेलीना जोली
जेरेमी रेनर
प्रत्येक आंखों के रंग के साथ जुड़ी कुछ व्यक्तित्व खासियत होती हैं। हाल के अध्ययनों ने इस तथ्य को दोहराया है कि हमारी आंखों का रंग उनके व्यक्तित्व के बारे में दूसरे लोगों के साथ व्यवहार करने के उनके तरीके के बारे में बहुत कुछ बता सकता है। भूरी आंखों वाले लोग ज़्यादा सुलभ, एलिंगेट और जीवन को लेकर पॉजिटिव दृष्टिकोण रखने वाले होते हैं।
आपके आईरिस के प्राकृतिक रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन हमेशा भूरी आंखें या हल्के आंखों का रंग पाने के लिए आप कलर कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आपकी आंखों के रंग को स्थायी रूप से नहीं बदलेगा, लेकिन थोड़े समय के लिए इसका रूप देगा। कलर कॉन्टैक्ट लेंस कई तरह के रंगों में उपलब्ध हैं, इसलिए आपको सिर्फ हेज़ल कलर तक सीमित नहीं रहकर ग्रे, एम्बर, नीलम, नीले, हरे और भूरे रंग जैसे ज़्यादा पॉपुलर कलर भी आज़माने चाहिए।
अगर आप भी यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि कौन से कलर कॉन्टैक्ट आपके लिए सबसे उपयुक्त हैं, तो गूगल पर कलर कॉन्टैक्ट गाइड ढूंढ़ें। आईमंत्रा के पास मरीज़ों को आंखों का उपचार प्रदान करने में कई सालों का अनुभव है। आईमंत्रा में मरीज़ों को विश्व स्तरीय सुविधाएं और शीघ्र स्वस्थ होने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान किया जाता है। एक्सपर्ट नेत्र रोग विशेषज्ञों से आंखों से संबंधित किसी भी परामर्श के लिए आप हमारे दिल्ली स्थित आईमंत्रा हॉस्पिटल में विज़िट कर सकते हैं।
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