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एएमडी का मतलब उम्र से संबंधित मैक्युलर डिजनरेशन है। यह आंख की समस्या रेटिना से जुड़ी होती है। एएमडी, रेटिना का एक हिस्सा डैमेज होने के कारण होती है, जिसे “मैक्युला” कहते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति अपनी केंद्रीय दृष्टि खो देता है, जिससे आंखें पास या दूर की वस्तुओं को बारीकी से नहीं देख सकती, लेकिन व्यक्ति का पेरिफेरल (साइड) विज़न अबाधित रहता है। एएमडी (AMD) वाले मोतियाबिंद मरीज़ों को आंखों की बेहतर दृष्टि के लिए नोवेल इम्प्लांटेशन का इस्तेमाल करके मोतियाबिंद सर्जरी से गुज़रना चाहिए।
एएमडी के दो प्रकार होते हैंः
लगभग 80 प्रतिशत मरीज़ ड्राई यानी सूखी एएमडी से पीड़ित पाए जाते हैं। ड्राई एएमडी की स्थिति में मैक्युला के हिस्से उम्र के साथ पतले होते जाते हैं और प्रोटीन के छोटे-छोटे गुच्छे बनते हैं, जिसे ड्रूसन कहते हैं।
मरीज़ों में सूखे एएमडी के मुकाबले वेट यानी गीले एएमडी से पीड़ित होने की कम संभावना होती है। गीली एएमडी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रेटिना के नीचे नई असामान्य ब्लड वेसल्स बढ़ने लगती हैं। इन नई ब्लड वेसल्स के किसी अन्य तरल पदार्थ का रिसाव करने से मैक्युला पर निशान पड़ सकते हैं। गीली एएमडी की स्थिति सूखी एएमडी से ज़्यादा गंभीर होती है, क्योंकि ऐसे मामलों में मरीज़ की दृष्टि तेज़ हो जाती है।
मोतियाबिंद आंख की एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लेंस की सतह पर किसी तरह की बादल जैसी परत बनने से व्यक्ति की आंखों का लेंस अपारदर्शी हो जाता है। मोतियाबिंद की शुरुआत तब होती है, जब आंख में मौजूद प्रोटीन छोटे-छोटे गुच्छे बनाना शुरू कर देते हैं। यह गुच्छे लेंस को रेटिना में स्पष्ट छवियां वापस भेजने से रोकते हैं, जिससे दृष्टि कम हो जाती है और समय पर उचित उपचार प्रदान नहीं किये जाने से अंधापन भी हो सकता है। ज़्यादातर मोतियाबिंद उम्र के साथ विकसित होते हैं, जिसमें सर्जरी आंखों के इलाज का आखिरी विकल्प है। मोतियाबिंद सर्जरी में मरीज़ की आंखों के प्राकृतिक लेंस को कृत्रिम यानी आर्टिफिशियल आईओएल से बदला जाता है।
मोतियाबिंद और एएमडी दोनों ही आंखों की गंभीर समस्याएं हैं, जो इससे पीड़ित व्यक्ति की दृष्टि के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। मरीज़ की आंंख में एएमडी और मोतियाबिंद के एक साथ मौजूद होने से दृष्टि और बिगड़ जाती है। कई शोधकर्ताओं ने मोतियाबिंद सर्जरी के बाद मरीज़ की आंखों पर एएमडी की प्रोग्रेस के प्रभाव के लिए अपने निष्कर्ष बताए हैं। कुछ अध्ययनों के मुताबिक एएमडी के साथ मोतियाबिंद की सर्जरी से यह स्थिति प्रोग्रेस के बजाय और खराब हो जाती है और मोतियाबिंद सर्जरी के बाद यह पहले से ज़्यादा एडवांस, विज़न-थ्रेटनिंग में बदल सकता है।
कुछ अध्ययनों में मोतियाबिंद सर्जरी के बाद गीले एएमडी के ज़्यादा गंभीर होने की बात कही गई है। मोतियाबिंद के साथ एएमडी के मैनेजमेंट के दौरान इंट्रा-रेटिनल सिस्टॉयड बदलाव, उप-रेटिनल द्रव का बढ़ना और मैक्युलर हेमरेज जैसी जटिलताओं से निपटना कठिन हो सकता है। अध्ययनों में एएमडी की रेपिड प्रोग्रेस के पीछे तंत्र के बारे में भी बताया गया है, जैसे- प्रकाश के संपर्क में वृद्धि। इसके अलावा कुछ अध्ययनों से यह संकेत भी मिलता है कि एएमडी से पीड़ित मरीज़ की मोतियाबिंद सर्जरी करने से मरीज़ की आंखों के स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता और इससे एएमडी भी बदतर स्थिति में प्रोग्रेस नहीं करता है।
कुछ साल पहले एएमडी की मौजूदगी में मोतियाबिंद सर्जरी करने के जोखिम का विश्लेषण करने के लिए लगभग चार हजार लोगों पर एक अध्ययन किया गया था, जिससे निष्कर्ष निकला कि एडवांस एएमडी में प्रोग्रेस के जोखिम पर मोतियाबिंद सर्जरी का कोई स्पष्ट प्रभाव नहीं है। इक्यासी आंखों पर किए दूसरे अध्ययन से निष्कर्ष निकाला कि मोतियाबिंद और गीला एएमडी दोनों से पीड़ित मरीज़ों में मोतियाबिंद की सर्जरी सुरक्षित रूप से की जा सकती है। ओसीटी पर स्थिर प्री-ऑपरेटिव फ्लूड वाले मरीजों ने पोस्ट-ऑपरेटिव रूप से अच्छा प्रदर्शन किया।
कोई भी अध्ययन किसी व्यक्ति की दृष्टि पर एएमडी और मोतियाबिंद दोनों की उपस्थिति के सटीक प्रभाव के बारे में नहीं बताता। ऐसे में यह कहना मुश्किल होगा कि मोतियाबिंद की सर्जरी सकारात्मक है या इसका पहले की प्रोग्रेस पर कोई प्रभाव डालना आसान है, लेकिन सर्जरी के नकारात्मक प्रभाव का संकेत देने वाले अध्ययनों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
मोतियाबिंद और एएमडी दोनों से पीड़ित मरीज़ों को संतुलित दृष्टि प्रदान करना मुश्किल काम है, क्योंकि मोतियाबिंद में आंखों की बढ़ी हुई अस्पष्टता के कारण मरीज़ को बहुत कम दिखने लगता है, जबकि एएमडी परिणामस्वरूप बाद के चरण में दृश्य गतिविधि में गंभीर कमी आती है। लेट-स्टेज एएमडी रेटिना के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, जिससे दृष्टि कम हो जाती है। एएमडी की वजह से रेटिना को होने वाली अपूरणीय क्षति के लिए एक उचित और इंवेंटिव सॉल्यूशन ज़रूरत होती है। ऐसे में मरीज़ की दृष्टि में सुधार लाने के लिए मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान सही इम्प्लांट चुनना बहुत ज़रूरी है, जो मरीज़ की दृष्टि में और सुधार करता है। इस तरह एक नया आईओएल मोतियाबिंद वाले एएमडी मरीज़ों में बेहतर दृश्य परिणाम देता है।
इससे संबंधित एक अध्ययन के निष्कर्ष के मुताबिक, एक नई आईओएल स्ट्रेटेजी ऐसे मरीज़ों की आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद कर सकती है, जो इससे पीड़ित नहीं हैं। ऐसे मरीज़ मोतियाबिंद सर्जरी के बाद तेजी से ठीक होते हैं। हालांकि किसी मरीज़ की आंखों में मोतियाबिंद और एएमडी दोनों एक साथ पाए जाने पर सर्जरी में सामान्य आईओएल का इस्तेमाल किया जाता है। दोनों बीमारियों की मौजूदगी वाले मरीज़ों के इलाज के लिए एक नए आईओएल के इस्तेमाल का विश्लेषण किया गया, जिसे आईओएलएएमडी आईमैक्स मोनो नाम दिया गया है। यह एक हाइड्रोफिलिक ऐक्रेलिक लेंस है, जिसे रेटिना की छवि की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
उसी के संबंध में किये गये एक अध्ययन में इसने 122 लोगों (कुल 244 आंखें) की जांच की, जिनकी मोतियाबिंद सर्जरी हुई थी और उनकी आंखों में आईओएलएएमडी आईमैक्स मोनो लगाया गया था। नोवेल आईओएल को फोविया सेंट्रलिस के नज़दीकी क्षेत्र को 10 डिग्री तक बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस नए आईओएलएएमडी आईमैक्स मोनो की तुलना में मानक लेंस सिर्फ 5 से 7.5 डिग्री रेटिना विलक्षणता प्रदान करता है। इसके ज़रिए की गई सर्जरी में मानक प्रक्रिया और सर्जरी में तीन सर्जन शामिल थे, जिसमें मरीज को उचित एनेस्थीसिया और पुतली को पतला करने के लिए आईड्रॉप देकर सर्जरी की गई।
नोवेल आईओएल लेंस का वाइड-एंगल डिज़ाइन मैक्यूलर डिसऑर्डर (खासतौर से एएमडी) के मरीज़ों में धुंधली दृष्टि को नियंत्रित करने में मदद करता है। मानक आईओएल की तुलना में मरीज़ों ने इस नए इम्प्लांट के साथ एक डबल अक्षर की दूरी हासिल की। मोतियाबिंद के इलाज के लिए नोवेल आईओएल का इस्तेमाल पुराने मानक आईओएल जितना ही सुरक्षित है। इसलिए, यह नोवेल आईओएल सर्जरी के दौरान जोखिम कारकों के बढ़े बिना एएमडी वाले मरीज़ों के मोतियाबिंद सर्जरी के नतीज़ों में एक महत्वपूर्ण सुधार प्रदान करता है।
सभी अध्ययनों के निष्कर्ष के मुताबिक, मोतियाबिंद सर्जरी के दौरान मोतियाबिंद और एएमडी दोनों से पीड़ित मरीज़ों में लेंस लगाते वक्त यह नया आईओएल पसंदीदा लेंस बन सकता है। नोवेल आईओएल न सिर्फ एएमडी और मोतियाबिंद दोनों के मरीज़ों की मदद करता है, बल्कि मोतियाबिंद और दूसरे मैक्लयुर डिसऑर्डर वाले मरीज़ों की दृष्टि सुधारने का काम भी करता है। हालांकि, इस नये आईओएल के कुछ फायदे हैं, लेकिन यह दृष्टि के क्षेत्र को कम कर देते हैं। ऐसे में यह ध्यान देना ज़रूरी है कि मोतियाबिंद सर्जरी प्रोग्रेस को ठीक या बंद नहीं करती है या यह बस आपकी दृष्टि में सुधार करती है।
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