Eye Diseases

आंख आना (एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस): लक्षण, प्रकार, कारण और उपचार – Aankh Aana (Allergic Conjunctivitis): Lakshan, Prakaar, Kaaran Aur Upchar

आंख आना या एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस क्या है? Aankh Aana Ya Allergic Conjunctivitis Kya Hai?

आमतौर पर आंख आना या एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस किसी व्यक्ति की ऑंखें शरीर को ओवररिएक्ट करने वाले किसी एलर्जेन के संपर्क में आने से होता है। इस दौरान ऑंखों में दर्द और सूजन होती है। ऐसा अति-प्रतिक्रिया प्रणाली (over-feedback system) शरीर को हिस्टामाइन और अन्य सक्रिय पदार्थों को मस्तूल कोशिकाओं (mast cells) के ज़रिए माध्यम से छोड़ने की वजह से होता है। इसके अलावा रक्त वाहिकाओं (blood vessels) का विस्तार होता है, जो ऑंसू का एक बढ़ा हुआ स्राव होता है।

एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस के लक्षण – Allergic Conjunctivitis Ke Lakshan

कॉन्टैक्ट कंजक्टिवाइटिस और जाइंट पैपिलरी मौसमी नहीं हैं और इनके लक्षण साल में कभी भी हो सकते हैं। एलर्जी कंजक्टिवाइटिस के लक्षणों में शामिल हैं:

  • लाल या गुलाबी ऑंखें (Red or Pink Eyes)- एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस मौसमी बीमारी नहीं होने की वजह से साल में कभी भी हो सकता हैं। इसमें छोटी रक्त वाहिकाएँ के बढ़ने से ऑंखों में परेशानी होती है और आंखें लाल या गुलाबी हो जाती हैं।
  • दर्द (Pain)- डॉक्टरों के मुताबिक अगर किसी की ऑंखें प्रकाश के प्रति संवेदनशील हैं और दर्द के बाद लाल हो जाएं, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि यह व्यक्ति की दोनों ऑंखों को प्रभावित कर सकता है।
  • खुजली (Itchiness)- एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस होने पर ऑंखों में जलन के साथ खुजली हो सकती है, जिससे ऑंखों व पलकों में सूजन हो जाती है और ज़्यादा रगड़ने से ऑंखें खराब भी होने की संभावना भी होती है।
  • सूजी हुई पलकें (Swollen Eyelids)- कंजंक्टिवा में सूजन होने पर या किसी व्यक्ति के मसलने से पलकें फूल सकती हैं।
  • व्यथा (Soreness)- कंजक्टिवाइटिस में कुछ लोगों को दर्द, कुछ को हलका और कुछ को दर्द के साथ जलन जैसा अहसास होता है।
  • लाल, फटी या सूखी पलकें कॉन्टैक्ट कंजक्टिवाइटिस का संकेत हो सकती हैं।

एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस के कारण – Allergic Conjunctivitis Ke Kaaran

इम्यून सिसट्म के किसी पदार्थ से ज़्यादा रिएक्शन करने से एलर्जी होती है। ज़्यादातर लोग धूल, पराग और अन्य पदार्थों पर रियेक्ट नहीं करते, लेकिन कुछ ज़्यादा सेंस्टिव होते हैं।

आमतौर पर कई प्रकार की एलर्जी से कंजक्टिवाइटिस होता है, जैसे-  

• एनिमल फर (Animal Fur)

• आई ड्रॉप्स रिएक्शन (Eye Drops Reaction) 

• मेकअप (Make-up)

• धूल के कण ((Dust Mites) 

एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस के प्रकार – Allergic Conjunctivitis Ke Prakaar

एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस के कई प्रकार हैं, जैसे- 

सिज़नल एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस और एलर्जिक राइनो कंजक्टिवाइटिस (Seasonal Allergic Conjunctivitis Or Rhino Allergic Conjunctivitis)- ठंडे देशों में कंजक्टिवाइस का कारण सबसे कॉमन एलर्जेन पोलन है। पोलन से कंजक्टिवाइस होने पर छींकने, खुजली, बंद या बहती नाक और आंखों से पानी आने समेत कई लक्षण हो सकते हैं। आमतौर पर सिज़नल एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस या ऐलर्जी राइनो कंजक्टिवाइटिस वसंत और गर्मी के दौरान होता है, क्योंकि इस समय पौधे, घास, पेड़ और फूल पराग या पोलन में होते हैं। कुछ लोगों में शुरुआती गिरावट के दौरान लक्षण होते हैं।

कॉन्टैक्ट कंजक्टिवाइटिस (Contact Conjunctivitis)- आमतौर पर कॉसमेटिक्स, आई ड्रॉप या अन्य रसायनों के सपंर्क में आने से केराटो कंजक्टिवाइटिस होता है, जिसका सबसे ज़्यादा असर सेंस्टिव लोगों पर होता है।

जाइंट पैपिलरी कंजक्टिवाइटिस (Giant Papillary Conjunctivitis)- कॉन्टैक्ट लेंस की आदत भी जाइंट पैपिलरी कंजक्टिवाइटिस की बड़ी वजह मानी गई है, जिससे ऑंखें लाल हो जाती हैं। डॉक्टर्स की मानें, तो कई बार आई सर्जरी के बाद हार्ड कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल करते या कॉन्टैक्ट लेंस को संभालते वक्त बरती गई असावधानी भी जाइंट पैपिलरी कंजक्टिवाइटिस की बड़ी वजह बनती है। 

पेरेनियल कंजक्टिवाइटिस (Perennial Conjunctivitis)-  पेरेनियल कंजक्टिवाइटिस साल भर रहता है, जिसका मुख्य कारण धूल के कण, बिस्तर, फर्निचर और कालीनों में पाए जाने वाले माइक्रोस्कोपिक इंसेक्ट जैसे क्रिएचर हैं, जो कोशिकाओं को खा जाते हैं।

डस्ट से कंजक्टिवाइटिस, ब्लॉक या बहती नाक, छींकने और अस्ठमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं। एलर्जी और मामूली जलन से होने वाले लालपन के उपचार के लिए नेफज़ोलिन (Naphazoline) युक्त उत्पाद ऑनलाइन मौजूद हैं। 

नेफ़ाज़ोलिन एक डीकॉन्गेस्टेंट भी हो सकता है, जो एलर्जी और हल्की जलन से होने वाले लालपन को ठीक करता है। नेफज़ोलिन युक्त उत्पाद ऑनलाइन खरीद के लिए उपलब्ध हैं।

इसके अलावा टेट्राहाइड्रज़ोलिन (Tetrahydrozoline) एलर्जी, थकावट और जलन से होने वाले लालपन को क्लीन करने का काम करता है।

लुब्रिकेंट आई ड्रॉप्स यानि आँख स्नेहक ड्रॉप्स को आमतौर पर असली ऑंसुओं की नकल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसे लेकर ज़्यादातर नेत्र चिकित्स्कों को मानना है कि कुछ आई ड्रॉप्स में पाए जाने वाले प्रिजर्वेटिव्स ऑंखों के लिए सेफ है, जो ऑनलाइन खरीद के लिए उपलब्ध हैं।

डॉक्टर्स आपको प्रिस्क्राइब कर सकते हैं-

  • ग्लूकोमा ड्रॉप्स जो ऑंखों के अंदर दबाव को कम करती है।
  • एंटीबायोटिक ड्रॉप या मलहम जिससे ऑंखों के संक्रमण का इलाज किया जा सकता है।
  • ऑंखों में जलन कम करके नमी को बढ़ाने के लिए नुस्खे के तौर पर कृत्रिम ऑंसू (आर्टिफिशियल टियर) का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • जानवरों की खाल, बाल या पक्षी के पंख कुछ लोगों में एलर्जी का कारण बनते हैं।

एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस का उपचार – Allergic Conjunctivitis Ka Upchaar

 

  • एलर्जेन से बचें (Avoiding Allergen): घर को साफ-सुथरा रखकर और घर में रहकर एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस से बचा जा सकता है। ज़रूरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकले और ऑंखों का खास ख्याल रखें।
  • बनावटी आंसू (Artificial Tears): ये आई ड्रॉप्स एलर्जेन को पतला करते हैं और इसे दूर करने में मदद करते हैं। बाजार में कई आई ड्रॉप उपलब्ध हैं। यह सुनिश्चित करें कि आप ज़्यादा से ज़्यादा प्रभावशीलता के लिए डॉक्टर द्वारा निर्धारित उनका उपयोग करें। किसी भी परेशानी से बचने के लिए किसी भी आई ड्रॉप से ​​पहले उसकी एक्सपाइरी डेट की जांच करें।
  • कॉन्टैक्ट लेंस से बचें (Avoiding Contact Lenses): किसी भी प्रकार का लक्षण पूरी तरह से गायब होने या किसी भी प्रकार की नेत्र चिकित्सा या इलाज के 24 घंटे बाद ही कॉन्टैक्ट लेंस का प्रयोग करें।
  • आँख मलने से परहेज करें (Refraining From Rubbing The Eyes): रगड़ने और मलने से ऑंखें और भी खराब हो सकती हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि जितना हो सके ऑख मलने से परहेज़ किया जाए। इसके अलावा अधिक खुजली होने पर आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें या ऑंखों को साफ पानी से धोएं।
  • कोल्ड कंप्रेस (Cold Compresses): ऑंखों की सूजन को कम करने के लिए ठंडे पानी में रुई भिगोकर पलकों पर रखना चाहिए। इससे सूजन के साथ ऑंखों को भी आराम मिलता है। एलर्जी की गंभीरता को ध्यान में रखकर इलाज में एंटीहिस्टामाइन, मास्ट सेल स्टेबलाइज़र्स और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है।

आई ड्रॉप से ​​किसे बचना चाहिए? Eye Drop Se Kise Bachna Chahiye?

कुछ आई ड्रॉप्स ऑंखों में दबाव को बढ़ा सकते हैं, ऐसे में ग्लूकोमा से पीड़ित लोगों को बिना पर्ची के मिलने वाली दवाओं से बचना चाहिए, क्योंकि लालपन कम करने वाली आई ड्रॉप्स सभी के लिये सही नहीं हैं। इसके अलावा प्रेग्नेन्ट या फीडिंग कराने वाली महिलाओं को किसी भी आई ट्रीटमेंट से पहले डॉक्टर का परामर्श ज़रूर लेना चाहिए।

डॉक्टर को कब दिखाएँ? Doctor Ko Kab Dikhayein?

ऑंखें लाल होने पर लोगों को डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है। हालांकि नीचे दिए गए लक्षण महसूस होने पर मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता होगी, जैसे-

  • लालपन, तेज दर्द और खुजली
  • ऑंखों से हरे या पीले रंग का स्राव
  • देखने में कठिनाई
  • आंखों में दबाव महसूस होना
  • लंबे समय तक सूखी और खुजली वाली आंखें

आई ड्रॉप एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस का लिए बेहतर सॉल्यूशन है। भारत में एलर्जी के लिए आई ड्रॉप बेचने वाली कई फार्मेसी हैं, जिन्होंने आयुर्वेदिक एलर्जिक आई ड्रॉप से बहुत बड़ा बदलाव लाने का काम किया हैं। एंटी-एलर्जी आई ड्रॉप्स का उपयोग शुरू करने के बाद सक्सेस रेट निर्विवाद रूप से बहुत अधिक है। आई मंत्र आई ड्रॉप आयुर्वेदिक आई ड्रॉप है जिसमें 12 प्राकृतिक सामग्री के गुण हैं। आई मंत्र आई ड्रॉप उपयोग करने के लिए सुरक्षित होने के साथ ही प्रभावी ढ़ंग से इलाज में मदद करती है।

निष्कर्ष – Nishkarsh

अगर आपकी ऑंखों में भी खुजली बनी रहती है, तो सबसे पहले अपने नेत्र रोग विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें। ऑंखों से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या के लिये हमारे दिल्ली स्थित अस्पताल में विज़ीट करें। आप हमारी वेबसाइट www.eyemantra.in के माध्यम से भी हमसे संपर्क कर सकते हैं।

अपनी अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए +91-9711115191 पर कॉल करें या eyemantra1@gmail.com पर मेल करें।  हमारी अनुभवी नेत्र रोग विशेषज्ञों की टीम हमेशा आपकी आंखों के लिए सबसे अच्छा विकल्प सुझाएगी। हम रेटिना सर्जरीस्पेक्स रिमूवललेसिक सर्जरीस्क्विंटमोतियाबिंद सर्जरीग्लूकोमा सर्जरी जैसी कई अलग-अलग सेवाएं भी प्रदान करते हैं।