आंखों की समस्याएं: लक्षण, कारण और उपचार – Eye Problems: Lakshan, Karan Aur Upchar

eye problems

आंखों की सामान्य समस्याएं क्या हैं? Aankhon Ki Samanya Samasyaein Kya Hain? 

आंखें हमारे शरीर के सबसे ज़रूरी अंगों में से एक हैं और अच्छी दृष्टि पाने के लिये इनकी हमेशा देखभाल करनी चाहिए। आंखें ही आपको दुनिया देखने के लिए सक्षम बनाती हैं, इसलिए उन्हें आपके शरीर का सबसे बहुमूल्य अंग कहना गलत नहीं होगा। हालांकि शरीर के दूसरे अंगों की तरह आंखें भी कई कारणों से समस्याओं या खतरों के संपर्क में आती हैं।

आंखों की समस्याएं किसी भी वर्ग को हो सकती हैं, लेकिन नाबालिग से लेकर हो सकने वाली आंखों की समस्याओं का इलाज घर पर किया जा सकता है। प्रमुख समस्याओं वाले मरीज़ों को डॉक्टर से पेशेवर उपचार की ज़रूरत होती है, क्योंकि सिर्फ एक नेत्र रोग विशेषज्ञ (Ophthalmologist) ही एक चिकित्सा विशेषज्ञ होने के नाते आंखों से जुड़ी समस्याओं को समझ कर उनका इलाज कर सकता है।

कारण – Karan

आंखों की समस्याएं उम्र, चोट, सफाई की कमी, ध्यान न रखना और इंफेक्शन समेत कई कारकों की वजह से हो सकती हैं। आमतौर पर कई मामलों में आंखों की समस्याओं का इलाज कारण की गंभीरता के आधार पर हो सकता है या यह लाइलाज हो सकती हैं। आंखों की अधिकतर समस्याएं मामूली होती हैं, जिन्हें घरेलू उपचार के इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है, जबकि कुछ आंखों की समस्याएं चिकित्सा उपचार में देरी से गंभीर होकर और बदतर हो जाती हैं। ज्यादातर मामले आंखों की समस्या के लक्षणों को अनदेखा करने के कारण खराब हो जाते हैं, जिसका नतीजा अक्सर दृष्टि की हानि होता है। 

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लक्षण – Lakshan

आंखों की समस्या उन सबसे आम समस्याओं में से एक है, जिसे हर व्यक्ति अपने जीवन में एक बार ज़रूर महसूस कर सकता है। आप कई संकेतों और लक्षणों से आंखों की समस्या को पहचान सकते हैं, जैसेः

eye problems symptoms
  • आंखों में ज़्यादा दर्द
  • अचानक दृष्टि की हानि
  • धुंधली दृष्टि
  • फ्लोटर्स
  • लाल या पानी वाली आंखें
  • आंख खोलने में दिक्कत
  • आंख में चोट

आंखों की समस्याओं के प्रकार – Aankhon Ki Samasyaon Ke Prakaar 

आंखों में होने वाली समस्याओं के कई अलग-अलग प्रकार होते हैं, जैसे- 

दृष्टि दोष 

दृष्टि दोष या रिफ्रैक्टिव एरर्स में पास और दूर की वस्तुएं धुंधली दिखती हैं। इस समस्या वाले व्यक्ति को निकट दृष्टिदोष (Nearsightedness) और दूरदर्शिता (Farsightedness) सहित दोनों समस्याएं हो सकती हैं। आमतौर पर यह आंख के आकार और रेटिना पर फोकस लाइट के बीच दखल-अंदाज़ी से होता है, लेकिन इसका प्रमुख कारण वंशानुगत समस्या है, जबकि उम्र बढ़ना और प्रेसबायोपिया इसके दूसरे कारण हो सकते हैं।

उपचार: इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोग चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा लेजर सर्जरी भी दृष्टि सुधार में मदद कर सकती है।

मोतियाबिंद

मोतियाबिंद से पीड़ित लोगों की आंखों में क्लाउडी या मिल्की लेंस हो सकता है। इसकी ज़्यादातर संभावना पचास साल से ज़्यादा उम्र वाले लोगों को होती है। धुंधली दृष्टि के कारण बनने वाले मोतियाबिंद में दूर और पास दोनों वस्तुओं को देखने में समस्या होती है। हालांकि पचास साल से कम उम्र के लोगों को भी मोतियाबिंद हो सकता है। आंख की इस समस्या का कारण है- चोट, यूवी एक्सपोजर या एक समय में प्रोटीन की गिरावट। इन स्थितियों के कारण आंख में धुंधलापन छाया रहता है, जिसे अनदेखा करने पर मोतियाबिंद खराब होकर दृष्टि की हानि की वजह बन सकता है।

उपचार: मोतियाबिंद सर्जरी से इस समस्या का इलाज किया जा सकता है।

केराटोकोनस 

हमारी आंख में गुंबद के आकार वाले बाहरी लेंस को कॉर्निया कहते हैं, जो आंख में जाने वाले प्रकाश को नियंत्रित करने और ध्यान केंद्रित करने का काम करता है। हालांकि कुछ कारणों से कोलेजन नामक कॉर्निया धारण संरचना कमजोर होने से कॉर्निया का आकार शंकु जैसा दिखाई देता है, जिससे केराटोकोनस समस्या हो सकती है। इसके लिये लक्षणों पर ध्यान देना और त्वरित उपचार लेना ज़रूरी है, क्योंकि अनदेखा करने पर यह दृष्टि की गंभीर हानि का कारण बन सकती है या बाद में कॉर्निया ट्रांसप्लांट करने की ज़रूरत हो सकती है।

उपचार: केराटोकोनस के इलाज की शुरुआत चश्मे से की जाती है, जिसका इस्तेमाल कॉर्निया को मजबूत करने और दृष्टि में सुधार के लिए किया जा सकता है।

डायबिटीज़ से होने वाली आंखों की बीमारी

हाई ब्लड शुगर टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज़ सहित कई स्वास्थ्य समस्याएं डायबिटिक रेटिनोपैथी को जन्म दे सकती हैं। आंख की इस समस्या को अनदेखा करने से अंधापन भी हो सकता है। ऐसे में अच्छी दृष्टि के लिए हमारे रेटिना को कई पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है। हालांकि ब्लड शुगर लेवल के बढ़ने से आंख के पिछले हिस्से में रक्त वाहिकाएं (Blood Vessels) बदल सकती है, इसलिए टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में डायबिटिक रेटिनोपैथी विकसित होने का ज़्यादा खतरा होता है।

उपचार: लेज़र सर्जरी से डायबिटिक रेटिनोपैथी का इलाज संभव है। इस प्रक्रिया से रेटिना में लीक होने वाली ब्लड वेसेल्स को सील या नष्ट किया जाता है।

मस्कुलर डिजनरेशन 

मैक्युला का डैमेज होना अंधेपन की मुख्य वजह है। रेटिना का यह क्षेत्र आंखों में प्रकाश के प्रवेश के लिए जिम्मेदार है। मस्कुलर डिजनरेशन के विकास के जोखिम कारक वृद्धावस्था, महिला लिंग, धूम्रपान और पारिवारिक इतिहास हैं।

उपचार: कई उपचारों से इसकी प्रोग्रेस को धीमा किया जा सकता है। हालांकि मस्कुलर डिजनरेशन का फिलहाल कोई स्थायी इलाज मौजूद नहीं है। लोग एंटी-एंजियोजेनिक दवाएं, लेज़र थेरेपी, फोटोडायनामिक लेज़र थेरेपी, विटामिन सी और ई, बीटा-कैरोटीन, जिंक और कॉपर के सेवन जैसे उपचारों के किसी भी विकल्प को चुन सकते हैं।

ग्लूकोमा

ग्लूकोमा का प्रभाव आपकी आंख की ऑप्टिक नर्व पर पड़ता है और वक्त के साथ यह बिगड़ती जाती है। आंख के अंदर बनने वाला दबाव ग्लूकोमा के विकास का प्रमुख कारण है। आंखों की यह समस्या विरासत में भी मिल सकती है और जीवन में बाद तक नहीं हो सकती। मस्तिष्क में छवियों को प्रसारित करने के लिए जिम्मेदार ऑप्टिक नर्व इंट्राऑक्यूलर दबाव की वजह से खराब हो जाती है। समय से इसका इलाज नहीं करने पर दृष्टि की स्थायी हानि होती है। यह चिकित्सा स्थिति लंबे समय तक कोई लक्षण नहीं दिखा सकती, इसलिए इसका पता लगाने के लिए नियमित रूप से अपने डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है।

उपचार: ग्लूकोमा का इलाज आई ड्रॉप या लेज़र सर्जरी सहित अलग-अलग विकल्पों से किया जा सकता है।

फ्लोटर्स

आंखों की सबसे आम समस्याओं में से एक फ्लोटर्स है जो ज़्यादातर पचास साल से ज़्यादा उम्र के लोगों को होता है। फ्लोटर्स छोटे धब्बे या दाग होते हैं, जिन्हें दृष्टि के क्षेत्र में तैरते हुए देखा जा सकता है। फ्लोटर्स कांच में प्रोटीन के जमने से बनता है। जेली जैसा दिखने वाला यह पदार्थ आपकी आंख के केंद्र को भरने लगता है। आमतौर पर फ्लोटर्स दृष्टि को बाधित नहीं करते, लेकिन यह प्रकाश की चमक के साथ आने वाली रेटिना टुकड़ी सहित बहुत ज़्यादा गंभीर समस्याओं का कारण बन सकते हैं। 

उपचार: अगर आपको अपनी दृष्टि में धब्बों या कोई चमक महसूस होती है, तो डॉक्टर से परामर्श लें। डॉक्टर आपको विट्रोक्टोमी नाम की एक इनवेसिव सर्जरी की सलाह दे सकते हैं, जिसमें आपकी दृष्टि की रेखा से आंखों के फ्लोटर्स को हटाया जाता है। 

प्रेसबायोपिया

प्रेसबायोपिया से पीड़ित व्यक्ति आस-पास की वस्तुओं या छोटे प्रिंटों को देख सकेगा। आंखों की यह समस्या दूरदर्शिता से भी भ्रमित होती है। अक्सर बुज़ुर्गों में प्रेसबायोपिया के विकसित होने का जोखिम ज़्यादा होता है। यह मुख्य रूप से आंख के प्राकृतिक लेंस में लचीलेपन के नुकसान की वजह से होता है। एक व्यक्ति को नेत्रगोलक के प्राकृतिक आकार की वजह से दूरदर्शिता महसूस हो सकती है, जिससे आंख में प्रवेश करते ही प्रकाश गलत तरीके से झुक जाता है। 

उपचार: डॉक्टर आपको प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए करैक्टिव लेंस पहनने, लेंस ट्रांसप्लांट या रिफ्रैक्टिव सर्जरी की सलाह देंगे।

सूखी आंखें

सूखी आंखों की समस्या आंसू ग्रंथियों के पर्याप्त आंसू या खराब गुणवत्ता वाले आंसू नहीं बना पाने की वजह से हो सकती है। आंसुओं की कमी से आंख सूख सकती है, जिससे बेचैनी, चिड़चिड़ापन, जलन का अहसास और दृष्टि की स्थायी हानि सहित कई समस्याएं हो सकती हैं।

उपचार: सूखी आंखों के उपचार में घर पर एक ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा वास्तविक आंसू की नकल के लिये आई ड्रॉप्स या आंसू बहना कम करने के लिए आंसू नलिकाओं में प्लग लगाना शामिल है।

आंसू आना

आंसू आना भी आंख की समस्याओं में से एक है, जिसमें आपकी आंखें ज़्यादा मात्रा में आंसू पैदा करती हैं। यह स्थिति आपकी आंखों के हवा, प्रकाश या तापमान में बदलाव के प्रति बहुत संवेदनशील होने पर हो सकती है। धूप के चश्मे के इस्तेमाल से इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा अपनी आंखों को कठोर मौसम के बदलाव से बचाने के लिए ढाला जा सकता है। इन उपचारों से इस समस्या का समाधान नहीं होने पर आंखों में इंफेक्शन या आंसू वाहिनी बाधित होने की समस्या हो सकती है। 

उपचार: आपका डॉक्टर आंखों के इंफेक्शन या बाधित आंसू वाहिनी के मामले में कुछ एंटीबायोटिक दवाओं की सलाह दे सकता है या बाधित आंसू नलिकाओं को साफ करने के लिए एक सर्जिकल प्रक्रिया कर सकता है।

क्या आप भी आँखों की समस्याओं से परेशान है?

निष्कर्ष – Nishkarsh

वक्त रहते इन समस्याओं का पता चलने से आंखों की कई समस्याओं को पूरी तरह ठीक या कम किया जा सकता है। इसके लिये ज़रूरी है कि आप अपने लक्षणों और समस्याओं पर ध्यान दें। इसके अलावा किसी भी समस्या की पहचान के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं।

अपनी आंखों के इलाज का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने नेत्र देखभाल पेशेवर के पास जाएं और नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच करवाएं। वह आपकी आंखों की बीमारी का इलाज सर्वोत्तम तरीके से करने में सक्षम होंगे। अधिक जानकारी के लिये हमारी वेबसाइट eyemantra.in पर जाएं।

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