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गुलाबी आंख या पिंक आई (Pink Eye) आंखों में होने वाली एक समस्या है, जो किसी एलर्जी, बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन से होने वाली इरिटेटेड कंजंक्टिवा की स्थिति है। यह इंफेक्शन कंजंक्टिवा को गुलाबी रंग में बदलकर आंखों में सूजन और जलन पैदा करता है। गुलाबी आंख को आंख आना भी कहा जाता है। इसके सामान्य लक्षणों में खुजली, आंखों में जलन, दर्द या सिरदर्द जैसी समस्याएं आती हैं। यह आसानी से एक आंख से दूसरी आंख में फैल जाती है। इसमें अपनी आंखों को हाथों से नहीं छुने की सलाह दी जाती है, क्योंकि हाथों में मौजूद गंदगी अनजाने में आपकी आंखों में जाने से आंखों की समस्या बढ़ सकती है।
गुलाबी आंख के लक्षण हैं, जैसे-
कंजक्टिवाइटिस आंख के कंजंक्टिवा हिस्से में बैक्टीरिया, वायरल या एलर्जी के इंफेक्शन से होता है, जो आंखों में जलन और सूजन का कारण बनता है। आंखों में जलन की वजह से आंखों से एक तरल निकलता है, जो बहुत संक्रामक होता है और एक व्यक्ति से दूसरे में आसानी से फैल सकता है। गुलाबी आंखों के सामान्य कारण हैं:
गुलाबी आंखों के तीन प्रकार हैं, जैसे-
यह वायरस की वजह से सबसे ज़्यादा होने वाली स्थिति है, जो किसी व्यक्ति में नाक बहने और गले में खराश का कारण बनती है। वायरल कंजक्टिवाइटिस की स्थिति काफी संक्रामक होती है और बहुत आसानी से एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। खासकर संक्रमित व्यक्ति के भीड़-भाड़ वाली जगह या किसी सीमित स्थान पर मौजूद होने से, जहां ज़्यादा लोग मौजूद हों।
बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस जीवाणु इंफेक्शन की वजह से होता है, जिसमें आंखों से मवाद जैसा दिखने वाला चिपचिपा पदार्थ निकलता है। यह आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है और दो से पांच दिनों में बिना किसी उपचार के बैक्टीरियल पिंक आई में सुधार होता है। कुछ जीवाणु इंफेक्शन्स में कोई डिस्चार्ज नहीं होता। बैक्टीरियल और वायरल कंजक्टिवाइटिस बहुत संक्रामक होते हैं, क्योंकि तरल पदार्थ का स्त्राव दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने पर उस व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। बैक्टीरिया किसी की नाक और साइनस से भी फैलता है। अनहाइजीनिक संपर्कों के इस्तेमाल और सही साफ-सफाई नहीं रखने से कंजक्टिवाइटिस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है, लेकिन एंटीबायोटिक आई ड्रॉप का इस्तेमाल पिंक आई से रिकवरी में तेजी लाता है।
एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस हमारे आसपास हवा में मौजूद एलर्जिक कारकों, जैसे सिगरेट के धुएं, कार के धुएं, पराग और जानवरों की रूसी की वजह से होता है। आमतौर पर एलर्जी के यह घटक एलर्जी कंजक्टिवाइटिस का कारण बन सकते हैं। एलर्जी वाली गुलाबी आंखों के मुख्य लक्षण आंखों में खुजली, लालपन और जलन, सूजी हुई पलकें और आंसू बहना है। इस तरह का कंजक्टिवाइटिस गैर-संक्रामक होता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता।
गुलाबी आंखों को फैलने से रोकने के लिए एक सही हाइजीनिक दिनचर्या ज़रूरी है, जिसमें नियमित तौर से हाथ धोना और गंदे हाथों से आंखों को छूने से रोकना शामिल है। आमतौर पर कंजक्टिवाइटिस बहुत गंभीर स्थिति नहीं है, क्योंकि यह एक या दो हफ्ते में अपने आप दूर हो जाती है। कंजक्टिवाइटिस की स्थिति बनी रहने पर किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। गुलाबी आंखों के इलाज में कई असरदार घरेलू उपचारों को भी आजमाया जा सकता है।
गुलाबी आंख, आंख की ज़्यादा गंभीर स्थिति नहीं है क्योंकि इंफेक्शन की वजह से होने वाले दर्द और जलन को कम करने के लिए इसका इलाज घर पर किया जा सकता है। आमतौर पर गुलाबी आंख करीब एक या दो हफ्ते तक चलती है, लेकिन स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर की मदद लेना ज़रूरी होता है। किसी भी उपचार को चुनने से पहले हमें आंख में मौजूद गुलाबी आंख के प्रकार का पता लगाना होता है। वायरल गुलाबी आंख सर्दी पैदा करने वाले वायरस से हुए इंफेक्शन की वजह से होती है। आमतौर पर इस तरह की गुलाबी आंख में किसी खास उपचार की ज़रूरत नहीं होती, क्योंकि एक या दो हफ्ते में खुद ठीक हो जाती है। बैक्टीरियल गुलाबी आंखों में मवाद और चिपचिपा पदार्थ निकलता है, जिसका ठीक से इलाज करना ज़रूरी होता है।
आई ड्रॉप्स (Eye Drops)
लूब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स के इस्तेमाल से बैक्टीरियल पिंक आई के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसके अलावा आंखों में दर्द और जलन को कम करने के लिए पेन किलर भी ले सकते हैं। आमतौर पर ओवर-द-काउंटर पेन किलर के तौर पर इबुप्रोफेन का इस्तेमाल किया जाता है। कोई भी दवा डॉक्टर की सलाह के बगैर न लें।
गर्म सेक (Warm Compress)
गुलाबी आंख से होने वाली परेशानी को गर्म पानी के सेक से भी दूर किया जा सकता है। इसमें एक कपड़े को गर्म पानी में भिगोकर इस तरह लपेटना होता है कि कपड़े से पानी न टपके और कपड़ा पूरी तरह गीला रहे। कपड़े को बंद पलकों के ऊपर रखकर सेक करना चाहिए। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराना चाहिए जब तक आपको जलन में कमी या ठीक महसूस न हो। अगर प्रक्रिया दिन के अलग-अलग समय में की जाती है, तो सही हाइजीनिक दिनचर्या के लिये हर बार नया या साफ कपड़ा इस्तेमाल किया जाना चाहिए। जीवाणु इंफेक्शन की वजह से आंखों से डिस्चार्ज होता है, जिससे पलकें आपस में चिपक सकती हैं। गर्म सेक आंख से सभी गंदगी को साफ करके पलकों को आपस में चिपकने से रोकता है।
ठंडा सेक (Cool Compress)
एलर्जिक गुलाबी आंख अपने आप ठीक नहीं होती है। यह व्यक्ति के एलर्जेन के संपर्क में आने तक बनी रहती है। इसके इलाज के लिये आंख में गुलाबीपन पैदा करने वाले एलर्जेन के बारे में पता लगाना जरूरी है। इसके लक्षणों को किसी एंटी-हिस्टामाइन दवाओं, आई ड्रॉप या पलक पर ठंडे सेक से कम किया जा सकता है। कूल कंप्रेस प्रक्रिया गर्म सेक की तरह है, जिसमें गर्म के बजाय सिर्फ ठंडे पानी का इस्तेमाल किया जाता है। ओवर-द-काउंटर आई ड्रॉप्स से भी इसे ठीक किया जा सकता है, जिनके इस्तेमाल से गुलाबी आंखों के कारण होने वाली आंखों में जलन को कम किया जा सकता है।
बच्चों के लिए गर्म और ठंडा सेक (Warm And Cold Compress For Children)
बच्चों में गुलाबी आंख एक गंभीर स्थिति है, जिसके इलाज के लिये डॉक्टर से परामर्श करना बेहद ज़रूरी है। गुलाबी आंख बच्चों को हमेशा के लिए अंधा बना सकती है, जिसके कारण गर्म और ठंडे पानी से सेंक के अलावा किसी भी घरेलू उपाय के इस्तेमाल की सलाह नहीं दी जाती है।
दवाइयाँ (Medicines)
दर्द निवारक दवाओं के इस्तेमाल से भी गुलाबी आंख के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। इन दवाओं में नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरीज़, एंटीहिस्टामाइन गोलियां, टॉपिकल आई ड्रॉप और मस्त सेल स्टेबलाइजर्स शामिल हैं। इसके साथ ही जिंक की डोज़ लेने से भी इंफेक्शन के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
हाइड्रेशन (Hydration)
हाइड्रेटेड आंखें गुलाबी आंखों की वजह से होने वाली परेशानी को कम करने में मदद करती हैं। आंखों को हाइड्रेट रखने के लिए व्यक्ति को अपनी आंखें नियमित रूप से धोने और कई सारे तरल पदार्थ पीने की जरूरत होती है।
डॉक्टर से मिलें (Visit Doctor)
पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए गुलाबी आंख से संक्रमित होने पर किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाने की सलाह दी जाती है। बच्चों में इंफेक्शन के कारण अंधे होने का खतरा ज़्यादा होता है। अगर किसी व्यक्ति की दृष्टि प्रभावित है या इंफेक्शन की वजह आंख से हरे या पीले रंग का डिस्चार्ज या मवाद निकले, तो उन्हें भी तुरंत डॉक्टर से परामर्श करने की ज़रूरत होती है। ज्यादातर मामलों में गुलाबी आंख अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन लक्षणों से आंखों में ज़्यादा परेशानी होने पर बेहतर इलाज के लिए हमेशा डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है।
गुलाबी आंख या आंखों में किसी भी तरह का इंफेक्शन होने पर आपको तुरंत अपने नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि एक नेत्र रोग विशेषज्ञ ही आपको आपकी आंखों की विस्तृत जानकारी दे सकते हैं।
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