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मंद दृष्टि (एम्ब्लियोपिया) को आलसी ऑंख यानी कि लेजी आई (Lazy Eye) के नाम से भी जाना जाता है। इसमें बढ़ती उम्र के साथ बच्चे की एक ऑंख दूसरी ऑंख के मुकाबले कम विकसित होती है। एम्ब्लियोपिया से ग्रस्त बच्चे का दिमाग दोनों ऑंखों पर फोकस न करके सिर्फ एक ऑंख पर फोकस करता है। इस दौरान बच्चे की ऑंख आलसी बन जाती है और कमज़ोर तंत्रिका कोशिकाओं (Weak Nerve Cells) के कारण ऑंखों से जुड़ी समस्याएं होती हैं। ऐसे में समय रहते इलाज नहीं किये जाने पर दिमाग उस ऑंख से काम लेना बंद कर देता है, जिससे स्थायी दृष्टि से जुड़ी समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है।
डॉक्टर्स के मुताबिक आमतौर पर एम्ब्लियोपिया 6 से 9 साल के बच्चों में पाया जाता है। वहीं अगर 7 साल से पहले एम्ब्लियोपिया की पहचान और इलाज किए जाने पर बच्चे में पूर्ण दृष्टि सुधार (Complete Vision Correction) की संभावना बढ़ जाती है।
एम्ब्लियोपिया में प्रभावित (Influenced) ऑंख को साफ व्यू और दिमाग को साफ संकेत नहीं मिलता, जिसके चलते बच्चे का दिमाग इसे अनदेखा करना शुरु कर देता है।
वहीं, कुछ मामलों में अप्रभावित ऑंख प्रभावित ऑंख को कवर करना शुरु कर देती है। ऐसे मामलों में नियमित रुप से जांच नहीं कराने तक एम्ब्लियोपिया का पता नहीं चलता, जिसके परिणामस्वरुप बच्चा ऑंख से जुड़ी किसी समस्या को जान पाने में असमर्थ रहता है।
एम्ब्लियोपिया के आम लक्षणों में शामिल हैंः
नेत्र विषेशज्ञों (Ophthalmologists) के मुताबिक साल में एक बार अपने बच्चे की ऑंखें जरूर टेस्ट करवानी चाहिए। खासकर उन लोगों को जिनकी ऑंख की समस्या से जुड़ा कोई पारिवारिक इतिहास रहा हो। आपको बता दें कि ज़्यादातर देशों में 3 से 5 साल की उम्र में बच्चों का पहली ऑंखों की जॉंच की जाती है।
एम्ब्लियोपिया की बड़ी वजह विकास की उम्र में विजुअल इम्पेयरमेंट है, जिसको लेकर डॉक्टर्स का कहना है कि दिमाग प्रभावित ऑंख से आने वाली इमेज को दबा देता है। हालांकि अभी तक इसकी मुख्य वजह का पता नहीं चल पाया है।
आलसी ऑंखों के कुछ संभावित कारण हैःं
यह ऑंखों के आसपास मासपेशियों (Muscles) में असंतुलन के कारण होता है, जिससे ऑंख मुड़ या बाहर निकल जाती है। स्ट्रैबिस्मस में मांसपेशी असंतुलन के कारण दोनों ऑंखों के लिए किसी वस्तु को एक साथ देख पाना कठिन हो जाता है। कुछ बच्चों में यह बीमारी जन्मजात और कुछ में बचपन में लगी ऑंख की चोट के कारण भी हो सकती है, जिसमें बच्चे को पास या दूर का देखने को दिक्क्त हो सकती है।
इसमें लेंस के ज़रिए आने वाला प्रकाश ऑंखों पर ठीक से नहीं पड़ता, जो एक अपवर्तक त्रुटि (Refractive Error) है। आमतौर पर इसमें कॉर्निया की सतह असमान होने से ऑंखें धुंधली हो जाती हैं, जिसका कारण दूर या पास का दृष्टिदोष (Visual Impairments) और दृष्टिवैषम्य (Astigmatism) होता है।
ऐनीसोमेट्रोपिक एम्ब्लियोपिया से ग्रस्त बच्चे को एक ऑंख में दूसरी ऑंख के मुकाबले दूर या निकट दृष्टिदोष होने से एक ऑंख में एम्ब्लियोपिया की संभावना बढ़ सकती है।
इसमें एक ऑंख को देखने से रोके जाने पर वह कमज़ोर हो जाती है। वहीं कुछ मामलों में इसका प्रभाव दोनों ऑंखों में देखा जाता है, इसलिए इसे एम्ब्लियोपिया का सबसे दुर्लभ रुप कहा जाता है।
ऐसे मामलों के प्रमुख कारण हो सकते हैंः
सभी बच्चों को स्कूल जाने योग्य होने से पहले आई टेस्ट ज़रूर कराना चाहिए, जिसमें डॉक्टर कुछ बातों को सुनिश्चित करेंगेः
ऐसी कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर आपको एक नेत्र विशेषज्ञ (Ophthalmologists) द्वारा बच्चे का आई टेस्ट कराने की सलाह देंगे।
कुछ डॉक्टर्स के मुताबिक 3 साल से पहले आपको अपने बच्चे का आई टेस्ट ज़रूर करवाना चाहिए। इसमें डॉक्टर एक ऑंख की जांच के दौरान बच्चे को एक ऑंख बंद करवाकर दूसरी ऑंख पर ध्यान देंगे। इसी तरह बच्चे की दूसरी ऑंख की जांच की जाएगी।
इसी प्रकार बड़े बच्चों या व्यस्कों (Adults) की ऑंखों की जांच के वक्त डॉक्टर अक्षर वाला आई चार्ट रखते हैं, जिसे उन्हें एक-एक करके दोनों ऑंखों से पढ़ने लिए कहा जाता है।
इस प्रकार ऑंखों की जांच से डॉक्टर दृष्टि समस्या से जुड़े इलाज के लिए दवाएं और आई ड्रॉप लिखकर देते हैं।
समय से एम्ब्लियोपिया का इलाज नहीं किये जाने की वजह से पर्मानेंट विज़न प्रॉब्लम हो सकती है, जिनका उपचार इन कारणों के आधार पर किया जाता हैः
आमतौर पर आलसी ऑंखों (Lazy Eye) के नाम से फेमस एम्ब्लियोपिया 6 से 9 साल के बच्चों में होता है, जिसका कारण अविकसित ऑंख होता है। एम्ब्लियोपिया जन्मजात भी हो सकता है, जो नॉर्मली एक ऑंख को प्रभावित करता है, लेकिन कुछ मामलों में इसका असर दोनों ऑंखों में देखने को मिलता है। इससे होने वाली विज़न प्रॉब्लम बच्चे के लिए दैनिक क्रियाकलापों पर फोकस करने में दिक्कत करती है।
डॉक्टर सलाह देते हैं कि हर माता-पिता को 3 साल की उम्र से पहले बच्चे की ऑंखों की जांच कराने चाहिए, जिससे स्कूल जाने से पहले बच्चे को किसी भी समस्या की पहचान करने में मदद मिलती है। हालांकि एम्ब्लियोपिया का मुख्य कारण अभी तक सामने नहीं आया है, लेकिन दूरदृष्टि, मंददृष्टि, मोतियाबिंद या ऑंख की चोट को इसका कारण माना जा सकता है। इससे जुड़े कुछ उपचार हमारे पास उपलब्ध हैं।
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