Contents
आंखों की हर्पीज़ को ओकुलर हर्पीज़ भी कहते हैं। आई हर्पीज़ आंख का एक वायरल इंफेक्शन है, जो एचएसवी यानी हर्पीज़ सिम्प्लेक्स वायरस की वजह से होता है। आंखों के दाद जैसे इसके अत्यंत सामान्य प्रकार को एपिथेलियल केराटाइटिस के तौर पर जाना जाता है, जो कॉर्निया को प्रभावित करता है। इस तरह का वायरल इंफेक्शन शुरुआती स्टेज में कई कारणों से हो सकता है, जैसे-
कॉर्निया की केंद्रीय परतों में एचएसवी इंफेक्शन के बने रहने से गंभीर नुकसान हो सकता है। इसके कारण आपकी दृष्टि खो सकती है, लेकिन इन तमाम मामलों में एक अच्छी खबर भी है। हल्के और गंभीर स्तर के आंखों के दाद यानी आई हर्पीज़ का इलाज एंटीवायरल दवाओं से किया जा सकता है।
हालांकि यह दाद (हर्पीज़) ज्यादातर एक आंख को प्रभावित करता है।
हाल में हुए एक अध्ययन के मुताबिक पचास साल की उम्र तक पहुंचने से पहले कम से कम नब्बे प्रतिशत लोग एचएसवी से पीड़ित हैं, इसलिए आई हर्पीज़ के मामले में एचएसवी-1 आंखों के इन हिस्सों को संक्रमित करना शुरू कर देता है:-
आंखों का दाद यानी आई हर्पीज़ एक यौन संचारित बीमारी नहीं है, लेकिन पहले से ही एचएसवी-1 से संक्रमित किसी व्यक्ति की त्वचा या तरल पदार्थ के सीधे संपर्क में आने से कोई दूसरा व्यक्ति भी इससे संक्रमित हो सकता है। यह वायरस किसी व्यक्ति के एक बार पीड़ित होने पर शरीर से पूरी तरह कभी नहीं निकलेगा।सालों तक निष्क्रिय अवस्था में पड़े रहने के बाद यह फिर अचानक एक्टिव होने लगते हैं, लेकिन एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति की संक्रमित आंख से इस वायरस से संक्रमित होने की गुंजाइश कम होती है। एंटीवायरल दवाएं इसमें बेहद उपयोगी हैं, क्योंकि वह इंफेक्शन की कंडीशन में नुकसान के स्तर को घटाती हैं। पुरुषों में आंखों की हर्पीज़ महिलाओं के मुकाबले ज़्यादा आम है।
‘एपिथेलियल केराटाइटिस’ आंखों के दाद का सबसे बुनियादी प्रकार है। ऐसे में कॉर्निया की पतली और बाहरी परत में वायरस सक्रिय हो जाता है। इस कॉर्नियल परत को एपिथेलियम कहते हैं। एपिथेलियम केराटाइटिस अकेला मामला नहीं है। इसके अलावा आंखों के दाद कॉर्निया (स्ट्रोमा) की गहरी परतों को भी प्रभावित करना शुरू कर सकते हैं। ऐसे मामलों को औपचारिक तौर पर ‘स्ट्रोमल केराटाइटिस’ कहते हैं। लगातार और बार-बार होने के कारण यह बाद के प्रकार के मुकाबले ज़्यादा गंभीर स्थिति है, जिसमें पूर्ण दृष्टि हानि की संभावना होती है।
अगर आपको आंखों के दाद (आई हर्पीज़) के लक्षण महसूस होते हैं, तो आंखों की हर्पीज़ के मामले में ऑप्थल्मोलॉजिस्ट से संपर्क की सबसे ज़्यादा सलाह दी जाती है। इसका जल्द पता लगाकर उपचार करने से बेहतर नतीजे मिल सकते हैं। आंखों के विशेषज्ञ उपचार प्रक्रिया की शुरुआत से पहले आपके लक्षणों के बारे में विस्तार से पूछेंगे, जैसे- आपको शुरू में यह लक्षण कब महसूस हुए और क्या आपको पहले कभी ऐसे लक्षण महसूस हुए?
आंखों की हर्पीज़ की मेडिकल कंडीशन का पूरी तरह से पता लगाने के लिए आपका नेत्र विशेषज्ञ एक नेत्र परीक्षण करेगा। इसमें नेत्र परीक्षण में “आपके विज़न लेवल, प्रकाश की प्रतिक्रिया में आंखों की संवेदनशीलता स्तर और आंखों की गति के पैटर्न” की जांच करेगा। इसके अलावा नेत्र विशेषज्ञ आईरिस के विस्तार के लिए आपकी आंख में कुछ आईड्रॉप भी डाल सकते हैं, जिससे नेत्र रोग विशेषज्ञ को आपके रेटिना की मौजूदा कंडीशन देखने में मदद मिलती है।
आपके आंखों के डॉक्टर “फ्लोरेसिन आई स्टेन टेस्ट” भी कर सकते है, जिसके लिए आपके डॉक्टर एक आई ड्रॉप का इस्तेमाल करेंगे। यह ड्रॉप आंख की बाहरी सतह पर गहरे नारंगी रंग की “फ्लोरेसिन” आई ड्रॉप डालेंगे। इस प्रक्रिया के बाद आपके नेत्र विशेषज्ञ आंखों के दाग की जांच करेंगे, जिससे किसी भी प्रकार की समस्या की बारीकी से पहचान की जा सके और जो सिर्फ आपके कॉर्निया से संबंधित होगी।
आंखों के दाद का पता लगने पर नेत्र विशेषज्ञ आपको एंटी-वायरल दवाएं देना शुरू करेंगे, लेकिन उपचार के तरीके अलग हो सकते हैं। एपिथेलियल केराटाइटिस और स्ट्रोमल केराटाइटिस दोनों के रूप में कई तरह के उपचार के तरीके हैं।
ज्यादातर मामलों में कॉर्निया की बाहरी सतह पर मौजूद एचएसवी इंफेक्शन कुछ हफ्तों में खत्म हो जाता है। इसके साथ ही नियमित तौर पर एंटीवायरल दवाएं लेने से दृष्टि हानि और किसी भी तरह के कॉर्नियल नुकसान की गुंजाइश कम हो जाएगी। आपके नेत्र विशेषज्ञ कुछ एंटीवायरल आई ड्रॉप्स/मलहम/फार्मास्युटिकल दवाएं लिख सकते हैं, जो प्रकृति में एंटीवायरल होती हैं। आपका नेत्र विशेषज्ञ उपचार के लिए “डिब्रेडमेंट प्रोसीजर” भी इस्तेमाल कर सकता है।
एंटीवायरल मेडिसिनल थेरेपी को स्ट्रोमल केराटाइटिस की मेडकल कंडीशन की उपचार प्रक्रिया में इस्तेमाल किया जाता है।आपके नेत्र विशेषज्ञ कुछ स्टेरॉयड (एंटी-इंफ्लेमेटरी) आई ड्रॉप्स भी लिख सकते हैं, जिससे “स्ट्रोमा” सेक्शन में सूजन के स्तर को कम करने में मदद मिलती है।
आंखों की हर्पीज़ से पीड़ित लगभग बीस प्रतिशत लोग इस मेडिकल कंडीशन से दोबारा पीड़ित हो जाते हैं, लेकिन ज़्यादा इंफेक्शन के मामले में आपके नेत्र विशेषज्ञ आपको नियमित रूप से “एंटीवायरल दवाओं” का परामर्श दे सकते हैं और एक से ज़्यादा संख्या में इंफेक्शन होने से गंभीर समस्या हो सकती हैं, जैसे :-
कॉर्निया के गंभीर रूप से डैमेज होने पर आपको “कॉर्नियल ट्रांसप्लांट” की ज़रूरत होगी।
आई हर्पीज़ से संबंधित परामर्श के लिए आज ही हमारे दिल्ली स्थित आईमंत्रा हॉस्पिटल में विज़िट करें। आंखों की किसी भी समस्या के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट eyemantra.in पर जाएं।
आईमंत्रा में अपनी अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए अभी +91-9711115191 पर कॉल करें। आप हमें eyemantra1@gmail.com पर मेल भी कर सकते हैं। हम रेटिना सर्जरी, चश्मा हटाना, लेसिक सर्जरी, भेंगापन, मोतियाबिंद सर्जरी और ग्लूकोमा सर्जरी सहित कई अन्य सेवाएं भी प्रदान करते हैं।