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पुतली का फैलाव क्या है? Pupil Dilation Kya Hai?
हमारी आंख के केंद्र में मौजूद गोल हिस्सा पुतली कहलाता है। आमतौर पर आंखों का रंग अलग होता है, लेकिन ज़्यादातर आंखों का रंग काला होता है। हमारी पुतली ही आंख में रोशनी को प्रवेश करने की इजाज़त देने के लिए जिम्मेदार होती है। आसान शब्दों में कहें तो पुतलियां आंख का वह छेद हैं, जिसे नियंत्रित करने का काम पारितारिका (आईरिस) यानी आंख का रंगीन भाग द्वारा किया जाता है।
आईरिस को आंख की पुतली के अंदर रखा जाता है, जो रोशनी पर प्रतिक्रिया करती है। तेज रोशनी में हमारी पुतली सिकुड़ जाती है या अपने वास्तविक आकार से छोटी हो जाती है, जिसके कारण बड़ी मात्रा में रोशनी आंख में प्रवेश नहीं कर पाता है। कम रोशनी में हमारी पुतली अपने वास्तविक आकार से बड़ी होकर प्रतिक्रिया करती हैं, जिससे रोशनी ज़्यादा मात्रा में आंख में प्रवेश कर सके और हम अंधेरे कमरे में छिपी वस्तुओं या लोगों को ठीक से देख सकें।
अगर कोई व्यक्ति पुतली के फैलाव की समस्या से पीड़ित है, तो उसकी पुतली रोशनी पर प्रतिक्रिया नहीं करेगी। इन दोनों मामलों में यानी तेज रोशनी के साथ-साथ कम रोशनी की उपस्थिति में पुतली फैलती या सिकुड़ती रहती है। इसलिए फैली हुई पुतली किसी भी मात्रा में रोशनी के लिए जिम्मेदार होती है। पुतली के आकार को नियंत्रित करने के लिए हमारी आईरिस की मांसपेशियां जिम्मेदार होती हैं। कई मामलों में हमारी पुतली रोशनी में बिना किसी बदलाव के फैल सकती है, जिसे मेडिकल भाषा में मायड्रायसिस कहा जाता है।
लक्षण – Lakshan
फैली हुई पुतली किसी भी गंभीर चोट या अन्य लक्षणों के कारण हो सकती है। गंभीर चोट के मामले में पुतली असमान आकार की दिखाई दे सकती है, जबकि कुछ आम लक्षणों में स्थिर, फैली हुई या असमान आकार की पुतलियां शामिल हैं। इसके अलग-अलग लक्षण नशीली दवाओं के इस्तेमाल और पॉइजनिंग जैसे कारणों पर निर्भर करते हैं। यह लक्षण जानलेवा भी हो सकते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- चेतना या भ्रम की हानि
- तिरस्कारपूर्ण भाषण
- शुष्क मुंह
- तेज दिल की धड़कन
- उल्टी
- पासिंग आउट या अनरिस्पॉन्सिवनेस
- अचानक व्यवहार बदलना
- मूत्राशय की हानि
- उत्तेजना की हानि
- दौरा
- स्थानांतरित करने में असमर्थता
- अत्यधिक सिरदर्द
- दृष्टि की हानि
कारण – Karan
कई प्रकार के कारक फैली हुई पुतली के कारण बन सकते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
दवाएं
कुछ प्रिस्क्राइब और नॉन-प्रिस्क्राइब दवाएं हैं, जिनके कारण फैली हुई पुतली की समस्या पैदा हो सकती हैं। यह रोशनी पर प्रतिक्रिया करने की उसकी पूरी क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैं:
- सर्दी-खांसी की दवा
- एंटीहिस्टामाइन
- मतली-रोधी दवाएं
- ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट
- मोशन सिकनेस मेडिसिन
- पार्किंसन बीमारी के लिए दवाएं
- एंटी सीज़र ड्रग
- बोटुलिनम टॉक्सिन वाली दवाएं, जिनमें बोटॉक्स शामिल है।
- एट्रोपिन, जिसे मायोपिया और अन्य चिकित्सा उद्देश्यों को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
मस्तिष्क से संबंधित चोट या बीमारी
हमारा हर अंग एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है और सिर पर चोट, स्ट्रोक या ब्रेन ट्यूमर हमारे पुतली की रोशनी पर प्रतिक्रिया करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इसके कारण पुतली का फैलाव हो सकता है, जिसका प्रभाव एक या दोनों आंखों पर हो सकता है।
आंख की चोट
एक सर्जरी हमारे आईरिस को गंभीर नुकसान पहुंचाने से जुड़ी है, जो हमारे फैली हुई पुतली के आकार को पतला या अनियमित दिखाने में मदद करती है। कॉर्नियल ट्रांसप्लांट और मोतियाबिंद सर्जरी जैसी अलग-अलग आंखों की सर्जरी के कारण हमारी आईरिस को नुकसान हो सकता है और यह समस्या पुतली के फैलाव का कारण बन सकती है।
नशीली दवाओं का सेवन
अध्ययन के मुताबिक शराब या मारिजुआना सहित अलग-अलग दवाएं तेज रोशनी वाले स्रोत पर प्रतिक्रिया करने की आंख की क्षमता को कम करने और रोशनी में बदलाव के हिसाब से खुद को ढ़ालने के लिए जिम्मेदार हैं। दवा के सेवन के बाद इसका प्रभाव लगभग दो घंटे तक रह सकता है। हालांकि यह पदार्थ पुतली के फैलाव का कारण नहीं बन सकते हैं, लेकिन कई अन्य दवाओं के लेने से हमारी पुतली पतली दिखाई दे सकती हैं। इससे रोशनी पर प्रतिक्रिया करने के लिए हमारी आंखों की क्षमता को कम हो सकती है, जिनमें एलएसडी, एम्फ़ैटेमिन, एमडीएमए (एक्स्टसी) और कोकीन शामिल हो सकते हैं।
इस स्थिति के दौरान एक व्यक्ति को धुंधली दृष्टि, सिरदर्द और आंखों में दर्द के साथ-साथ अचानक पुतली के फैलाव की एक सीरीज़ का अनुभव हो सकता है। माइग्रेन की समस्या वाली महिलाओं में बेनिग्न एपिसोडिक यूनिलेटरल मायड्रायसिस विकसित होने का ज़्यादा खतरा होता है। स्टडी के मुताबिक, इस स्थिति का औसत समय लगभग 12 घंटे हो सकता है और इसके अलावा यह समस्या महीने में करीब दो से तीन बार हो सकती है। हानिरहित यह स्थिति कुछ समय बाद ठीक हो सकती है, जिससे जिससे हमारी पुतली बिना किसी दवा या उपचार के अपने वास्तविक आकार और उचित कार्य में वापस आ जाती है।
एडीस प्यूपिल
एडीस प्यूपिल एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसे एडीस टॉनिक प्यूपिल या टॉनिक प्यूपिल भी कहा जा सकता है। आमतौर पर इसमें हमारी पुतलियों में से एक दूसरे के मुकाबले बड़ी दिखाई देती है, जिससे हमारी पुतलियों की प्रकाश पर प्रतिक्रिया करने की क्षमता प्रभावित होती है। हालांकि एडीस टॉनिक पुतली का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन अध्ययनों के हिसाब से यह सर्जरी, ट्रॉमा, इंफेक्शन या खराब ब्लड सर्कुलेशन का परिणाम हो सकता है।
परीक्षण – Testing
फैली हुई पुतली के लिए आंखों की जांच में जान-बूझकर हमारी पुतली को फैलाना या सिकोड़ना शामिल है, ताकि हमारे डॉक्टर ऑप्टिक नर्व और रेटिना के स्वास्थ्य का परीक्षण कर सकें। यह आंखों का परीक्षण एक नेत्र रोग विशेषज्ञ करते हैं, जिससे गंभीर आंखों की स्थिति को पहचानने और रोकने में मदद मिलती है। इसके परिणामस्वरूप खराब आंखों की स्थिति या दृष्टि की हानि भी हो सकती है।
परीक्षण शुरू करने के लिए आंखों के डॉक्टर पहले आपकी दृष्टि की जांच करेंगे और चश्मे के प्रिस्क्रिप्शन के लिए माप निर्धारित करेंगे। इस दौरान डॉक्टर एक परीक्षण में यह जांच भी करेंगे कि फैलाव से पहले आपकी पुतली रोशनी के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करती है। इससे डॉक्टर को यह पहचानने में मदद मिलेगी कि हमारे दृष्टि ठीक से काम कर रही हैं या नहीं। डॉक्टर एक खास शीशे वाले लेंस का इस्तेमाल करके आईरिस के बीच हमारी आंखों के ड्रेनेज एंगल की जांच के लिए गोनियोस्कोपी टेस्ट भी करते हैं। अगर आंख के ड्रेनेज सिस्टम का एंगल खुला है, तो ही डॉक्टर हर हिस्से को देख पाएंगे। हालांकि एंगल छोटा होने पर डॉक्टर ड्रेनेड एंगल के सिर्फ कुछ रही हिस्से देख पाएंगे। इसके अलावा एक्यूट एंगल क्लोजर और ग्लूकोमा को डॉक्टर देख सकते हैं।
उपचार – Upchar
अगर कोई व्यक्ति दवा के कारण फैली हुई पुतली की समस्या से पीड़ित है, तो असर खत्म होने के बाद यह लंबे समय तक नहीं रह सकता है। ड्रग्स फैली हुई पुतलियों का एक प्रमुख कारण है और आने वाले समय में इसकी रोकथाम पूरी तरह से इससे छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकती है। अलग-अलग तरह की दवाओं की मदद से भी हमारी पुतली के फैलाव को रोका जा सकता है और इससे किसी भी तरह से हमारी आंखें प्रभावित नहीं होती हैं। ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना और पुतली के फैलाव के लिए निर्धारित दवाएं लेना ज़रूरी है।
पुतली के फैलाव से हमारी आंखें रोशनी के प्रति ज़्यादा संवेदनशील हो जाती हैं और इस स्थिति को खराब होने से बचाने के लिए पीड़ित व्यक्ति को तेज रोशनी के संपर्क में आने से बचना चाहिए। ऐसे में हमेशा धूप में बाहर निकलते समय धूप का चश्मा पहनना ज़रूर ध्यान रखें, क्योंकि पुतली का फैलाव हमारी दृष्टि को प्रभावित करने से भी जुड़ा है। अगर आपको स्थिति में सुधार होने तक जीवनशैली में कुछ बदलाव लाने की ज़रूरत है, तो इसके लिए अपने डॉक्टर से परामर्श ज़रूर करें, क्योंकि समय पर पुतली के फैलाव का इलाज नहीं किये जाने से यह और खराब हो सकता है, जिसके कारण दृष्टि की हानि भी हो सकती है।
निष्कर्ष – Nishkarsh
अपनी आंखों के इलाज का सबसे अच्छा तरीका है कि आप नेत्र देखभाल पेशेवर के पास जाएं और नियमित रूप से अपनी आंखों की नियमित जांच करवाएं। एक नेत्र देखभाल पेशेवर ही आपकी आंखों के इलाज का सर्वोत्तम तरीके से आंकलन करने में सक्षम है। अधिक जानकारी के लिए आप आई मंत्रा की वेबसाइट eyemantra.in पर जा सकते हैं।
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