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मोतियाबिंद एक ऐसी स्थिति है, जो आंखों में लेंस की सतह पर धुंधलेपन यानी क्लाउडी सब्सटेंस या सफेद धब्बों की उपस्थिति से विकसित होती है। मोतियाबिंद वाले मरीज की दृष्टि धुंधली के कारण स्पष्ट रूप से देखने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। मोतियाबिंद का विकास धीमा होता है और इसका प्रभाव किसी व्यक्ति की एक या दोनों आंखों पर हो सकता है। व्यक्ति को दृष्टि धुंधली या रंगों को देखने में असमर्थ होने पर इस समस्या का पता चलता है। इसके कारण आपको आंखों में तेज रोशनी के प्रति संवेदनशीलता का अहसास या रात में दृष्टि से संबंधित परेशानी हो सकती है। इस स्थिति में नेत्र चिकित्सक आपको मोतियाबिंद सर्जरी कराने की सलाह दे सकते हैं। अगर आप भी मोतियाबिंद की समस्या से परेशान हैं, तो आपको तुरंत अपने आस-पास के सबसे बेस्ट मोतियाबिंद सर्जनों से संपर्क करना चाहिए।
यहां दिल्ली के टॉप 10 मोतियाबिंद सर्जनों की सूची दी गई है, जो बेहतर तरीके से आपकी आंखों की जांच करेंगे। आप एडवांस और उपयुक्त उपचार प्राप्त करने के लिए इन सर्जनों की मदद ले सकते हैं।
डॉ. सुदीप्तो प्रकासी एक प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ और मोतियाबिंद सर्जन हैं, जो गुड़गांव के सेक्टर -3 में काम करते हैं। डीएनबीई (DNBE), एमबीबीएस (M.B.B.S.) और एमडी (M.D) की डिग्री पूरी कर चुके डॉ. सुदीप्तो ने अपने 39 वर्षों के अनुभव में कई मरीजों का इलाज किया है। डॉ. सुदीप्तो से व्यक्तिगत तौर पर मिलने के लिए आप मेदांता – द मेडिसिटी इन सेक्टर -3 गुड़गांव में अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं।
डॉ. श्वेता जैन दिल्ली में आई मंत्रा की वरिष्ठ विशेषज्ञ हैं। नेत्र विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. श्वेता को मोतियाबिंद सर्जरी के क्षेत्र में 10 से ज़्यादा वर्षों का अनुभव है। उन्होंने 2011 में कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और 2014 में नेटबोर्ड नई दिल्ली से डीएनबी की पढ़ाई पूरी की। हर कार्य में माहिर डॉ. श्वेता की सफलता दर बहुत ज़्यादा है। वह एक भरोसेमंद नेत्र सर्जन होने के साथ ही आई मंत्रा में एक सम्मानित विशेषज्ञ हैं।
डॉ. पूनम गुप्ता आई मंत्रा में नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में 8 वर्षों से ज़्यादा अनुभव है। उन्होंने गुजरात विश्वविद्यालय के बीजे मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस (M.B.B.S) और गुरु नानक नेत्र केंद्र, दिल्ली विश्वविद्यालय से एमएस (MS) नेत्र विज्ञान पूरा किया। वह मोतियाबिंद, भेंगापन और लेसिक सर्जरी की विशेषज्ञ हैं और उन्हें कई सफल सर्जरी में सर्जिकल अनुभव है।
आई मंत्रा के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. रजत जैन भारत के उन बहुत कम डॉक्टरों में से एक हैं, जिन्हें पार्शियल थिकनेस केराटोप्रोस्थेसिस करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। डॉ. रजत के पास 10,000 से ज़्यादा मोतियाबिंद सर्जरी और 400 कॉर्निया ट्रांसप्लांट का अनुभव है। उन्होंने बच्चों का कॉर्निया ट्रांसप्लांट भी किया है, जिससे स्पष्ट होता है कि उनका काम बेहद सटीक है।
डॉ. नेहा मोहन आई मंत्रा की एक अन्य प्रसिद्ध चिकित्सक हैं, जिन्होंने रेटिना डिटेचमेंट सर्जरी, मैकुलर होल सर्जरी और अन्य कई रेटिना सर्जरी के लिए कई विट्रोक्टोमी की हैं। इसके अलावा यूवाइटिस में उनका विशेष प्रशिक्षण है। यूवाइटिस के प्रति उनके समर्पण ने उनके शोध पत्र को 2012 में यूवाइटिस सोसाइटी ऑफ इंडिया की बैठक में बेस्ट पेपर अवॉर्ड दिलाया।
डॉ. ललित चौधरी वर्तमान में श्री गंगा राम अस्पताल, नई दिल्ली में कार्यरत हैं। वह एक प्रमाणित एस्थेटिक और प्लास्टिक सर्जन हैं। डॉ. ललित सिद्धांतों, सटीकता, सुरक्षा और पारदर्शिता वाले व्यक्ति हैं, जिन्होंने चार अग्रणी संस्थानों से एस्थेटिक और माइक्रो वैस्कुलर प्लास्टिक सर्जरी ट्रेनिंग प्राप्त की है। वह कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का हिस्सा रहे हैं। इसके अलावा उनके पास कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय सूचकांक प्रकाशन हैं।
डॉ. हरबंश लाल फेकमूल्सीफिकेशन की विधि में पथप्रदर्शक हैं। वह इस प्रक्रिया को फैलाने और सिखाने वाले भारत के पहले नेत्र विशेषज्ञों में से एक रहे हैं। उन्होंने टॉपिकल-फेको यानी बिना इंजेक्शन मोतियाबिंद सर्जरी की एक लाइव प्रस्तुति का आयोजन किया, जिसे 25 सितंबर 1997 में टाइम्स ऑफ इंडिया की मीडिया द्वारा व्यापक रूप से कवर किया गया था। तब से उन्होंने न सिर्फ भारत में, बल्कि अन्य देशों में भी नो इंजेक्शन, नो-स्टिच, नो पैड मोतियाबिंद सर्जरी के 100 से ज़्यादा लाइव सर्जिकल की व्याख्या की है।
डॉ. इकेदा को मोतियाबिंद सर्जरी की विस्तृत जानकारी है, जिसमें फेकमूल्सीफिकेशन, रिस्ट्रिक्टेड ऑपरेशन और छोटी चीरे वाली मोतियाबिंद सर्जरी शामिल हैं। उन्होंने सीमित एनेस्थीसिया के तहत फेकमूल्सीफिकेशन के 5000 से ज़्यादा मामलों को पूरा किया है, जिसमें उन्होंने बिना दवा, पैड और पट्टी के सिर्फ सुन्न करने वाली आई ड्रॉप का इस्तेमाल किया है। अपने कौशल से वह मोतियाबिंद के सभी मुश्किल मामलों को नियंत्रित करने में पूरी तरह सक्षम रही हैं, जिसमें यूवाइटिस, घाव संबंधी, बच्चों में मोतियाबिंद, कॉर्नियल निशान और छोटी पुतली से जुड़े मोतियाबिंद शामिल हैं।
डॉ. नोशीर श्रॉफ ने सिर्फ आंखों से संबंधित अभ्यास की प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉल को ही विकसित नहीं किया, बल्कि बेहतर क्रियान्वयन के लिए मशीनों के वास्तविक डिजाइन में भी उनकी प्रमुख रुचि है। उनके विचारों और खोजो से मोतियाबिंद की सर्जरी में तेजी आई है। डॉ. नोशिर को नेत्र विज्ञान में उनके काम और निवासियों और वंचितों की सहायता के लिए साल 2010 में चिकित्सा क्षेत्र में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
डॉ. अर्चना कौल ने साल 2008 में श्रॉफ आई सेंटर की मोतियाबिंद और इंट्राऑकुलर लेंस सर्विस में बतौर सलाहकार काम किया। एक विशेषज्ञ अकादमी द्वारा उन्हें कई स्वर्ण पदक प्रदान किए गए हैं। इसके साथ ही उनके पास पीर रिव्यूड इंटरनेशनल मैगजीन में कई पत्र हैं। क्लीनिकल और विश्लेषण कार्य के अलावा वह श्रॉफ आई सेंटर में डीएनबी शिक्षण कार्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल हैं, जो नेत्र प्रशिक्षुओं (ऑप्थल्मिक ट्रेनीज) को सर्जिकल प्रशिक्षण प्रदान करता है।
बताए गए सभी नेत्र रोग विशेषज्ञ दिल्ली के मशहूर मोतियाबिंद डॉक्टर हैं। हालांकि, किसी भी व्यक्ति को डॉक्टर की मदद से आंखों का पूरा निदान और जांच कराने के बाद ही आगे बढ़ना चाहिए। आई मंत्रा मोतियाबिंद का उपचार प्रदान करने वाले प्रमुख आंखों के अस्पतालों में से एक है, जहां कुशल और अनुभवी चिकित्सक आपकी आंखों का बेहतर तरीके से निदान करते हैं। आंखों के इलाज के लिए सबसे ज़रूरी है कि आप उपचार और मार्गदर्शन के लिए हमारे मोतियाबिंद सर्जन से परामर्श लें।
अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट eyemantra.in पर जाएं। आज ही हमें +91-9711115191 पर कॉल करें। आप हमें eyemantra1@gmail.com पर मेल भी कर सकते हैं। हमारी सेवाओं में रेटिना सर्जरी, चश्मा हटाना, लेसिक सर्जरी, भेंगापन, मोतियाबिंद सर्जरी और ग्लूकोमा सर्जरी और कई अन्य शामिल हैं।