आंखों की जांच (आई चेकअप) का महत्व – Aankhon Ki Janch (Eye Checkups) Ka Mahatva

EYE CHECKUPS

आंखों की जांच (आई चेकअप) क्या है? Aankhon Ki Janch (Eye Checkups) Kya Hai? 

दृष्टि में बदलाव का आपके दैनिक जीवन पर गहरा असर हो सकता है, जिसमें आंखों में दर्द, धुंधली दृष्टि या लालपन जैसी सामान्य समस्याओं की पहचान और उनका इलाज करना बहुत ज़रूरी है। जल्दी पता लगने पर दृष्टि समस्याओं का इलाज किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए पेशेवर तरीके से अपनी आंखों की जांच करवाना जरूरी है। दृष्टि में सुधार के लिए पेशेवर देखभाल आपको सर्जरी, चश्मे, आंखों के कॉन्टैक्ट लेंस या आंखों के पोषक तत्वों की सलाह दे सकते हैं।

आंखों की जांच या आई चेकअप (Eye Checkup) एक नेत्र रोग विशेषज्ञ, ऑप्टोमेट्रिस्ट या ऑप्टिशियन द्वारा की जाने वाली परीक्षा है, जिसमें दृष्टि और वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने और आंखों के बारे में दूसरी परीक्षाओं को देखने की क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।

आई स्क्रीनिंग और आई चेकअप में अंतर – Eye Screening Aur Eye Checkup Mein Antar 

विज़न स्क्रीनिंग सामान्य आंखों की जांच है, जिससे दृष्टि समस्याओं के खतरे वाले लोगों की पहचान करने में मदद मिलती है। स्क्रीनिंग एक स्कूल नर्स, बाल रोग विशेषज्ञ (पीडियाट्रिशियन) या स्वयंसेवकों द्वारा आयोजित संक्षिप्त दृष्टि परीक्षण का गठन करती है। विज़न स्क्रीनिंग आंखों की जांच है, जिसे आप अपने ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण कराते समय करते हैं। एक विज़न स्क्रीनिंग से निर्धारित हो सकता है कि आपको आंखों की जांच की ज़रूरत है, लेकिन यह आंखों की पूरी जांच के विकल्प के तौर पर काम नहीं करता।

आंखों की व्यापक जांच एक आंखों के डॉक्टर द्वारा की जाती है, जिसमें आपकी दृष्टि के सभी पहलुओं का सावधानीपूर्वक परीक्षण शामिल होता है। आंखों की परीक्षा के नतीजों के आधार पर ही डॉक्टर आपकी व्यक्तिगत ज़रूरतों के लिए उपचार योजना की सलाह देगा। सिर्फ एक नेत्र चिकित्सक ही पूरी आंखों की जांच कर सकता है, क्योंकि ज़्यादातर चिकित्सक और पीडियाट्रिशियन इसके लिए पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं हैं। अध्ययनों की मानें, तो वह उपचार की ज़रूरत वाली महत्वपूर्ण दृष्टि समस्याओं को भूल सकते हैं।

आंखों की जांच का महत्व – Eye Checkups Ka Mahatva  

आंखों के डॉक्टर के पास आपकी देखने की वर्तमान क्षमता की परवाह किए बिना बार-बार आना किसी भी स्वस्थ जीवनशैली का ज़रूरी हिस्सा है। आपके नुस्खे में बदलाव के अलावा आंखों का डॉक्टर डायबिटीज़ या ग्लूकोमा जैसी पुरानी बीमारियों को पहचानने में मदद कर सकते हैं। बच्चों की नियमित आंखों की जांच स्कूलवर्क और एथलेटिक्स के लिए ज़रूरी सामान्य दृष्टि विकास को सुरक्षित करने में मदद करती है। स्वस्थ आंखों के लिए आपके डॉक्टर द्वारा दिए पर्चे के मुताबिक आई ड्रॉप का इस्तेमाल करना ज़रूरी है।

ज़्यादातर लोगों का मानना है कि ठीक से देख पाने पर उन्हें नियमित तौर से आंखों की जांच की ज़रूरत नहीं है, लेकिन 6/6 दृष्टि भगवान की तरफ से एक उपहार है। कभी-कभी लोग सोचते हैं कि ऑनलाइन आंखों की जांच या चश्मे लेने के लिए ऑप्टिशियन के पास जाना उनकी आंखों की हेल्थ के लिए काफी है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। ज़्यादातर दृष्टि की बीमारियों की शुुरुआती अवस्था में लक्षण नहीं होते, जिसे सिर्फ रिफ्रैक्टिव एरर (चश्मे की पॉवर) के लिए एक जांच से पहचाना नहीं जा सकता है।

आंखों की जांच लाइसेंस प्राप्त आंखों का डॉक्टर ही कर सकता है, जिसमें डॉक्टर सिर्फ आपकी विज़ुअल शार्पनेस और चश्मे की पॉवर ही नहीं जांचते, बल्कि आपकी आंखों के व्यापक स्वास्थ्य की भी जांच करते हैं। इस जांच में आपकी आंखों के दबाव, आंखों के संरेखण, साथ ही सामने (एंटेरियर सेग्मेंट) और आंख के पीछे (रेटिना और ऑप्टिक नर्व सहित) का मूल्यांकन किया जाता है।

आईमंत्रा में हम इसके अलावा ब्लड वेसल्स, रेटिना और ऑप्टिक नर्व की उपस्थिति के आधार पर डायबिटीज़, हाई बल्ड प्रेशर से संभावित ब्रेन ट्यूमर और स्ट्रोक के खतरे जैसी गंभीर बीमारियों के शुरुआती लक्षणों का पता लगा सकते हैं। इस टेक्नोलॉजी में वेस्टवर्ल्ड हर कोई टेलीविजन, स्मार्टफोन और कंप्यूटर जैसे एक्सेसरीज़ का इस्तेमाल करता है, जिससे आंखों में ज़्यादा तनाव बढ़ता है। नियमित अंतराल पर की गई आंखों की जांच से आपकी दृष्टि से जुड़ी परेशानियों और आंखों की बीमारियों से बचा जा सकता है। आंखों के चेकअप के ज़रिए आपकी आंखों की बीमारी का विकासशील अवस्था में पता लगाकर उन्हें ठीक कर सकते हैं, जिसके लिए वयस्कों को हर एक से दो साल में पूरी तरह से आंखों की जांच करवाने की सलाह दी जाती है। आइए बात करें कि हर किसी के विवरण के लिए आंखों की जांच को क्या ज़्यादा महत्वपूर्ण बनाती है। 

  • डिजिटल टेक्नोलॉजी स्ट्रेन (DIGITAL TECHNOLOGY STRAIN)

ये डिजिटल टेक्नोलॉजी इन दिनों दुनियाभर में पहुँच गई है। कंप्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट जैसी मशीनरी एक बड़ा स्रोत हो सकता है, लेकिन यह हमारी आंखों के लिए फायदेमंद नहीं हैं। युवाओं और वयस्कों के लिए यह सबसे आम समस्या है। इसमें हम अपनी आंखों को बार-बार झपकाना भूल जाते हैं, जो सूखी आंखों के लक्षणों की बड़ी वजह बनते है। अक्सर आंखों की जांच से इन समस्याएं को दूर किया जा सकता है, जिसमें डॉक्टर लुब्रिकेंट, पलकों की मालिश और आंखों की एक्सरसाइज़ की सलाह देते हैं।

  • सूरज की किरणों से नुकसान (DAMAGE FROM SUN RAYS)

दैनिक जीवन में हमारा सूरज के प्रकाश से संपर्क होता है, जो एक हद तक ही हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। आंखों के लिए सूरज की यूवी किरणें हानिकारक होती हैं, जिससे मस्कुलर डिजनरेशन या मोतियाबिंद की समस्या हो सकती है। इसका पता सिर्फ आंखों की जांच से ही लगाया जा सकता है। इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ करना आपको गंभीर अवस्था में ले जा सकता है, जो संभवतः स्थायी दृष्टि हानि का कारण भी बन सकता है। इनसे बचाव के लिए आप यूवी400 लेबल वाला धूप का चश्मा इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन फिर भी आंखों की जांच बहुत ज़रूरी है।

  • एलर्जी (ALLERGIES)

बढ़ते प्रदूषण की वजह से लंबे समय तक पराग और एलर्जेन से एलर्जी की समस्या बनी रहती है। इससे आपकी आंखों में लालपन, खुजली, जलन, आंखों में पानी और पलकों में सूजन हो सकती है। इसके अलावा इससे अस्थायी रूप से धुंधलापन भी होता है, जिसे एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस या ओकुलर एलर्जी भी कहते हैं। इन लक्षणों से बचने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए, क्योंकि डॉक्टर ही यह बता सकते हैं कि एलर्जी से होने वाला नुकसान रेंडम है या जेन्युइन।

  • दृष्टि सुधार (VISION CORRECTION)

मायोपिया, हाइपरमेट्रोपिया और दृष्टिवैषम्य (एस्टिग्मेटिज्म) जैसी बीमारियों के लिए नियमित जांच ज़रूरी है। एक जांच इसलिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि इससे डॉक्टर आपकी आंखों में सब कुछ ठीक से काम करने के बारे में बताता है।

  • आंखों की बीमारियों का निदान (DIAGNOSING EYE DISEASES)

नियमित अंतराल में आंखों की जांच शुरुआती चेतावनी संकेत नहीं देने वाली बीमारियों का निदान करती है। इनसे एक प्रगतिशील चरण में ग्लूकोमा, मोतियाबिंद जैसी खतरनाक बीमारियों का पता लगाने में मदद मिलती है। साथ ही मायोपिया, हाइपरमेट्रोपिया और कई दूसरी बीमारियों का भी निदान किया जाता है।

  • स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं (HEALTH CONCERNS)

उचित आंखो की जांच से आई सर्जन दूसरी मेडिकल समस्याओं जैसे डायबिटीज़, हाई बल्ड प्रेशर, कैंसर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे रोगों के शुरुआती लक्षणों की भी पहचान करता है, जिन्हें देखभाल की ज़रूरत होती है।

नियमित आंखों की जांच क्यों ज़रूरी है? Regular Eye Checkup Kyon Zaruri Hai?

एक वयस्क या बच्चे को सामान्य स्वास्थ्य, उम्र और आंखों के स्वास्थ्य के आधार पर नियमित जांच के लिए आंखों के केंद्र जाना चाहिए:

  • पांच वर्ष तक के शिशुओं को आंखों की सामान्य समस्याओं जैसे ‘आलसी आंखें’ (Lazy Eyes) या भेंगेपन (Squint) आदि से बचने के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच की ज़रूरत होती है।
  • बच्चों और किशोरों को यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच कराने की ज़रूरत है कि असंतुलित आहार या स्क्रीन के लंबे समय तक संपर्क की वजह से दृष्टि हानि, गिरावट या बदलाव न हो।
  • आंखों का अच्छा स्वास्थ्य होने के बाद भी वयस्कों को नियमित रूप से आंखों की जांच के लिए जाना चाहिए, जिससे आंखों की स्थिति का कोई जोखिम होने या नहीं होने का पता लगाया जा सके।
  • डायबिटीज़ या जेनेटिक आंखों के विकारों जैसे ग्लूकोमा के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को अपनी दृष्टि स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच करानी चाहिए।

आंखों के किसी भी अंतर को तेज़ी से पहचानने के लिए एक स्वस्थ आंखों की आधार रेखा का निर्माण ज़रूरी है। आंखों की बीमारियां या चोट उनके प्रबंधन, डायबिटीज़ और हाई बल्ड प्रेशर आदि जैसी कई सिस्टमेटिक बीमारियों का जल्द पता लगाने और उनकी निगरानी के लिए आंखों की जांच करवाना ज़रूरी है।

आंखों की जांच से पहचानी गई आंखों की समस्याएं – Eye Checkups Se Pehchani Gayi Aankhon Ki Samasyaein

ग्लूकोमा: आंखों की जांच से ग्लूकोमा के शुरुआती लक्षण बताए जा सकते हैं। शुरुआती पहचान और उपचार से दृष्टि हानि का खतरा कम किया जा सकता है।

हाई ब्लड प्रेशर: अगर आपका ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है, तो यह किसी ऑप्टोमेट्रिस्ट द्वारा आपकी आंख के पिछले हिस्से में ब्लड वेसल्स की जांच करने से ही स्पष्ट हो सकता है।

उम्र से संबंधित मैकुलर डिजनरेशन: आंखों की यह बीमारी केंद्रीय दृष्टि के नुकसान का कारण बन सकती है, जिसे आंखों की जांच के दौरान आपके रेटिना में होने वाले बदलाव को देखकर पहचाना जा सकता है और सही इलाज से इसे कम किया जा सकता है।

डायबिटीज़: अनियंत्रित डायबिटीज़ से दृष्टि हानि हो सकती है। आंखों की जांच से इसके पहले लक्षणों का पता लगाया जा सकता है।

मोतियाबिंद: ऑप्टोमेट्रिस्ट यह सुनिश्चित कर सकता है कि आपको मोतियाबिंद की रोकथाम के लिए सही समय पर उपचार के लिए भेजा गया है। 

हृदय रोग: आंखों की जांच से हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर जैसी दिल की बीमारियों का पता लगाया जा सकता है, जिसमें स्ट्रोक के खतरे को डॉक्टर द्वारा उपचार की मदद से कम किया जा सकता है।

आंखों की जांच किसे करानी चाहिए? Aankhon Ki Janch Kise Karani Chahiye?

आंखों की जांच हर किसी के लिए स्वस्थ जीवनशैली का एक ज़रूरी हिस्सा है। वयस्कों को अपने प्रिस्क्रिप्शन को अप-टू-डेट रखने और आंखों की बीमारी के शुरुआती लक्षणों की जांच के लिए नियमित तौर पर आंखों की जांच करवानी चाहिए। बच्चों के सामान्य विकास और सीखने में आंखों की जांच अहम भूमिका निभा सकती है।

विज़न इसी तरह सीखने की प्रक्रिया से जुड़ा है। बच्चे देखने या देखने की व्याख्या करते वक्त संघर्ष करते हैं। उन्हें अपने स्कूल के काम में परेशानी होती है। बच्चे नहीं जानते कि सामान्य दृष्टि कैसी दिखती है, सिर्फ इसलिए कई बार वह दृष्टि से जुड़ी कठिनाइयों की शिकायत नहीं कर पाते। ऐसे में उन्हें धुंधली दृष्टि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। स्कूल में बच्चों के खराब प्रदर्शन और पढ़ने या सीखने की समस्या होने पर उनकी आंखों की जांच ज़रूर करवाएं। बच्चों की आंखों की बीमारियों की देखभाल बिना देर किए करनी चाहिए, क्योंकि कई बार उपचार में देरी से आंखों की यह बीमारी गंभीर हो सकती है।

डॉक्टर क्या जांच करते हैं? Doctor Kya Janch Karte Hain? 

आपको निकट दृष्टिदोष, दूरदर्शिता या दृष्टिवैषम्य है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए आंखों का डॉक्टर आपकी आंखों की बीमारियों और दूसरी समस्याओं की भी जांच करेगा, जो दृष्टि हानि का कारण हो सकते हैं। जांच के दौरान आंखों का डॉक्टर इन बीमारियों की जांच करेगा:

  • मंद दृष्टि/एम्ब्लियोपिया: मंद दृष्टि में आंखें गलत तरीके से संरेखित होती हैं या एक आंख में दूसरे के मुकाबले नुस्खे काफी अलग होते हैं। दिमाग मुड़ी हुई या धुंधली आंख से चित्र को “बंद” कर देगा। अनुपचारित छोड़े जाने पर एम्ब्लियोपिया प्रभावित आंख के दृश्य विकास में रुकावट पैदा कर सकता है, जिससे स्थायी दृष्टि हानि हो सकती है। अक्सर मंद दृष्टि या एम्ब्लियोपिया का इलाज सालों तक मजबूत आंख को ढककर किया जाता है।
  • भेंगापन/स्ट्रैबिस्मस: इसे क्रॉस्ड आई या मुड़ी हुई आंखें भी कहा जाता है। यह सुनिश्चित करने के लिए आंखों का डॉक्टर आपकी आंखों के संरेखण की जांच करता है, जिसमें देखा जाता है कि आपकी आंखें एक साथ काम कर रही हैं। स्ट्रैबिस्मस गहराई की धारणा के साथ कठिनाइयों का कारण बनता है, जिससे एम्ब्लियोपिया हो सकता है।
  • आंखों की बीमारी: कई आंखों की बीमारियों, जैसे ग्लूकोमा और डायबिटिक आंखों की बीमारी के शुरुआती चरण में ध्यान देने वाले कोई लक्षण नहीं होते हैं। शुरुआती समस्याओं के लक्षणों का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपकी आंखों के अंदर और बाहर के स्वास्थ्य की जांच करेगा। ज्यादातर मामलों में आंखों की बीमारियों का जल्द पता लगाने और उपचार से स्थायी दृष्टि हानि के जोखिम को कम किया जा सकता है।
  • अन्य बीमारी: आंखों का डॉक्टर आपकी आंख की ब्लड वेसल्स और रेटिना आदि को देखकर कुछ सिस्टमेटिक कंडीशन्स और बीमारियों के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर सकता है। अगर आपके अंदर हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल या दूसरी समस्याओं का विकास हो रहा है, तो वह इसके बारे में आपको सूचित करने में सक्षम हो सकते हैं।

आई चेकअप के लिए डॉक्टर को कितनी बार दिखाना चाहिए? 

आंखों की जांच एक साल छह महीने, तीन साल और पहली कक्षा से पहले के कराने की सलाह दी जाती है।

  • कम उम्र में उठाए गए पहले कदम आमतौर पर बढ़ने वाले बच्चे की दृष्टि को सुरक्षित करने में मदद करते हैं या नहीं।
  • बीस से तीस की उम्र में हर पांच से दस साल में आंखों की जांच करवानी चाहिए।
  • चालीस साल की उम्र के बाद आंखों में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। 

दिल्ली में आंखों की जांच के बेस्ट हॉस्पिटल – Delhi Mein Eye Checkups Ke Best Hospital 

आपकी दृष्टि ठीक और आंखें स्वस्थ हैं या नहीं, इसका पता लगाने के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच ज़रूरी होती है। हम इसकी सिफारिश करते हैं, क्योंकि इस परीक्षण के माध्यम से किसी भी आंखों की बीमारी को पकड़ने में मदद मिलती है। आपके दृष्टि स्वास्थ्य के हर पहलू का मूल्यांकन करने के लिए हर एक परीक्षण में अलग-अलग तरह के उपकरणों और तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। शुरुआती अवस्था में आंखों की समस्याओं की पहचान और ऑप्टिमम विज़न सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच के लिए जाना ज़रूरी है। 

निष्कर्ष – Nishkarsh

जीवन में ज़्यादा स्पष्ट, ज़्यादा आसानी से सीखने और दृष्टि बनाए रखने के लिए आपकी सालाना आंखों की जांच ज़रूरी है। अगर आपकी दृष्टि त्रुटिहीन है, तो सालाना आंखों की जांच आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है, जिसे आप अपने समग्र स्वास्थ्य और वेलनेस को बनाए रखने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

हर एक व्यक्ति को अपनी आंखों के अच्छे स्वास्थ्य और जीवन भर स्पष्ट रूप से देखने के लिए नियमित रूप से अपनी आंखों का सटीक मूल्यांकन ज़रूरी है। नियमित अंतराल में आंखों की जांच न सिर्फ आपकी दृष्टि को बढ़ाएंगे, बल्कि आंखों के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए आपको सर्वोत्तम सुझाव भी देंगे। कुछ तुरंत नहीं दिखने वाली प्रोग्रेसिव बीमारी गंभीर बीमारी का स्रोत बन सकते हैं, लेकिन आंखों के चेकअप से आने वाले दर्द से बचा जाता है, इसलिए आंखों की जांच सभी के लिए जरूरी है।

आई मंत्रा हॉस्पिटल में दृष्टि की समस्याओं और आंखों की बीमारियों को देखने के लिए आंखों की जांच प्रक्रिया डिज़ाइन की गई है। टेस्ट के दौरान नेत्र रोग विशेषज्ञ आपसे आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकते हैं, जिसमें आपको कोई भी दृष्टि से जुड़ी समस्या महसूस हो सकती है। आपको और देखभाल की ज़रूरत है या नहीं, इसके लिए आंखों के विशेषज्ञ आपकी दृष्टि स्पष्टता की जांच करेंगे।

बिना देर किये आज ही आंखों की जांच के लिए अपने नेत्र चिकित्सक से संपर्क करें। अगर आप भी आंखों की जांच के लाभों से प्रेरित हैं, तो स्वस्थ आंखों के बारे में अधिक जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट eyemantra.in पर जाएं। हमारे विशेषज्ञ गाइड हर सेवा के बारे में डिटेल में जानकारी प्रदान करेंगे। आई मंत्रा में अपनी अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए आज ही हमें +91-9711115191 पर कॉल करें या आप [email protected] पर मेल करके भी हमसे संपर्क कर सकते हैं। हम रेटिना सर्जरीचश्मा हटानालेसिक सर्जरीभेंगापनमोतियाबिंद सर्जरी और ग्लूकोमा सर्जरी सहित कई अन्य सेवाएं भी प्रदान करते हैं। 

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