आंखों की बीमारी (Eye Diseases)

डायबिटीज़ से संबंधित आंखों की समस्याएं: लक्षण और उपचार – Diabetes Eye Problems: Lakshan Aur Upchar

डायबिटीज़ से संबंधित आंखों की समस्याएं क्या हैं? Diabetes Eye Problems Kya Hain?

डायबिटीज़ के कारण आंखों से जुड़ी कई तरह की समस्याएं होती हैं, जिनका प्रमुख लक्षण धुंधली दृष्टि और इलाज का आखिरी तरीका सर्जरी होता है। आमतौर पर डायबिटीज़ की मुख्य वजह हमारे ब्लड शुगर लेवल में किसी भी तरह का असंतुलन या अत्यधिक बढ़ना है। डायबिटीज़ हमारे शरीर के हृदय और रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) आदि जैसे कुछ प्रमुख अंगों को तो प्रभावित करती ही है, लेकिन आंखों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है। धुंधली दृष्टि डायबिटीज़ के कारण होने वाली आंखों की कई समस्याओं का सबसे प्रमुख लक्षण है। इसके अलावा बीस से चालीस साल की उम्र के वयस्कों में अंधेपन का सबसे पहला कारण डायबिटीज़ है।

लक्षण – Lakshan

  1. डायबिटीज़ के कारण व्यक्ति को धुंधली दृष्टि महसूस होना शुरू हो सकती है।
  2. व्यक्ति को रात में वस्तुओं को देखने में दिक्कत हो सकती है, जिसे एक तरह की रतौंधी कहते हैं।
  3. व्यक्ति की विज़न क्वालिटी में बदलाव आ सकता है।
  4. दृष्टि में तैरते धब्बे, काले तार या फ्लोटर्स दिखाई दे सकते हैं।
  5. व्यक्ति को अपनी दृष्टि में अंधेरे या खाली क्षेत्र महसूस हो सकते हैं।

डायबिटीज़ की वजह से होने वाली आंखों की समस्याओं में धुंधली दृष्टि, मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और रेटिनोपैथी शामिल हैं।

आंखों की समस्याएं – Aankhon Ki Samasyaein

डायबिटीज़ से होने वाली गंभीर आंखों की समस्याएं निम्नलिखित हैं- 

धुंधली दृष्टि

धुंधली दृष्टि की समस्या डायबिटीज़ के कारण होने वाली कई समस्याओं में से एक है। हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण शरीर का पानी आंखों के लेंस में खिंचने से आंखों के लेंस में सूजन आ जाती है, जिससे व्यक्ति की देखने की क्षमता बदल जाती है। अगर दूसरे शब्दों में कहें, तो व्यक्ति की दृष्टि इसके कारण धुंधली हो जाती है। धुंधली दृष्टि डायबिटीज़ से संबंधित एक अस्थायी आंख की समस्या हो सकती है, जिसे ब्लड में शुगर के लेवल को नियंत्रित करके आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

उपचार: आंख की सामान्य दृष्टि बहाली के लिए ब्लड में शुगर लेवल को सामान्य करने की कोशिश करनी चाहिए, जिसमें ज़्यादातर छह हफ्ते लग सकते हैं।

मोतियाबिंद

डायबिटीज़ से होने वाली आंखों की समस्याओं में से एक मोतियाबिंद कई दूसरे कारणों से हो सकता है। मोतियाबिंद की स्थिति में आंखों का लेंस अपारदर्शी हो जाता है, जो बढ़ती उम्र की प्रक्रिया के साथ आता है। ज़रूरी नही है कि यह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया के साथ ही आए। डायबिटीज़ वाले कम उम्र में लोगों में भी इस स्थिती के विकास की संभावना होती है, जो तेजी से खराब हो सकती है।

उपचार: अगर आपका मोतियाबिंद कम परेशान करने वाला और कम गंभीर है, तो चश्मे का नुस्खा ठीक से एडजस्ट करके बिना सर्जरी इसका इलाज किया जा सकता है। आंख में गंभीर मोतियाबिंद वाले मरीजों के इलाज में सर्जरी की जरूरत होती है, जिसमें डॉक्टर आंख से बादल वाले लेंस को हटाकर कृत्रिम यानी आर्टिफिशियल लेंस से बदल देता है। इससे मरीज़ की दृष्टि में सुधार के साथ धुंधली दृष्टि भी खत्म हो जाती है। 

ग्लूकोमा

बल्ड शुगर लेवल के बढ़ने से आंख का तरल पदार्थ बाहर नहीं निकल पाता, जिससे आंख के अंदर दबाव बनने लगता है। यह दबाव आंख की नसों और बल्ड वेसल्स के लिए हानिकारक होता है। आंख की इस स्थिति को ग्लूकोमा कहते हैं। डायबिटीज़ से होने वाली आंखों की समस्याओं में से एक ग्लूकोमा की समस्या है। बहुत धीरे-धीरे बिगड़ने वाले ग्लूकोमा की उचित देखभाल से इसका इलाज प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। ग्लूकोमा से पीड़ित मरीजों के अंधे होने की संभावना बनी रहती है, लेकिन ऐसा काफी कम मामलो में देखा जाता है।

उपचार: आंख के अंदर बनने वाले दबाव को कम करना ग्लूकोमा के उपचार के पीछे का मूल सिद्धांत है, लेकिन दवाएं और उपचार आंख के अंदर बनने वाले दबाव की मात्रा पर निर्भर है। आंख में विकसित होने वाला यह दबाव हर व्यक्ति में अलग होता है, जिसकी मात्रा के आधार पर औपचारिक विकल्पों में मौखिक दवाएं, आंखों में दवाएं इंजेक्ट करना या निर्धारित ऑरल दवाएं लेना शामिल हैं।

न्योवास्कुलर मोतियाबिंद

दुर्लभ स्थिति वाला न्योवास्कुलर मोतियाबिंद डायबिटीज़ के कारण होने वाली आंखों की उन समस्याओं में से है, जो ज़्यादातर डायबिटिक मरीज़ों में नहीं पाई जाने के बाद भी खतरनाक है। आइरिस पर नई ब्लड वेसल्स के बढ़ने से सामान्य द्रव प्रवाह ब्लॉक हो जाता है, जो आंख के अंदर बनने वाले हाई प्रेशर का कारण बनता है।

उपचार: न्योवास्कुलर मोतियाबिंद के मैनेजमेंट में बढ़े आईओपी (IOP) को कम करके इस गंभीर बीमारी का इलाज किया जाता है, जिसकी वजह से न्योवास्कुलराइजेशन के इंटीरियर सेग्मेंट की शुरुआत की गई।

डायबिटीक रेटिनोपैथी

डायबिटीज़ से संबंधित आंखों की समस्याओं में दूसरी सबसे गंभीर समस्या “डायबिटिक रेटिनोपैथी” है। डायबिटिक रेटिनोपैथी एक ऐसी स्थिति है, जो आंख में रेटिना की ब्लड वेसल्स को डैमेज करती है। शुरुआती चरणों में रेटिना की ब्लड वेसल्स मैक्युला में बाहर निकलकर लीक हो जाती हैं, जो धुंधली या लहरदार दृष्टि का कारण बनती है। डायबिटीज़ के मरीज़ों में यह स्थिति जल्द या बाद में विकसित होने की संभावना होती है, जिसे कम करने के लिए मरीज़ के शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कम करने की सलाह दी जाती है। ब्लड शुगर लेवल के लगातार बढ़ने से डायबिटीज़ रेटिनोपैथी की स्थिति ज़्यादा खराब हो जाती है। ऐसे में डैमेज ब्लड वेसल्स की जगह नई वेसल्स बनने लगती हैं, जो बेहद नाजुक होती हैं और इसी नाजुकता की वजह से आंख का तरल पदार्थ ब्लड वेसल्स से बाहर निकल जाता है।

उपचार: कई अलग-अलग उपचार विकल्पों के माध्यम से डायबिटिक रेटिनोपैथी का इलाज किया जा सकता है, जिसमें विट्रोक्टोमी, आंखों में दवा का इंजेक्शन, फोटोकैग्यूलेशन और पैनेरेटिनल फोटोकैग्यूलेशन शामिल हैं।

अन्य उपचार

उपचार आपकी आंखों को पहले हो चुके नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता है और न ही डायबिटीज़ संबंधित आंखों की समस्याओं को पूरी तरह ठीक कर सकता है, लेकिन उचित चिकित्सा उपचार और देखभाल से उन्हें कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। आमतौर पर डॉक्टर दबाव और सूजन को कम करने के लिए मरीजों को आई ड्रॉप देते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञ डायबिटीज़ से संबंधित आंखों की समस्याओं के चिकित्सकीय इलाज के लिए एंटी-वीईजीएफ दवाएं, जैसे एफ़्लिबरसेप्ट, बेवाकिज़ुमैब या रैनिबिज़ुमैब के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। इन सभी दवाओं से आंखों में असामान्य रक्त वाहिकाओं का विकास रोकने में मदद मिलती है। इसके अलावा यह आंखों के तरल पदार्थ को बाहर निकलने से रोकने में भी मदद करते हैं।

डॉक्टर पहले एनेस्थेटिक दवाओं के इस्तेमाल से आंखों को सुन्न करते हैं, ताकि मरीज को इंजेक्शन लगाने की प्रक्रिया के दौरान ज्यादा दर्द नहीं हो। उसके बाद किसी व्यक्ति के बाल जितनी मोटी सुई के इस्तेमाल से दवाओं को मरीज़ की आंखों में इंजेक्ट किया जाता है। डॉक्टर ज्यादातर शुरुआती चरणों में डायबिटीज़ से संबंधित आंखों की समस्याओं का इलाज दवाओं से करने की कोशिश करते हैं। कुछ मामलों में दवाओं से इसका इलाज किया जा सकता है, जबकि कुछ में नहीं। लेज़र ट्रीटमेंट डायबिटीज़ से संबंधित ज़्यादातर आंखों की समस्याओं का आखिरी ट्रीटमेंट है, जो रेटिना को गंभीर रूप से डैमेज होने से पहले पूर्ण दृष्टि हानि (Complete Vision) को रोकने में प्रभावी रूप से मदद करता है। बीम लाइट के कारण यह आंखों में छोटी-छोटी जलन पैदा करता है। डॉक्टरों की सलाह के मुताबिक लेजर ट्रीटमेंट ब्लड वेसल्स के लीक होने से पहले करवाना ज़रूरी होता है।

सावधानियां – Savdhaniyan

  1. आहार में चीनी की मात्रा के नियंत्रण से ब्लड शुगर लेवल को जल्द से जल्द सामान्य करने की कोशिश करें।
  2. ब्लड शुगर लेवल के साथ ही मरीज़ को अपने ब्लडप्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करने पर भी ध्यान देना चाहिए।
  3. फिट और स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करें।
  4. अपने ऑप्थल्मोलॉजिस्ट से नियमित जांच के लिए नियमित आधार यानी साल में एक बार परामर्श ज़रूर लें, ताकि वह आपके ट्रीटमेंट पर ठीक से नज़र रख सके। इसके अलावा फैली हुई आंखों की जांच भी साल में एक बार ज़रूरी है।
  5. धूम्रपान और शराब आदि जैसी सेहत को नुकसान पहुंचाने वाली बुरी आदतों से बचें।
  6. हाई ट्रांस फैटी एसिड आहार से बचें, क्योंकि यह आपकी ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाता है, जिससे डायबिटीज़ के कारण पहले से मौजूद आंखों की समस्याएं पहले से ज़्यादा बिगड़ सकती हैं। हाई ट्रांस फैटी एसिड आहार के अलावा कुकीज़ और केक जैसे पके हुए भोजन से भी बचना चाहिए।
  7. डायबिटीज़ (खासकर ग्लूकोमा) से संबंधित लगभग सभी आंखों की समस्याओं के लिए ज़्यादा देर तक लगातार एक तरफ सोने से बचें। इससे नेत्रगोलक यानी आईबॉल पर पड़ने वाला दबाव स्पष्ट रूप से मरीज़ की आंख के लिए अच्छा नहीं होता है।
  8. आंखों को यूवी किरणों से बचाने के लिए बाहर जाते वक्त धूपके चश्मे का इस्तेमाल करें।

निष्कर्ष – Nishkarsh

आपकी आंखों के इलाज का सबसे अच्छा तरीका नियमित रुप से नेत्र देखभाल पेशेवर द्वारा आंखों की नियमित जांच है। वह आपकी आंखों की बीमारी का सर्वोत्तम तरीके से इलाज करने में सक्षम होंगे।

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