आंखों की जांच (Eye Tests)

गोनियोस्कॉपी टेस्ट: प्रकार और ज़रूरत – Gonioscopy Test: Prakar Aur Zarurat

गोनियोस्कॉपी टेस्ट क्या है? Gonioscopy Test Kya Hai?

गोनियोस्कोपी नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा किया जाने वाला एक परीक्षण है, जिसे आंख के जल निकासी कोण यानी ड्रेनेज एंगल की जांच के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह क्षेत्र आपकी आंख के सामने यानी आईरिस और कॉर्निया के बीच मौजूद होता है। इस क्षेत्र के ज़रिए नेत्रोद यानी जलीय हास्य (Aqueous Humour) द्रव आंखों से स्वाभाविक रूप से निकल जाता है। गोनियोस्कोपी का इस्तेमाल आपके नेत्र रोग विशेषज्ञ यह जांचने के लिए करते हैं कि क्या इस भाग को ड्रेनेज कहा जाता है या कोण सामान्य रूप से काम कर रहा है। सामान्य परिस्थितियों की परीक्षा में यह कोण नहीं देखा जा सकता है, जिसमें आंख की सतह पर रखा गया एक खास कॉन्टैक्ट लेंस प्रिज्म कोण और जल निकासी प्रणाली के दृश्य की अनुमति देता है।

गोनियोस्कोपी टेस्ट के बारे में – Gonioscopy Test Ke Bare Mein

गोनियोस्कोपी टेस्ट के दौरान मरीज़ को एक स्लिट-लैंप माइक्रोस्कोप के चिन होल्डर में अपना सिर आराम से रखना होता है। नेत्र रोग विशेषज्ञ इस विशेष उपकरण का इस्तेमाल मरीज़ की आंखों में देखने के लिए करते हैं। गोनियोस्कोपी के दौरान मरीज़ की आंख में आई ड्रॉप का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे मरीज़ की आंखें सुन्न हो जाती हैं। इसके बाद नेत्र रोग विशेषज्ञ सीधे मरीज़ की आंखों पर दर्पण के साथ एक विशेष कॉन्टैक्ट लेंस लगाते हैं। इसका मकसद लेंस में प्रकाश की किरण को चमकाना है, जो जल निकासी कोण को उजागर करेगा।

इन लेंस दर्पणों की मदद से नेत्र रोग विशेषज्ञ आंख के उस हिस्से को देख और एनालाइज कर सकते हैं, जिसकी जांच करना अनिवार्य रूप से बहुत मुश्किल है, क्योंकि यह आंख के अंदर का कोना चारों तरफ है। इसमें मरीज़ लेंस को अपनी पलकों को छूते हुए महसूस कर सकता है। हालांकि, शुरुआत से आखिर तक दर्द रहित गोनियोस्कोपी परीक्षण के बारे में सबसे अच्छी बात है कि यह कुछ ही मिनटों में खत्म हो जाता है।

गोनियोस्कोपी टेस्ट का उद्देश्य – Gonioscopy Test Ka Uddeshya

आंखें मानव शरीर की सबसे महत्वपूर्ण इंद्रियों में से एक हैं, जो सूखेपन को रोकने के लिए लगातार एक तरल बनाते हैं, जिसे जलीय हास्य या नेत्रोद (Aqueous Humour) कहते हैं। हालांकि, आंख में एक चक्र बनाए रखना बेहद ज़रूरी है, जहां जलीय हास्य की उतनी ही मात्रा उत्पन्न होनी चाहिए, जितनी आंख के एक हिस्से के माध्यम से उत्सर्जित होती है।

ड्रेनेज एंगल के रूप में जानी जाने वाली यह प्रक्रिया बेहद ज़रूरी है। यह किसी की आंखों में दबाव बनाए रखता है, जिसे अंतःस्रावी दबाव या इंट्राओकुलर प्रेशर कहते हैं। ड्रेनेज एंगल के डैमेज होने या ठीक से काम नही करने के मामले में आंख में जलीय हास्य का निर्माण होता है, इससे आंख में बढ़ने वाला दबाव अंततः ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाता है, जो ग्लूकोमा विकसित होने के मुख्य कारणों में से एक है।

आमतौर पर गोनियोस्कोपी परीक्षा का इस्तेमाल किसी की आंखों में ग्लूकोमा के लक्षण का पता लगाने के लिए किया जाता है। गोनियोस्कोपी परीक्षा एक नेत्र रोग विशेषज्ञ को यह जानने में मदद कर सकती है कि क्या मरीज़ का जल निकासी कोण जलीय हास्य के ठीक से प्रवाह के लिए थोड़ा बहुत संकीर्ण है या किसी दूसरे मामले में आईरिस के हिस्से से ब्लॉक है। कई दूसरी स्थितियों और बीमारियों में एक मरीज़ पर गोनियोस्कोपी टेस्ट किया जाता है, जिनमें यूवाइटिस, आंखों की चोट और ट्यूमर आदि शामिल हैं।

गोनियोस्कोपी की ज़रूरत – Gonioscopy Ki Zarurat

इस टेस्ट से चालिस साल की उम्र में पहुंचने तक किसी व्यक्ति के दृष्टि परिवर्तन और आंखों की बीमारियों के शुरुआती लक्षणों का पता लगाया जा सकता है। जिंदगी के ऐसे वक्त में सभी लोगों को एक नेत्र रोग विशेषज्ञ से अपनी आंखों की बीमारी की जांच करानी चाहिए। नेत्र रोग विशेषज्ञ ग्लूकोमा के लक्षणों का पता लगाने के लिए जल निकासी कोण की अच्छे से जांच और विश्लेषण के लिए मरीज़ पर एक गोनियोस्कोपी परीक्षण करते हैं, जिसमें इसके कामकाज के साथ-साथ इसकी मौजूदगी भी शामिल है।

गोनियोस्कोपी और ग्लूकोमा – Gonioscopy Aur Glaucoma

नेत्र रोग विशेषज्ञों के मुताबिक कई लोगों को आंखों में दबाव का स्तर सामान्य होने पर भी ग्लूकोमा संदिग्ध कहा जाता है, क्योंकि दबाव का स्तर सामान्य होने के बाद भी उनकी आंखों में ग्लूकोमा विकसित हो सकता है। ऐसे लोग नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा की जाने वाली गोनियोस्कोपी परीक्षाओं के अलावा वक्त के साथ होने वाले परिवर्तनों के निरीक्षण के लिए नियमित तौर पर दूसरी ग्लूकोमा परीक्षाओं से भी गुजरते हैं। किसी भी व्यक्ति की दृष्टि जांच के लिए समय सबसे ज़रूरी है, इसलिए अपने नेत्र रोग विशेषज्ञों के साथ नियमित रूप से मिलने का समय ज़रूर निर्धारित करें।

नियमित आंखों की जांच और परीक्षण स्वस्थ दृष्टि की कुंजी हो सकती हैं, जिसे आपके डॉक्टर गोनियोस्कोपी टेस्ट हैंडहेल्ड गोनियोलेंस के साथ करते हैं, जबकि कुछ डॉक्टर लेंस को “परीक्षा संपर्क लेंस” के तौर पर संदर्भित करते हैं। इसमें डॉक्टर सुन्न कॉर्निया को गोनियोस्कोपी लेंस से मुश्किल से छूते हैं, लेकिन आसान और मिनटों में होने वाली इस प्रक्रिया से चोट नहीं पहुंचती है। यह नग्न आंखों से नहीं दिखने वाले क्षेत्रों को देखने के लिए पेरिस्कोप में दर्पण के इस्तेमाल करने के समान है।

गोनियोलेंस या गोनियोस्कोप के प्रकार – Goniolens Ya Gonioscope Ke Prakar

गोनियोस्कोपी की पूरी प्रक्रिया अलग-अलग होती है, जिसके मुताबिक परीक्षा में गोनियोलेंस का इस्तेमाल किया जाता है। गोनियोलेंस के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं, जैसे-

कोएप डायरेक्ट गोनियोलेंस

इस पारदर्शी कोएप डायरेक्ट लेंस को ऑप्थल्मोलॉजिस्ट किसी चिकनाई वाले तरल पदार्थ के साथ सीधे कॉर्निया पर रखते हैं, जिससे उसे आंख की सतह को होने वाले किसी भी नुकसान से बचने में मदद मिलती है। इस गोनियोलेंस की बाहरी सतह में एक बहुत ही खड़ी वक्रता है, जो वैकल्पिक तौर से कुल आंतरिक रिफ्लेक्शन खत्म करके नेत्र रोग विशेषज्ञ को इरिडोकोर्नियल कोण के स्पष्ट दृश्य के साथ प्रदान करती है, जिसे जल निकासी कोण (Drainage Angle) भी कहते हैं। हालांकि इसके लिए मरीज़ को लेटने की ज़रूरत होती है, इसलिए ऑप्टोमेट्रिक सेटिंग में सामान्य स्लिट लैंप की मदद से इसका आसानी से इस्तेमाल करना संभव नहीं है। हालांकि, ऑप्थल्मोलॉजिकल सेटिंग की बात आने पर एक कार्यशील माइक्रोस्कोप मौजूद विकल्प है।

गोल्डमैन इनडायरेक्ट गोनियोलेंस

आकार में छोटा दिखने वाला गोल्डमैन इनडायरेक्ट लेंस जल निकासी कोण से ऑप्थल्मोलॉजिस्ट की दिशा में प्रकाश को प्रतिबिंबित करने के लिए दर्पण का इस्तेमाल करता है। इस्तेमाल करते वक्त ड्रेनेज लेंस की छवि लगभग पीछे की सतह पर ओर्थोगोनल होती है, जो इसे स्लिट लैंप के साथ अवलोकन और आवर्धन करने में बहुत आसान और भरोसेमंद बनाती है। लेंस के घुमावदार हिस्से को कॉर्निया पर नहीं रखा जाता है, लेकिन इसके चारों तरफ वाल्ट होते हैं, जिसके गैप को भरने के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ स्नेहक द्रव इस्तेमाल करते हैं। श्वेतपटल यानी स्क्लेरा पर लेंस की सामने की सतह की सीमा टिकी हुई है। इस लेंस का इस्तेमाल मरीज़ के सीधे बैठने और लेटे बिना किया जा सकता है। इस उपकरण के दूसरे दर्पणों का इस्तेमाल आंख के दूसरे भागों का विश्लेषण करने के लिए भी किया जा सकता है, जिसमें रेटिना और ओरा सेरेट शामिल हैं।

ज़ीस इनडायरेक्ट गोनियोलेंस

यह ज़ीस इनडायरेक्ट गोनियोलेंस डिवाइस गोल्डमैन जैसी ही तकनीक का इस्तेमाल करके काम करता है। हालांकि, यह दर्पण के बजाय प्रिज्म का इस्तेमाल करता है, जिसमें मौजूद चार सममित प्रिज्म आंखों के चार भागों में एक साथ जल निकासी कोण के दृश्य को सक्षम करते हैं। इससे यह एक स्लिट लैंप के साथ अच्छी तरह से काम करता है। कॉर्निया पर टिका एक छोटा फ्रंट इस उपकरण का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां खाली जगह को भरने के लिए किसी चिकनाई वाले द्रव की ज़रूरत नहीं होती है। यह केवल मरीज़ की आंसू फिल्म इंडेंटेशन गोनियोस्कोपी की अनुमति देती है, जो नेत्र रोग विशेषज्ञ को आगे मरीज़ पर ज़्यादा विस्तृत निदान और प्रदर्शन करने में मदद करती है।

आई मंत्रा में गोनियोस्कोपी – Eye Mantra Mein Gonioscopy

गोनियोस्कोपी को प्रदर्शन करने में मुश्किल मानने वाले कई ऑप्टोमेट्रिस्ट इसे नियमित रूप से करने में कतराते हैं। इस सीखे हुए कौशल के लिये बहुत ज़्यादा अनुभव की ज़रूरत होती है, जबकि सीखने की अवस्था में महारथ हासिल की जा सकती है। समय के साथ प्रैक्टिशनर छोटा सा एडजस्टमेंट करके गोनियोस्कोपिक छवि को स्थिर करना सीख जाएंगे, क्योंकि तकनीक में उचित प्रक्रिया ज़रूरी है। सामान्य और असामान्य कोण के बीच छोटे से अंतर को समझने के लिए कई आंखों को देखने की जरूरत है। ऐसी जटिल प्रक्रियाओं को आसान बनाने वाले बेस्ट कर्मचारियों को ध्यान से चुनना अच्छा है और आईमंत्रा में हमारे पास ऐसे ही सबसे कुशल डॉक्टर मौजूद हैं।

निष्कर्ष – Nishkarsh

गोनियोस्कोपी टेस्ट से जुड़ी ज़्यादा जानकारी के लिए आप हमारे दिल्ली स्थित आईमंत्रा हॉस्पिटल में विज़िट कर सकते हैं। आंखों की किसी भी समस्या की जानकारी के लिए आप हमारी  वेबसाइट eyemantra.in पर भी जा सकते हैं। आई मंत्रा में अपनी अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए हमें +91-9711115191 पर कॉल करें या eyemantra1@gmail.com पर मेल करें। हम रेटिना सर्जरीचश्मा हटानालेसिक सर्जरीभेंगापनमोतियाबिंद सर्जरी और ग्लूकोमा सर्जरी सहित कई अन्य सेवाएं भी प्रदान करते हैं।