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आपकी आंखों में कई कारणों से मोतियाबिंद विकसित हो सकता है, जिससे धीरे-धीरे दृष्टि का प्रोग्रेसिव डिलेमिनेशन होता है। आमतौर पर मोतियाबिंद साठ या उससे ज़्यादा उम्र के व्यक्तियों की आंख में होता है, जिसका इलाज में कई प्रकार के सर्जिकल मेथड का इस्तेमाल करके किया जाता है और इन्हीं में से एक ज़ेप्टो मोतियाबिंद सर्जरी है। ज़ेप्टो मोतियाबिंद सर्जरी एक स्वचालित (ऑटोमेटेड) मोतियाबिंद सर्जरी है। जब मोतियाबिंद आपकी दृष्टि को प्रभावित करना शुरू कर देता है, तो दृष्टि बहाल करने का एकमात्र तरीका आंख के प्राकृतिक लेंस को हटाना और इसे कृत्रिम (आर्टिफिशियल) लेंस से बदलना है। बीते वर्षों में मोतियाबिंद सर्जरी की प्रक्रियाओं में काफी तरक्की देखी गई है, जिसके तहत ज़ेप्टो मोतियाबिंद सर्जरी एक नवीनतम प्रगति है।
हमारी आंखों की संरचना में तीन मुख्य भाग होते हैं, जिसमें सबसे पहला भाग कॉर्निया है। इसके बाद आंख का लेंस आता है, जो कांच की तरह बिल्कुल साफ (क्रिस्टल क्लियर) होता है। आखिर में आंख की तीसरी संरचना यानी रेटिना आता है। रेटिना ऊतक की एक परत है, जिसका काम आंख में आने वाले प्रकाश को बदलना है। यहां से ऑप्टिक तंत्रिका नामक एक तंत्रिका जुड़ी होती है, जो सीधे मस्तिष्क तक जाती है। एक सामान्य और स्वस्थ आंख का लेंस बहुत स्पष्ट होता है, लेकिन मोतियाबिंद से प्रभावित होने पर लेंस धुंधला हो जाता है, जिसके कारण मरीज स्पष्ट रूप से नहीं देख पाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि जब आंख का प्राकृतिक लेंस धुंधला हो जाता है, तो आंख में जाने वाली रोशनी वहीं सीमित हो जाती है और रेटिना तक नहीं पहुंच पाती है।
कुछ साल पहले सुझाव देते थे कि मोतियाबिंद से प्रभावित मरीज को धुंधले लेंस के ज़्यादा परिपक्व होने का इंतजार करना चाहिए, ताकि वह पूरी तरह से सिकुड़ जाए। इसके पीछे डॉक्टरों का मानना था कि पूरी तरह परिपक्व होने के बाद संकुचित लेंस को आसानी से निकाला जा सकता है। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि डॉक्टर संकुचित लेंस की जगह एक कृत्रिम लेंस लगाएं, जिसमें कई टांके लगे हों। समय के साथ यह प्रक्रिया बहुत विकसित हुई है, जिसकी मदद से यह प्रक्रिया बिना किसी टांके के की जाती है।
आमतौर पर जब मोतियाबिंद सर्जरी की बात आती है, तो डॉक्टरों द्वारा व्यापक रूप से चार प्रकार की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे:
फेको सर्जरी को मानक (स्टैंडर्ड) या नियमित (रेगुलर) फेको सर्जरी भी कहते हैं, जो मोतियाबिंद से प्रभावित लेंस को निकालने वाली सबसे आम तकनीकों में से एक है। इस तकनीक में प्राकृतिक लेंस को तरल रूप में तोड़ा जाता है और आंख से निकाला जाता है। इसके बाद कृत्रिम लेंस को लगभग 3.2 मिमी. चीरे की मदद से आंख में रखा जाता है, जिसकी वजह से टांके लगाने की कोई ज़रूरत नहीं होती है।
माइक्रो फेको सर्जरी पूरी तरह से फेको सर्जरी पर आधारित है, जिसमें एकमात्र अंतर चीरा है। फेको सर्जरी में 3.2 मिमी. चीरा लगाया जाता है, जबकि माइक्रो फेको सर्जरी में यह चीरा 2 मिमी. तक सीमित रहता है। माइक्रो फेको सर्जरी तकनीक में इस्तेमाल किया जाने वाला कृत्रिम लेंस ज़्यादा नरम और फोल्डेबल होता है, जिसे 2 मिमी. चीरे की मदद से आसानी से आंख के अंदर रखा जाता है।
इसे ब्लेड रहित मोतियाबिंद सर्जरी या लेजर मोतियाबिंद सर्जरी भी कहते हैं। इस प्रकार की सर्जरी डॉक्टर के कौशल पर निर्भर करती है, क्योंकि ज़्यादा अनुभवी सर्जन इसे ज़्यादा कुशलता से करने में सक्षम होते हैं। इस तकनीक में सर्जरी के दौरान की जाने वाली सभी प्रक्रियाओं को कंप्यूटर से नियंत्रित किया जाता है। इसे ब्लेडलेस सर्जरी भी कहा जाता है, क्योंकि इस सर्जरी में सभी चरणों और प्रक्रियाओं को लेजर की मदद से किया जाता है, इसलिए यह हाथ से की जाने वाली (मैन्युअल) सर्जरी की तुलना में ज़्यादा भरोसेमंद मानी जाती है।
ज़ेप्टो मोतियाबिंद सर्जरी माइक्रो फेको सर्जरी और फेम्टो लेजर-असिस्टेड मोतियाबिंद सर्जरी के बीच की सर्जरी है। इस पूरी सर्जरी की प्रक्रिया में एक मुख्य चरण होता है, जिसे कैप्सुलोटॉमी कहते हैं।
ज़ेप्टो टेक्नोलॉजी ने अपनी स्वचालित कार्यप्रणाली (ऑटोमेटेड फंक्शनिंग) के ज़रिए मोतियाबिंद सर्जरी को पूरी तरह से बदलने का काम किया है। यह एक ऐसी तकनीक है, जो एक इनएक्यूरेट सर्कुलर इंटीरियर कैप्सूलोटॉमी बनाने में मदद करती है। इसका इस्तेमाल सामान्य सर्जिकल अनुक्रम द्वारा किया जाता है। यह तकनीक जटिल आंखों की समस्याओं से निपटने की क्षमता रखती है, जैसे आंखों के ब्रुनेसेंट लेंस ज़ोनुलोपैथी या छोटी पुतली।
ज़ेप्टो कैप्सुलोटॉमी एक डिस्पोजेबल और हैंडहेल्ड डिवाइस है, जो सालों पहले विकसित किया गया था। यह डिवाइस नितिनोल मिश्र धातु से बना है, जिसे कॉर्निया से लगभग 2 मिमी. स्लिट की दूरी पर रखा जा सकता है। यह हर बार एक पूरे और सर्कुलर कैप्सुलोटॉमी लगाने के लिए एक अंतर्निर्मित वैक्यूम और प्रत्यक्ष धारा के तेज या निम्न ऊर्जा पल्स का इस्तेमाल करता है।
मोतियाबिंद के मरीज सर्जरी के लिए ज़ेप्टो लेजर मोतियाबिंद सर्जरी के विकल्प को चुन सकते हैं। ज़ेप्टो सर्जरी निम्नलिखित स्थितियों में सबसे उपयुक्त है:
मोतियाबिंद से निपटने के लिए ज़ेप्टो मोतियाबिंद सर्जरी को सबसे विकसित तकनीकों में से एक माना जाता है। इसमें सर्जन के कौशल और स्वचालित पूर्णता दोनों शामिल हैं। इस सर्जरी के कुछ अन्य फायदे इस प्रकार हैं:
ज़ेप्टो सर्जरी की प्रक्रिया में एक ज़ेप्टो पल्स मोतियाबिंद डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक डिस्पोजेबल और हैंडहेल्ड डिवाइस है। और एक बहुत ही परिष्कृत कम्प्यूटरीकृत कंसोल के नियंत्रण में है। यह हर बार पूरी तरह से सर्कुलर कैप्सुलोटॉमी करने के लिए प्रत्यक्ष धारा की तेज और कम ऊर्जा वाली पल्स का इस्तेमाल करता है। इस डिवाइस में एक वैक्यूम होता है, जो सर्जन को कैप्सुलोटॉमी को बहुत कुशलता से व्यवस्थित करने में मदद करता है और इसकी वजह से बेहतर दृश्य परिणाम मिलते हैं।
सर्जरी से पहले आपकी आंखों को सुन्न करने और आपको आराम देने के लिए एनेस्थीसिया दिया जाता है, जिसके कारण आपको सर्जरी के दौरान बहुत ब्राउज़िंग महसूस हो सकता है।
डॉक्टर की सलाह के मुताबिक आपको कम से कम सात दिनों तक आराम करना चाहिए। इसके अलावा आपको कुछ दिनों के लिए निम्नलिखित गतिविधियों से खुद को दूर रखना चाहिए, जैसे-
मोतियाबिंद सर्जरी का कुल खर्च लेंस के प्रकार और सर्जिकल प्रक्रिया के प्रकार पर निर्भर करता है। हालांकि, इसकी कीमत आमतौर पर 10,000 रुपये से 90,000 रुपये के बीच अलग होती है, जैसे भारतीय लेंस के साथ पारंपरिक मोतियाबिंद सर्जरी की कीमत लगभग 10,000 रुपये से शुरू होती है, लेकिन ज़ेप्टो मोतियाबिंद सर्जरी की कीमत लगभग 20,000 से 30,000 रुपये तक होती है।
लेंस | तकनीक | कीमत | फायदे | |
मोनोफोकल (दूर दृष्टि) | फेको | 10,000 – 20,000 | ||
एमआईसीएस | 30,000 – 50,000 | 1.2 एमएम. चीरा | ||
मल्टीफोकल (दूर और निकट दृष्टि) | एमआईसीएस | 30,000 – 50,000 | एंटी पीसीओ रिंग, ब्लू लाइट फिल्टर | |
ट्राइफोकल (निकट, दूर और कंप्यूटर दृष्टि) | एमआईसीएस | 45,000 – 80,000 | एचडी दृष्टि, एंटी-ग्लेयर, एंटी पीसीओ रिंग, ब्लू लाइट फिल्टर | |
टोरिक (दूरी और सिलिंड्रिकल पावर) | एमआईसीएस | 30,000 – 50,000 | एंटी-ग्लेयर, एंटी पीसीओ रिंग, ब्लू लाइट फिल्टर | |
ज़ेप्टो रोबोटिक मोतियाबिंद सर्जरी के लिए अतिरिक्त शुल्क 20,000 से 30,000 रुपये है। |
आई मंत्रा मोतियाबिंद का उपचार प्रदान करने वाले प्रमुख आंखों के अस्पतालों में से एक है, जहां कुशल और अनुभवी चिकित्सक आपकी आंखों का बेहतर तरीके से निदान करते हैं। आंखों के इलाज के लिए सबसे ज़रूरी है कि आप उपचार और मार्गदर्शन के लिए हमारे मोतियाबिंद सर्जन से परामर्श लें।
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