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दिल्ली में वायु प्रदूषण – Delhi Mein Air Pollution
दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण के इस बढ़ते स्तर के बीच लोगों को आंखों की देखभाल के तरीके अपनाने की जरूरत है। विशेषज्ञों की मानें तो हम जिस हवा में सांस ले रहे हैं, उसमें गैसों और हानिकारक प्रदूषकों की ऊंची मात्रा है। अध्ययनों से साबित हुआ है कि एनसीआर में एक दिन में हवा में सांस लेना लगभग चालीस सिगरेट पीने के बराबर है।
वायु प्रदूषण में हुई इस बढ़ोतरी के कुछ सामान्य कारण हैं, जैसे- खेती के अपशिष्टों को खुले में जलाना, परिवहन वाहनों का धुआँ और ज़हरीले प्रदूषकों को बाहर निकालने वाले औद्योगिक अपशिष्ट। बढ़ते वायु प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए सरकार ने घोषणा की कि प्रदूषण का स्तर आपातकाल की खतरनाक दर तक पहुंच गया है और आने वाले सालों में संभावित स्वास्थ्य खतरे हो सकते हैं।
प्रदूषण का असर शरीर के किसी एक भाग या फंक्शन पर नहीं होता, बल्कि शरीर के हर हिस्से पर यह अपना सामान्य प्रभाव छोड़ता है। खासतौर से बाहर काम करने या खेलने वाले लोगों पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। हालांकि खास तरीके के फेस मास्क कुछ हद तक कार्डियोवैस्कुलर (Cardiovascular) और रेस्पिरेटरी (Respiratory) स्थितियों से सुरक्षा कर सकते हैं, लेकिन आंखें हर वक्त इस जहरीले वातावरण के संपर्क में रहती हैं। आंखों को प्रदूषण से बचाने के लिये आप आंखों की एक्सरसाइज कर सकते हैं।
स्मॉग क्या है? Smog Kya Hai?
स्मॉग हवा की वह घनी परत है, जो वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर जमीन के पास बनती है। महानगरीय शहरों में जहां यातायात ज़्यादा होता है, वहां एक सामान्य घटना होने की वजह से उन क्षेत्रों में ज़्यादा स्मॉग होता है, जो उच्च उत्सर्जन वाले उद्योगों के पास होते हैं।
स्मॉग सूरज की रोशनी, कार के धुएं और निचले वातावरण में औद्योगिक उत्सर्जन से निकलने वाली गैसों के एक-दूसरे के साथ प्रतिक्रिया करने पर बनता है। कुछ लोगों में स्मॉग के प्रभावों को लेकर ज़्यादा संवेदनशीलता होती है, जिनमें कार्डियोवैस्कुलर (Cardiovascular) और पल्मोनरी (Pulmonary) स्थितियों से पीड़ित लोग शामिल हैं।
स्मॉग से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के पहले लक्षण नाक, गले, फेंफड़े और आंखों में जलन हैं। बहुत कम मामलों में सांस लेने (Breathing) और सांस लेने की क्रिया (Respiratory Functioning) भी ख़राब हो सकती है।
ज़्यादा प्रदूषण स्मॉग के रूप में हमारी आंखों को प्रभावित करता है, जिससे एलर्जी और नुकसान होता है। हवा की खराब गुणवत्ता कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और मोटे धूल के कणों जैसी हानिकारक गैसों से भरी हुई होती है, जिसकी वजह से आंखों में लालपन, पानी की शिकायत और आंखों की एलर्जी की शिकायत बढ़ गई है।
वायु प्रदूषण और स्मॉग के ऊंचे स्तर से होने वाली सबसे आम बीमारियां हैं:
- नम आंखें (Watery eyes)
- आंखों में जलन और बेचैनी (Eye Burning and discomfort)
- आंखों में दर्द (Soreness in eyes)
- आंखों में लालपन (Redness in eyes)
- आंखों की सूजन (Swelling of eyes)
- खुजली की अनुभूति (Itching sensation)
- सूखी आंखें (Dry eyes)
- आंखों की एलर्जी (Eye allergy)
सूखी आंखें एक खास तरह का सूखापन, किरकिरा अहसास और आंखों में बाहरी कण होने की खासियत होती है। आंखों की एलर्जी में खुजली, लालपन, डिस्चार्ज, पलकों में सूजन, दृष्टि का धुंधलापन और इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण में आपको अपनी आंखों का ख्याल रखना चाहिए या आंखों के डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेनी चाहिए।
वायु प्रदूषण में आंखों की देखभाल कैसे करें? Air Pollution Mein Aankhon Ki Dekhbhal Kaise Karein?
इंफेक्शन के जोखिम को कम करने के लिये कई उपाय किए जा सकते हैं, जैसे
प्रोटेक्टिव चश्मा पहनें
हानिकारक प्रदूषकों के संपर्क से बचाव एक आदर्श और सबसे अच्छा समाधान हो सकता है। जब ऐसे दिनों में जोखिम का स्तर आपातकाल के स्तर तक पहुंच जाता है, तो एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चेतावनी जारी की जाती है। इसमें खासतौर से लोगों को दिन के शुरुआती घंटों में घर के अंदर रहने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इस दौरान प्रदूषण का स्तर सबसे ज़्यादा होता है। अगर आपको बाहर जाना है और आपके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है, तो बाहर जाते वक्त प्रोटेक्टिव चश्मा ज़रूर पहनें। इससे प्रदूषण पैदा करने वाले एजेंटों के संपर्क में कमी आएगी।
अपनी आंखों को न रगड़ें
हाथों को बार-बार धोएं और आंखों को छूने से बचें। कोशिश करें कि अपनी आंखों को बिल्कुल भी न रगड़ें। आंखों को रगड़ना उस वक्त भले ही आरामदेह लगेगा, लेकिन इससे आपकी आंखों को काफी नुकसान हो सकता है। अगर आपको आंखों में जलन महसूस होती है, तो उन्हें ठंडे और साफ पानी से धोएं।
हाइड्रेटेड रहें
हाइड्रेटेड रहना हमेशा ज़रूरी होता है। यह अपर्याप्त आंसू के गठन में सहायता करता है। यह सबसे ज़्यादा तब ज़रूरी है, जब बाहरी कण सूखी आंखों और आंखों में जलन की संभावना को उत्तेजित करते हैं। ऐसे में रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीने की सलाह दी जाती है।
हेल्दी खाना खाएं
हेल्दी डाइट ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर होती है। एक स्वस्थ आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, पालक, बादाम, अखरोट, जामुन और मछली शामिल करना ज़रूरी होता है, क्योंकि इन सभी में ओमेगा 3 की मात्रा ज़्यादा होती है, जो हमारी आंखों के लिये बेहद अच्छा होता है।
आईड्रॉप्स का उपयोग करें
अगर आपको जलन महसूस होती है, तो आपको अपनी आंखों में लुब्रिकेटिंद आई ड्रॉप डालना बहुत जरूरी है। ये आई ड्रॉप आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन किसी भी तरह के आई ड्रॉप के इस्तेमाल से पहले अपनी आंखों की जांच ज़रूर करवाएं। सिर्फ डॉक्टर द्वारा बताई गई आई ड्रॉप का ही इस्तेमाल करें और एक्सपाइरी डेट की जांच करना न भूलें, क्योंकि एक्सपाइरी डेट्स वाले प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से आपकी आंखों को काफी नुकसान हो सकता है।
स्क्रीन टाइम कम करें
मोबाइल फोन और लैपटॉप सहित दूसरे स्क्रीन वाले उपकरणों के इस्तेमाल से दूरी बनाने की कोशिश करें। आंखों की थकान, सूखी आंखें और कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से बचने के लिये पूरा आराम करना ज़रूरी है।
आंखों के डॉक्टर से मिलें
अगर आपकी आंखों जलन बनी रहती है, तो मूल्यांकन के लिये तुरंत किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ (Ophthalmologist) से संपर्क करें। वह आपकी स्थिति के लिये उपयुक्त और ठीक उपचार की सलाह दे सकते हैं।
वायु प्रदूषण से बचाव के लिये उपाय – Air Pollution Se Bachav Ke Liye Upay
वायु प्रदूषण से अपने आपको बचाने के लिए आप निम्नलिखित बातों का ध्यान रख सकते हैं, जैसे-
- कॉन्टैक्ट लेंस से बचें (Avoid Contact Lenses)
अगर आपकी आखों में लालपन या कोई और दूसरी परेशानी है, तो तब तक कॉन्टैक्ट लेंस के इस्तेमाल से बचने की कोशिश करें, जब तक आपका आई केयर प्रोफेशनल इन्हें इस्तेमाल करने की इजाज़त नहीं देता। अगर पर्टिकुलेट मैटर बहुत ज़्यादा हैं, तो आपके कॉन्टैक्ट लेंस के ऊपर प्रोटेक्टिव चश्मा काफी लंबे वक्त तक चलेगा। कॉन्टैक्ट लेंस पहनते वक्त किसी भी तरह की असुविधा लगने पर ज़रूरी है कि उपाय के रूप में आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करके उन्हें उतार दें। अपनी आंखों में लुब्रिकेट आई ड्रॉप डालें और बिना देर किये अपने ऑप्थलमोलॉजिस्ट से संपर्क करें। दोबारा पहनने से पहले उन्हें पर्याप्त रूप से साफ करें और उन पर कोई खरोंच न लगने दें।
- आंखों के मेकअप से बचें (Avoid Eye Makeup)
अगर आपको आंखों का मेकअप करते वक्त असहजता महसूस होती है, तो इसके इस्तेमाल से बचें। मस्कारा और काजल अक्सर आंखों की एलर्जी को आक्रामक रूप से उत्तेजित करते हैं और इससे इंफेक्शन भी हो सकता है। एक सही हाइपोएलर्जेनिक ब्रांड चुनने से मेकअप उत्पाद में इस्तेमाल किए जाने वाले केमिकल्स से आपकी आंखों को किसी तरह से नुकसान नहीं होता। ऐसे में सोने से पहले एक खास आई मेकअप रिमूवर के इस्तेमाल से सभी मेकअप हटाना ज़रूर याद रखें, इससे केमिकल्स के साइडइफैक्ट्स को कम किया जा सकता है।
- प्रदूषण के संपर्क में आने से बचें (Avoid Exposure To Pollution)
आखिर में हमारी भलाई आंखों की अच्छी देखभाल के लिये और स्मॉग के मौसम में एहतियाती उपाय के तौर पर जितना हो सके प्रदूषण के संपर्क में आने से बचें। इसके साथ ही एयर क्वालिटी इंडेक्स का ध्यान और अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों में जाने से बचना काफी जरूरी है। बढ़ते प्रदूषण के दौरान अपने घरों के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें और उन दिनों में घर के अंदर रहने की कोशिश करें। आंखों की एलर्जी या इंफेक्शन के मामले में बिना देर किये किसी नेत्र विशेषज्ञ के पास जाना और नियमित रूप से आंखों की पूरी जांच करवाना बहुत जरूरी है।
निष्कर्ष – Nishkarsh
अगर आपको सूखी आंखों को रोकथाम, दवाओं या सर्जरी की ज़रूरत है, तो दिल्ली के सबसे बेहतर आंखों के हॉस्पिटल में जाएं, जहां आपका नेत्र चिकित्सक आंख की अच्छी तरह से जांच के बाद सही परामर्श देगा। अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट eyemantra.in पर जाएं।
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