ओकुलोप्लास्टिक और ऑर्बिटल सर्जरी: ज़रूरत और प्रक्रिया – Oculoplastic Aur Orbital Surgery: Zarurat Aur Prakriya

Oculoplastic and Orbital Surgery: A Detailed Study

ओकुलोप्लास्टिक और ऑर्बिटल सर्जरी क्या है? Oculoplastic Aur Orbital Surgery Kya Hai?

ओकुलोप्लास्टिक और ऑर्बिटल सर्जरी एक प्रकार की प्लास्टिक सर्जरी है, जिसकी मदद से दृष्टि समस्या पैदा करने वाली रुकावटों को दूर किया जाता है। इस प्लास्टिक सर्जरी ट्रीटमेंट को कॉस्मेटिक सर्जरी ट्रीटमेंट भी कहते हैं, जिसे आंख के नज़दीक यानी पलकों और नेत्रगोलक के पास मौजूद संरचनाओं के करीब किया जाता है। नेत्रगोलक एक छोटी संरचना है, जो पलकों और नेत्रगोलक को होल्ड करने वाले एक सॉकेट के ज़रिए सुरक्षित होती है। यह सर्जरी सिर्फ उन्हीं नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा की जा सकती है, जिन्हें ओकुलोप्लास्टिक सर्जिकल प्रक्रियाओं में विशेषज्ञता हासिल है, इसलिए इन डॉक्टरों को ओकुलोप्लास्टिक सर्जन भी कहते हैं।

ओकुलोप्लास्टिक और ऑर्बिटल सर्जरी जैसी बहुत ही नाजुक सर्जरी को करने के लिए ज़्यादा स्किल की ज़रूरत होती है और एक ओकुलोप्लास्टिक सर्जन को आंख और उसके आसपास से संबंधित बेहतरीन जानकारी होती है। आंखों के सर्जन हमेशा सबसे नाजुक संरचनाओं को संभालने के लिए तैयार रहते हैं। इस कॉम्बिनेशन की वजह से ओकुलोप्लास्टिक सर्जन को आंख के आसपास प्लास्टिक सर्जरी करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

सर्जरी की ज़रूरत – Surgery Ki Zarurat

बढ़ती उम्र के साथ हमारी पलकें ढीली होने लगती हैं और चर्बी जमा होने से पलकें लटक जाती हैं। यह सर्जरी एक प्रकार की कॉस्मेटिक सर्जरी है, जो फालतू चर्बी और उभरी हुई स्किन को हटाकर आंखों को यूथफुल लुक देने में मदद करती है। इसके अलावा यह सर्जरी आंखों के साथ चेहरे की संरचना को बनाए रखने का काम भी करती है। आमतौर पर आंखों में अचानक दर्द, पलक का गिरना या आंख की निचली मांसपेशियों में खिंचाव जैसे लक्षण थकान भरे दिन के बाद दिखाई देते हैं।

अन्य शर्तें – Other Conditions

1) प्टॉयसिस: इसमें अपर लिड का झुकाव नीचे की तरफ होता है। यह समस्या जन्म से मौजूद हो सकती है या जीवन में बाद में विकसित हो सकती है। आमतौर पर प्टॉयसिस को सर्जरी से ठीक किया जाता है। इस अवस्था में आंख छोटी लगती है और आंख खोलने में दिक्कत होती है, जो दृश्य समस्याओं और नींद की मौजूदगी का कारण बनता है। इस स्थिति में मरीज़ की आंखें नींद की स्थिति जैसी दिखाई देती हैं। ऐसा जन्म के दौरान, आंखों से संबंधित किसी समस्या, चोट या किसी न्यूरोलॉजिकल समस्या के कारण भी हो सकता है, जिसमें ओकुलोप्लास्टिक सर्जरी करने का मकसद पलक को ऊपर उठाकर सामान्य दृष्टि बहाल करना है।

2) एन्ट्रोपियन: इस स्थिति में निचली पलक अंदर की तरफ मुड़ जाने से पलकों में खुजली और नेत्रगोलक में दर्द होता है। साथ ही आंखें लगातार गीली हो जाती हैं, जो परेशानी का कारण बनती है। स्किन टैप, बोटॉक्स या सॉफ्ट कॉन्टैक्ट लेंस के इस्तेमाल रगड़ को रोककर इस स्थिति के उपचार में मदद करते हैं।

3) एक्ट्रोपियनः एक्ट्रोपियन पलक के मार्जिन से बाहर की तरफ मुड़ जाने से लालपन के साथ पानी आता है। इस अवस्था में पलकों के हवा के संपर्क में आने से आंखों में लगातार जलन बनी रहती है, जिसका इलाज लुब्रिकेटिंग आईड्रॉप या मलहम के इस्तेमाल से किया जा सकता है। इसके अलावा किसी भी आंखों के इंफेक्शन के मामले में एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल को प्राथमिकता दी जाती है।

ऑर्बिटल उपचार – Orbital Upchar

ऑर्बिटल उपचार निम्नलिखित हैंः

  • इसका इस्तेमाल आंख में फ्रैक्चर यानी ऑर्बिटल फ्रैक्चर के लिए किया जाता है, जैसे आंख के अंदर चोट लगने से एम्ब्लियोपिया, धुंधली दृष्टि और दोहरी दृष्टि होने की संभावना जैसी आंखों की समस्या के लिए किया जाता है। यह ओकुलोप्लास्टिक और ऑर्बिटल सर्जरी इन समस्याओं से पीड़ित मरीज़ को ठीक होने में मदद करती है, जो एक आसान प्रक्रिया है।
  • आंख में ट्यूमर की मौजूदगी यानी एक उभरी हुई आंख की स्थिति आंख के ट्यूमर की वजह से होती है, जिससे मरीज़ को हो सकने वाले ज़्यादा नुकसान से बचाने के लिए हटाने की ज़रूरत होती है।
  •  यह प्रक्रिया आंख को हटाने के बाद किसी समस्या या किसी तरह के इंफेक्शन की वजह से होती है, जिसके ज़रिए एक आर्टिफिशियल आंख लगाई जा सकती है। इस प्रक्रिया को नेत्र विज्ञान कहते हैं, जो आर्टिफिशियल आंख बनाने की कला और विज्ञान है। आर्टिफिशयल आंख के लिए मरीज़ की आंख का माप लेकर एक रंग मिलान किया जाता है। इस तरह आर्टिफिशियल ऑर्गन अच्छे से फिट बैठता है और इस बहुत आरामदायक प्रक्रिया से यह आर्टिफिशयल आंख मरीज़ की अपनी आंख की तरह दिखता है।

सर्जरी की प्रक्रिया – Surgery Ki Prakriya

हमारे द्वारा की जाने वाली सबसे आम प्रक्रियाओं में शामिल हैं:

  • ब्लेफेरोप्लास्टी और पलक प्टायसिस सर्जरी
  • ऑर्बिटल फ्रैक्चर इवैल्यूएशन एंड रिपेयर
  • ऑर्बिटल ट्यूमर सर्जरी
  • टियरिंग डिसऑर्डर

ब्लेफेरोप्लास्टी

आमतौर पर ब्लेफेरोप्लास्टी को लिड लिफ्ट प्रोसीजर कहा जाता है, जिसमें पलकों की फालतू स्किन और भौहों का ख्याल रखा जाता है। यह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया के एक हिस्से के रूप में होते हैं, लेकिन कम उम्र में पलकें झपकना शुरू हो सकती हैं। यह आपके चेहरे की विशेषता को प्रभावित करने के साथ ही आपकी दृष्टि में भी गड़बड़ी का कारण बनती है। ऐसे में इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य ओकुलोप्लास्टिक सर्जरी के ज़रिए फालतू पलकें और उभरी हुई चर्बी को हटाना है। इसके अलावा यह सर्जरी बैगी इफेक्ट को कम करने का काम भी करती है।

ऑर्बिटल फ्रैक्चर इवैल्यूएशन एंड रिपेयर

यह सर्जरी करने से पहले सर्जन एक्स-रे और सीटी स्कैन की मदद से आंख के अंदर फ्रैक्चर की गंभीरता का मूल्यांकन करते हैं। आमतौर पर आंख के आसपास बड़ी सूजन नहीं होने पर सर्जरी की ज़रूरत नहीं होती है। उस पर कुछ आइस पैक लगाकर सूजन को कम किया जा सकता है। साथ ही एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल की सलाह भी दी जाती है, लेकिन गंभीरता बढ़ने से होने वाली दोहरी दृष्टि, धुंधली दृष्टि और नेत्रगोलक की समस्याओं जैसी अन्य समस्याओं को रोकने के लिए ऑर्बिटल सर्जरी की जाती है, जिसके बाद इसे ठीक होने में लगभग तीन हफ्ते लगते हैं। 

ऑर्बिटल ट्यूमर सर्जरी

ऑर्बिटल ट्यूमर सर्जरी की अवस्था में आंख में मौजूद ट्यूमर को सर्जरी की मदद से हटाया जाता है। कभी-कभी बड़ी समस्याओं की वजह से अन्य जटिलताओं से बचने के लिए नेत्रगोलक को ही हटा दिया जाता है, जिसके बाद प्रोस्थेटिक्स की मदद से एक आर्टिफिशियल आंख को खाली सॉकेट में रखकर ऑर्बिटल्स को भी इससे आर्टिफिशियल आंख से जोड़ दिया जाता है, जिसके बाद मरीज़ को सर्जरी से ठीक होने में कुछ समय लगता है।

टियरिंग डिसऑर्डर

आमतौर पर आंख का पीएच स्तर बनाए रखने के लिए आंख नम होनी चाहिए। टियर ग्लैंड्स या लैक्रिमल ग्लैंड्स आंखों के रखरखाव में मदद करती हैं और आंखें झपकने पर आंखों के साथ आंसू पलक की मदद से फैलते हैं। टियर ड्रेनेज सिस्टम अतिरिक्त आंसू को हटाने में मदद करती है और यह आंख की नमी को बनाए रखती है। आंसुओं में रूखापन या किसी रुकावट की मौजूदगी की वजह से आंखों में ज़्यादा सूखापन आ जाता है। जब लैक्रिमल ग्लैंड्स द्वारा आंसू के प्रोडक्शन में कमी आती है, तो यह गंभीर दर्द के साथ-साथ आंखों में जलन, लालपन और आंखों के सूखने का कारण बनता है।

टियरिंग का एक अन्य कारण आंख से आंसुओं के बहने में रुकावट है। लैक्रिमल ग्लैंड्स के ठीक से काम करने के मामले में अगर टियर ड्रेनेज सिस्टम काम नहीं कर रहा है, तो आंसू वापस आ जाएंगे और इससे आंसू गाल के नीचे लुढ़क जाएंगे। आंसुओं के लिए एक नया जल निकासी रास्ता बनाने के लिए या तो मौजूदा टियर ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने या सिस्टम को पूरी तरह से बायपास करने की ज़रूरत होती है।

सर्जरी के बाद प्रभाव – Surgery Ke Baad Prabhav

सर्जरी के बाद पूरे ऑर्बिटल बेस को अपनी गतिविधि की मूल गति फिर से प्राप्त करने में लगभग 24 दिन लगते हैं। ऐसे में मरीज़ को आंखों को तेज धूप में एक्सपोज़ करने की इजाज़त नहीं है और सर्जरी पूरी होने के बाद दो से तीन दिनों तक घर के अंदर रहना चाहिए। ऐसे मरीजों को धूप का चश्मा पहनना जरूरी है। सर्जरी के बाद दिखाई देने वाले निशानों का उपचार सबसे ज़रूरी है, क्योंकि कुछ मामलों में ठीक होने में लगभग 6 महीने से ज़्यादा समय लगता है। ओकुलोप्लास्टिक सर्जरी में मरीज़ 10 से 15 दिनों के बाद ही घर से बाहर निकल सकते हैं और गतिविधियों को कम करने से जल्द रिकवरी की जा सकती है। ओकुलोप्लास्टिक और ऑर्बिटल सर्जरी बिल्कुल भी दर्दनाक नहीं है, लेकिन कभी-कभी कुछ मामलों में होने आंख में सूजन समय के साथ अपने आप ठीक हो जाती है।

निष्कर्ष – Nishkarsh

अपनी आंखों का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने आंखों के डॉक्टर के पास जाएं और नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच करवाएं। वह आपकी आंखों की बीमारी का सर्वोत्तम तरीके से आंकलम करने में सक्षम हैं। इससे संबंधित अधिक ज़्यादा जानकारी के लिए आप आई मंत्रा की वेबसाइट eyemantra.in पर जा सकते हैं। 

आई मंत्रा हॉस्पिटल में अपनी अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए +91-9711115191 पर कॉल करें या हमें [email protected] पर मेल करें। हमारी अन्य सेवाओं में रेटिना सर्जरीचश्मा हटानालेसिक सर्जरीभेंगापनमोतियाबिंद सर्जरी और ग्लूकोमा सर्जरी आदि सेवाएं भी शामिल हैं। 

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