आंखों की बीमारी (Eye Diseases)

आंखों से पानी निकलना (आई डिस्चार्ज): समस्या और उपचार – Eye Discharge: Samasya Aur Upchar

आंखों से पानी निकलना (आई डिस्चार्ज) क्या है? Aankhon Se Pani Nikalna (Eye Discharge) Kya Hai?

आमतौर पर नींद से उठने के बाद हमें अपनी आंखों के कोने पर एक चिपचिपा, अर्ध-ठोस और म्यूकॉइड पदार्थ महसूस होता है, जिसे आंखों से पानी निकलना या आई डिस्चार्ज (Eye Discharge) कहते हैं। आंखों से होने वाले डिस्चार्ज की स्थिरता तरल के वाष्पीकरण की दर के आधार पर पानी, म्यूकॉइड या सूखे पाउडर से अलग हो सकती है।

आंखों के डिस्चार्ज में मवाद, तेल, त्वचा की कोशिकाएं और कुछ दूसरा पदार्थ सोते वक्त हमारी आंखों के कोने में जमा हो जाता है। आंखों से निकलने वाले इस पानी को रयूम या स्लीप के नाम से भी जाना जाता है। आंखों का डिस्चार्ज हमारी आंखों की सामने की सतह और टियर फिल्म से अपशिष्ट, गंदगी और हानिकारक पदार्थ को हटाने में अहम भूमिका निभाता है। कंजक्टिव म्यूसीन नाम के पानीदार म्यूकॉइड पदार्थ का उत्पादन करता है और मेइबोमियन ग्रंथियां एक तैलीय पदार्थ को स्रावित करती हैं। म्यूकिन गंदगी को धोने और तैलीय पदार्थ चिकनाई में मदद करता है। आंखों की सुरक्षा के अलावा यह डिस्चार्ज हमारी आंखों को हाइड्रेट भी रखता है। आंखों की जांच के लिए किसी ऑप्थामोलॉजिस्ट से सलाह लें।

आंखों से पानी निकलने के कारण – Eye Discharge Ke Karan

हमारी पलक झपकने की औसत आवृत्ति हर एक मिनट में 15 से 20 बार होती है। पलकें झपकाने से मवाद और गंदगी वाला स्राव लगातार धुल जाता है, जो आंख का सुरक्षात्मक तंत्र है। सोते वक्त हमारी पलकें नहीं झपकती, जिसकी वजह से आंखों के कोने पर म्यूकॉइड या पानी जैसा स्राव जमा हो जाता है। जब हम जागते हैं तो कुछ मात्रा में आंखों का स्राव या रयूम सामान्य होता है, लेकिन अगर आपकी आंखों में लालपन, सूजन, दर्द और प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता के साथ काफी गाढ़ा, अपारदर्शी, हरा या पीला पीपयुक्त डिस्चार्ज हो रहा है, तो यह आंखों में इंफेक्शन का संकेत हो सकता है। 

आंखों से पानी निकलने से होने वाली समस्याएं –  Eye Discharge Se Hone Wali Samasyaein

असामान्य आंखों का डिस्चार्ज मुख्य रूप से इंफेक्शन या एलर्जी की वजह से होता है। आंख की बाहरी चोट भी हद से ज़्यादा आंखों के डिस्चार्ज का कारण बन सकती है। इसके अलावा एलर्जिक आई डिस्चार्ज के कारण हैं- 

गुलाबी आंख या कंजक्टिवाइटिस

कंजक्टिवाइटिस की स्थिति में हमारी आंख की एक थींक मेम्ब्रेंस, जिसे कंजक्टिवा कहा जाता है, में सूजन आ जाती है। सूजन की वजह से ब्लड वेसल्स में सूजन आ जाती है, जिसके कारण आंख गुलाबी दिखाई देती है। कंजक्टिवा एक पतली मेंबरेन है, जो पलकों की अंदरूनी परत बनाती है। कंजक्टिवाइटिस एक वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होता है। इसके अलावा वायु प्रदूषकों, हानिकारक धुएं, पराग या स्विमिंग पूल के क्लोरीनयुक्त पानी के कारण एलर्जिक रिएक्शन से भी कंजक्टिवाइटिस सकता है। इन्फेक्शियस कंजक्टिवाइटिस काफी संक्रामक है। 

  • बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस स्ट्रेप्टोकोकल या स्टेफिलोकोकल मेनिफेस्टेशन, खराब स्वच्छता, गंदे आंख के मेकअप, गंदे कॉन्टैक्ट लेंस के इस्तेमाल और गंदे हाथों से आंखों को छूने जैसे कारणों से हो सकता है।
  • वायरल कंजक्टिवाइटिस खासतौर से सामान्य सर्दी के लिए जिम्मेदार संक्रामक वायरस की वजह से होता है। ज़्यादातर वायरल कंजक्टिवाइटिस किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से हमारी आंखों के वायरल बूंदों के संपर्क में आने से होता है।
  • ओफ्थाल्मिया नियोनेटरम नवजात शिशुओं में होने वाला एक गंभीर बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस है। बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस का यह गंभीर रूप तब होता है, जब जन्म देने वाली नलिका यानी बर्थ कैनाल से गुजरने के दौरान शिशु क्लैमाइडिया या गोनोरिया के संपर्क में आता है। इस इंफेक्शन से बचने के लिए एंटीबायोटिक ऑइंटमेंट लगाने जैसे रोगनिरोधी उपायों का अभ्यास किया जाता है।

आंखों की सूजन या ब्लेफेराइटिस

ब्लेफेराइटिस आंखों की सूजन का एक रूप है, जिसमें पलकें शामिल होती हैं। बैक्टीरिया के इंफेक्शन, सिर की रूसी या आंख की तेल पैदा करने वाली ग्रंथियों के असामान्य कामकाज की वजह से पलकों में सूजन आ जाती है। ब्लेफेराइटिस के कई प्रकार हो सकते हैं, जैसे- 

  • इंटीरियर ब्लेफराइटिस में पलक के बाहरी सामने का किनारा शामिल होता है। यह ज्यादातर स्टेफिलोकोकल मूल के बैक्टीरिया (स्टैफिलोकोकल ब्लेफेराइटिस) और स्कैल्प डैंड्रफ के कारण होता है, जिसे सेबोरहाइक ब्लेफेराइटिस के नाम से भी जाना जाता है।
  • पोस्टीरियर ब्लेफेराइटिस में पलक की अंदरूनी परत शामिल होती है। यह ज्यादातर तेल उत्पादन के लिए जिम्मेदार ग्रंथियों के रुकावट के कारण होता है, जिसे मेइबोमियन ब्लेफेराइटिस के नाम स भी जाना जाता है।

कॉर्नियल अल्सर

कॉर्नियल अल्सर को केराटाइटिस भी कहा जाता है। यह बैक्टीरिया, वायरल या फंगल इंफेक्शन के कारण होने वाली कॉर्निया की सूजन है, जो यह आंख में चोट लगने की वजह से भी हो सकता है। केराटाइटिस के लक्षण हैं-

  • गंभीर दर्द
  • लालपन
  • सूजन
  • फोटोफोबिया
  • असहजता
  • आंखों से अत्यधिक पानी निकलना
  • आंखों में जलन के कारण आंसू बहना

केराटाइटिस के कारण हैं-

बैक्टीरियल केराटाइटिस स्टैफिलोकोकस ऑरियस या स्यूडोमोनस एरुगिनोसा के इंफेक्शन की वजह से होता है। यह ज्यादातर उचित स्वच्छता नहीं बनाए रखने से और लंबे वक्त तक कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वाले व्यक्तियों में देखा जाता है।

  • वायरल केराटाइटिस हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (एचएसवी) के कारण होता है। वायरल केराटाइटिस तनाव, एक कमज़ोर इम्यून सिस्टम या सूरज की हानिकारक किरणों के अत्यधिक संपर्क से शुरू हो सकता है। इसके साथ ही वैरीसेला वायरस भी वायरल केराटाइटिस की वजह बन सकता है।
  • फंगल केराटाइटिस अलग-अलग फंगल प्रजातियों की वजह से सकता है, जिनमें फ्यूजेरियम, एस्परगिलस या कैंडिडा शामिल हैं। फंगल केराटाइटिस अनुचित कॉन्टैक्ट लेंस देखभाल या स्टेरॉयड आई ड्रॉप का इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों में भी देखा जाता है।
  • चोट लगी कॉर्नियल अल्सर (केराटाइटिस) घर्षण, जलन, केमिकल एक्सपोज़र, कटौती, स्क्रैप या खरोंच की वजह से हो सकता है। कॉर्निया की ये आंख की चोटें केराटाइटिस पैदा करने वाले बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकती हैं।

ब्लॉक टियर डक्ट/डार्सियोसिस्टाइटिस

डार्सियोसिस्टाइटिस, आंसू वाहिनी या टियर डक्ट में रुकावट से होने वाली एक दर्दनाक आंख की समस्या है। यह रुकावट आंशिक या पूर्ण हो सकती है। आंसू पैदा करने के लिए हमारी लैक्रिमल ग्रंथियां जिम्मेदार होती हैं। आंसू आंख को नुकसान पहुचाने वाली गंदगी और बाहरी कणों को धो देते हैं। आंसू पलकों के कोने में छोटे छेदों से यात्रा करते हैं, जिन्हें कैनालिकुली कैनास के माध्यम से पलकों के कोने में रखा जाता है और फिर अंत में नासोलैक्रिमल डक्ट में बह जाता है।

आंसू जल निकासी के रास्ते में रुकावट की वजह से द्रव जमा हो जाता है, जिससे दर्द और सूजन के साथ आंखों से अत्यधिक पानी निकलता है। ब्लॉक टियर डक्ट के संभावित कारणों में नैसल पोलिप्स, संबंधित संरचनाओं को चोट, साइनसाइटिस, जन्मजात कारक, नाक की सर्जरी या कैंसर का विकास शामिल है। 

एंडोफथलमाइटिस

एंडोफथलमाइटिस आंखों के इंफेक्शन का एक रूप है, जिसमें नेत्रगोलक के अंदर तरल पदार्थ और ऊतक शामिल होते हैं। एंडोफथलमाइटिस एक ऐसी आपातकालीन स्थिति है, जिसके लिए तत्काल मेडिकल अटेंशन की ज़रूरत होती है। यह स्थिति मोतियाबिंद सर्जरी के बाद होने वाली दिक्कतों के कारण हो सकती है। 

एंडोफथलमाइटिस के लक्षण हैं- 

  • आंखों से पीपयुक्त पानी निकलना
  • दृष्टि की हानि- पूर्ण या आंशिक
  • आंखों में अत्यधिक दर्द
  • फोटोफोबिक
  • आंखों में लालपन और दर्द

यूवाइटिस

यूविया स्क्लेरा (आंख का सफेद भाग) के नीचे स्थित एक ऊतक परत होती है। यूवाइटिस में यूविया की सूजन शामिल है। यूवाइटिस का कारण आंखों की चोट, बैक्टीरिया, फंगल या वायरल इंफेक्शन या कॉम्प्रोमाइज्ड इम्यून सिस्टम हो सकते हैं।

यूवाइटिस के लक्षण हैं-

  • धुंधली दृष्टि
  • फोटोफोबिया
  • आंखों में लालपन या सूजन
  • आंखों से पीपयुक्त पानी निकलना

आई स्टाई

आई स्टाई यानी पलक पर गांठ एक ग्रंथि से जुड़ा इंफेक्शन है, जिसमें पलक पर स्थित मेइबोमियन ग्रंथि शामिल होती है। बरौनी कूप में एक माइक्रोबियल मेनिफेस्टेशन की वजह से ग्लेंड में इंफेक्शन हो जाता है।

चिकित्सकीय रूप से होर्डियोलम के रूप में जाने जाने वाले लक्षण हैं-

  • सूजी हुई पलकें
  • आंखों से पीपयुक्त पानी निकलना
  • आंखों की सोअरिंग और टेंडरनेस
  • लालपन
  • पलकों पर क्रस्टिंग
  • पलक झपकते समय बेचैनी

आंखों से पानी निकलने का उपचार – Eye Discharge Ka Upchar

आंखों के डिस्चार्ज का उपचार इसके कारण पर निर्भर करता है। आमतौर पर बैक्टीरियल इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक आई ऑइंटमेंट और आई ड्रॉप से उपचार की ज़रूरत होती है, जबकि आंखों से पानी निकलने वाली कुछ आंखों की स्थितियों के लिए किसी भी उपचार की ज़रूरत नहीं होती और इसे घरेलू उपचार से इसे ठीक किया जा सकता है। अगर आपको आखों से असामान्य पानी निकलने का अहसास होता है, तो नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाना सबसे अच्छा विकल्प है।

आंखों से पानी निकलने या आई डिस्चार्ज के कुछ सामान्य और घरेलू उपचार हैं, जैसे

  • लक्षणों को राहत देने के लिए ठंडा सेक या गर्म सेक
  • सूजन कम करने के लिए स्टेरॉयड आईड्रॉप
  • आंखों को हाइड्रेट रखने के लिए रेगुलर आईड्रॉप्स
  • माइक्रोबियल इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल

आंखों से पानी निकलने को कैसे रोकें? Eye Discharge Ko Kaise Rokein?

असामान्य आंखों से डिस्चार्ज मुख्य तौर से इंफेक्शन या चोट की वजह से होता है। आंखों के किसी भी विकार को रोकने के लिए अच्छी स्वच्छता बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। स्वच्छता के कुछ बेसिक टिप्स हैं, जैसे-

  • आंखों को छूने से पहले हाथ धोएं।
  • सूखी आंखों के लिए आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें।
  • इस्तेमाल के बाद हर बार अपना कॉन्टैक्ट लेंस सॉल्यूशन बदलें।
  • कॉन्टैक्ट लेंस पहनकर न सोएं या न नहाएं।
  • आंखें धोकर साफ करें और एक नम कपड़े से आंखों से निकलने वाले पानी को हटा दें।
  • नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं।
  • किसी भी औषधीय आई ड्रॉप को खुद निर्धारित न करें।

निष्कर्ष – Nishkarsh

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