Contents
झुकी हुई पलकें एक चिकित्सा विकार है, जिसे प्टॉयसिस भी कहते हैं। कई कारणों से होने वाला प्टॉयसिस आमतौर पर वयस्कों में देखा जाता है, जो अस्थायी या स्थायी हो सकता है। बच्चों में जन्म से ही मौजूद इस दोष को जन्मजात (कॉन्जेनिटल) प्टॉयसिस कहते हैं, जबकि किसी व्यक्ति में जीवन के बाद वाले वर्षों में इस दोष के विकसित होने को अधिग्रहीत (एक्वायर्ड) या प्टॉयसिस कहा जाता है।
इनके अलावा प्टॉयसिस के अन्य प्रकारों को एकतरफा (यूनिलैटरल) प्टॉयसिस और दोतरफा (बाइलैटरल) प्टॉयसिस के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यूनिलैटरल प्टॉयसिस में किसी व्यक्ति की सिर्फ एक आंख प्रभावित होती है, जबकि दोनों आंखें प्रभावित होने को बाइलैटरल प्टॉयसिस कहते हैं। इस स्थिति में ऊपरी पलकें पीड़ित व्यक्ति की दृष्टि को ब्लॉक और कम कर देती हैं। यह रुकावट पलक द्वारा पुतली पर कवर किए गए क्षेत्र की मात्रा पर निर्भर करती है। आमतौर पर यह चिकित्सा स्थिति कुछ मरीज़ों में अपने आप ठीक हो जाती है, जबकि कुछ में मेडिकल इंटरवेंशन की ज़रूरत होती है।
बच्चों में यह स्थिति जन्मजात या अधिग्रहीत प्टॉयसिस के रूप में हो सकती है। जन्मजात प्टॉयसिस में बच्चे का जन्म पलक में मौजूद लेवेटर मसल में दोष के साथ होता है और उसकी आंखें झुकी होती हैं। प्टॉयसिस वाले बच्चों में ऊपरी पलकें समान रूप से क्रम में नहीं होती हैं, जिसके कारण बेहतर दृष्टि के लिए उन्हें अपने सिर को पीछे खींचने, ठोड़ी और पलक को ऊपर उठाने के लिए अपनी भौं को ऊपर उठाने की ज़रूरत होती है।
इस अस्थायी समाधान से बच्चों की गर्दन में दर्द होता है। इस वजह से यह स्थिति ज्यादा खराब हो सकती है, जिससे उनमें एम्ब्लियोपिया की समस्या हो सकती है। झुकी हुई आंखों वाले बच्चों की आंखें गलत संरेखित होती हैं और उन्हें दृष्टिवैषम्य हो सकता है। इसके अलावा उनमें आंखों से संबंधित बीमारी, ट्यूमर और आंखों की गति से जुड़ी समस्याओं की संभवना होती है। ऐसे में प्टॉयसिस वाले बच्चों को बेहतर दृष्टि के लिए नियमित रूप से नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।
झुकी हुई पलकों के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
शरीर में मौजूद अन्य चिकित्सा स्थिति बीमारी से पीड़ित वयस्कों और बच्चों दोनों के लिए संभावित जोखिम कारक हो सकती हैं। दोनों पलकों का प्टॉयसिस से प्रभावित होना कुछ गंभीर चिकित्सा स्थिति के कारण हो सकता है। ज्यादातर मामलों में सिर्फ एक पलक का प्रभावित होना अस्थायी दोष के तौर पर पाया जाता है, जो कुछ समय बाद सामान्य हो जाता है।
यह आंख में कुछ नसों की चोट या शायद आंखों में की गई सर्जरी के साइड इफेक्ट का नतीजा भी हो सकता है। लोगों में बीमारी का प्रमुख कारण न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, क्योंकि पलक को पकड़ने के लिए जिम्मेदार नस प्रभावित होती है। मायस्थेनिया ग्रेविस एक ऐसा न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो लोगों में प्टॉयसिस का कारण बनता है। कुछ मरीज़ों की पलकें झुकी हुई होती हैं जो स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर, नसों और मांसपेशियों के कैंसर सहित गंभीर चिकित्सा स्थिति के कारण होती हैं।
एक नेत्र रोग विशेषज्ञ आंखों के पूरा परीक्षण करेंगे और उपचार विधि प्रिस्क्राइब करने से पहले आंखों की ठीक से जांच करेंगे। यह एक शारीरिक परीक्षण होगा, जिसमें डॉक्टर आपसे आपके स्वास्थ्य से जुड़े सवाल यानी आपकी पिछली स्थितियों के बारे में पूछ सकते हैं। इस दौरान वह उस लंबाई के बारे में पूछेंगे, जिस पर पलक झपकती है। हाई इंटेंसिटी वाले प्रकाश की मदद से आपकी आंख को नज़दीकी से देखने के लिए स्लिट लैंप टेस्ट भी कर सकते हैं। इसके अलावा बेहतर दृष्य और आंखों को चौड़ा करने के लिए आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, जिससे आपको थोड़ी असहजता महसूस हो सकती है।
प्टॉयसिस से जुड़ी समस्याओं का निदान करने के लिए टेन्सिलॉन टेस्ट भी किया जाता है। इस परीक्षण से यह निर्धारित करने में मदद मिलती है कि क्या मायस्थेनिया ग्रेविस के कारण प्टॉयसिस होता है या नहीं। इस परीक्षण में आपको टेन्सिलॉन दवा का इंजेक्शन लगाया जाएगा और डॉक्टर आपको पैरों और हाथों को पार करने और खोलने, बैठने या कई बार खड़े होने जैसी किसी हरकतों को करने के लिए कहेंगे। इसके बाद ही वह आंकलन करेंगे कि दवा के असर से आपके शरीर की गति बेहतर थी या नहीं, क्योंकि बेहतर गति मायस्थेनिया ग्रेविस की मौजूदगी का संकेत देती है, जिसके कारण किसी व्यक्ति में प्टॉयसिस हुआ था। अगर दवा के प्रभाव के बाद भी हलचल पहले जैसी है, तो प्टॉयसिस के इस कारण को रद्द किया जा सकता है।
उपचार अलग-अलग कारणों और ड्रूपिंग पलकों की गंभीरता पर निर्भर करता है। बुढ़ापे की स्थिति में या अगर आप इसके साथ पैदा हुए हैं, तो डॉक्टर द्वारा इसका किसी भी तरीके से इलाज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह सेहत के लिए हानिकारक नहीं है। हालांकि वह आपको ड्रूपिंग को कम करने के लिए प्लास्टिक सर्जरी का विकल्प दे सकते हैं।
किसी गंभीर स्थिति की वजह से पलकों का गिरना या आपकी दृष्टि को ब्लॉक करने वाली पलकों जैसे कुछ मामलों के लिए अलग-अलग तरह के उपचार होते हैं, जिनके लिए डॉक्टर आपको सर्जरी करवाने की सलाह दे सकते हैं।
डॉक्टर सर्जरी की प्रक्रिया में लेवेटर मसल को टाइट करके पलक को उचित पोजीशन में ठीक करते हैं। आमतौर पर प्टॉयसिस से पीड़ित बच्चों के लिए सर्जरी के विकल्प की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे मंद दृष्टि या आलसी आंख (एम्ब्लियोपिया) होने की गुंजाइश कम हो जाती है। अन्य सर्जिकल मेथड में माथे की मांसपेशियों का इस्तेमाल शामिल है, जिसे झुकी हुई पलक को ऊपर उठाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सर्जरी करवाने में सूखी आंखें, कॉर्निया में खंरोच या हेमेटोमा सहित अन्य जोखिम कारक शामिल हैं। कभी-कभी डॉक्टर मरीज़ की पलक को बहुत ज़्यादा ऊपर या बहुत नीचे रख सकते हैं, जिससे मरीज़ को असुविधा होती है। ऐसे में किसी भी उपचार के विकल्प को चुनने से पहले उचित चिकित्सा सलाह लेने की सलाह दी जाती है।
यह एक नॉन-सर्जिकल ऑप्शन है, जिसमें आपके चश्मे से एक फ्रेम जुड़ा होता है। यह आपकी पलकों को गिरने से रोकता है और इसे मनचाहे स्थान पर रखने में मदद करता है। अगर आपकी सिर्फ एक आंख में प्टॉयसिस है, तो क्रच सिर्फ फ्रेम के एक तरफ से जुड़ी होगी, जबकि आपकी दोनों आंखों के प्टॉयसिस से प्रभावित होने पर यह क्रच फ्रेम के दोनों किनारों से जुड़ी होगी।
प्टॉयसिस को रोकने का कोई तरीका नहीं है, लेकिन आपको किसी भी तरह के लक्षण होने पर बेहद सावधान रहना चाहिए और स्थिति बिगड़ने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। कोई भी लक्षण नहीं होने के बावजूद आपको साल में एक बार अपनी आंखों की जांच ज़रूर करवानी चाहिए। अगर आप किसी भी तरह की आंखों की समस्या से पीड़ित हैं, तो नियमित रुप से आंखों की जांच के लिए जाएं।
पलकें झुकीं होने का अहसास होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है, क्योंकि उनके लिए यह एक गंभीर समस्या हो सकती है, जो ब्लॉक विज़न का कारण भी बन सकती है। प्टॉयसिस से लंबे समय के लिए दृष्टि से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए इसे हल्के में नहीं लेने और समय पर उचित उपचार करवाने की सलाह दी जाती है।
घर पर कुछ भी करने से पहले अपने डॉक्टर से पूछें, क्योंकि इससे मदद मिलने के बजाय आपकी आंखों को चोट लग सकती है। किसी भी तरह का उपचार अपने आप नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे आपकी गंभीर आंखों की समस्याएं हो सकती हैं। कुछ मामलों में प्टॉयसिस का इलाज आसानी से किया जा सकता है, जिनमें लोग शुरुआत में सिर्फ बीमारी के बढ़ने और आपकी आंखों को गंभीर रूप से चोट पहुंचने का इंतजार किए बिना डॉक्टर के पास जाते हैं।
प्टॉयसिस के बारे में अधिक जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट eyemantra.in पर जा सकते हैं। आईमंत्रा में अपनी अपॉइंटमेंट बुक करने के लिये आप हमें +91-9711115191 पर कॉल या eyemantra1@gmail.com पर मेल भी कर सकते हैं। अगर आप आंखों की सर्जरी के लिए एक अच्छे हॉस्पिटल की तलाश में हैं, तो आज ही हमारे दिल्ली के आईमंत्रा हॉस्पिटल में आएं, जहां हमारे एक्सपर्ट गाइड आंखों से संबंधित आपकी हर समस्या के इलाज का सर्वोत्तम तरीके से आंकलन करने में पूरी तरह सक्षम हैं। हम रेटिना सर्जरी, चश्मा हटाना, लेसिक सर्जरी, भेंगापन, मोतियाबिंद सर्जरी और ग्लूकोमा सर्जरी सहित कई अन्य सेवाएं प्रदान करते हैं।