Contents
लेसिक का मतलब लेजर-असिस्टेड इन सीटू केराटोमाइल्यूसिस है, जिसका इस्तेमाल किसी व्यक्ति की दृष्टि समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। यह सर्जरी कॉन्टैक्ट लेंस या चश्मे से छुटकारा पाने का सबसे बेहतर विकल्प है। लेसिक सर्जरी में नेत्र रोग विशेषज्ञों द्वारा आपकी कॉर्निया को नया आकार दिया जाता है। कॉर्निया में इस बदलाव के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ एक खास तरह के कटिंग लेजर का इस्तेमाल करते हैं। लेसिक सर्जरी का मुख्य उद्देश्य दृष्टि में सुधार करना है, लेकिन यह सर्जरी करवाने से पहले आपको लेसिक की संभावित जटिलताओं की जानकारी होनी चाहिए।
जब किसी व्यक्ति की दृष्टि सामान्य होती है, तो उसकी आंख का कोना आंख के पिछले हिस्से में स्थित रेटिना पर प्रकाश को ठीक केंद्रित करता है। प्रकाश का यह अपवर्तन ही व्यक्ति को स्पष्ट दृष्टि देने के लिए जिम्मेदार होता है, लेकिन निकट दृष्टिदोष (मायोपिया), दूरदर्शिता (हाइपरोपिया) या दृष्टिवैषम्य (एस्टिगमेटिज्म) जैसी आंख की समस्या में प्रकाश रेटिना पर केंद्रित नहीं होता है। इससे किसी व्यक्ति को धुंधली दृष्टि की समस्या का सामना करना पड़ता है, जिसका इलाज सर्जन लेसिक सर्जरी से करते हैं।
अपवर्तक त्रुटि को ठीक करने के लिए सर्जन चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के इस्तेमाल की सलाह दे सकते हैं। इससे आपकी दृष्टि में काफी हद तक सुधार होता हैं, लेकिन कॉर्निया को दोबारा आकार देना भी एक बेहतर विकल्प है, जिससे आपको दृष्टि सुधार और चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है।
ऐसे बहुत कम मामले होते हैं, जिनमें किसी व्यक्ति को लेसिक सर्जरी की जटिलताओं से गुजरना पड़ता है, लेकिन सर्जरी से पहले आपको इसके साइड इफेक्ट्स के बारे में जानने की ज़रूरत है।
लेसिक सर्जरी के जोखिम में निम्नलिखित शामिल हैं:
सूखी आंखें लेसिक सर्जरी के कारण होने वाले सबसे आम जटिलता है, जिसमें आंसू उत्पादन में अस्थायी कमी हो जाती है। सर्जरी के बाद पहले छह महीने या ज़्यादा समय तक आंखें असामान्य रूप से सूखी महसूस हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में सूखी आंखों से आपकी दृष्टि की गुणवत्ता भी कम हो जाती है। आमतौर पर नेत्र रोग विशेषज्ञ इसके लिए आई ड्रॉप की सलाह देते हैं, जिससे सूखी आंखों की समस्या से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। अगर समस्या गंभीर है, तो आपको किसी अन्य प्रक्रिया के लिए नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। इसके कारण आपके टियर डक्ट में विशेष प्लग लग सकते हैं, जिनका प्रमुख कार्य आंखों की सतह पर आंसुओं को सूखने से रोकना है।
लेसिक सर्जरी आपकी रात की दृष्टि (नाइट विजन) को प्रभावित कर सकती है, जिससे सर्जरी के बाद आपको रात के समय देखने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह आंखों की समस्या कुछ दिनों या हफ्तों तक चल सकती है। कई बार आंखें प्रकाश की संवेदनशीलता से वंचित रह जाती हैं या कई मामलों में इससे दोहरी दृष्टि की समस्या भी हो सकती है। जब नेत्र विशेषज्ञ मानक परीक्षण स्थितियों का इस्तेमाल करके अच्छे दृश्य परिणामों का निदान करते हैं, तो इसके बाद कम रोशनी में आपकी दृष्टि को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
यह नेत्र रोग विशेषज्ञ की लापरवाही के कारण हो सकता है। अगर सर्जन आपकी आंख से बहुत कम ऊतक निकालते हैं, तो आपको पूरी तरह स्पष्ट दृष्टि नहीं मिलेगी। जब लोगों को निकट दृष्टिदोष जैसी कुछ आंखों की समस्याएं होती हैं, तो किसी व्यक्ति को एक साल के अंदर अन्य लेसिक प्रक्रिया की ज़रूरत हो सकती है, जिससे आंख से ज़्यादा ऊतकों को हटाने में मदद मिलती है।
कई बार नेत्र विशेषज्ञ आपकी आंखों से बहुत ज़्यादा ऊतक निकाल देते हैं। कम सुधार (अंडर करेक्शन) को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है, लेकिन ज़्यादा सुधार (ओवर करेक्शन) को ठीक करना बहुत मुश्किल है।
दृष्टिवैषम्य एक ऐसी समस्या है, जो आंख से ऊतक को असमान रूप से हटाने की वजह से हो सकती है। ऐसी स्थिति में आपको स्पष्ट दृष्टि के लिए चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस की ज़रूरत होती है, जबकि कई बार इसमें अतिरिक्त सर्जरी की ज़रूरत भी हो सकती है।
अगर आप सर्जरी के दौरान अपनी आंख के फ्लैप को मोड़ते या सामने से हटाते हैं, तो इससे इंफेक्शन और आंख से ज़्यादा पानी निकलने सहित अन्य जटिलताएं हो सकती हैं। साथ ही उपचार प्रक्रिया के दौरान फ्लैप के नीचे सबसे बाहरी कॉर्नियल ऊतक सामान्य रूप से बढ़ सकता है।
प्रतिगमन (रिग्रेशन) वह स्थिति है, जिसमें आपकी दृष्टि धीरे-धीरे लेसिक सर्जरी से पहले की स्थिति में बदल जाती है। हालांकि, लेसिक सर्जरी करवाने वाले लोगों में ऐसा बहुत कम होता है।
कई मामलों में सर्जिकल जटिलताएं किसी व्यक्ति में दृष्टि हानि का कारण बन सकती हैं। इस समस्या से पीड़ित लोग पहले की तरह तेज या स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते हैं।
यह सभी जटिलताएं लेसिक सर्जरी के साथ आती हैं। बताए गए सभी कारक सर्जरी के दौरान या बाद में होने वाले जोखिम बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं, जिनके बारे में आपको सर्जरी से पहले पता होना चाहिए।
लेसिक सर्जरी करवाने से पहले आपका शारीरिक रूप से फिट होना ज़रूरी है, जिससे किसी भी प्रकार के जोखिम को आसानी से कम किया जा सके। हम आपको ऐसी ही कुछ स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो लेसिक सर्जरी के जोखिम को बढ़ा सकती हैं और मरीज के दृष्टि परिणाम को कम कर सकती हैं।
कुछ मामलों में डॉक्टर आपको लेजर अपवर्तक सर्जरी की सलाह नहीं दे सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:
इन स्थितियों में डॉक्टर आपको लेसिक सर्जरी की सलाह दे सकते हैं, जैसे:
अगर आप लेसिक सर्जरी करवाना चाहते हैं, तो अपने सवालों और परेशानी के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। आपके डॉक्टर जांच करेंगे कि आप लेसिक सर्जरी की विधि या अन्य प्रक्रियाओं के लिए पूरी तरह से फिट हैं या नहीं।
आई मंत्रा आंखों की बीमारियों का उपचार प्रदान करने वाले प्रमुख आंखों के अस्पतालों में से एक है, जहां कुशल और अनुभवी चिकित्सक आपकी आंखों का बेहतर तरीके से निदान करते हैं। आंखों के इलाज के लिए सबसे ज़रूरी है कि आप उपचार और मार्गदर्शन के लिए हमारे नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट eyemantra.in पर जाएं। आज ही हमें +91-9711115191 पर कॉल करें। आप हमें eyemantra1@gmail.com पर मेल भी कर सकते हैं। हमारी सेवाओं में रेटिना सर्जरी, चश्मा हटाना, लेसिक सर्जरी, भेंगापन, मोतियाबिंद सर्जरी और ग्लूकोमा सर्जरी और कई अन्य शामिल हैं।