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आंखों की लेज़र सर्जरी प्रत्येक व्यक्ति की अच्छी दृष्टि के लिए बहुत जरूरी है। आंखें हमारी सबसे कीमती और जरूरी इंद्रियों में से एक है। इसके ज़रिए हर कोई इस खूबसूरत दुनिया को देखने में सक्षम है। हालांकि, आंखों के विकार वाले लोग ठीक से देखने के लिए चश्मे और लेंस का इस्तेमाल करना पड़ता है। लेज़र आई सर्जरी एक ऐसी प्रक्रिया है, जो आपकी दृष्टि को हमेशा के लिए बदल सकती है।
लेज़र (LASER) का मतलब ”लाइट एम्प्लीफिकेशन बाय द स्टिम्युलेटेड एमिशन ऑफ रेडिएशन” है। इस तरह की विज़न करेक्शन सर्जरी में फिज़िकल सर्जिकल टूल के बजाय विशिष्ट प्रकाश किरणों और विकिरण को इस सर्जिकल प्रक्रिया में एक उपकरण के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। आंखों की लेज़र सर्जरी से 20/20 यानी सामान्य दृष्टि वापस पाई जा सकती है। लेज़र आई सर्जरी सुरक्षित सर्जिकल प्रोसीजर है, जिसे दूरदृष्टि, अदूरदर्शिता, दृष्टिवैषम्य या प्रेसबायोपिया को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
आंखों की लेज़र सर्जरी में ज़्यादा से ज़्यादा बीस मिनट का समय लगता है। सर्जरी के दौरान मरीज़ जागते रहते हैं, लेकिन नसों को शांत करने और आंखों में दर्द होने पर एनेस्थीसिया दिया जाता है। अगर सर्जरी के दौरान मरीज़ की आंख में अचानक कोई हलचल होती है, तो किसी भी चोट या त्रुटि से बचने या सर्जरी को तुरंत रोकने के लिए एक लेजर डिज़ाइन किया गया है। इस सर्जरी में कॉर्निया से अनचाहे ऊतक को हटाने के लिए ‘एक्सीमर’ लेज़र का इस्तेमाल किया जाता है, जो प्रकाश किरणों का फोकस रेटिना पर वापस लाता है और दृष्टि में सुधार करता है।
अगर आप इन मानदंडों में से किसी के अंदर नहीं आते हैं, तो आप भी लेजर सर्जरी के योग्य नहीं हो सकते हैं। यह जानने सबसे अच्छा तरीका आपकी आंखों की जांच है, जिसके बाद आप इस बारे में अपने सर्जन पूछ सकते हैं। अगर किसी कारण से सर्जन आपको अनुकूल नहीं पाता है, तो आपको इसे गंभीरता से लेते हुए अन्य उपचार का विकल्प चुनना चाहिए।
आंखों की लेज़र सर्जरी के प्रकार निम्नलिखित हैं-
लेज़र-असिस्टेड इन सीटू केराटोमाइल्यूसिस’ सर्जरी को दूरदर्शी, निकट दृष्टिदोष और दृष्टिवैषम्य वाले मरीज़ों के इलाज के लिए सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इस सर्जरी में बहुत पतले कॉर्निया के ऊतक का एक छोटा सा फ्लैप बनाया जाता है, जिसे लेज़र को दोबारा आकार देने के लिए एक्सपोज़ टिश्यू पर लगाया जाता है और फिर फ्लैप को वापस कॉर्निया पर रख दिया जाता है। उपचार के समय को कम करने के लिए इस छोटे फ्लैप के छोटे से हिस्से को शुरूआत से ही कॉर्निया से जोड़कर रखा जाता है, जिससे इसे दोबारा ठीक किया जा सके।
‘लेजर एपिथेलियल केराटोमाइल्यूसिस’ एक तरह का लेज़र ट्रीटमेंट है, जिसे हल्के और औसत मायोपिया यानी नज़दीकीपन के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लासेक सर्जरी में कॉर्निया की एपिथेलियम परत का एक फ्लैप बनाया जाता है। लेसिक सर्जरी की तरह लासेक में भी एक्सपोज्ड टिश्यू का इलाज लेजर से ही किया जाता है, जिसके बाद एपिथेलियम टिश्यू के फ्लैप को रिपोजिशन किया जाता है। सर्जरी के बाद परत के ठीक होने पर सुरक्षित करने के लिए आपकी आंखों पर पैच लगाए जाते हैं।
पीआरके यानी ‘फोटो रिफ्रैक्टिव केराटेक्टोमी’ लेजर सर्जरी के तहत क्षेत्र को एक्सपोज़ करने के लिए पूरी एपिथेलियम परत को हटाने के बाद आपके कॉर्निया को दोबारा आकार दिया जाता है। यह सर्जरी कमज़ोर प्रिस्क्रिप्शन वाले मरीजों पर की जाती है और पीआरके सर्जरी के लिए उपचार का समय कम से कम एक हफ्ता है।
स्मॉल इंसिज़न लेंटिक्यूल एक्सट्रैक्शन को लेज़र सर्जरी की सबसे एडवांस टाइप माना जाता है। स्माइल लेज़र आई सर्जरी के दौरान आपके कॉर्निया में एक सूक्ष्म की-होल बनाया जाता है, जिसके बाद एक्सपोज़ हिस्से को लेज़र बीम के साथ फिर से आकार दिया जाता है। इसमें एपिथेलियम का कोई फ्लैप नहीं हटाया जाता है, इसलिए रिफ्रैक्टिव एरर में सुधार के लिए यह सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाली लेज़र सर्जरी है।
लेज़र सर्जरी आंखों को ठीक करने के लिए सबसे सुरक्षित और असरदार प्रक्रिया है। लेजर सर्जरी के तहत जोखिम और जटिलताएं बहुत दुर्लभ हैं। सर्जरी के बाद होने वाली खुजली या सूखी आंख जैसी कोई भी आंखों की समस्या सर्जरी के बाद के प्रभाव हैं, जो कुछ समय बाद ठीक हो जाते हैं। हालांकि, सर्जरी से पहले सभी संभावित जोखिमों को जानना हमारे लिए ज़रूरी है।
आंखों की लेजर सर्जरी उन लोगों के लिए बिल्कुल सुरक्षित है, जो सर्जरी के बाद ज़रूरी सावधानियों का पालन करते हैं। ऐसा करने से पॉज़िटिव रिज़ल्ट तो मिलते ही हैं, लेकिन ऐसा करके आप आंखों को सभी संभावित जोखिमों और इंफेक्शन्स से बचा सकते हैं, जिससे आपकी उपचार प्रक्रिया भी तेज होगी।
सर्जरी के बाद आपको आंखों में कुछ खुजली महसूस हो सकती है और अचानक आपको आंखें मलने की इच्छा हो सकती है। ऐसे में आपको हर कीमत पर अपनी आंखों को छूने से बचना होगा, क्योंकि इससे आपका कॉर्नियल फ्लैप अपनी जगह से बदल सकता है। ज्यादातर मामलों में यह लक्षण एक या दो घंटे में गायब हो जाते हैं। अपनी आंखों को नम रखने और किसी भी तरह की सूजन से बचाने के लिए आपको डॉक्टर द्वारा बताई गई आई ड्रॉप को समय-समय पर डालना चाहिए। सर्जरी के बाद कुछ दिनों के लिए अपनी आंखों पर शील्ड रखें। खासतौर से सोते वक्त अपनी आंखों को रगड़ने और चोट लगने से बचाने के लिए ऐसा करना ज़रूरी है। इसके अलावा सर्जरी के बाद आपको हमेशा कुछ दिनों तक धूप में धूप के चश्मे का इस्तेमाल करना चाहिए।
किसी भी आंखों के सुधार का मकसद उन्हें अच्छी तरह देखना होता है। आंखों की लेज़र सर्जरी से आप चश्मे और कॉन्टैक्ट लेंस पहनने की परेशानी से बच सकते हैं, क्योंकि इसके फेल होने की संभावना लगभग ज़ीरो के बराबर है। आपको बहुत रिसर्च के बाद किसी अनुभवी सर्जन से अपनी आंखों की जांच करानी चाहिए और कम वक्त में जल्द पॉज़िटिव रिज़ल्ट के लिए आपको सर्जरी से पहले और बाद की सभी सावधानियों के साथ ही प्रिस्क्रिप्शन का पालन करना चाहिए।
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