Contents
- 1 निकट दृष्टिदोष (मायोपिया) क्या है? Myopia Kya Hai?
- 2 मायोपिया के लिए एट्रोपिन आईड्रॉप – Myopia Ke Liye Atropine Eyedrop
- 3 मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस और आंखों के चश्मे – Multifocal Contact Lens Aur Eyeglasses
- 4 कॉर्नियल रिफ्रैक्टिव थेरेपी या ऑर्थोकरेटोलॉजी – Corneal Refractive Therapy Ya Orthokeratology
- 5 मायोपिया के लिए बेट्स मेथड – Myopia Ke Liye Bates Method
- 6 स्वस्थ आहार और पर्यावरण – Healthy Diet Aur Environment
- 7 निकट दृष्टिदोष के लिए योगा – Myopia Ke Liye Yoga
- 8 मायोपिया के लिए चिकित्सा विकल्प – Myopia Ke Liye Medical Alternative
- 9 निष्कर्ष – Nishkarsh
निकट दृष्टिदोष (मायोपिया) क्या है? Myopia Kya Hai?
निकट दृष्टिदोष यानी मायोपिया आंख से संबंधित समस्या है, जिसे निकटदृष्टिता के नाम से भी जाना जाता है। आंख की इस स्थिति में नज़दीक रखी वस्तुएं आसानी से देख सकते हैं, जबकि दूर रखी वस्तुएं अस्पष्ट दिखाई देती हैं। निकट दृष्टिदोष (मायोपिया) एक आंख की स्थिति है, जिसमें आंख के कॉर्निया के आकार में बदलाव होता है। इससे हम सिर्फ पास की वस्तुओं को देखने में सक्षम होते हैं और दूर की वस्तुएं स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती हैं। मायोपिया किसी भी उम्र में हो सकता है, जिसका इलाज करेक्टिव लेंस पहनकर और आंखों की सर्जरी से किया जा सकता है। मायोपिया के कारण बच्चों में बढ़ती उम्र के साथ आंखों की स्थिति खराब होती जाती है, जो एक निश्चित उम्र तक स्थिर नहीं होती है।
कुछ लोगों का मानना है कि मायोपिया को प्राकृतिक रूप से ठीक किया जा सकता है। वहीं अध्ययनों के मुताबिक लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कुछ प्राकृतिक प्रक्रियाओं से मायोपिया को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन बढ़ते बच्चों में इसकी प्रोग्रेस को धीमा ज़रूर किया जा सकता है। कई अन्य वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल बच्चों में मायोपिया की प्रोग्रेस को धीमा करने के लिए किया जाता है। बच्चों में मायोपिया को कंट्रोल करना ज़रूरी है, क्योंकि इससे कुछ लोगों में ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, रेटिना डिटेचमेंट और अंधेपन जैसी दृष्टि की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। कई तरीकों के इस्तेमाल से मायोपिया की प्रगति को धीमा किया जा सकता है।
मायोपिया के लिए एट्रोपिन आईड्रॉप – Myopia Ke Liye Atropine Eyedrop
आमतौर पर एट्रोपिन आईड्रॉप किसी व्यक्ति को आंखों में सूजन या आंखों में किसी तरह का दर्द होने पर दी जाती है। ऑप्थल्मोलॉजिस्ट इसका इस्तेमाल आंखों की उचित जांच करने के लिए पुतली को पतला करने और फोकस को अपने आप बदलने की आंख की क्षमता को अस्थायी रूप से सीमित करके थकान दूर करने के लिए भी करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को अकोमोडेशन कहा जाता है, जिसके प्रभाव की वजह से यह मायोपिया वाले बच्चों के लिए प्रभावी माना जाता है। अध्ययनों की मानें, तो बच्चों में निकट दृष्टिदोष की प्रोग्रेस को 77 प्रतिशत तक धीमा करने वाली एट्रोपिन आईड्रॉप को निकट दृष्टिदोष की स्थिति कंट्रोल करने का सबसे असरदार तरीका माना जाता है।
निकट दृष्टिदोष की तेज प्रोग्रेस वाले बच्चों के लिए एट्रोपिन की कम डोज़ का इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ मामलों में एट्रोपिन आईड्रॉप का इस्तेमाल आंखों के लिए असंवेदनशीलता का कारण बनता है, इसलिए बाहर जाते वक्त या धूप से होने वाले खतरे को कम करने के लिए पोलराइज्ड धूप का चश्मा पहनने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर सिर्फ कुछ खास मामलों में ही मरीज़ों को एट्रोपिन आईड्रॉप की सलाह देते हैं, लेकिन प्रोपर प्रिस्क्रिप्शन के बिना इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस और आंखों के चश्मे – Multifocal Contact Lens Aur Eyeglasses
मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस को आमतौर पर सभी दूरी पर स्पष्ट दृष्टि की ज़रूरत वाले लोगों के लिए निर्धारित किया जाता है। ऑप्थल्मोलॉजिस्ट मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस का सुझाव उन लोगों के लिए भी देते हैं, जो अपवर्तक त्रुटियों (रिफ्रैक्टिव एरर्स) और जो उम्र से संबंधित प्रेसबायोपिया का सामना कर रहे हैं। अध्ययनों के अनुसार मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से तेजी से निकट दृष्टिदोष की प्रोग्रेस कर रहे बच्चों की स्थिति में काफी सुधार देखा गया, जबकि लेंस उन बच्चों के मुकाबले में मायोपिया की प्रोग्रेस को धीमा करने में 50 प्रतिशत असरदार थे, जिन्होंने उतने ही समय के लिए नियमित रूप से सॉफ्ट कॉन्टैक्ट पहना था।
कोई भी व्यक्ति अपने नेत्र रोग विशेषज्ञ (ऑप्थल्मोलॉजिस्ट) से मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस के प्रिस्क्रिप्शन ले सकता है। मल्टीफोकल आंखों का चश्मा और मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस एक जैसे होते हैं और एक जैसा काम करते हैं, जिन्हें रिफ्रैक्टिव एरर्स वाले लोगों के साथ-साथ प्रेसबायोपिया वाले लोगों की दृष्टि ठीक करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। तेजी से बढ़ते निकट दृष्टिदोष के लिए इस मेथड की प्रभावशीलता मल्टीफोकल कॉन्टैक्ट लेंस की प्रभावशीलता से कम है, लेकिन ऐसे उदाहरण हैं जिसमें बच्चों में निकट दृष्टिदोष की प्रोग्रेस 51 प्रतिशत तक धीमी हो गई है।
कॉर्नियल रिफ्रैक्टिव थेरेपी या ऑर्थोकरेटोलॉजी – Corneal Refractive Therapy Ya Orthokeratology
इस थेरेपी टेक्निक में खासतौर से डिजाइन किए गए कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल किया जाता है। यह डिज़ाइन किए गए लेंस गैस परमाएबल कॉन्टैक्ट हैं, जिन्हें रात के वक्त नींद के दौरान पहना जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि रात को सोते वक्त यह लेंस कॉर्निया को फिर से आकार देते हैं और रातभर निकटदृष्टिता को कम करते हैं। सुबह लेंस हटाने के बाद व्यक्ति दिन के समय स्पष्ट रूप से देख पाता है। इस थेरेपी के इस्तेमाल से दिन के वक्त चश्मे और आंखों के लेंस से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
यह थेरेपी निकटदृष्टिता वाले बच्चों में प्रोग्रेस रेट को 80 प्रतिशत तक कम करने में बहुत प्रभावी रही है। आमतौर पर इस थेरेपी का इस्तेमाल उन बच्चों पर किया जाता है, जिनकी निकटदृष्टिता में तेजी से प्रोग्रेस हो रही है। वयस्कों में इसका इस्तेमाल सिर्फ तभी किया जाता है, जब उनके पास -4.00 से कम डायोप्टर दृष्टि और न्यूनतम दृष्टिवैषम्य (मिनिमल एस्टिगमेटिज्म) होता है। निकटदृष्टिता के शुरुआती चरण वाला कोई व्यक्ति ही इस थेरेपी के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार है। इस टेक्निक से दिन के समय कॉन्टैक्ट लेंस पहने जाने पर आंखों के सूखेपन को कम करने में भी मदद मिलती है।
मायोपिया के लिए बेट्स मेथड – Myopia Ke Liye Bates Method
डॉक्टर बेट्स ने प्राकृतिक रूप से मायोपिया के इलाज के लिए इस थेरेपी को सबसे प्रभावी इलाज पाया। इस थेरेपी में एक ऐसी प्रक्रिया शामिल थी, जिसमें दिमाग और आंखों को आराम दिया जाता था और धुंधली दृष्टि में एडजस्ट किया जाता था। उन्होंने लोगों की आंखों में खिंचाव और खराब दृष्टि के जिम्मेदार तीन मुख्य कारणों के बारे में बताया, जिसमें मानसिक थकान, चश्मा और खराब दृष्टि की आदतें शामिल हैं। खराब दृष्टि के लिए जिम्मेदार पहले कारण यानी मानसिक थकान को दृष्टि में मौजूद धुंधलेपन से जोड़ा गया है। अक्सर इस बात को नज़रअंदाज़ किया जाता है कि हमारे द्वारा लिया गया सारा तनाव आंखों में मौजूद होता है, जिससे आंखों की मांसपेशियों के तनावग्रस्त होने से दृष्टि धुंधली हो जाती है। बच्चों की इनडोर क्लासरूम एक्टिविटी में वृद्धि और आउटडोर एक्टिविटी में कमी जैसी खराब दृष्टि की आदतों से जल्दी दृष्टि की समस्या पैदा हो जाती है। उनकी वृद्धि और आंखों के विकास के लिए ज़रूरी सूरज की रोशनी अक्सर पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाने से प्रारंभिक दृष्टि समस्याएं होती हैं, इसलिए मायोपिया को ठीक करने के लिए उन्होंने सिर्फ आंखों को आराम देने और मौजूद तनाव को कम करने की सलाह दी।
मायोपिया को ठीक करने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में पहला कदम अपने जीवन में धुंधली दृष्टि को स्वीकार करना है। स्क्विंटिंग और घूरना उन्हीं कारणों से उल्टा हो जाता है। धुंधली दृष्टि को स्वीकार करके हमारी दृष्टि को वापस सामान्य किया जा सकता है। अगला स्टेप चश्मे और कॉन्टैक्ट लेंस को उतारना है, क्योंकि अगर आपकी दृष्टि दो डायोप्टर से कम है, तो चश्मा उतारना आपके लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं होगी। जिन लोगों का ज़्यादा इम्पेयर विज़न होता है, उन्हें ऐसे चश्मे का इस्तेमाल करना चाहिए, जिनसे उन्हें कम स्पष्ट रूप से देखने में मदद मिले। अगले कदम में आंखों का उचित और बार-बार फड़कना शामिल है। ज्यादा देर तक घूरने की बजाय बार-बार आंखें झपकाने की आदत डालें, जिससे आंखों में मौजूद मांसपेशियों को आराम मिलेगा। मायोपिया को ठीक करने में मदद करने के अलावा आंखें झपकने से जुड़े कई दूसरे फायदे हैं। पलक झपकना ज़बरदस्ती के मुकाबले में ज़्यादा स्वाभाविक होना चाहिए। अगले कदम में आपकी समझ शामिल है कि आप जो कुछ भी देखते हैं वह आपके लिए बहुत स्पष्ट नहीं हो सकता है, इसलिए अस्पष्ट चीजों पर फोकस करने के बजाय उन चीजों पर फोकस करने की कोशिश करें, जो आपकी दृष्टि में स्पष्ट हैं।
अपने पेरिफेरल विज़न के बारे में जागरूकता बढ़ाना मायोपिया को ठीक करने का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में अगला कदम है। अपनी आंखों को स्वतंत्र रूप और आराम से घुमाएं, जिससे आपको आंखों में ब्लड फ्लो में मदद मिलती है और आंखों में पोषक तत्व आता है। मायोपिया फ्री आंखों के लिए पामिंग सबसे प्रचलित तकनीक है, जिसमें हथेलियों को आंखों के ऊपर हल्के से रखने पर सभी तरह प्रकार की रोशनी ब्लॉक हो जाती हैं और फिर आंखें खोली जा सकती हैं। ऐसा करने से तनाव से तुरंत राहत मिलती है। इसके आलावा उचित सांस लेने, अच्छी मुद्रा बनाए रखने और स्वस्थ भोजन करने से भी मायोपिया को ठीक करने में बहुत मदद मिलती है। तेज धूप के संपर्क में आने से दृश्य गुणवत्ता में सुधार होता है, जिसकी हमारी आंखों को स्वस्थ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बताई गई सभी तकनीकें और प्रक्रियाएं पॉज़िटिव रिज़ल्ट दे सकती हैं, जिनके ज़रिए एक हद तक मायोपिया को ठीक किया जा सकता है।
स्वस्थ आहार और पर्यावरण – Healthy Diet Aur Environment
बच्चों और वयस्कों में मायोपिया की शुरुआत को एक ज़रूरी हेल्दी डाइट से धीमा किया जा सकता है। इस हेल्दी डाइट में फल, सब्जियां और मछली शामिल हैं। मायोपिया की प्रोग्रेस को धीमा करने के लिए आपको हर हफ्ते कम से कम दो से तीन कप सब्जियां, दो कप फल और दो कप हरी सब्जियां खानी चाहिए, जिसमें आलू, गाजर, ब्रोकोली, स्ट्रॉबेरी, खट्टे फल और जामुन जैसे विशिष्ट फल और सब्जियां भी मायोपिया की प्रोग्रेस को धीमा करने के लिए जिम्मेदार हैं।
आउटडोर एक्टिविटीज़ में ज़्यादा वक्त बिताने वाले बच्चों में मायोपिया या आंख की अन्य अपवर्तक त्रुटियां होने का रिस्क कम होता है। ज़्यादा इनडोर एक्टिविटीज़ करने से हमारी आंखें दूर स्थित वस्तुओं पर फोकस करने के बजाय नज़दीक वस्तुओं पर फोकस करती हैं। स्टडी के मुताबिक आउटडोर एक्टिविटी से मायोपिया होने के रिस्क को कम करने में मदद मिलती है, लेकिन बच्चों में विकसित होने के बाद बाहर समय बिताने से मायोपिया की प्रोग्रेस को धीमा करने की कम गुंजाइश होती है।
निकट दृष्टिदोष के लिए योगा – Myopia Ke Liye Yoga
योग में मौजूद आंखों की एक्सरसाइज़ मायोपिया से राहत देने के लिए जानी जाती हैं, लेकिन किसी भी साइंटिफिक स्टडी ने इस दावे का समर्थन नहीं किया है। आप बताई गई योग एक्सरसाइज़ को आंखों की मांसपेशियों में मौजूद तनाव को कम करने के लिए आजमा सकते हैं, जैसे-
- फोकस शिफ्टिंग: इस एक्सरसाइज़ से हमारी आंखों की मांसपेशियों को प्रशिक्षित करने के साथ-साथ फोकस करने की क्षमता प्रदान करने में मदद मिलती है।
- अपना हाथ आगे बढ़ाकर अंगूठे का निशान बनाएं।
- सीधे बैठ जाएं और अपनी आंखों को अंगूठे पर फोकस करें।
- अपने हाथ को अपनी दाहिनी तरफ ले जाएं और अपनी आंखों को बिना अपनी गर्दन को हिलाए अंगूठे की गति के साथ-साथ घुमाएं।
- ऐसा ही बाईं तरफ दोहराएं और इस प्रक्रिया को कई बार जारी रखें।
- आंख घुमाना: यह एक्सरसाइज़ आंखों के तनाव को दूर करने में मदद करती है।
- सीधे बैठें और गहरी सांस लें।
- अपनी आंखों को छत की तरफ घुमाएं और आंखों को छत पर केंद्रित करें।
- अपनी आंखें दाईं तरफ घुमाएं।
- इसके बाद अपनी आंखों को फर्श की तरफ घुमाएं।
- फिर आंखों को अपनी बाईं तरफ घुमाते हुए वापस छत की तरफ लाएं।
- पूरी प्रक्रिया को दोहराएं और फिर अपनी आंखों को घड़ी की उल्टी दिशा में घुमाएं।
- पामिंग: इस एक्सरसाइज़ से आंखों को शांत करके उनमें मौजूद तनाव को कम करने में मदद मिलती है।
- अपनी हथेलियों को आपस में रगड़कर गर्म करें।
- अपनी हथेलियों को आंखों के ऊपर सीधा रखें।
- गहरी सांस लेकर मौजूद तनाव को छोड़ें।
- यह प्रक्रिया कई मिनट तक दोहराएं।
योगा एक्सरसाइज़ करने से मायोपिया से छुटकारा मिलने की गुंजाइश बढ़ जाती है। यह चीजों को देखने के लिए ब्रेन एक्टिविटी को बढ़ाता है। इसके अलावा यह आपको शांत करने, किसी भी आंखों के तनाव और सिरदर्द से छुटकारा दिलाने में भी मदद करता है। नियमित रूप से योग की प्रेक्टिस से लंबे समय के लिए फायदे होंगे और आपकी दृष्टि में सुधार होगा।
मायोपिया के लिए चिकित्सा विकल्प – Myopia Ke Liye Medical Alternative
मेडिकल ट्रीटमेंट के ज़रिए मायोपिया को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है, जिसमें आंखों की लेज़र सर्जरी शामिल है। लेज़र आई सर्जरी मायोपिक आंखों को पूरी तरह से ठीक कर देती है, लेकिन इसके साइड इफेक्ट भी हैं। आंखों की लेज़र सर्जरी करवाने से पहले आपको अपने नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने की सलाह दी जाती है, जिससे यह जानने में मदद मिलती है कि आपकी स्थिति सर्जरी के लिए उपयुक्त हैं या नहीं। मायोपिक बच्चों को लेज़र सर्जरी कराने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता, क्योंकि मायोपिया की प्रोग्रेस बच्चे के पूरे शारीरिक विकास होने तक होती है।
ऑपरेशन से पहले चेहरे और आंखों के पास किसी भी तरह का कॉस्मेटिक लगाने से खुद को रोकने और ऑपरेशन की तारीख से एक हफ्ते पहले कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल बंद करने जैसे कई निर्देश हैं, जिनके बारे में आपको सर्जरी से पहले पता होना चाहिए। आमतौर पर 10 से 15 मिनट में होने वाली इस ऑपरेशन प्रक्रिया से आंखों में खुजली और जलन की समस्या हो सकती है। इस समस्या से बचने के लिए ऑपरेशन के बाद आंखों को छूने से बचें और सर्जन द्वारा दिए गए पोस्टऑपरेटिव निर्देशों का पालन करें। डॉक्टर के बताए अनुसार एंटीबायोटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें और कम से कम एक महीने तक किसी भी आउटडोर एक्टिविटी से बचें।
धुंधली दृष्टि के कारण मायोपिया से आपकी दृष्टि में थोड़ी परेशानी पैदा हो सकती है। कंप्यूटर के बढ़ते इस्तेमाल और हमारे आहार में बदलाव की वजह से मायोपिया का विकास तेजी से होता है। प्रत्येक व्यक्ति का एक अलग एनवायरनमेंट होता है, जिसमें वह काम करते या पढ़ते हैं। कुछ को अपने क्लासरूम में ब्लैक बोर्ड देखने के लिए चश्मे की ज़रूरत होती है, जबकि अपने हाथ में किताब पढ़ने के लिए उन्हें चश्मे की ज़रूरत नहीं होती। दूसरी तरफ, कुछ को स्क्रीन के सामने लंबे समय तक काम करने से होने वाले धुंधलेपन को कम करने के वाले चश्मे की ज़रूरत होती है, इसलिए मायोपिया के इलाज में उन्हें एक जैसा चश्मा देना बहुत अच्छा विकल्प नहीं है। डॉक्टरों के लिए यह जानना ज़रूरी है कि आपकी आंखें किस वातावरण में काम करती हैं, जिससे आपको मायोपिया की प्रोग्रेस को धीमा करने में मदद मिलेगी। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी ज़रूरतें होती हैं, इसलिए किसी व्यक्ति को आराम देने वाले चश्मे दूसरों को अपने लिए उपयुक्त नहीं लगेंगे। ऐसे में मायोपिया की प्रोग्रेस को धीमा करने और इसे पूरी तरह से ठीक करने के लिए मरीज़ और डॉक्टर के लिए हाथ से काम करना ज़रूरी हो जाता है।
निष्कर्ष – Nishkarsh
अगर आप भी मायोपिया की समस्या का सामना कर रहें है, तो तुरंत आई मंत्रा हॉस्पिटल में संपर्क करें। दिल्ली स्थित आई मंत्रा हॉस्पिटल आंखों के उन सर्वोत्तम हॉस्पिटलों में से एक है, जहां नवीनतम तकनीकों के इस्तेमाल से अलग-अलग आंखों से संबंधित सर्जरी प्रदान की जाती हैं। मायोपिया या आंखों से संबंधित अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट eyemantra.in पर विज़िट करें।
आई मंत्रा में एक्सपर्ट नेत्र रोग विशेषज्ञ के साथ अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए आज ही +91-9711115191 पर कॉल करें या [email protected] पर मेल करें। आईमंत्रा में प्रदान की जाने वाली सेवाओं में ऑक्यूप्लोप्लास्टी, रेटिना सर्जरी, चश्मा हटाना, लेसिक सर्जरी, भेंगापन, मोतियाबिंद सर्जरी और ग्लूकोमा सर्जरी सहित अन्य कई सेवाएं शामिल हैं। “मरीज़ की देखभाल ही हमारी पहली प्राथमिकता है।”