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परिधीय दृष्टि (पेरिफेरल विज़न) की मदद से आप अपनी आंखों को हिलाए बिना आस-पास रखी सभी वस्तुओं को देखने में सक्षम होते हैं। इसमें आप किसी नज़दीकी वस्तु अपनी आंखों के कोने से देखते हैं। कभी-कभी उम्र से संबंधित समस्याओं या किसी आंखों की बीमारी के कारण आपकी परिधीय दृष्टि प्रभावित हो जाती है, जिससे परिधीय दृष्टि हानि होती है। परिधीय दृष्टि यानी पेरिफेरल विजन लॉस में आप चीजों को तब तक स्पष्ट तौर पर नहीं देख पाते हैं, जब तक इसे आपके सामने नहीं रखा जाता है।
परिधीय दृष्टि को टनल विज़न या संकीर्ण दृष्टि के नाम से भी जाना जाता है, जो आपके दैनिक जीवन की गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है। इससे आपको रात के समय ठीक से देखने में कठिनाई पैदा हो सकती है। ऐसे में दृष्टि में किसी भी तरह का बदलाव दिखाई देने पर तुरंत उपचार लें, ताकि होने वाले दृष्टि के नुकसान से बचा जा सके।
ग्लूकोमा जैसी कई खराब आंखों की स्वास्थ्य स्थितियों के अलावा माइग्रेन भी परिधीय दृष्टि हानि का कारण बन सकता है। इन कारणों से होने वाली परिधीय दृष्टि हानि अस्थायी होती है, जो वक्त के साथ अपने आप दूर हो जाती है। दृष्टि समस्याओं के शुरुआती चरण में डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी है, क्योंकि वक्त रहते उपचार नहीं किये जाने से यह आंखों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
कुछ लोगों को परिधीय दृष्टि हानि का अनुभव अचानक होता है, जबकि कुछ लोग वक्त के साथ इसके शुरुआती लक्षण पहचान लेते हैं। परिधीय दृष्टि हानि के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
चीज़ों से टकराना।
भीड़-भाड़ वाली जगहों पर नेविगेट करने में कठिनाई होना।
रतौंधी (नाइट ब्लाइंडनेस)
दिन के साथ-साथ रात में भी गाड़ी चलाने में परेशानी होना।
इसके अलावा आपको एक आंख या दोनों आंखों में पीवीएल का अहसास हो सकता है। सुनिश्चित करें कि आप अपने आंखों के डॉक्टर के साथ सभी लक्षणों पर चर्चा करें, क्योंकि इससे उन्हें कारण निर्धारित करने में मदद मिलती है।
पेरिफेरल विजन का मतलब आंखों के कोने से चीजों को देखना है। इस दृष्टि के प्रभावित होने से आपको पेरिफेरल विजन लॉस हो सकती है। ऐसे मामलों में आप वस्तुओं को तब तक स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते, जब तक कि उन्हें आपके ठीक सामने नहीं रखा जाता। कई स्वास्थ्य स्थितियों के कारण परिधीय दृष्टि हानि हो सकती है। इन्हीं में से एक माइग्रेन की बीमारी है, लेकिन यह सिर्फ अस्थायी दृष्टि हानि का कारण है। इसके अलावा कई ऐसी बीमारियां भी हैं जिनसे परिधीय दृष्टि हानि स्थायी रूप से हो सकती है।
परिधीय दृष्टि हानि का कारण बनने वाली बीमारियां
• ग्लूकोमा- इसे काला मोतियाबिंद के नाम से भी जाना जाता है। ग्लूकोमा बीमारी आंखों में अत्यधिक दबाव बढ़ने की वजह से होता है, जो आंख से मस्तिष्क तक सिग्नल ले जाने वाली तंत्रिका को नुकसान पहुंचाता है। इससे दृष्टि में होने वाली दिक्कत स्थायी दृष्टि हानि की वजह बन सकती है, इसलिए ऐसी स्थितियों से बचने के लिए इसका समय रहते उपचार किया जाना ज़रूरी है।
लक्षण- ग्लूकोमा के ऐसे कोई लक्षण नहीं होते, लेकिन यह ज्यादातर पहले आंखों के किनारों को प्रभावित करता है।
• रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा- यह जेनेटिक डिसऑर्डर रेटिना (आंख का वह हिस्सा जहां छवि बनती है) को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे मामलों में आपको रंग दृष्टिहीनता (कलर ब्लाइंडनेस) या रतौंधी (नाइट ब्लाइंडनेस) हो सकती है। किसी भी उम्र में होने वाली यह बीमारी ज्यादातर किशोरों और युवा वयस्कों में पायी जाती है। इस विकार से प्रभावित ज्यादातर लोग चालीस साल की उम्र तक कानूनी रूप से अंधे पाए जाते हैं।
लक्षण- इसमें आपको दिखाई देने वाला सबसे पहला लक्षण रतौंधी हो सकता है, जो पहले दृष्टि के सबसे बाहरी क्षेत्रों को प्रभावित करने के बाद धीरे-धीरे केंद्रीय दृष्टि को प्रभावित करता है।
• स्ट्रोक- यह एक न्यूरोलॉजिकल प्रकार की दृष्टि हानि है। इसमें आपका मस्तिष्क बनाई गई छवि को इकट्ठा करने में सक्षम नहीं है, लेकिन आपकी आंखें ठीक से काम कर रही हैं। ऐसे मामलों में, प्रत्येक आंख की एक साइड प्रभावित होती है।
लक्षण- ऐसे मामलों में आईने में देखने पर आपको अपने चेहरे की सिर्फ एक ही साइड दिखाई देती है।
• डायबिटिक रेटिनोपैथी- डायबिटीज़ के मरीज़ों में डायबिटीज़ रेटिनोपैथी होता है, क्योंकि हाई डायबिटीज़ के परिणामस्वरूप रेटिना डैमेज हो सकता है। यह हाई ब्लड शुगर ब्लड वेसल्स के कामकाज को ठीक से प्रतिबंधित करता है।
लक्षण- डायबिटिक रेटिनोपैथी बीमारी के लक्षणों में धुंधली दृष्टि, दृष्टि में काले धब्बे और रतौंधी शामिल है।
आपकी दृष्टि और उसमें मौजूद काले धब्बे की जांच करने के लिए आपके डॉक्टर आंखों का परीक्षण करेंगे। इस दौरान डॉक्टर आपके सामने एक कटोरे के आकार का उपकरण रखेंगे और आपको आंखों में से एक पर पैच लगाने के लिए कहेंगे। इसके बाद वह कटोरे के चारों तरफ अलग-अलग बिंदुओं पर फ्लैशलाइट इंगित करेंगे और आपको अपना सिर घुमाए या आंखें हिलाए बिना रोशनी दिखने पर एक बटन दबाना होगा। इसी तरह डॉक्टर आपको दूसरी आंख पर पैच लगाने को कहेंगे और यही परीक्षण फिर दोहराएंगे। अगर आपको भी किसी प्रकार की आंखों की समस्या है, तो आपके डॉक्टर आपकी दृष्टि में बदलाव की जांच करने के लिए हर 6 से 12 महीने में इस परीक्षण को दोहरा सकते हैं।
ग्लूकोमा के कारण खोई हुई दृष्टि को वापस नहीं पाया जा सकता, लेकिन कुछ चीजों का पालन करके इसके नुकसान की दर को कम ज़रूर किया जा सकता है। अगर आप योग करते हैं, तो सिर नीचे की तरफ ले जाने वाले आसनों से बचें क्योंकि इससे आंखों का दबाव बढ़ता है।
ग्लूकोमा का निदान जल्दी होने पर आपको आंखों का दबाव कम करने के लिए कुछ दवाएं दी जाएंगी, लेकिन समय पर निदान नहीं किये जाने पर सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है। स्टडीज़ के मुताबिक विटामिन ए दृष्टि हानि को रोकने में मदद करता है, क्योंकि यह आंखों की नुकसान की दर को धीमा कर देता है।
अगर आपको परिधियों को देखने में कठिनाई होती है या दृष्टि में कोई बदलाव नज़र आता है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। किसी भी आंख की समस्या का शुरुआती चरण में निदान करने से उसे रोकना आसान हो जाता है। ज़्यादातर आंखों की समस्याओं का इलाज उचित आहार और चश्मे से किया जा सकता है, लेकिन फिर भी यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग हो सकता है। ऐसे में अपनी आंख की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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